tag:blogger.com,1999:blog-49708509554242147442024-03-05T23:29:05.640-05:00Home Remedies / घरेलु नुस्खे / आयुर्वेद दादी-नानी और पिता-दादाजी के बातों का अनुसरण, संयम बरतते हुए समय के घेरे में रहकर जरा सा सावधानी बरतें तो कभी आपके घर में डॉ. नहीं आएगा. यहाँ पर दिए गए सभी नुस्खे और घरेलु उपचार कारगर और सिद्ध हैं... इसे अपनाकर अपने परिवार को निरोगी और सुखी बनायें.. रसोई घर के सब्जियों और फलों से उपचार एवं निखार पा सकते हैं. उसी की यहाँ जानकारी दी गई है. इस साइट में दिए गए कोई भी आलेख व्यावसायिक उद्देश्य से नहीं है. किसी भी दवा और नुस्खे को आजमाने से पहले एक बार नजदीकी डॉक्टर से परामर्श जरूर ले लें. RAJhttp://www.blogger.com/profile/03629974765289732103noreply@blogger.comBlogger164125tag:blogger.com,1999:blog-4970850955424214744.post-54020373977721483652018-12-03T01:40:00.000-05:002018-12-03T01:40:22.396-05:00Vitamin A deficiency<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<h2 style="text-align: left;">
<span style="color: #cc0000;">विटामिन ए की कमी लक्षण और उपाय – Vitamin A deficiency<table align="center" cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="margin-left: auto; margin-right: auto; text-align: center;"><tbody>
<tr><td style="text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg-4F0xxgOyt8uvefvk1d8Chyq1iBD-gxSZ8gk6UwQg5Jb7_QJnw0AQ161jb-URuy1rIHkeBXuQOquWygFg_HhT0SlgGedH51zy3zF2pGhrsZTvg2SPApqaVFFY21eFun5Bw7LZu2a5WSM/s1600/Raj+Vitameen+A.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: auto; margin-right: auto;"><img border="0" data-original-height="400" data-original-width="678" height="235" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg-4F0xxgOyt8uvefvk1d8Chyq1iBD-gxSZ8gk6UwQg5Jb7_QJnw0AQ161jb-URuy1rIHkeBXuQOquWygFg_HhT0SlgGedH51zy3zF2pGhrsZTvg2SPApqaVFFY21eFun5Bw7LZu2a5WSM/s400/Raj+Vitameen+A.jpg" width="400" /></a></td></tr>
<tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;"><h3>
<span style="color: red;">Rajesh Mishra, Kolkata, West Bengal</span></h3>
</td></tr>
</tbody></table>
</span></h2>
विटामिन ए Vitamin A वसा में घुलनशील विटामिन है और एक ताकतवर एंटीओक्सिडेंट है। यह आँखें, तंत्रिका तंत्र, त्वचा , नाख़ून , हड्डियाँ तथा अन्य कई अंगों को स्वस्थ बनाये रखने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है ।<br />विटामिन A अन्य एंटीओक्सिडेंट की तरह फ्री रेड्कल से बचाव करके कैंसर तथा अन्य बीमारियों से बचाता है।<br />विटामिन A मजबूत हड्डी , जींस की कार्यविधि , स्वस्थ त्वचा तथा प्रतिरोधक क्षमता को बनाये रखने में भी मददगार होता है। यह खून में लाल रक्त कण RBC बनने में सहायक होता है।<br />विटामिन A पाचन तंत्र , श्वसन तंत्र , मूत्र संसथान आदि को संक्रमण से बचाने के लिए भी आवश्यक होता है।<br /><h3 style="text-align: left;">
विटामिन A किसमें ज्यादा होता है<br />Good Source of Vitamin A</h3>
विटामिन ए लाल पीले फल व सब्जी और पत्तेदार सब्जी में अधिक मिलता है। कददू , गाजर , टमाटर , मटर , पालक , लाल मिर्च , संतरा , खरबूजा , तरबूज , शकरकंद , ब्रोकली आदि में यह प्रचुर मात्रा में होता है। खुबानी इसका एक बहुत अच्छा स्रोत है।<br /><h3 style="text-align: left;">
विटामिन ए की कमी लक्षण व उपाय</h3>
गेहूं से बनी रोटी जो की हमारा मुख्य आहार है उसमे विटामिन A नहीं होता है। रोटी पर घी लगाने से इसकी पूर्ती हो जाती है। घी में विटामिन A होता है। अतः रोटी पर घी जरूर लगाना चाहिए।<br /><h3 style="text-align: left;">
विटामिन ए दो तरह से प्राप्त होता है।</h3>
रेटिनॉल Retinol के रूप में : यह एक्टिव विटामिन होता है और एनीमल फ़ूड यानी मांसाहार से प्राप्त होता है।<br />बीटा केरोटीन – केरोटेनोइड Carotenoid के रूप में : यह पेड़ पौधों से प्राप्त होता है लेकिन इसे शरीर इसे पचाकर पहले रेटिनॉल में बदलता है , फिर यह शरीर के काम आता है।<br />विटामिन ए प्राप्त करने के लिए कैप्सूल आदि खाने की अपेक्षा फल सब्जी आदि आहार लेना अधिक उपयुक्त होता है।अतः आहार में पीले , नारंगी , लाल रंग के फल सब्जी प्रचुर मात्रा में लेने चाहिये ताकि विटामिन A की पर्याप्त मात्रा शरीर को मिलती रहे और इसकी कमी ना हो। लेकिन चिकित्सक के अनुसार आवश्यकता होने पर दवा अवश्य लेनी चाहिए।<br /><h3 style="text-align: left;">
विटामिन ए की कमी के लक्षण<br />Vitamin A deficiency symptom</h3>
विटामिन A की कमी से शरीर में कई प्रकार की परेशानी हो सकती हैं। यदि नीचे बताये लक्षण महसूस हो तो विटामिन ए की कमी पर जरूर ध्यान देना चाहिए और भोजन में विटामिन A युक्त सामान की मात्रा बढ़ा देनी चाहिए।<br />— रात के समय या कम रौशनी में देखने में परेशानी होना , दिन के समय सही दिखाई देना।<br />— हथेली और तलुओं की स्किन दानेदार कड़क हो जाये।<br />— आँखों में जलन , चुभन या सूजन आदि ।<br />— बालों में रूखापन या रुसी डैंड्रफ।<br />— नाख़ून खुरदरे हो जाये और आसानी से टूट जाते हो।<br />— थकान व डिप्रेशन महसूस हो।<br />— नींद आसानी से नहीं आती हो।<br /><h3 style="text-align: left;">
विटामिन A की कमी के कारण<br />Cause of Vitamin A Deficiency</h3>
— सबसे मुख्य कारण भोजन में ऐसे आहार की कमी , जिनसे विटामिन A प्राप्त होता है।<br />— शरीर द्वारा विटामिन A ग्रहण नहीं कर पाना। किसी बीमारी के कारण आंतों की पोषक तत्वों के अवशोषण की क्षमता कम होने से यह हो सकता है।<br />— अधिक पेशाब आने से विटामिन A की कमी हो सकती है। टी बी , यूरिन इन्फेक्शन , न्यूमोनिया या किडनी में खराबी आदि बीमारी के कारण ऐसा हो सकता है।<br />— गर्भवती महिला को तीसरी तिमाही में खुद के तथा गर्भ के लिए अधिक मात्रा में विटामिन ए की जरुरत होती है। ऐसे में पर्याप्त मात्रा नहीं लेने से कमी हो जाती है।<br />— माँ के दूध में पर्याप्त मात्रा में विटामिन ए होता है , जिन शिशुओं को माँ का दूध उपलब्ध नहीं हो पाता उन्हें इसकी कमी हो जाती है। लेकिन स्तनपान कराने वाली माँ को इसकी कमी ना हो यह भी जरुरी है।<br />— जिन लोगों को लम्बे समय तक वसा के पाचन की समस्या होती है उन्हें विटामिन A की कमी होने की सम्भावना बढ़ जाती है।<br />— शराब पीने से विटामिन A की कमी हो जाती है।<br /><br />— जिन शिशुओं को माँ का पहला दूध यानि कोलेस्ट्रोम नहीं मिलता उन्हें विटामिन A की कमी हो सकती है।<br />— पर्याप्त आहार नहीं ले पाने के कारण 5 साल से छोटे बच्चों में विटामिन A की कमी अक्सर हो जाती है जिसके कारण दिखना बंद होना या अन्य दुखद परिणाम सामने आ सकते हैं। अतः इस समय उनका विशेष ध्यान रखने की जरुरत होती है।<br /><h3 style="text-align: left;">
विटामिन A की कमी से नुकसान<br />Vitamin A deficiency effects</h3>
विटामिन A की कमी के कारण रतौंधी तो होती ही है , साथ ही कॉर्निया ख़राब होने से दिखाई देना भी बंद हो सकता है। इसके अलावा आँखों में सूखापन या जलन आदि हो सकते हैं । आँखें स्वस्थ रहे उसके लिए विटामिन A अत्यधिक जरुरी होता है।<br />विटामिन ए घाव भरने और नई स्किन जल्दी बनने मे भी सहायक होता है। यह त्वचा में होने वाले कैंसर से बचाता है , इसके अलावा स्किन को कोमलता प्रदान करता है। इसकी कमी से त्वचा में झुर्रियां जल्दी पड़ सकती हैं।<br />विटामिन A की कमी से शरीर की बाहरी और अंदरूनी त्वचा में सूखापन और कड़ापन आ सकता है। यह कमी श्वसन तंत्र , पाचन तंत्र या मूत्र संसथान के लिए बहुत हानिकारक हो सकती है।<br />गर्भवती महिला को विटामिन ए की कमी से माँ को या बच्चे को आँखों की समस्या हो सकती है। विटामिन A की कमी गर्भस्थ शिशु के लिए बहुत खतरनाक हो सकती है।<br />बच्चों में विटामिन A की कमी के कारण उनका शारीरिक तथा हड्डियों का विकास प्रभावित हो सकता है , प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण उन्हें सर्दी जुकाम ज्यादा होते हैं , मीजल्स , डायरिया या फेफड़ों में संक्रमण आदि ज्यादा हो सकते हैं।<br /><h3 style="text-align: left;">
विटामिन ए की कमी से बचाव<br />Prevention of vitamin A deficiency</h3>
अपने भोजन में विटामिन ए युक्त सामान शामिल करें। बाजार में आजकल फोर्टीफाइड सामग्री उपलब्ध है जिनमे अतिरिक्त रूप से विटामिन खनिज आदि मिलाये जाते हैं उनका उपयोग करें।<br />चपाती घी से चुपड़ी हुई खायें। दो या तीन चम्मच घी से भी अच्छी मात्रा में विटामिन ए प्राप्त हो सकता है।<br />पीले , नारंगी और लाल रंग के फल सब्जी नियमित रूप से खाएं। गाजर का हलवा विटामिन ए के लिए सर्वोत्तम आहार है , सर्दी में जरूर खाएं। दो चम्मच घी से भी काफी मात्रा में विटामिन ए मिल<br />गर्भावस्था में अधिक मात्रा में विटामिन ए की जरुरत का ध्यान रखें। शिशु को स्तन का पहला दूध अवश्य पिलायें इसके भी स्तनपान जरुर करायें।<br />5 साल से छोटे बच्चों को विटामिन ए युक्त आहार भरपूर मात्रा में दें।<br />पाचन सम्बन्धी बीमारी या समस्या का जल्द से जल्द उचित उपचार करायें।<br />शराब का सेवन ना करें।</div>
RAJhttp://www.blogger.com/profile/03629974765289732103noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4970850955424214744.post-60916483105300962312017-08-05T03:27:00.000-04:002017-08-05T03:34:39.689-04:0036 Health Tips for life : RAJESH MISHRA<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjLGNGACpDk01wOi9oGM-FAtO12C7isZwNTCB6f2dfgEy_cxrGtMukHUwxN4faAQCcBYv4fEkZTPoKg2_maa1HirIYnNGEYUC9HjgVCwHTZZhpYNJbCwFDnH5IazSw722IdwfXS-o7nJbE8/s1600/IMG-20150516-WA0001_1.jpg" style="clear: right; float: right; margin-bottom: 1em; margin-left: 1em;"><br /></a>
<br />
<h2 style="text-align: left;">
<div style="text-align: center;">
<span style="color: purple; font-size: x-large;">स्वस्थ रहने के 36 उपाय</span></div>
<span style="color: red;"><div style="text-align: center;">
महत्वपूर्ण ध्यान रखने योग्य बातें:<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjJy8_GwMBMNtdFhVC-O5L6WC-L9Ks6h9EURP7VpvLGmwyitKpNPirT69aWQoeENSAFarYt809dRah-6RSbenB9IH4bbkXZe1EcmRuSmN5aFCf5uyy6OIofUhElw1jRoY7orEgFs9zVcAY/s1600/scrapeenet_20120114041346kd5Dt1.gif" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="225" data-original-width="300" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjJy8_GwMBMNtdFhVC-O5L6WC-L9Ks6h9EURP7VpvLGmwyitKpNPirT69aWQoeENSAFarYt809dRah-6RSbenB9IH4bbkXZe1EcmRuSmN5aFCf5uyy6OIofUhElw1jRoY7orEgFs9zVcAY/s1600/scrapeenet_20120114041346kd5Dt1.gif" /></a></div>
</div>
</span></h2>
1) हमेशा पानी को घूट-घूट करके चबाते हुए पिये और खाने को इतना चबाये की पानी बन जाये। किसी ऋषि ने कहा है कि "खाने को पियो और पीने को खाओ" <br />
<br />
2) खाने के 40 मिनट पहले और 60-90 मिनट के बाद पानी पिये और फ्रीज का ठंडा पानी, बर्फ डाला हुआ पानी जीवन मे कभी भी नही पिये। गुनगुना या मिट्टी के घडे का पानी ही पिये । <br />
3)सुबह जगने के बाद बिना कुल्ला करे 2 से 3 गिलास पानी सुखआसन मे बैठकर पानी घूटं-घूटं करके पिये यानी उषा पान करे । <br />
4) खाने के साथ भी कभी पानी न पिये। जरुरत पड़े तो सुबह ताजा फल का रस, दोपहर मे छाछ और रात्रि मे गर्म दूध का उपयोग कर सकते हैं। <br />
5) भोजन हमेशा सुखआसन मे बैठकर करे और ध्यान खाने पर ही रहे, मतलब टेलीविजन देखते, गाने सुनते हुए, पढ़ते हुए, बातचीत करते हुए कभी भी भोजन न करे।<br />
<br />
6) हमेशा बैठ कर खाना खाये और पानी पिये। अगर संभव हो तो सुखासन, सिद्धासन मे बैठ कर ही खाना खाये। <br />
7) फ्रीज़ मे रखा हुआ भोजन न करें या उसे साधारण तापमान में आने पर ही खाये दुबारा कभी भी गर्म ना करे । <br />
8) गूँथ कर रखे हुये आटे की रोटी कभी न खाये, जैसे- कुछ लोग सुबह में ही आटा गूँथ कर रख देते है और शाम को उसी से बनी हुई चपाती खा लेते है जो स्वास्थ के लिए हानिकारक है। ताजा बनाए ताजा खाये। <br />
9) खाना खाने के तुरंत बाद पेशाब जरूर करे ऐसा करने से डायबिटज होने की समभावना कम होती हैं। <br />
10) मौसम पर आने वाले फल, और सब्जियाँ ही उत्तम है इसलिए बिना मौसम वाली सब्जियाँ या फल न खाये। <br />
11) सुबह मे पेट भर भोजन करें। जबकि रात मे बहुत हल्का भोजन करें। <br />
12) रात को खीरा, दही और कोई भी वात उत्पन्न करने वाली चीज न खाये। <br />
13) दही के साथ उड़द की दाल न खाये। जैसे- दही और उड़द की दाल का बना हुआ भल्ला। <br />
14) दूध के साथ नमक या नमक की बनी कोई भी चीज न खाये। क्योंकि ये दोनों एक दूसरे के प्रतिकूल प्रभाव डालती है। <br />
<div style="text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjLGNGACpDk01wOi9oGM-FAtO12C7isZwNTCB6f2dfgEy_cxrGtMukHUwxN4faAQCcBYv4fEkZTPoKg2_maa1HirIYnNGEYUC9HjgVCwHTZZhpYNJbCwFDnH5IazSw722IdwfXS-o7nJbE8/s1600/IMG-20150516-WA0001_1.jpg" style="clear: right; margin-bottom: 1em; margin-left: 1em;"><img border="0" height="400" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjLGNGACpDk01wOi9oGM-FAtO12C7isZwNTCB6f2dfgEy_cxrGtMukHUwxN4faAQCcBYv4fEkZTPoKg2_maa1HirIYnNGEYUC9HjgVCwHTZZhpYNJbCwFDnH5IazSw722IdwfXS-o7nJbE8/s400/IMG-20150516-WA0001_1.jpg" width="269" /></a></div>
15) दूध से बनी कोई भी दो चीजे एक साथ न खाये। <br />
16) कोई भी खट्टी चीज दूध के साथ न खाये सिर्फ एक खा सकते है आँवला। खट्टे आम का शेक न पिये केवल मीठे पके हुए आम का ही शेक पीये । <br />
17) कभी भी घी और शहद का उपयोग एक साथ न करे! क्योंकि दोनों मिलकर विष बनाते है। <br />
18) खाना भूख से कम ही खाये। जीने के लिए खाना खाये न कि खाने के लिए जीये। <br />
19) रिफाइण्ड तेल जहर हैं आप हमेशा कच्ची घाणी का सरसो, तिल या मूगंफली का तेल ही उपयोग करे और जीवन मे हाटॅ टेक व जोडो के दर्द से बचे । <br />
20) तला, और मसालेयुक्त खाना खाने से बचे। अगर ज्यादा ही मन हो तो सुबह मे खाये रात मे कभी भी नहीं। <br />
21) खाने मे गुड या मिस्री का प्रयोग करें, चीनी के प्रयोग स बचें। <br />
22) नमक का अधिक सेवन न करें। आयोडिन युक्त समुद्री नमक का उपयोग बिल्कुल भी नही करे! सेधां, काला या डली वाला नमक इस्तेमाल करें। <br />
23) मेदा, नमक और चीनी ये तीनों सफ़ेद जहर है इनके प्रयोग से बचें। <br />
24) हमेशा साधारण पानी से नहाएँ और पहले सर पर पानी डाले फिर पेरो पर और अगर गरम से नहाओ तो हमेशा पहले पैरो पर फिर सर पर पानी डालना चाहिये। <br />
25) हमेशा पीठ को सीधी रख कर बेठे। <br />
26) सर्दियों मे होंठ के फटने से बचने के लिए नहाने से पहले नाभि मे सरसों के तेल लगाये । जबरदस्त लाभ मिलता है। <br />
27) शाम के खाने के बाद 2 घंटे तक न सोये। 5 से 10 मिनट वज्रासन मे बैठे 1000 कदम वाक जरूर करें। <br />
28) खाना हमेशा ऐसी जगह पकाया जाये जहां वायु और सूर्य दोनों का स्पर्श खाने को मिल सके। <br />
29) कूकर मे खाना न पकाए बल्कि किसी खुले बर्तन मे बनाए, क्योकि कूकर मे खाना उबलता है और खुले बर्तन के अन्दर खाना पकता हैं इससे खाने प्रोटीन मात्रा 93 प्रतिशत होती है और कूकर मे मात्र 13 प्रतिशत रहती है ।<br />
30) सिल्वर के बर्तनो का प्रयोग खाना बनाने और खाने दोनों के लिए कभी भी न करें!पीतल, कासां, मिट्टी के बर्तन का ही उपयोग करें। <br />
31) खाने को कम से कम 32 बार चबाये। <br />
32) रोज टूथब्रश का प्रयोग न करें इससे मसूड़े कमजोर होते है। दंतमंजन का प्रयोग कर सकते है। <br />
33) अपनी दोनों नासिकाओ मे देशी गाय के घी को हल्का गुनगुना करके 1-1 बुंद रात मे डालने से दिमाग तंदरुस्त रहता है। नजला जुकाम, सिर दर्द, माइगृेन, नींद नहीं आना, तनाव आदि समस्या का समाधान होता हैं <br />
34) हमेशा मीठा, नमकीन से पहले खाना चाहिए । <br />
<br />
35) बार-बार नहीं खाना चाहिये एक बार बैठ कर भरपेट या उससे थोड़ा कम खाना चाहिये। <br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiIF9ZQDfki9wlmVXgJzqzPn22233HrlyfOysYkbWmxEWCVbYCBtDUFy0UXcUvD0xBAOn_tnazsve789F-pAOykXcSadQKU2_UZoVrLqsy0nxH1JsgrRHMPzd9SyxTgsEhN7B7qLWx-j-s/s1600/Hasna+mana+hai.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="144" data-original-width="180" height="320" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiIF9ZQDfki9wlmVXgJzqzPn22233HrlyfOysYkbWmxEWCVbYCBtDUFy0UXcUvD0xBAOn_tnazsve789F-pAOykXcSadQKU2_UZoVrLqsy0nxH1JsgrRHMPzd9SyxTgsEhN7B7qLWx-j-s/s400/Hasna+mana+hai.jpg" width="400" /></a></div>
36) हमेशा सकारात्मक सोचना चाहिये। नकारात्मक सोचने से भी बीमारियाँ आती है। </div>
RAJhttp://www.blogger.com/profile/03629974765289732103noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4970850955424214744.post-64288817431788492382017-08-04T10:55:00.000-04:002017-08-04T10:55:15.916-04:0051 "RAJ" Home Remedies for Cough and Cold in Babies<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<h2 style="text-align: left;">
<div style="text-align: center;">
<span style="color: #660000;">बच्चों में सर्दी और खांसी के लिए "<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhSD7HrBEceFXo5Q69LBKsryFfL-Oi4E-K5bWjmcgm2I3LKbMxexgEI37lgWXHlC5kKSWlMDvXtsW7hvNh8Syf1pcRhD-n94IiB97wjC7vb91PmIwA2P_chcMbBMJwsOJVY0HUDK1xv4wM/s1600/home-remedies-for-cold.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="337" data-original-width="507" height="265" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhSD7HrBEceFXo5Q69LBKsryFfL-Oi4E-K5bWjmcgm2I3LKbMxexgEI37lgWXHlC5kKSWlMDvXtsW7hvNh8Syf1pcRhD-n94IiB97wjC7vb91PmIwA2P_chcMbBMJwsOJVY0HUDK1xv4wM/s400/home-remedies-for-cold.jpg" width="400" /></a></div>
राज" 51 घरेलु उपचार</span></div>
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<br />बड़े बच्चे नख़रेबाज़ और चिड़चिड़े हो जाते हैं "राज" और आपको लगता है कि आपके प्यारे बच्चे को किसी ने बदल दिया है।<br /><br />मुझे सोमवार को छुट्टी लेनी पड़ी थी, क्योंकि मेरी छोटी अंशिका बदलते हुए मौसम के चपेट में आ गयी थी। सर्दी और खांसी की वजह से वह बहुत बीमार हो गयी थी। अब वह पहले से ठीक है और उसे आराम है।इसलिए मैंने यह विचार बनाया कि क्यों ना बच्चों और शिशुओं के लिए सर्दी और खांसी के सरल घरेलु उपचारों (baby cough medicine homemade) के बारे में एक पोस्ट लिखा जाये। ये घरेलु उपचार आजमाए और परखे हुए हैं, जिन्होंने मेरी सहायता की है। यह पोस्ट बच्चों और शिशुओं में सर्दी और खांसी के लिए २१ घरेलु उपचारों के बारे में है।<br /><br />सर्दी और बुखार के लक्षण कई अभिभावकों को भ्रमित कर सकते हैं। आपको कैसे पता चलता है कि यह सर्दी है या बुखार? हालाँकि, इनके लक्षण एक समान प्रतीत होते हैं और आपको चिंतित कर सकते हैं, लेकिन इन दोनों में अंतर करना आसान होता है।<br /><br />सर्दी में नाक बहती है, नाक जम जाती है, छींक आती है, खांसी होती है और कभी-कभी शरीर का तापमान भी थोड़ा बढ़ जाता है।<br />बुखार के लक्षण ज्यादा गंभीर होते हैं। इसकी वजह से शरीर का तापमान अधिक बढ़ सकता है, गले में संक्रमण, खांसी, शरीर दर्द आदि हो सकता है। चाहे सर्दी हो या बुखार, अपने डॉक्टर से अपने बच्चे के लिए दवाएं निर्देशित करवाना ना भूलें।<br /><br />छोटी-मोटी बीमारियों का सामना करने के लिए माएं घरेलु उपचारों का प्रयोग क्यों करती हैं? मुख्य कारण है कि – यह नुकसानदायक रसायनों से नहीं बना होता है! मैंने बच्चों के आयु वर्ग के आधार पर उपचारों को विभाजित कर दिया है, ताकि यह आपके लिए आसान हो जाए।<br /><br />जैसा कि आप जानती हैं, सभी उपचार सभी आयु वर्ग के बच्चों के लिए उपयुक्त नहीं होते हैं।<br /><br />६ महीने तक के बच्चे: <br />क्या "राज" आपको अपने बच्चे की पहली सर्दी याद है? मुझे याद है, अंशिका केवल ३ सप्ताह की थी जब वो पहली बार सर्दी और खांसी से बीमार पड़ी थी। मुझे याद है कि उसकी तकलीफ को देखकर मैं बहुत बेसहारा महसूस कर रही थी। उस उम्र में बच्चे पहले ही बहुत कोमल होते हैं और कोई भी बीमारी इस स्थिति को और भी अधिक बुरी बना सकती है।<br />मुझे पूरा भरोसा है कि सर्दी और खांसी के दौरान कई माएं जागती हुई रातों और बच्चों में चिड़चिड़ेपन के इस कठिन दौर से गुजरी होंगी। तो चलिए कुछ घरेलु उपचारों पर एक नज़र डालते हैं जो उनकी तकलीफ कम कर सकते हैं और उन्हें तेजी से स्वस्थ कर सकते हैं।<br /><br />#१. माँ का दूध <br />माँ का दूध एक अद्भुत पेय होता है। इसलिए ६ महीने से छोटी उम्र के बच्चों को सर्दी और खांसी के दौरान विषाणुओं और जीवाणुओं का सामना करने के लिए माँ के दूध के अलावा किसी भी अन्य दवा की जरुरत नहीं होती है।<br />जैसा कि आपको पता है कि माँ का दूध प्रतिरक्षियों से भरपूर होता है। माँ के दूध में मौजूद ये प्रतिरक्षी सभी प्रकार के कीटाणुओं, विषाणुओं और जीवाणुओं के विरुद्ध बच्चे के शरीर में प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाने में सहायता करते हैं। यह आपके छोटे बच्चे को उचित प्रकार से हाइड्रेट रखने में भी सहायता करता है।<br />आप स्तनपान कराने के फायदों के बारे में भी पढ़ सकती हैं।<br /><br /><div>
#२. नाक में नमक के पानी की बूंदें डालना<br />मेरे मामले में यह प्रभावकारी साबित हुआ है और मैंने इसका नाम मेरा रक्षक भी रख दिया था। इससे नाक साफ़ रखने में और इसे जमने से बचाने में सहायता मिली। इससे नाक साफ़ करना बहुत आसान हो जाता है और यह अपेक्षाकृत रूप से आंसू-मुक्त भी होता है।<br />मुझे विश्वास है कि आपके बालरोग विशेषज्ञ ने आपके छोटे शिशु के लिए सेलाइन ड्रॉप का निर्देश दिया होगा। अपने डॉक्टर की बातों या उनके निर्देश का अनुसरण करना ना भूलें। इसके प्रयोग का सामान्य नियम यह है कि पहले नाक को हल्के हाथ से साफ़ करें और इसके बाद ड्रॉप डालें। बच्चे का सिर मोड़ कर रखें ताकि दवा बाहर ना निकले। आप घर पर भी सेलाइन ड्रॉप बना सकती हैं।<br /><br />एक स्टील की कटोरी, चम्मच लें और इसे अच्छी प्रकार से कीटाणुमुक्त करें। १/२ छोटा चम्मच नमक लें और इसे ८ छोटे चम्मच गर्म फ़िल्टर के पानी में घोलें। ठंडा होने के बाद, आप इसे अपने बच्चे के लिए प्रयोग कर सकती हैं। लेकिन इसे केवल आपातकालीन स्थितियों में ही प्रयोग करें और मैं आपको घर पर बने सेलाइन ड्रॉप के बजाय बाज़ार में उपलब्ध सेलाइन ड्रॉप का प्रयोग करने की सलाह दूंगी, क्योंकि इसमें बैक्टीरिया पनपने का खतरा होता है।<br />अपने बच्चे की बंद नाक खोलने के लिए "राज" नेज़ल एस्पिरेटर भी एक बहुत बढ़िया विकल्प होता है। यह उन सभी चीजों को हटाने में सहायता करता है जो आपके बच्चे की नाक बंद करते हैं।<br />आप इसे यहाँ खरीद सकती हैं<br />आप सर्दी को दूर रखने के ५ उपायों के बारे में भी पढ़ सकती हैं।<br /><br />#३. लहसुन और अजवाइन की पोटली <br /><br />लहसुन और अजवाइन को इनके कीटाणु-रोधक और विषाणु-रोधक गुणों के लिए जाना जाता है। इसलिए ये दोनों एक साथ मिलकर काफी प्रभावशाली साबित हो सकते हैं और यह सर्दी और बंद नाक के विरुद्ध एक ताकतवर हथियार है। लेकिन इसके नाम से मत डरिये, वास्तव में इसे बनाना बहुत आसान है।<br />आपको यह पोटली या पाउच बनाने के लिए ३ चीजों की जरुरत होती है – लहसुन, अजवाइन और साफ़ मलमल का कपड़ा।<br />लहसुन की २ बड़ी कलियों और १ बड़ा चम्मच अजवाइन को तवे पर सूखा भूनें। इसके ठंडा होने का इंतज़ार करें और ठंडा होने के बाद इसे एक पोटली में बांधें। आप यह एक साफ़ मलमल के कपड़े की सहायता से भी कर सकती हैं।<br />इस पोटली को बच्चे के पालने या झूले में रखें जहाँ बच्चा सोता है। पोटली से निकलने वाला लहसुन-युक्त अजवाइन का धुआं बच्चे की मदद करेगा, क्योंकि यह बंद नाक खोलने में और कफ के जमाव से राहत पहुंचाने में सहायता करता है।<br />चेतावनी: बच्चे के द्वारा इस पोटली को मुंह में भरने और दम घुटने की संभावना से बचने के लिए कृपया पोटली/पाउच को बच्चे के पास ना रखें। इसे बहुत नजदीक रखने पर यह श्वसन के लिए नुकसानदेह भी बन सकता है।<br />यदि आप सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं तो आप इस पोटली को बच्चे के पैर के नीचे रगड़ भी सकती हैं। यह तरीका भी प्रभावी होता है।<br /><br />#४. पनिकूरका<br /><br />यह एक गूदेदार सदाबहार पौधा होता है, जिसे दक्षिण भारत में व्यापक रूप से पनिकूरका कहते हैं और इसे बच्चों में खांसी, बुखार, गले की खराश और बंद नाक का इलाज करने के लिए प्रयोग किया जाता है।<br />इसे भारतीय बोरेज, पत्ता अजवाइन, पत्थर चूर, कर्पूरवल्ली या नवरयिला के रूप में भी जाना जाता है, और यह एक प्राकृतिक ज्वरनाशक और कफ गिराने वाली औषधि है। गूदेदार सुगंधित पत्तियों को स्टोव पर भुना जाता है, और ठंडा करने के बाद बच्चे के माथे पर रखा जाता है। पत्तों का सूखना पानी का अवशोषण दर्शाता है और इस प्रकार बच्चे को खांसी/कफ जमने से राहत मिलती है।</div>
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<br />#५. तेल मालिश <br /><br />लगभग ¼ कप सरसों का तेल लें और इसे गर्म करें। एक या दो लहसुन की कलियाँ लें। उन्हें हल्का कूटें और इसके बाद काट दें। इसे सरसों के तेल में डाल दें। इसके भूरा होने का इंतज़ार करें, इसके बाद आंच से हटा दें।<br />याद रखें, इसे केवल भूरा करना होता है, इसे जलने ना दें। आप इस तेल का प्रयोग कर सकती हैं और बच्चे के सीने और पाँव की मालिश कर सकती हैं। इसे बाद उसे मोज़े पहनाएं।<br />बेहतर परिणामों के लिए "राज" चुटकी भर अजवाइन भी डाला जा सकता है। इसे तेल गर्म करते समय डालें। लहसुन की तरह इसे भी काला ना होने दें। सरसों के तेल, लहसुन और अजवाइन में कीटाणु-रोधक और विषाणु-रोधक गुण होते हैं। इसके अलावा सरसों के तेल की तासीर गर्म होती है जो बच्चे में कफ के जमाव में भी सहायता करता है। यह आपके बच्चे को काफी मात्रा में आराम प्रदान करने में सहायता करता है।<br />आप बच्चे की मालिश करने का क्रमशः तरीका भी पढ़ सकती हैं।<br />चेतावनी: इस बात का ध्यान रखें कि बच्चा कभी भी तेल ना पीये क्योंकि इसकी वजह से दस्त और अन्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। बच्चों के लिए तेलों या हर्बल दवाओं के सेवन का सुझाव नहीं दिया जाता है।<br /><br />#६. केसर तिलक <br /><br />केसर के कुछ धागे लें। इसका पेस्ट बनाने के लिए इसे पत्थर पर रगड़ें। रात में बच्चे के पाँव और माथे पर तिलक या टीका लगाएं।<br />केसर का तिलक बच्चे के माथे में जमा पानी को अवशोषित करने में सहायता करेगा।<br /></div>
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#७. सैजन के पत्तों का केश तेल <br /><br />यह मेरी माँ द्वारा प्रयोग किया जाने वाला एक पुराना उपचार है।<br />मोरिंगा या सैजन की कोमल हरी पत्तियों को तोड़ें। एक मोटी पेनी वाली कढ़ाई में १/२ कप नारियल तेल गर्म करें और उसमें मुट्ठीभर सैजन की पत्तियां डालें।<br />पत्ते सूख जाने के बाद, आप कढ़ाई को आंच से हटा सकती हैं।<br /><br />सर्दी, खांसी और कफ जमा होने पर इस तेल को अपने बच्चे के बालों के तेल के रूप में प्रयोग करें।<br /><br />#८. मौसम के अनुसार कपड़े <div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
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<br /><br />बच्चे के कपड़े उसके सीने को सर्दी से बचाने वाले होने चाहिए।<br />सर्दियों के मौसम में, उसे गर्म रखने के लिए एक के ऊपर एक कपड़े पहनाएं।<br />यदि गर्मी है तो सुनिश्चित करें कि उसके कपड़े आरामदायक हों और उसे घुटन महसूस ना हो।<br />हालाँकि, रात में कंबल का प्रयोग करना सामान्य लगता है, लेकिन शायद यह उतना अच्छा विचार नहीं है। आपका बच्चा अपने सिर के ऊपर चादर या कंबल खींच सकता है। इससे घुटन हो सकती है और उसे SIDS या आकस्मिक शिशु मृत्यु सिंड्रोम का भी खतरा होता है।<br />आप अपने बच्चे को एक पीस की पोशाक और उसके ऊपर कोई टी-शर्ट पहना सकती हैं। यदि बाहर ठंड नहीं है तो यह प्रभावी हो सकता है। याद रखें, उसका आराम सबसे ज्यादा अहमियत रखता है, इसलिए यदि उसे परेशानी महसूस होती है तो उसकी पोशाक को उस हिसाब से निःसंकोच बदलें। हालाँकि, सीने को ढंकना ना भूलें।<br /><br />#९. अपना और अपने बच्चे का हाथ साफ़ रखना <br /><br />कीटाणुरोधी बेबी वाइप या साबुन से नियमित अंतरालों पर अपना और अपने बच्चे का हाथ अच्छी प्रकार से साफ़ करती रहें। यदि आपको लगता है कि यह कैसे उपयोगी है या परिवार में कोई ऐसा व्यक्ति है जो कहता है कि उसे इसमें विश्वास नहीं है तो मैं आपको बताती हूँ कि यह महत्वपूर्ण क्यों है। <br />यह कीटाणुओं को फैलने से रोकने में मदद करता है। अब आप इस स्थिति को और अधिक खराब नहीं बनाना चाहती। हैं ना?<br />दिनभर में आप कई लोगों से मुलाकात और बातचीत करेंगी और इसका मतलब है कि आप बहुत सारे जीवाणुओं और कीटाणुओं का आदान-प्रदान भी करेंगी।बीमारी के दौरान, शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता उतनी ज्यादा मजबूत नहीं होती है – जिसका मतलब है कि वह अन्य बीमारियों के प्रति भी संवेदनशील होता है। इसलिए, कम से कम जब तक उसके स्वास्थ्य में सुधार नहीं होता है इस गतिविधि का पालन करना ना भूलें।<br /><br />#१०. बच्चे का सिर ऊपर रखें <br /><br />जब आपका बच्चा सोता है तो उसका सिर ऊपर रखने का प्रयास करें। इससे उसे सही प्रकार से साँस लेने में सहायता मिलती है। साथ ही, उसके बिस्तर, पालने या झूले में से ऐसी किसी भी चीज को हटा दें जिससे उसे सांस लेने में तकलीफ हो सकती है।<br /><br />६ महीने से बड़े बच्चे<br /><br />आप ६ महीने से बड़े बच्चों के लिए भी माँ के दूध, सेलाइन नेज़ल ड्रॉप, अजवाइन लहसुन पोटली का प्रयोग कर सकती हैं। साथ ही, ४, ५, और ६ बिदुओं में दी गयी चीजों का भी इस्तेमाल करें।<br />सर्दी, खांसी और बंद नाक का सामना करने के लिए उन उपचारों के अतिरिक्त आप इन सरल उपचारों को भी शामिल कर सकती है।<br /><br />#११. पनिकूरका जूस <br /><br />पनिकूरका के पत्तों को भाप से पकाकर इसका रस निकालें। ७ महीने और इससे अधिक उम्र के बच्चों को इसका १/२ चम्मच दें। बच्चों में सर्दी-खांसी के लिए यह बहुत प्रभावशाली होता है।<br /></div>
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#१२. सूखी भुनी हुई हल्दी रगड़ना<br /><br />केरल में इस उपचार को उनक्का मंजल चुट्टठु के नाम से भी जाना जाता है।<br />हल्दी की एक सूखी गाँठ को आंच पर रखें जब तक कि यह थोड़ा जला हुआ नहीं दिखने लगता है। हल्दी का पेस्ट बनाने के लिए इसे पत्थर पर रगड़ें।<br />सर्दी से राहत पाने के लिए बच्चे की नाक के ऊपर यह पेस्ट लगाएं।<br />चेतावनी: कृपया इस पेस्ट को बच्चे के नाक के अंदर ना लगाएं या ऐसे किसी भी रूप में प्रयोग ना करें जिससे उसे घुटन हो।<br /><br />#१३. हल्दी का पेस्ट <div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
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<br /><br />पेस्ट बनाने के लिए हल्दी पाउडर को थोड़े पानी के साथ मिलाएं। इसे एक कलछुल में लें और गर्म करें। गर्म होने के बाद इसे आंच से उतार दें।<br />हल्के गर्म पेस्ट को बच्चे के सीने, माथे और पैरों पर लगायें। हल्दी की गर्मी बलगम को अवशोषित कर सकती है, इस प्रकार बच्चे को सर्दी-खांसी से राहत मिलती है।<br /></div>
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#१४. गाजर का रस <br /><br />ताज़े गाजर से निकाले गए रस को उबाल कर कमरे के तापमान पर ठंडा करके रखे गए पानी में घोला जा सकता है और ६ महीने और इससे अधिक उम्र के बच्चों को दिया जा सकता है। यह सर्दी-खांसी के लिए प्रभावकारी होता है।<br />चेतावनी: कृपया इस बात का ध्यान रखें कि यह रस देने से पहले आपने पहले बच्चे को गाजर दिया हो और इससे बच्चे को किसी भी प्रकार की एलर्जी ना हो।<br /><br />#१५. गर्म सरसों तेल की मालिश<br /></div>
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सरसों के तेल को थोड़े कलौंजी और २ लहसुन की कलियों के साथ गर्म करें। इसे बच्चे के सीने, नाक के नीचे, पैरों के पीछे और हथेलियों पर लगाएं। हल्के हाथ से मालिश करें।<br />मालिश के बाद आप अतिरिक्त तेल पोंछ सकती हैं।<br /><br />#१६. अजवाइन या जीरे के साथ गर्म पानी देना <br /><br />बच्चे को अच्छी तरह से हाइड्रेट रखने के लिए नियमित अंतरालों पर गर्म पानी दें।<br />किसी भी बीमारी के दौरान हाइड्रेशन बहुत महत्वपूर्ण होता है। आपका बच्चा चिड़चिड़ा हो सकता है और शायद कुछ ना लेना चाहे, लेकिन आप उसे थोड़ा गर्म पानी जरूर पिलाएं। आप उबले हुए अजवाइन या जीरे के पानी का प्रयोग भी कर सकती हैं।<br />एक गिलास पानी लें और उसमें चुटकी भर अजवाइन या जीरा डालें। पानी उबलने का इंतज़ार करें। पानी ठंडा करें और इसका प्रयोग करें।<br />यदि आप बच्चे के पर्याप्त मात्रा में पानी लेने के बारे में चिंतित हैं तो बच्चों के पानी के सेवन पर दिया गया गया लेख पढ़ें।<br /></div>
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#१७. सेंधा नमक के साथ मिले हुए गर्म सरसों के तेल की मालिश<br /></div>
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सरसों का तेल गर्म करें। इसमें एक छोटा चम्मच सेंधा नमक डालें। इसे बच्चे की पीठ और छाती पर लगायें।<br /><br />#१८. अजवाइन का काढ़ा <br />बच्चों के सर्दी-खांसी में अजवाइन का काढ़ा बहुत उपयोगी होता है।<br />सामग्री:<br />अजवाइन या ओमान – १ चम्मच<br />तुलसी के पत्ते – ८<br />सोंठ पाउडर या चुक्कू – १/२ चम्मच (वैकल्पिक)<br />लौंग – १<br />काली मिर्च – ५<br />हल्दी – १/२ चम्मच<br />गुड़ – १/३ कप<br />पानी – १/२ कप<br />विधि:<br />मोटी तली वाले एक बर्तन में सभी सामग्रियां लें और १० मिनट के लिए उबालें या इसकी मात्रा को ३/४ तक कम करें। छान लें, ठंडा करें और इसे अपने बच्चे को पिलायें।<br />इसकी खुराक है खाने के बाद दिन में दो बार १ चम्मच। यदि आप एलोपैथिक कफ सिरप दे रही हैं तो अजवाइन का काढ़ा ना दें।<br /><br />#१९. सूप देना <br /></div>
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उसके खाने में कुछ सूप का प्रयोग करें।<br />सर्दी-खांसी के दौरान सूप बहुत अच्छा आरामदायक भोजन होता है। आप सब्जियों या टमाटर का गर्म सूप दे सकती हैं। यदि आपका बच्चा ८ महीने और इससे ज्यादा उम्र का है तो आप उसे चिकन सूप दे सकती हैं।<br />ये सूप बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं। यह इस बात को सुनिश्चित करने में सहायता करेगा कि उनके ऊर्जा स्तर में ज्यादा कमी ना आये और उन्हें बीमारी से लड़ने में मदद करेगा।<br />आप बच्चों में सर्दी-खांसी का सामना करने के लिए ७ पौष्टिक सूप और २५ भोजन पर दिया गया लेख देख सकती हैं।<br /><br />#२०. नीलगिरी का तेल <br /><br />नहीं, नीलगिरी का तेल लेने के लिए आपको नीलगिरी की यात्रा करने की जरुरत नहीं है। इसे युकलिप्टस तेल के नाम से भी जाना जाता है।<br />इसे युकलिप्टस के पेड़ से निकाला जाता है और इसके बहुत सारे प्रयोग हैं।<br />इसे छिलने-कटने, सांस लेने की परेशानी से राहत देने, साइनस दूर करने, एलर्जी आदि में आराम प्रदान करने के लिए दिया जाता है। यह कफ भी दूर करता है और इसलिए इसे सर्दी में आराम देने के लिए भी प्रयोग किया जाता है।<br />आप थोड़ी रुई लेकर इसे नीलगिरी के तेल में भीगा सकती हैं। इसे बच्चे के शयनकक्ष में रखना बहुत प्रभावकारी होता है। यदि संभव हो तो आप इसकी कुछ बूंदें अपने डिफ्यूजर में भी डाल सकती हैं।<br />आप यहाँ नीलगिरी का तेल खरीद सकती हैं।<br /><br />#२१. भाप <br /><br />आप वेपराइज़र का प्रयोग करके कमरे को स्टीम कर सकती हैं। यह रोग से राहत प्रदान करने में लाभदायक होता है, क्योंकि भाप बलगम गिराने में और नाक साफ़ रखने में सहायता करता है। इससे आपके बच्चे को सांस लेने में आसानी होती है।<br />ध्यान दें: स्टीम बच्चे के पास ना रखें क्योंकि इससे उसके जलने का खतरा होता है।<br /><br />#२२. लहसुन अजवाइन की पोटली रगड़ना<br /><br />चरण ३ में दिए गए लहसुन और अजवाइन की पोटली को बच्चे की छाती पर रगड़ने के लिए प्रयोग किया जा सकता है।<br />इसे पहले गर्म करना पड़ता है। आप इसे तवे के प्रयोग से गर्म कर सकती हैं, पोटली को गर्म तवे पर रखें, लेकिन इसके बहुत ज्यादा गर्म होने का इंतज़ार ना करें। यह औषधीय पोटली छाती साफ़ करने में सहायता करती है। इसलिए, इसका इस्तेमाल करके कफ के जमाव और बलगम को अलविदा कहिये! <br />ध्यान दें: पोटली को सीधे तवे से उतार कर सीने पर ना रखें! इसे प्रयोग करने से पहले हमेशा तापमान जांच लें। आप इसे अपनी हथेली या कलाई के नीचे रख सकती हैं, इसका तापमान देखें और हल्की गर्म पोटली को सीने पर रगड़ें।<br />यदि यह बहुत ज्यादा गर्म लगता है तो इसके ठंडा होने का इंतज़ार करें। यदि आपको कोई गर्मी महसूस नहीं होती तो आपको इसे दोबारा गर्म करने की जरुरत होती है।<br />बच्चों की त्वचा बेहद संवेदनशील होती है और इसलिए आपको ज्यादा सतर्क रहना पड़ता है। हमारी हथेली और कलाई के नीचे की त्वचा हमारे पूरे शरीर की तुलना में ज्यादा कोमल होती है। इसलिए आपके द्वारा महसूस किया जाने वाला तापमान बच्चे को महसूस होने वाले तापमान के लगभग बराबर होता है। इस प्रकार, आप सुनिश्चित कर सकती हैं कि इससे आपका बच्चा नहीं जलेगा या इससे उसे किसी प्रकार की तकलीफ नहीं होगी।<br /><br />#२३. रसम<br /><br />टमाटर और लहसुन के सूप को रसम भी कहा जाता है और इसे ७ महीने और इससे ज्यादा आयु के बच्चों को दिया जा सकता है। दक्षिण भारत में सर्दी-खांसी के उपचार के रूप में यह बहुत लोकप्रिय है। इसमें डाली जाने वाली सामग्रियां रोग प्रतिरोधक क्षमता को सुधारने और आपके बच्चे को स्वस्थ करने में सहायता करती हैं।<br />और इसका एक अन्य लाभ यह है कि ये बहुत स्वादिष्ट होता है! बीमारी के दौरान दिया जाने वाला यह स्वादिष्ट मिश्रण बच्चों के लिए एक अच्छा परिवर्तन होता है। कृपया इसमें लाल मिर्च पाउडर ना डालें। आप बच्चों के लिए आसान और बेहद स्वादिष्ट रसम की रेसिपी यहाँ पढ़ सकती हैं।<br /><br />#२४. गुड़ के साथ अजवाइन का पानी <br /><br />१ कप पानी को चुटकी भर अजवाइन और १ चम्मच गुड़ के साथ उबालें। छानकर ठंडा करें और इसे अपने बच्चे को दें।<br />इसकी खुराक है दिन में एक बार १ चम्मच।<br /><br />#२५. वेपो रब <br /><br />सोने से पहले बच्चों के पाँव के नीचे वेपो रब लगाएं और उन्हें सूती मोज़े पहनायें।<br />यह कैसे मदद करता है? सच कहूँ तो मुझे भी नहीं पता। यह इसमें मौजूद मेंथॉल या कपूर की वजह से हो सकता है। लेकिन कई माएं और दादियाँ इस उपचार पर पूरा भरोसा करती हैं।<br />यह एक अद्भुत उपचार की तरह होता है। यह बच्चे को आराम पहुंचाने में मदद करता है और उसे चैन की नींद प्रदान करता है। यह खांसी के लिए भी उपयोगी है। जब आप इसे बड़े बच्चों के पैरों में लगाती हैं तो हमेशा थोड़ा सतर्क रहें क्योंकि इससे उसके फिसलने का खतरा होता है। यदि उन्हें बाथरूम जाने के लिए उठना पड़ता है तो यह सुनिश्चित करें कि वे सावधानी से और धीरे-धीरे चलें। (This is simple baby cough remedy)<br /><br />#२६. सौंफ और अजवाइन मिश्रित पानी <br /></div>
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१ कप पानी को १ छोटे चम्मच सौंफ और चुटकी भर अजवाइन के साथ उबालें। ठंडा करें, छानें और अपने बच्चे को पिलाएं।<br />इसकी खुराक है दिन और रात में २ छोटे चम्मच।</div>
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<br /><span style="color: #990000; font-size: large;">९ महीने से बड़े बच्चे</span><br /><br />नंबर २५ तक उपरोक्त सभी विधियों को ९ महीने और इससे ज्यादा उम्र के बच्चों के लिए प्रयोग किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त निम्नलिखित भी उपयोगी हो सकते हैं।<br /><br />#२७. भिंडी का सूप <br /><br />जी हाँ! कोमल भिंडी बच्चे की सर्दी-खांसी दूर करने में मदद कर सकती है।<br />सामग्रियां:<br />भिंडी – १ कटी हुई<br />पानी – १ कप<br />अच्छी तरह से कटी हुई भिंडी को पानी के साथ १० मिनट के लिए उबालें। छानकर, ठंडा करें और इसे सूप के रूप में दें।<br /><br />#२८. गर्म पानी में गुड़, जीरा और काली मिर्च <br /><br />बच्चे को सर्दी, खांसी और गले में खराश होने पर यह मिश्रण प्रभावकारी होता है। इसे दिन में एक बार १-२ चम्मच से ज्यादा ना दें क्योंकि गुड़ की तासीर गर्म होती है।<br />गुड़ पाउडर – १ से २ छोटा चम्मच<br />जीरा – चुटकी भर<br />काली मिर्च – १ या २<br />पानी – १ कप<br />सभी सामग्रियों को १० मिनट के लिए पानी में उबालें। छाने, ठंडा करें और अपने बच्चे को दें।<br /></div>
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#२९. नारियल तेल की मालिश </div>
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<br />१/२ कप नारियल तेल को १ छोटे प्याज, २ से ३ तुलसी के पत्तों और १ पान के तने के साथ गर्म करें। आंच बंद करने के बाद इसमें चुटकी भर कपूर डालें। इस तेल को बच्चे की छाती, गर्दन, पीठ और कांख में लगायें।<br />ध्यान दें: कपूर की मात्रा ज्यादा ना करें क्योंकि यह प्राकृतिक रूप से तेज और तीखा होता है।<br /></div>
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#३०. कपूर मिश्रित नारियल तेल की मालिश <br /><br />नारियल तेल गर्म करें। तेल को स्टोव से उतारने के बाद इसमें चुटकी भर कपूर डालें। इसे अपने बच्चे की मालिश करने के लिए प्रयोग करें।<br />आप दुकान में मिलने वाले कर्पूरादी थैलम का प्रयोग भी कर सकती हैं।<br /><br />१ वर्ष से अधिक उम्र के बच्चे<br /><br />एक वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों के लिए आप ऊपर दिए गए उपचारों का प्रयोग कर सकती हैं। इसके अलावा आप निम्नलिखित उपचारों का भी प्रयोग कर सकती हैं।<br /><br />#३१. शहद <br /><br />क्या आपका बच्चा लगातार होने वाली खांसी की वजह से रात में बार-बार उठता है और चैन की नींद नहीं ले पाता है। उसे १ छोटा चम्मच सादा शहद चटायें। यह उसके गले को आराम देने में मदद करता है।<br /><br />#३२. सफेद प्याज़ का रस <br /><br />अप्रैल-मई के महीने के दौरान उत्तर भारत में उगने वाले सफेद प्याज़ को ‘सफेद कांदा’ भी कहते हैं। इसे अपने औषधीय फायदों के लिए जाना जाता है।<br />सफेद प्याज़ का रस निकालें और अपने बच्चे को १ चम्मच पिलाएं। यह सर्दी, खांसी और बंद नाक से राहत देने में सहायता करता है।<br /><br />#३३. अदरक और शहद<br /><br />अदरक रेतें और इसमें शहद मिलाएं। इसका एक छोटा चम्मच नियमित अंतरालों पर दिया जा सकता है। यह गले, श्वसन नली को आराम पहुंचाता है और खांसी में राहत देता है।<br /><br />#३४. नींबू का रस और शहद <br /><br />नींबू का रस और शहद मिलाएं। इसमें थोड़ा गर्म पानी मिलाएं और इसे अपने बच्चे को पीने के लिए दें।<br />यह एक अन्य पसंदीदा उपचार है क्योंकि बच्चे दवा खाने में मुंह बना सकते हैं, लेकिन जब स्वादिष्ट पेय पदार्थों की बात आती है तो वे मना नहीं कर सकते हैं। इसलिए यह एक ऐसा उपचार है जिसके लिए किसी विरोध का सामना नहीं करना पड़ता है, क्योंकि यह बिल्कुल भी दवा जैसा नहीं लगता है।<br />माएं भी शिकायत नहीं करती हैं क्योंकि यह सर्दी-खांसी दूर करने में उनकी सहायता करता है, उन्हें हाइड्रेट रखता है और साथ ही ऊर्जा भी प्रदान करता है।<br /><br />#३५. हल्दी दूध <br /><br />हल्दी के साथ मिले हुए दूध को ‘हल्दी दूध’ के रूप में भी जाना जाता है, जिससे हममें से ज्यादातर लोग परिचित हैं। यह लोकप्रिय उपचार है और सूखी खांसी के लिए बहुत प्रभावशाली होता है। इसे एक गिलास दूध में चुटकी भर हल्दी डालकर उबाल कर तैयार किया जाता है।<br />हल्दी को इसके चिकित्सीय गुणों के लिए जाना जाता है और यह बीमारी से लड़ने में और तेजी से आराम पहुंचाने में सहायता करता है। गर्म दूध आपके बच्चे को अच्छी और आरामदायक नींद प्रदान करने में भी सहायता करता है।<br /><br />#३६. अदरक कॉफ़ी <br /><br />यह जादू की तरह काम करता है।<br />मुझे पता है आप क्या सोच रही हैं, छोटे बच्चों के लिए कॉफ़ी? हालाँकि इसे कॉफ़ी कहा जाता है, लेकिन आप इसे बिना कॉफ़ी पाउडर के भी बना सकती हैं।<br />सामग्री:<br />अदरक के टुकड़े – २<br />तुलसी के पत्ते – २<br />कालीमिर्च – २<br />इलायची – २<br />लौंग – २<br />गुड़ या गुड़ का पाउडर – १ बड़ा चम्मच<br />पानी – १ कप<br />विधि:<br />ऊपर दी गयी सभी सामग्रियों को पानी के साथ उबालें। छान लें और सर्दी-खांसी में तेजी से राहत पाने के लिए यह मिश्रण दें। यह थोड़ा तीक्ष्ण लग सकता है, लेकिन भयानक सर्दी-जुकाम में भी यह बहुत ज्यादा प्रभावकारी होता है।<br />इस पेय पदार्थ की प्रत्येक सामग्री को सर्दी-खांसी से लड़ने की अपनी क्षमताओं के लिए जाना जाता है।<br /></div>
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#३७. सोंठ कॉफ़ी <br /><br />दक्षिण भारत में सोंठ कॉफ़ी या चुक्कू कॉफ़ी का प्रयोग सर्दी-खांसी के उपचार के लिए व्यापक रूप से किया जाता है।<br />सामग्री:<br />सोंठ या चुक्कू – १ इंच टुकड़ा<br />तुलसी के पत्ते – ६ से ७<br />काली मिर्च – २<br />गुड़ – १ भेली<br />पानी – १ कप<br />विधि:<br />सोंठ और कालीमिर्च को दरदरा पीस लें। तुलसी के पत्तों को तोड़कर किनारे रख लें।<br />गुड़ को पानी से साथ उबालें और इसे घुलने दें। सोंठ और कालीमिर्च डालें और इसके बाद तुलसी के पत्ते डाल दें।<br />पत्तियां मुरझाने के बाद, गैस बंद कर दें। छान लें और हल्का गर्म करके अपने बच्चे को पिलाएं।<br /><br />#३८. अदरक और तुलसी मिश्रण<br /><br />रस निकालने के लिए अदरक और तुलसी दोनों को पीस लें। शहद डालें और इसे अपने बच्चे को दें।<br /><br />#३९. लौंग शहद मिश्रण <br /><br />अब यह एक ऐसा उपचार है जो आपको यह सोचने पर मजबूर कर सकता है कि, सर्दी के लिए लौंग? मैं आपको बताती हूँ, यह बहुत उपयोगी होता है! यह कफनाशक है और बलगम से छुटकारा पाने में सहायता करता है। यह खांसी दूर रखने में भी लाभदायक होता है और बच्चे को अच्छी नींद प्रदान करता है।<br />५ लौंग को सूखा भूनें और ठंडा होने के बाद अच्छी तरह पीस लें। इसमें शहद डालें और सोने से पहले बच्चे को दें।<br /><br />#४०. तुलसी, अदरक और काली मिर्च <br /><br />५ तुलसी के पत्तों, १/२ इंच अदरक के टुकड़े और २ काली मिर्चों के साथ १ कप पानी उबालें। छाने, ठंडा करें और अपने बच्चे को पीने के लिए दें।<br /><br />#४१. लहसुन और शहद का मिश्रण <br /><br />शहद एक प्रज्वलनरोधी, कीटाणुरोधी और फंगसरोधी सामग्री होती है।<br />लहसुन की एक छोटी कली लें, इसे पीसें, और थोड़ा शहद मिलाकर पेस्ट बनाएं। दिन में एक या दो बार इसे दें।<br />लहसुन में पाया जाने वाला एलिसन सूक्ष्मजीवरोधी, विषाणुरोधी और जीवाणुनाशक होता है। यह बलगम निकालने में और छाती में कफ के जमाव को कम करने में सहायता करता है।<br />बच्चों को लहसुन का स्वाद अच्छा नहीं लगता है, लेकिन शहद इसे मीठा करके सेवन योग्य बनाने में सहायता करता है। आप उनके भोजन में भी लहसुन डाल सकती हैं।<br /><br />#४२. पान के पत्तों या वेथिलाई कशयम के साथ उबला पानी<br /><br />तुलसी के पत्तों, पान के पत्तों, काली मिर्च और अजवाइन के साथ पानी उबालें। ठंडा होने के बाद, छान लें और इसमें शहद मिलाएं।<br /><br />#४३. जीरा पाउडर मिश्रण <br /><br />जीरा – १ छोटा चम्मच<br />मिश्री या कलकंदम – १ या २ टुकड़े<br />जीरे और मिश्री दोनों को महीन पाउडर में पीस लें। जब भी आपके बच्चे को खांसी आती है तो उसे यह मिश्रण दें।<br /><br />#४४. सोंठ पाउडर मिश्रण <br /><br />जीरे, सोंठ और मिश्री को महीन पाउडर के रूप में पीस लें। एक हवाबंद बर्तन में रखें। इसे अपने बच्चे की लगातार होने वाली सर्दी-खांसी के लिए प्रयोग करें।<br /></div>
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#४५. शहद और अदरक के साथ उबला पानी <br /><br />कुछ अदरक के टुकड़ों के साथ पानी गर्म करें। जब यह हल्का गर्म हो जाता है तो इसमें शहद मिलाएं। अपने बच्चे को यह पानी पीने के लिए दें। (This is home made baby cough syrup)<br /><br />#४६. दालचीनी और शहद <br /><br />एक छोटा चम्मच शहद लें और इसमें चुटकी भर दालचीनी पाउडर मिलाएं। अपने बच्चे को सर्दी-खांसी होने पर यह मिश्रण प्रदान करें।<br /><br />#४७. अदथोडा कशयम या काढ़ा<br /><br />अदथोडा या अदुलज़ा एक औषधीय पौधा होता है जिसे सिद्धा चिकित्सा में व्यापक रूप से प्रयोग किया जाता है। गुड़ या शहद के साथ अदुलज़ा के पत्तों का काढ़ा बनाएं।<br /></div>
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#४८. काली मिर्च के साथ घी <br /><br />एक चम्मच घी लें और इसमें चुटकीभर ताज़ा कूटा हुआ काली मिर्च का पाउडर डालें। यह स्वादिष्ट होता है, और सर्दी-खांसी में निश्चित रूप से आराम पहुंचाता है।<br /><br />#४९. कचिया ऐना <br /><br />सर्दी-खांसी के दौरान प्रयोग किया जाने वाला कचिया ऐना या गर्म केश तेल, प्राकृतिक रूप से बच्चे को आराम पहुंचाने में सहायता करता है। इसकी सामग्रियां हैं तुलसी के पत्ते, सैजन के पत्ते, नारियल तेल आदि।<br /><br />#५०. केसर दूध <br /><br />बच्चों में सर्दी और खांसी के दौरान केसर दूध बहुत अच्छा होता है।<br />१ कप उबले हुए दूध में केसर के कुछ धागे मिलाएं। इसे ठंडा होने दें, छानकर केसर के धागों को निकाल दें और सोने से पहले इसे अपने बच्चे को पीने के लिए दें।<br /><br />#५१. नींबू, दालचीनी और शहद मिश्रण<br /><br />नींबू के रस, दालचीनी पाउडर और शहद का मिश्रण तैयार करें। यह सर्दी और खांसी के वायरस से लड़ने के लिए बहुत अच्छा होता है।<br /><h3 style="text-align: left;">
<span style="color: red;">ध्यान रखने योग्य चीजें:</span></h3>
आपको कब चिंतित होना चाहिए?<br /><br />यदि आपके बच्चे की सर्दी-खांसी २ सप्ताह या इससे अधिक समय तक बनी रहती है तो कृपया तुरंत अपने बालरोग विशेषज्ञ से परामर्श लें। संभवतः, यह केवल साधारण सर्दी-खांसी ना हो। यह गंभीर संक्रमण हो सकता है जिसके लिए डॉक्टर के हस्तक्षेप की जरुरत होती है।<br /><br />कृपया किसी भी ऐसे घरेलु उपचार का प्रयोग ना करें जिसमें ६ महीने से छोटे बच्चों के लिए किसी प्रकार के तेल/औषधि/दवाओं का सेवन शामिल होता है। ये उसे लाभ पहुंचाने से ज्यादा नुकसान पहुंचा सकते हैं।</div>
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RAJhttp://www.blogger.com/profile/03629974765289732103noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4970850955424214744.post-85803553640160518082017-02-20T13:25:00.000-05:002017-02-20T13:25:42.591-05:00Home Remedies for Cough and Cold in Babies<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<h2 style="text-align: center;">
<span style="color: purple;">बच्चों और शिशुओं में सर्दी और खांसी<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjr_89byasYKzT4m5fKu6JrvyM0fUjACYpx1QKRsEtx87URwXSFkhtHhBLQbmJt16zjGHqs84zKiha_5UtqpvUT51IUSNnmae4B1RKT1KD8jYoybw0wbssGrqFmcB6NZrVJLJr5O19EvKk/s1600/Disciplinejpg.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="306" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjr_89byasYKzT4m5fKu6JrvyM0fUjACYpx1QKRsEtx87URwXSFkhtHhBLQbmJt16zjGHqs84zKiha_5UtqpvUT51IUSNnmae4B1RKT1KD8jYoybw0wbssGrqFmcB6NZrVJLJr5O19EvKk/s400/Disciplinejpg.jpg" width="400" /></a></div>
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<br />छोटी-मोटी बीमारियों का सामना करने के लिए माएं घरेलु उपचारों का प्रयोग क्यों करती हैं? मुख्य कारण है कि – यह नुकसानदायक रसायनों से नहीं बना होता है! <b><span style="color: red;">राजेश मिश्रा</span></b> ने बच्चों के आयु वर्ग के आधार पर उपचारों को विभाजित कर दिया है, ताकि यह आपके लिए आसान हो जाए।<br />जैसा कि आप जानती हैं, सभी उपचार सभी आयु वर्ग के बच्चों के लिए उपयुक्त नहीं होते हैं।<br /><h3 style="text-align: left;">
<span style="color: #660000;">६ महीने तक के बच्चे: </span></h3>
क्या "<b><span style="color: red;">राज" </span></b>आपको अपने बच्चे की पहली सर्दी याद है? मुझे याद है, अंशिका केवल ३ सप्ताह की थी जब वो पहली बार सर्दी और खांसी से बीमार पड़ी थी। मुझे याद है कि उसकी तकलीफ को देखकर मैं बहुत बेसहारा महसूस कर रही थी। उस उम्र में बच्चे पहले ही बहुत कोमल होते हैं और कोई भी बीमारी इस स्थिति को और भी अधिक बुरी बना सकती है।<br />मुझे पूरा भरोसा है कि सर्दी और खांसी के दौरान कई माएं जागती हुई रातों और बच्चों में चिड़चिड़ेपन के इस कठिन दौर से गुजरी होंगी। तो चलिए कुछ घरेलु उपचारों पर एक नज़र डालते हैं जो उनकी तकलीफ कम कर सकते हैं और उन्हें तेजी से स्वस्थ कर सकते हैं।<br /><h4 style="text-align: left;">
<span style="color: #660000;">#१. माँ का दूध<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjYHd2Go4dotJDqlUqd-ZsIx-OCvJzkidGCHw1XoHk8jIAjnDaBgNxL5-I_J9TXWm9JSUzj64Cy6afX9Vd9r9Uh6bf2ZQRtihuByeVPpf66Lc5PEKECI6t23ZjmzsSxl7BWEVPisAyIjn4/s1600/Mother+and+child.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="300" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjYHd2Go4dotJDqlUqd-ZsIx-OCvJzkidGCHw1XoHk8jIAjnDaBgNxL5-I_J9TXWm9JSUzj64Cy6afX9Vd9r9Uh6bf2ZQRtihuByeVPpf66Lc5PEKECI6t23ZjmzsSxl7BWEVPisAyIjn4/s400/Mother+and+child.jpg" width="400" /></a></div>
</span></h4>
माँ का दूध एक अद्भुत पेय होता है। इसलिए ६ महीने से छोटी उम्र के बच्चों को सर्दी और खांसी के दौरान विषाणुओं और जीवाणुओं का सामना करने के लिए माँ के दूध के अलावा किसी भी अन्य दवा की जरुरत नहीं होती है।<br />जैसा कि आपको पता है कि माँ का दूध प्रतिरक्षियों से भरपूर होता है। माँ के दूध में मौजूद ये प्रतिरक्षी सभी प्रकार के कीटाणुओं, विषाणुओं और जीवाणुओं के विरुद्ध बच्चे के शरीर में प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाने में सहायता करते हैं। यह आपके छोटे बच्चे को उचित प्रकार से हाइड्रेट रखने में भी सहायता करता है।<br />आप स्तनपान कराने के फायदों के बारे में भी पढ़ सकती हैं।<br /><h4 style="text-align: left;">
<span style="color: #660000;">#२. नाक में नमक के पानी की बूंदें डालना</span></h4>
मेरे मामले में यह प्रभावकारी साबित हुआ है और मैंने इसका नाम मेरा रक्षक भी रख दिया था। इससे नाक साफ़ रखने में और इसे जमने से बचाने में सहायता मिली। इससे नाक साफ़ करना बहुत आसान हो जाता है और यह अपेक्षाकृत रूप से आंसू-मुक्त भी होता है।<br />मुझे विश्वास है कि आपके बालरोग विशेषज्ञ ने आपके छोटे शिशु के लिए सेलाइन ड्रॉप का निर्देश दिया होगा। अपने डॉक्टर की बातों या उनके निर्देश का अनुसरण करना ना भूलें। इसके प्रयोग का सामान्य नियम यह है कि पहले नाक को हल्के हाथ से साफ़ करें और इसके बाद ड्रॉप डालें। बच्चे का सिर मोड़ कर रखें ताकि दवा बाहर ना निकले। आप घर पर भी सेलाइन ड्रॉप बना सकती हैं।<br />एक स्टील की कटोरी, चम्मच लें और इसे अच्छी प्रकार से कीटाणुमुक्त करें। १/२ छोटा चम्मच नमक लें और इसे ८ छोटे चम्मच गर्म फ़िल्टर के पानी में घोलें। ठंडा होने के बाद, आप इसे अपने बच्चे के लिए प्रयोग कर सकती हैं। लेकिन इसे केवल आपातकालीन स्थितियों में ही प्रयोग करें और मैं आपको घर पर बने सेलाइन ड्रॉप के बजाय बाज़ार में उपलब्ध सेलाइन ड्रॉप का प्रयोग करने की सलाह दूंगी, क्योंकि इसमें बैक्टीरिया पनपने का खतरा होता है।<br /><h4 style="text-align: left;">
<span style="color: #660000;">#३. लहसुन और अजवाइन की पोटली </span></h4>
लहसुन और अजवाइन को इनके कीटाणु-रोधक और विषाणु-रोधक गुणों के लिए जाना जाता है। इसलिए ये दोनों एक साथ मिलकर काफी प्रभावशाली साबित हो सकते हैं और यह सर्दी और बंद नाक के विरुद्ध एक ताकतवर हथियार है। लेकिन इसके नाम से मत डरिये, वास्तव में इसे बनाना बहुत आसान है।<br />आपको यह पोटली या पाउच बनाने के लिए ३ चीजों की जरुरत होती है – लहसुन, अजवाइन और साफ़ मलमल का कपड़ा।<br />लहसुन की २ बड़ी कलियों और १ बड़ा चम्मच अजवाइन को तवे पर सूखा भूनें। इसके ठंडा होने का इंतज़ार करें और ठंडा होने के बाद इसे एक पोटली में बांधें। आप यह एक साफ़ मलमल के कपड़े की सहायता से भी कर सकती हैं।<br />इस पोटली को बच्चे के पालने या झूले में रखें जहाँ बच्चा सोता है। पोटली से निकलने वाला लहसुन-युक्त अजवाइन का धुआं बच्चे की मदद करेगा, क्योंकि यह बंद नाक खोलने में और कफ के जमाव से राहत पहुंचाने में सहायता करता है।<br /><br />चेतावनी: बच्चे के द्वारा इस पोटली को मुंह में भरने और दम घुटने की संभावना से बचने के लिए कृपया पोटली/पाउच को बच्चे के पास ना रखें। इसे बहुत नजदीक रखने पर यह श्वसन के लिए नुकसानदेह भी बन सकता है।<br />यदि आप सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं तो आप इस पोटली को बच्चे के पैर के नीचे रगड़ भी सकती हैं। यह तरीका भी प्रभावी होता है।<br /><h4 style="text-align: left;">
<span style="color: #660000;">#४. पनिकूरका</span></h4>
यह एक गूदेदार सदाबहार पौधा होता है, जिसे दक्षिण भारत में व्यापक रूप से पनिकूरका कहते हैं और इसे बच्चों में खांसी, बुखार, गले की खराश और बंद नाक का इलाज करने के लिए प्रयोग किया जाता है।<br />इसे भारतीय बोरेज, पत्ता अजवाइन, पत्थर चूर, कर्पूरवल्ली या नवरयिला के रूप में भी जाना जाता है, और यह एक प्राकृतिक ज्वरनाशक और कफ गिराने वाली औषधि है। गूदेदार सुगंधित पत्तियों को स्टोव पर भुना जाता है, और ठंडा करने के बाद बच्चे के माथे पर रखा जाता है। पत्तों का सूखना पानी का अवशोषण दर्शाता है और इस प्रकार बच्चे को खांसी/कफ जमने से राहत मिलती है।<br /><h4 style="text-align: left;">
<span style="color: #660000;">#५. तेल मालिश </span></h4>
लगभग ¼ कप सरसों का तेल लें और इसे गर्म करें। एक या दो लहसुन की कलियाँ लें। उन्हें हल्का कूटें और इसके बाद काट दें। इसे सरसों के तेल में डाल दें। इसके भूरा होने का इंतज़ार करें, इसके बाद आंच से हटा दें।<br />याद रखें, इसे केवल भूरा करना होता है, इसे जलने ना दें। आप इस तेल का प्रयोग कर सकती हैं और बच्चे के सीने और पाँव की मालिश कर सकती हैं। इसे बाद उसे मोज़े पहनाएं।<br /><br />बेहतर परिणामों के लिए चुटकी भर अजवाइन भी डाला जा सकता है। इसे तेल गर्म करते समय डालें। लहसुन की तरह इसे भी काला ना होने दें। सरसों के तेल, लहसुन और अजवाइन में कीटाणु-रोधक और विषाणु-रोधक गुण होते हैं। इसके अलावा सरसों के तेल की तासीर गर्म होती है जो बच्चे में कफ के जमाव में भी सहायता करता है। यह आपके बच्चे को काफी मात्रा में आराम प्रदान करने में सहायता करता है।<br />आप बच्चे की मालिश करने का क्रमशः तरीका भी पढ़ सकती हैं।<br /><br />चेतावनी: इस बात का ध्यान रखें कि बच्चा कभी भी तेल ना पीये क्योंकि इसकी वजह से दस्त और अन्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। बच्चों के लिए तेलों या हर्बल दवाओं के सेवन का सुझाव नहीं दिया जाता है।<br /><h4 style="text-align: left;">
<span style="color: #660000;">#६. केसर तिलक </span></h4>
केसर के कुछ धागे लें। इसका पेस्ट बनाने के लिए इसे पत्थर पर रगड़ें। रात में बच्चे के पाँव और माथे पर तिलक या टीका लगाएं।<br />केसर का तिलक बच्चे के माथे में जमा पानी को अवशोषित करने में सहायता करेगा।<br /><h4 style="text-align: left;">
<span style="color: #660000;">#७. सैजन के पत्तों का केश तेल </span></h4>
यह मेरी माँ द्वारा प्रयोग किया जाने वाला एक पुराना उपचार है।<br />मोरिंगा या सैजन की कोमल हरी पत्तियों को तोड़ें। एक मोटी पेनी वाली कढ़ाई में १/२ कप नारियल तेल गर्म करें और उसमें मुट्ठीभर सैजन की पत्तियां डालें।<br />पत्ते सूख जाने के बाद, आप कढ़ाई को आंच से हटा सकती हैं।<br />सर्दी, खांसी और कफ जमा होने पर इस तेल को अपने बच्चे के बालों के तेल के रूप में प्रयोग करें।<br /><h4 style="text-align: left;">
<span style="color: #660000;">#८. मौसम के अनुसार कपड़े </span></h4>
बच्चे के कपड़े उसके सीने को सर्दी से बचाने वाले होने चाहिए।<br />सर्दियों के मौसम में, उसे गर्म रखने के लिए एक के ऊपर एक कपड़े पहनाएं।<br />यदि गर्मी है तो सुनिश्चित करें कि उसके कपड़े आरामदायक हों और उसे घुटन महसूस ना हो।<br />हालाँकि, रात में कंबल का प्रयोग करना सामान्य लगता है, लेकिन शायद यह उतना अच्छा विचार नहीं है। आपका बच्चा अपने सिर के ऊपर चादर या कंबल खींच सकता है। इससे घुटन हो सकती है और उसे SIDS या आकस्मिक शिशु मृत्यु सिंड्रोम का भी खतरा होता है।<br />आप अपने बच्चे को एक पीस की पोशाक और उसके ऊपर कोई टी-शर्ट पहना सकती हैं। यदि बाहर ठंड नहीं है तो यह प्रभावी हो सकता है। याद रखें, उसका आराम सबसे ज्यादा अहमियत रखता है, इसलिए यदि उसे परेशानी महसूस होती है तो उसकी पोशाक को उस हिसाब से निःसंकोच बदलें। हालाँकि, सीने को ढंकना ना भूलें।<br /><h4 style="text-align: left;">
#९. अपना और अपने बच्चे का हाथ साफ़ रखना </h4>
कीटाणुरोधी बेबी वाइप या साबुन से नियमित अंतरालों पर अपना और अपने बच्चे का हाथ अच्छी प्रकार से साफ़ करती रहें। यदि आपको लगता है कि यह कैसे उपयोगी है या परिवार में कोई ऐसा व्यक्ति है जो कहता है कि उसे इसमें विश्वास नहीं है तो मैं आपको बताती हूँ कि यह महत्वपूर्ण क्यों है।<br />यह कीटाणुओं को फैलने से रोकने में मदद करता है। अब आप इस स्थिति को और अधिक खराब नहीं बनाना चाहती। हैं ना?<br />दिनभर में आप कई लोगों से मुलाकात और बातचीत करेंगी और इसका मतलब है कि आप बहुत सारे जीवाणुओं और कीटाणुओं का आदान-प्रदान भी करेंगी।बीमारी के दौरान, शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता उतनी ज्यादा मजबूत नहीं होती है – जिसका मतलब है कि वह अन्य बीमारियों के प्रति भी संवेदनशील होता है। इसलिए, कम से कम जब तक उसके स्वास्थ्य में सुधार नहीं होता है इस गतिविधि का पालन करना ना भूलें।<br /><h4 style="text-align: left;">
#१०. बच्चे का सिर ऊपर रखें </h4>
जब आपका बच्चा सोता है तो उसका सिर ऊपर रखने का प्रयास करें। इससे उसे सही प्रकार से साँस लेने में सहायता मिलती है। साथ ही, उसके बिस्तर, पालने या झूले में से ऐसी किसी भी चीज को हटा दें जिससे उसे सांस लेने में तकलीफ हो सकती है।<br />६ महीने से बड़े बच्चे<br />आप ६ महीने से बड़े बच्चों के लिए भी माँ के दूध, सेलाइन नेज़ल ड्रॉप, अजवाइन लहसुन पोटली का प्रयोग कर सकती हैं। साथ ही, ४, ५, और ६ बिदुओं में दी गयी चीजों का भी इस्तेमाल करें।<br />सर्दी, खांसी और बंद नाक का सामना करने के लिए उन उपचारों के अतिरिक्त आप इन सरल उपचारों को भी शामिल कर सकती है।<br /><h4 style="text-align: left;">
#११. पनिकूरका जूस </h4>
पनिकूरका के पत्तों को भाप से पकाकर इसका रस निकालें। ७ महीने और इससे अधिक उम्र के बच्चों को इसका १/२ चम्मच दें। बच्चों में सर्दी-खांसी के लिए यह बहुत प्रभावशाली होता है।<br />#१२. सूखी भुनी हुई हल्दी रगड़ना<br />केरल में इस उपचार को उनक्का मंजल चुट्टठु के नाम से भी जाना जाता है।<br />हल्दी की एक सूखी गाँठ को आंच पर रखें जब तक कि यह थोड़ा जला हुआ नहीं दिखने लगता है। हल्दी का पेस्ट बनाने के लिए इसे पत्थर पर रगड़ें।<br />सर्दी से राहत पाने के लिए बच्चे की नाक के ऊपर यह पेस्ट लगाएं।<br />चेतावनी: कृपया इस पेस्ट को बच्चे के नाक के अंदर ना लगाएं या ऐसे किसी भी रूप में प्रयोग ना करें जिससे उसे घुटन हो।<br /><h4 style="text-align: left;">
#१३. हल्दी का पेस्ट </h4>
पेस्ट बनाने के लिए हल्दी पाउडर को थोड़े पानी के साथ मिलाएं। इसे एक कलछुल में लें और गर्म करें। गर्म होने के बाद इसे आंच से उतार दें।<br />हल्के गर्म पेस्ट को बच्चे के सीने, माथे और पैरों पर लगायें। हल्दी की गर्मी बलगम को अवशोषित कर सकती है, इस प्रकार बच्चे को सर्दी-खांसी से राहत मिलती है।<br /><h4 style="text-align: left;">
#१४. गाजर का रस </h4>
ताज़े गाजर से निकाले गए रस को उबाल कर कमरे के तापमान पर ठंडा करके रखे गए पानी में घोला जा सकता है और ६ महीने और इससे अधिक उम्र के बच्चों को दिया जा सकता है। यह सर्दी-खांसी के लिए प्रभावकारी होता है।<br />चेतावनी: कृपया इस बात का ध्यान रखें कि यह रस देने से पहले आपने पहले बच्चे को गाजर दिया हो और इससे बच्चे को किसी भी प्रकार की एलर्जी ना हो।<br /><br />#१५. गर्म सरसों तेल की मालिश<br />सरसों के तेल को थोड़े कलौंजी और २ लहसुन की कलियों के साथ गर्म करें। इसे बच्चे के सीने, नाक के नीचे, पैरों के पीछे और हथेलियों पर लगाएं। हल्के हाथ से मालिश करें।<br />मालिश के बाद आप अतिरिक्त तेल पोंछ सकती हैं।<br /><br />#१६. अजवाइन या जीरे के साथ गर्म पानी देना <br />बच्चे को अच्छी तरह से हाइड्रेट रखने के लिए नियमित अंतरालों पर गर्म पानी दें।<br />किसी भी बीमारी के दौरान हाइड्रेशन बहुत महत्वपूर्ण होता है। आपका बच्चा चिड़चिड़ा हो सकता है और शायद कुछ ना लेना चाहे, लेकिन आप उसे थोड़ा गर्म पानी जरूर पिलाएं। आप उबले हुए अजवाइन या जीरे के पानी का प्रयोग भी कर सकती हैं।<br />एक गिलास पानी लें और उसमें चुटकी भर अजवाइन या जीरा डालें। पानी उबलने का इंतज़ार करें। पानी ठंडा करें और इसका प्रयोग करें।<br />यदि आप बच्चे के पर्याप्त मात्रा में पानी लेने के बारे में चिंतित हैं तो बच्चों के पानी के सेवन पर दिया गया गया लेख पढ़ें।<br /><br />#१७. सेंधा नमक के साथ मिले हुए गर्म सरसों के तेल की मालिश<br />सरसों का तेल गर्म करें। इसमें एक छोटा चम्मच सेंधा नमक डालें। इसे बच्चे की पीठ और छाती पर लगायें।<br /><br />#१८. अजवाइन का काढ़ा <br />बच्चों के सर्दी-खांसी में अजवाइन का काढ़ा बहुत उपयोगी होता है।<br />सामग्री:<br />अजवाइन या ओमान – १ चम्मच<br />तुलसी के पत्ते – ८<br />सोंठ पाउडर या चुक्कू – १/२ चम्मच (वैकल्पिक)<br />लौंग – १<br />काली मिर्च – ५<br />हल्दी – १/२ चम्मच<br />गुड़ – १/३ कप<br />पानी – १/२ कप<br />विधि:<br />मोटी तली वाले एक बर्तन में सभी सामग्रियां लें और १० मिनट के लिए उबालें या इसकी मात्रा को ३/४ तक कम करें। छान लें, ठंडा करें और इसे अपने बच्चे को पिलायें।<br />इसकी खुराक है खाने के बाद दिन में दो बार १ चम्मच। यदि आप एलोपैथिक कफ सिरप दे रही हैं तो अजवाइन का काढ़ा ना दें।<br /><h4 style="text-align: left;">
<span style="color: red;">#१९. सूप देना<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjkseI85j0UHduxbWSW3v1O-jZQklzLOCRVBJNbLicPFwy_87WY6oVBW6sd0rJR62Or4FH1kcGsP-6I8roJjHT6DSiJ2owJ15NUvcFXoVHaXgOu1NZYyoBD-0fFX07OxbBXT4eUGZWnINA/s1600/Bed+Tea1.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="347" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjkseI85j0UHduxbWSW3v1O-jZQklzLOCRVBJNbLicPFwy_87WY6oVBW6sd0rJR62Or4FH1kcGsP-6I8roJjHT6DSiJ2owJ15NUvcFXoVHaXgOu1NZYyoBD-0fFX07OxbBXT4eUGZWnINA/s400/Bed+Tea1.jpg" width="400" /></a></div>
</span></h4>
उसके खाने में कुछ सूप का प्रयोग करें।<br />सर्दी-खांसी के दौरान सूप बहुत अच्छा आरामदायक भोजन होता है। आप सब्जियों या टमाटर का गर्म सूप दे सकती हैं। यदि आपका बच्चा ८ महीने और इससे ज्यादा उम्र का है तो आप उसे चिकन सूप दे सकती हैं।<br />ये सूप बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं। यह इस बात को सुनिश्चित करने में सहायता करेगा कि उनके ऊर्जा स्तर में ज्यादा कमी ना आये और उन्हें बीमारी से लड़ने में मदद करेगा।<br />आप बच्चों में सर्दी-खांसी का सामना करने के लिए ७ पौष्टिक सूप और २५ भोजन पर दिया गया लेख देख सकती हैं।<br /><br />#२०. नीलगिरी का तेल <br />नहीं, नीलगिरी का तेल लेने के लिए आपको नीलगिरी की यात्रा करने की जरुरत नहीं है। इसे युकलिप्टस तेल के नाम से भी जाना जाता है।<br />इसे युकलिप्टस के पेड़ से निकाला जाता है और इसके बहुत सारे प्रयोग हैं।<br />इसे छिलने-कटने, सांस लेने की परेशानी से राहत देने, साइनस दूर करने, एलर्जी आदि में आराम प्रदान करने के लिए दिया जाता है। यह कफ भी दूर करता है और इसलिए इसे सर्दी में आराम देने के लिए भी प्रयोग किया जाता है।<br />आप थोड़ी रुई लेकर इसे नीलगिरी के तेल में भीगा सकती हैं। इसे बच्चे के शयनकक्ष में रखना बहुत प्रभावकारी होता है। यदि संभव हो तो आप इसकी कुछ बूंदें अपने डिफ्यूजर में भी डाल सकती हैं।<br />आप यहाँ नीलगिरी का तेल खरीद सकती हैं।<br /><h3 style="text-align: left;">
<span style="color: red;">#२१. भाप </span></h3>
आप वेपराइज़र का प्रयोग करके कमरे को स्टीम कर सकती हैं। यह रोग से राहत प्रदान करने में लाभदायक होता है, क्योंकि भाप बलगम गिराने में और नाक साफ़ रखने में सहायता करता है। इससे आपके बच्चे को सांस लेने में आसानी होती है।<br />ध्यान दें: स्टीम बच्चे के पास ना रखें क्योंकि इससे उसके जलने का खतरा होता है।<br /><br />#२२. लहसुन अजवाइन की पोटली रगड़ना<br />चरण ३ में दिए गए लहसुन और अजवाइन की पोटली को बच्चे की छाती पर रगड़ने के लिए प्रयोग किया जा सकता है।<br />इसे पहले गर्म करना पड़ता है। आप इसे तवे के प्रयोग से गर्म कर सकती हैं, पोटली को गर्म तवे पर रखें, लेकिन इसके बहुत ज्यादा गर्म होने का इंतज़ार ना करें। यह औषधीय पोटली छाती साफ़ करने में सहायता करती है। इसलिए, इसका इस्तेमाल करके कफ के जमाव और बलगम को अलविदा कहिये!<br />ध्यान दें: पोटली को सीधे तवे से उतार कर सीने पर ना रखें! इसे प्रयोग करने से पहले हमेशा तापमान जांच लें। आप इसे अपनी हथेली या कलाई के नीचे रख सकती हैं, इसका तापमान देखें और हल्की गर्म पोटली को सीने पर रगड़ें।<br />यदि यह बहुत ज्यादा गर्म लगता है तो इसके ठंडा होने का इंतज़ार करें। यदि आपको कोई गर्मी महसूस नहीं होती तो आपको इसे दोबारा गर्म करने की जरुरत होती है।<br /><br />बच्चों की त्वचा बेहद संवेदनशील होती है और इसलिए आपको ज्यादा सतर्क रहना पड़ता है। हमारी हथेली और कलाई के नीचे की त्वचा हमारे पूरे शरीर की तुलना में ज्यादा कोमल होती है। इसलिए आपके द्वारा महसूस किया जाने वाला तापमान बच्चे को महसूस होने वाले तापमान के लगभग बराबर होता है। इस प्रकार, आप सुनिश्चित कर सकती हैं कि इससे आपका बच्चा नहीं जलेगा या इससे उसे किसी प्रकार की तकलीफ नहीं होगी।<br /><br />#२३. रसम<br />टमाटर और लहसुन के सूप को रसम भी कहा जाता है और इसे ७ महीने और इससे ज्यादा आयु के बच्चों को दिया जा सकता है। दक्षिण भारत में सर्दी-खांसी के उपचार के रूप में यह बहुत लोकप्रिय है। इसमें डाली जाने वाली सामग्रियां रोग प्रतिरोधक क्षमता को सुधारने और आपके बच्चे को स्वस्थ करने में सहायता करती हैं।<br />और इसका एक अन्य लाभ यह है कि ये बहुत स्वादिष्ट होता है! बीमारी के दौरान दिया जाने वाला यह स्वादिष्ट मिश्रण बच्चों के लिए एक अच्छा परिवर्तन होता है। कृपया इसमें लाल मिर्च पाउडर ना डालें। आप बच्चों के लिए आसान और बेहद स्वादिष्ट रसम की रेसिपी यहाँ पढ़ सकती हैं।<br /><br />#२४. गुड़ के साथ अजवाइन का पानी <br />१ कप पानी को चुटकी भर अजवाइन और १ चम्मच गुड़ के साथ उबालें। छानकर ठंडा करें और इसे अपने बच्चे को दें।<br />इसकी खुराक है दिन में एक बार १ चम्मच।<br /><br />#२५. वेपो रब <br />सोने से पहले बच्चों के पाँव के नीचे वेपो रब लगाएं और उन्हें सूती मोज़े पहनायें।<br />यह कैसे मदद करता है? सच कहूँ तो मुझे भी नहीं पता। यह इसमें मौजूद मेंथॉल या कपूर की वजह से हो सकता है। लेकिन कई माएं और दादियाँ इस उपचार पर पूरा भरोसा करती हैं।<br />यह एक अद्भुत उपचार की तरह होता है। यह बच्चे को आराम पहुंचाने में मदद करता है और उसे चैन की नींद प्रदान करता है। यह खांसी के लिए भी उपयोगी है। जब आप इसे बड़े बच्चों के पैरों में लगाती हैं तो हमेशा थोड़ा सतर्क रहें क्योंकि इससे उसके फिसलने का खतरा होता है। यदि उन्हें बाथरूम जाने के लिए उठना पड़ता है तो यह सुनिश्चित करें कि वे सावधानी से और धीरे-धीरे चलें।<br />#२६. सौंफ और अजवाइन मिश्रित पानी <br />१ कप पानी को १ छोटे चम्मच सौंफ और चुटकी भर अजवाइन के साथ उबालें। ठंडा करें, छानें और अपने बच्चे को पिलाएं।<br />इसकी खुराक है दिन और रात में २ छोटे चम्मच।<br />९ महीने से बड़े बच्चे<br />नंबर २५ तक उपरोक्त सभी विधियों को ९ महीने और इससे ज्यादा उम्र के बच्चों के लिए प्रयोग किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त निम्नलिखित भी उपयोगी हो सकते हैं।<br /><br />#२७. भिंडी का सूप <br />जी हाँ! कोमल भिंडी बच्चे की सर्दी-खांसी दूर करने में मदद कर सकती है।<br />सामग्रियां:<br />भिंडी – १ कटी हुई<br />पानी – १ कप<br />अच्छी तरह से कटी हुई भिंडी को पानी के साथ १० मिनट के लिए उबालें। छानकर, ठंडा करें और इसे सूप के रूप में दें।<br /><br />#२८. गर्म पानी में गुड़, जीरा और काली मिर्च <br />बच्चे को सर्दी, खांसी और गले में खराश होने पर यह मिश्रण प्रभावकारी होता है। इसे दिन में एक बार १-२ चम्मच से ज्यादा ना दें क्योंकि गुड़ की तासीर गर्म होती है।<br />गुड़ पाउडर – १ से २ छोटा चम्मच<br />जीरा – चुटकी भर<br />काली मिर्च – १ या २<br />पानी – १ कप<br />सभी सामग्रियों को १० मिनट के लिए पानी में उबालें। छाने, ठंडा करें और अपने बच्चे को दें।<br /><br />#२९. नारियल तेल की मालिश <br />१/२ कप नारियल तेल को १ छोटे प्याज, २ से ३ तुलसी के पत्तों और १ पान के तने के साथ गर्म करें। आंच बंद करने के बाद इसमें चुटकी भर कपूर डालें। इस तेल को बच्चे की छाती, गर्दन, पीठ और कांख में लगायें।<br />ध्यान दें: कपूर की मात्रा ज्यादा ना करें क्योंकि यह प्राकृतिक रूप से तेज और तीखा होता है।<br /><br />#३०. कपूर मिश्रित नारियल तेल की मालिश <br />नारियल तेल गर्म करें। तेल को स्टोव से उतारने के बाद इसमें चुटकी भर कपूर डालें। इसे अपने बच्चे की मालिश करने के लिए प्रयोग करें।<br />आप दुकान में मिलने वाले कर्पूरादी थैलम का प्रयोग भी कर सकती हैं।<br />१ वर्ष से अधिक उम्र के बच्चे<br />एक वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों के लिए आप ऊपर दिए गए उपचारों का प्रयोग कर सकती हैं। इसके अलावा आप निम्नलिखित उपचारों का भी प्रयोग कर सकती हैं।<br /><br />#३१. शहद <br />क्या आपका बच्चा लगातार होने वाली खांसी की वजह से रात में बार-बार उठता है और चैन की नींद नहीं ले पाता है। उसे १ छोटा चम्मच सादा शहद चटायें। यह उसके गले को आराम देने में मदद करता है।<br /><br />#३२. सफेद प्याज़ का रस <br />अप्रैल-मई के महीने के दौरान उत्तर भारत में उगने वाले सफेद प्याज़ को ‘सफेद कांदा’ भी कहते हैं। इसे अपने औषधीय फायदों के लिए जाना जाता है।<br />सफेद प्याज़ का रस निकालें और अपने बच्चे को १ चम्मच पिलाएं। यह सर्दी, खांसी और बंद नाक से राहत देने में सहायता करता है।<br /><br />#३३. अदरक और शहद<br />अदरक रेतें और इसमें शहद मिलाएं। इसका एक छोटा चम्मच नियमित अंतरालों पर दिया जा सकता है। यह गले, श्वसन नली को आराम पहुंचाता है और खांसी में राहत देता है।<br /><br />#३४. नींबू का रस और शहद <br />नींबू का रस और शहद मिलाएं। इसमें थोड़ा गर्म पानी मिलाएं और इसे अपने बच्चे को पीने के लिए दें।<br />यह एक अन्य पसंदीदा उपचार है क्योंकि बच्चे दवा खाने में मुंह बना सकते हैं, लेकिन जब स्वादिष्ट पेय पदार्थों की बात आती है तो वे मना नहीं कर सकते हैं। इसलिए यह एक ऐसा उपचार है जिसके लिए किसी विरोध का सामना नहीं करना पड़ता है, क्योंकि यह बिल्कुल भी दवा जैसा नहीं लगता है।<br />माएं भी शिकायत नहीं करती हैं क्योंकि यह सर्दी-खांसी दूर करने में उनकी सहायता करता है, उन्हें हाइड्रेट रखता है और साथ ही ऊर्जा भी प्रदान करता है।<br /><br />#३५. हल्दी दूध <br />हल्दी के साथ मिले हुए दूध को ‘हल्दी दूध’ के रूप में भी जाना जाता है, जिससे हममें से ज्यादातर लोग परिचित हैं। यह लोकप्रिय उपचार है और सूखी खांसी के लिए बहुत प्रभावशाली होता है। इसे एक गिलास दूध में चुटकी भर हल्दी डालकर उबाल कर तैयार किया जाता है।<br />हल्दी को इसके चिकित्सीय गुणों के लिए जाना जाता है और यह बीमारी से लड़ने में और तेजी से आराम पहुंचाने में सहायता करता है। गर्म दूध आपके बच्चे को अच्छी और आरामदायक नींद प्रदान करने में भी सहायता करता है।<br /><br />#३६. अदरक कॉफ़ी <br />यह जादू की तरह काम करता है।<br />मुझे पता है आप क्या सोच रही हैं, छोटे बच्चों के लिए कॉफ़ी? हालाँकि इसे कॉफ़ी कहा जाता है, लेकिन आप इसे बिना कॉफ़ी पाउडर के भी बना सकती हैं।<br />सामग्री:<br />अदरक के टुकड़े – २<br />तुलसी के पत्ते – २<br />कालीमिर्च – २<br />इलायची – २<br />लौंग – २<br />गुड़ या गुड़ का पाउडर – १ बड़ा चम्मच<br />पानी – १ कप<br />विधि:<br />ऊपर दी गयी सभी सामग्रियों को पानी के साथ उबालें। छान लें और सर्दी-खांसी में तेजी से राहत पाने के लिए यह मिश्रण दें। यह थोड़ा तीक्ष्ण लग सकता है, लेकिन भयानक सर्दी-जुकाम में भी यह बहुत ज्यादा प्रभावकारी होता है।<br />इस पेय पदार्थ की प्रत्येक सामग्री को सर्दी-खांसी से लड़ने की अपनी क्षमताओं के लिए जाना जाता है।<br /><br />#३७. सोंठ कॉफ़ी <br />दक्षिण भारत में सोंठ कॉफ़ी या चुक्कू कॉफ़ी का प्रयोग सर्दी-खांसी के उपचार के लिए व्यापक रूप से किया जाता है।<br />सामग्री:<br />सोंठ या चुक्कू – १ इंच टुकड़ा<br />तुलसी के पत्ते – ६ से ७<br />काली मिर्च – २<br />गुड़ – १ भेली<br />पानी – १ कप<br />विधि:<br />सोंठ और कालीमिर्च को दरदरा पीस लें। तुलसी के पत्तों को तोड़कर किनारे रख लें।<br />गुड़ को पानी से साथ उबालें और इसे घुलने दें। सोंठ और कालीमिर्च डालें और इसके बाद तुलसी के पत्ते डाल दें।<br />पत्तियां मुरझाने के बाद, गैस बंद कर दें। छान लें और हल्का गर्म करके अपने बच्चे को पिलाएं।<br /><br />#३८. अदरक और तुलसी मिश्रण<br />रस निकालने के लिए अदरक और तुलसी दोनों को पीस लें। शहद डालें और इसे अपने बच्चे को दें।<br /><br />#३९. लौंग शहद मिश्रण <br />अब यह एक ऐसा उपचार है जो आपको यह सोचने पर मजबूर कर सकता है कि, सर्दी के लिए लौंग? मैं आपको बताती हूँ, यह बहुत उपयोगी होता है! यह कफनाशक है और बलगम से छुटकारा पाने में सहायता करता है। यह खांसी दूर रखने में भी लाभदायक होता है और बच्चे को अच्छी नींद प्रदान करता है।<br />५ लौंग को सूखा भूनें और ठंडा होने के बाद अच्छी तरह पीस लें। इसमें शहद डालें और सोने से पहले बच्चे को दें।<br /><br />#४०. तुलसी, अदरक और काली मिर्च <br />५ तुलसी के पत्तों, १/२ इंच अदरक के टुकड़े और २ काली मिर्चों के साथ १ कप पानी उबालें। छाने, ठंडा करें और अपने बच्चे को पीने के लिए दें।<br /><br />#४१. लहसुन और शहद का मिश्रण <br />शहद एक प्रज्वलनरोधी, कीटाणुरोधी और फंगसरोधी सामग्री होती है।<br />लहसुन की एक छोटी कली लें, इसे पीसें, और थोड़ा शहद मिलाकर पेस्ट बनाएं। दिन में एक या दो बार इसे दें।<br />लहसुन में पाया जाने वाला एलिसन सूक्ष्मजीवरोधी, विषाणुरोधी और जीवाणुनाशक होता है। यह बलगम निकालने में और छाती में कफ के जमाव को कम करने में सहायता करता है।<br />बच्चों को लहसुन का स्वाद अच्छा नहीं लगता है, लेकिन शहद इसे मीठा करके सेवन योग्य बनाने में सहायता करता है। आप उनके भोजन में भी लहसुन डाल सकती हैं।<br /><br />#४२. पान के पत्तों या वेथिलाई कशयम के साथ उबला पानी<br />तुलसी के पत्तों, पान के पत्तों, काली मिर्च और अजवाइन के साथ पानी उबालें। ठंडा होने के बाद, छान लें और इसमें शहद मिलाएं।<br /><br />#४३. जीरा पाउडर मिश्रण <br />जीरा – १ छोटा चम्मच<br />मिश्री या कलकंदम – १ या २ टुकड़े<br />जीरे और मिश्री दोनों को महीन पाउडर में पीस लें। जब भी आपके बच्चे को खांसी आती है तो उसे यह मिश्रण दें।<br /><br />#४४. सोंठ पाउडर मिश्रण <br />जीरे, सोंठ और मिश्री को महीन पाउडर के रूप में पीस लें। एक हवाबंद बर्तन में रखें। इसे अपने बच्चे की लगातार होने वाली सर्दी-खांसी के लिए प्रयोग करें।<br /><br />#४५. शहद और अदरक के साथ उबला पानी <br />कुछ अदरक के टुकड़ों के साथ पानी गर्म करें। जब यह हल्का गर्म हो जाता है तो इसमें शहद मिलाएं। अपने बच्चे को यह पानी पीने के लिए दें। (This is home made baby cough syrup)<br /><br />#४६. दालचीनी और शहद <br />एक छोटा चम्मच शहद लें और इसमें चुटकी भर दालचीनी पाउडर मिलाएं। अपने बच्चे को सर्दी-खांसी होने पर यह मिश्रण प्रदान करें।<br /><br />#४७. अदथोडा कशयम या काढ़ा<br />अदथोडा या अदुलज़ा एक औषधीय पौधा होता है जिसे सिद्धा चिकित्सा में व्यापक रूप से प्रयोग किया जाता है। गुड़ या शहद के साथ अदुलज़ा के पत्तों का काढ़ा बनाएं।<br /><br />#४८. काली मिर्च के साथ घी <br />एक चम्मच घी लें और इसमें चुटकीभर ताज़ा कूटा हुआ काली मिर्च का पाउडर डालें। यह स्वादिष्ट होता है, और सर्दी-खांसी में निश्चित रूप से आराम पहुंचाता है।<br /><br />#४९. कचिया ऐना <br />सर्दी-खांसी के दौरान प्रयोग किया जाने वाला कचिया ऐना या गर्म केश तेल, प्राकृतिक रूप से बच्चे को आराम पहुंचाने में सहायता करता है। इसकी सामग्रियां हैं तुलसी के पत्ते, सैजन के पत्ते, नारियल तेल आदि।<br /><br />#५०. केसर दूध <br />बच्चों में सर्दी और खांसी के दौरान केसर दूध बहुत अच्छा होता है।<br />१ कप उबले हुए दूध में केसर के कुछ धागे मिलाएं। इसे ठंडा होने दें, छानकर केसर के धागों को निकाल दें और सोने से पहले इसे अपने बच्चे को पीने के लिए दें।<br /><br />#५१. नींबू, दालचीनी और शहद मिश्रण<br />नींबू के रस, दालचीनी पाउडर और शहद का मिश्रण तैयार करें। यह सर्दी और खांसी के वायरस से लड़ने के लिए बहुत अच्छा होता है।<br /><br />#५२. चुक्कू-थिप्पिलि मिश्रण <br />सोंठ और लंबी काली मिर्च को अलग-अलग सूखा भूनें। इसे महीन पाउडर में पीसें। इस मिश्रण में गुड़ या शहद मिलाएं और इसे रेडीमेड कफ सिरप के रूप में प्रयोग करें।<br />२ वर्ष से अधिक उम्र के बच्चे<br />ऊपर दिए गए सभी घरेलु उपचारों को यहाँ प्रयोग किया जा सकता है।<br /><br />#५३. गुड़ और काली मिर्च का मिश्रण <br />गुड़ और कालीमिर्च का मिश्रण एक सिद्ध प्रभावकारी कफनाशक होता है। बलगम बाहर आने के साथ ही सीने में जमाव कम हो जायेगा और इसलिए खांसी में भी कमी आएगी।<br />सामग्री:<br />गुड़ या गुड़ का पाउडर – १ १/२ बड़ा चम्मच<br />काली मिर्च – ३ या ४<br />गुड़ और काली मिर्च को पीस कर महीन पाउडर के रूप में तैयार करें और इसे एक हवाबंद बर्तन में रखें। जब भी आपके बच्चे को खांसी आती है तो उसे यह एक या दो चुटकी खाने के लिए दें।<br />जलन की चिंता ना करें, गुड़ उसे कम करने में मदद करेगा।<br /><br />#५४. अदरक और नमक का मिश्रण <br />अदरक कसें या इसे पतले-पतले टुकड़ों में काट लें। इसमें नमक मिलाएं। गले की खराश, सर्दी-खांसी से छुटकारा पाने के लिए अपने बच्चे को यह प्रदान करें।<br /><br />#५५. घर की बनी हुई गुड़ की भेलियां <br />छोटी भेलियां बनाने के लिए हल्दी पाउडर, घी और गुड़ के पाउडर को एक साथ मिलाएं। अपने बच्चे के सर्दी, खांसी या गले की खराश के चपेट में आने पर उसे यह खाने के लिए दें।<br />४ वर्ष से अधिक उम्र के बच्चे<br />४ वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों के लिए, सर्दी और खांसी में आराम प्रदान करने के लिए आप ऊपर दिए गए उपचारों का प्रयोग कर सकती हैं।<br /><br />#५६. औषधीय भाप <br />उबलते हुए पानी के बर्तन में युकलिप्टस या नीलगिरी तेल की २ बूंदें डालें। आप पानी में कुछ तुलसी की पत्तियां भी डाल सकती हैं। आप भाप लेने के लिए इलेक्ट्रिक मशीन का भी प्रयोग कर सकती हैं।<br />अपने बच्चे को झुककर कंबल से अपना सिर ढंकने के लिए कहें जिससे सांस लेने में और औषधीय भाप लेने में आसानी होती है। यह श्वसन नली खोलने में मदद करता है और कफ का जमाव कम करता है। यह बच्चे को आसानी से सांस लेने में सहायता करता है और बलगम निकालने में भी मदद करता है। जिसे बाद में बच्चा बाहर थूक सकता है।<br />इस उपचार को छोटे बच्चों के साथ ना इस्तेमाल करें क्योंकि वे अपने आपको जला सकते हैं। साथ ही, भाप के ज्यादा पास आने पर भी जलने का खतरा होता है।<br />यह सुनिश्चित करें कि आपके द्वारा प्रयोग किया जाने वाला बर्तन ना गिरे। दुर्घटनाओं से बचने के लिए इसे अच्छी तरह से रखें। साथ ही, अपने बच्चों को गर्म चीजों को स्पर्श करने और भाप के पास जाने के खतरों के बारे में सावधान करें।<br /><br />#५७. शहद, नींबू और गर्म पानी से गरारा करना <br />शहद, नींबू और गर्म पानी का गरारा गला और नाक साफ़ करने में मदद करता है। छोटे बच्चे यह नहीं कर सकते हैं। लेकिन ४ वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों के लिए यह किया जा सकता है और बहुत उपयोगी होता है।<br />गला और नाक साफ़ करने के अलावा यदि आपके बच्चे को बहुत ज्यादा खांसी आ रही है तो यह विशेष रूप से राहत प्रदान करने में भी मदद करता है।<br />आप यहाँ से शुद्ध शहद खरीद सकती हैं।<br /><h3 style="text-align: left;">
#५८. घर का बना मसाला चाय </h3>
यदि आपका बच्चा घर पर बने हुए प्रत्येक सिरप को लेने से मना कर देता है तो इसे आजमाएं।<br />अदरक, इलायची, काली मिर्च, मुलेठी आदि जैसे उपचारात्मक मसालों से घर पर देशी मसाला चाय तैयार करें। इसे अपने बच्चे को पीने के लिए दें।<br />इसमें शामिल मसालों के जीवाणुरोधी और सूक्ष्मजीवरोधी गुणों की वजह से यह चाय सर्दी और खांसी के वायरस से लड़ने में सहायता करती है।<br /><h3 style="text-align: left;">
#५९. सादे पानी का गरारा </h3>
अपने बच्चे से नमकीन गर्म पानी से गरारा करवाएं। इससे गले के संक्रमण और खांसी में राहत मिलती है।<br /><br />#६०. हल्दी के साथ नमक के पानी का गरारा <br />सादे नमक-पानी के गरारे में हम प्राकृतिक रोगाणुरोधक मिला देते हैं। इसमें चुटकी भर हल्दी पाउडर डालें और इसके बाद अपने बच्चे को इससे गरारा करने के लिए कहें।<br /><br />#६१. घर का बना हुआ खांसी मिश्रण <br />घर पर बनाए गए इस खांसी मिश्रण पाउडर की सबसे अच्छी बात यह है कि आप इसे तैयार करके एक हवाबंद बर्तन में रख सकती हैं। अपने बच्चे के साथ यात्रा करने के दौरान आपातकालीन स्थितियों में यह पाउडर बहुत उपयोगी साबित हो सकता है।<br />सामग्री:<br />मिश्री – माध्यम आकार के क्यूब<br />काली मिर्च – १ या २<br />सूखा अदरक, सोंठ या चुक्कू – एक छोटा टुकड़ा<br />जीरा पाउडर – १/४ छोटा चम्मच<br />बनाने की विधि:<br />इन सभी चीजों को एक साथ पाउडर बनाएं।<br />यदि आपके बच्चे को बहुत ज्यादा खांसी आने लगती है तो उसे तुरंत आराम पाने के लिए चुटकी भर पाउडर लेने के लिए कहें। ताज़गी बनाए रखने के लिए इसे हमेशा ताज़ा तैयार करें।<br /><h3 style="text-align: left;">
<span style="color: red;">ध्यान रखने योग्य चीजें:<br />आपको कब चिंतित होना चाहिए?<table align="center" cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="margin-left: auto; margin-right: auto; text-align: center;"><tbody>
<tr><td style="text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi5-Ub9tmMrsQfoMTASLlD5okhvYFPkRjasivdu0DkegBdp-TONPgbOtb724p9vQqo1EXrJmayUm1LmsIDhmrJPbdr1-3TuHn1UdG9g6iuQQZRDyhMfroorcec6XQEckIC94S3a29_ExW4/s1600/Rajesh+Mishra.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: auto; margin-right: auto;"><img border="0" height="300" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi5-Ub9tmMrsQfoMTASLlD5okhvYFPkRjasivdu0DkegBdp-TONPgbOtb724p9vQqo1EXrJmayUm1LmsIDhmrJPbdr1-3TuHn1UdG9g6iuQQZRDyhMfroorcec6XQEckIC94S3a29_ExW4/s400/Rajesh+Mishra.jpg" width="400" /></a></td></tr>
<tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;"><h3>
<span style="color: red;">Rajesh Mishra, Kolkata</span></h3>
</td></tr>
</tbody></table>
</span></h3>
यदि आपके बच्चे की सर्दी-खांसी २ सप्ताह या इससे अधिक समय तक बनी रहती है तो कृपया तुरंत अपने बालरोग विशेषज्ञ से परामर्श लें। संभवतः, यह केवल साधारण सर्दी-खांसी ना हो। यह गंभीर संक्रमण हो सकता है जिसके लिए डॉक्टर के हस्तक्षेप की जरुरत होती है।<br />कृपया किसी भी ऐसे घरेलु उपचार का प्रयोग ना करें जिसमें ६ महीने से छोटे बच्चों के लिए किसी प्रकार के तेल/औषधि/दवाओं का सेवन शामिल होता है। ये उसे लाभ पहुंचाने से ज्यादा नुकसान पहुंचा सकते हैं।<br /><br />इन घरेलु उपचारों का प्रयोग करते समय इस पोस्ट में दी गयी सभी सावधानियों का पालन करें।<br />एक वर्ष से छोटे बच्चों के लिए शहद का प्रयोग ना करें। क्योंकि यह इंफेंट बोटुलिज़्म नामक एक दुर्लभ और खतरनाक विकार उत्पन्न कर सकता है। यह बच्चे के शरीर में क्लोस्ट्रीडियम बोटुलिनम के बीजाणु प्रवेश करने पर होता है, जिससे विषैला पदार्थ उत्पन्न होता है। शहद ऐसा खाद्य पदार्थ है जिसमें यह बीजाणु मिल सकता है। इसलिए, एक वर्ष से कम उम्र के बच्चों को शहद नहीं दिया जाता है। १ वर्ष से अधिक उम्र के बच्चे शहद का सेवन कर सकते हैं क्योंकि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत और ज्यादा बेहतर तरीके से विकसित होती है।<br />यदि आप किसी भी सामग्री का प्रयोग पहली बार कर रही हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि आपके बच्चे को इससे कोई भी एलर्जी ना हो।<br />ऊपर दिए गए ६ घरेलु उपचारों के अतिरिक्त, हम आपको अपने बच्चे को नेजोबडी नेज़ल एस्पिरेटर देने की सलाह देते हैं जो बच्चे को बंद नाक से आराम दिलाने में उपयोगी होता है।<br /><br />नेजोबडी नेज़ल एस्पिरेटर के बारे में आप मेरी समीक्षा पढ़ सकती हैं और इसे नीचे दिए गए बैनर पर क्लिक करके खरीद सकती हैं।<br />मुझे उम्मीद है कि इससे आपको मदद मिलेगी। मुझे पूरा विश्वास है कि बच्चों और शिशुओं में सर्दी-खांसी के लिए ऐसे कई घरेलु उपचार मौजूद होंगे। कृपया टिप्पणियों के माध्यम से उन्हें मेरे साथ साझा करें।</div>
RAJhttp://www.blogger.com/profile/03629974765289732103noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4970850955424214744.post-28985883474157254222016-12-15T12:41:00.002-05:002016-12-15T12:41:38.782-05:00यौन शक्ति बढ़ाने के आयुवेर्दिक घरेलू उपाय<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div>
<h2 style="background-color: #f4f196; color: #333333; font-family: '; font-size: 16px; margin: 0px; padding: 0px 0px 2px; position: relative; text-align: start;">
</h2>
<h2 style="text-align: center;">
<span style="background-color: transparent;"><span style="color: red; font-size: x-large;">सेक्स पावर बढ़ाने के घरेलू उपचार<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgxvd-LVc1l8ti0qprXBy8hMEw5VwrUAhC66bm8_vl1Q8dMC80HKpuTyHgrSUIeBLfN4lGD1JT_F_bjFSKLKiumJ9L1k90UnMAZdnjCiE7V9eAGniabhBzP5poxkG3Bpkiv64tQIa4nBQY/s1600/600veer_sleep.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="266" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgxvd-LVc1l8ti0qprXBy8hMEw5VwrUAhC66bm8_vl1Q8dMC80HKpuTyHgrSUIeBLfN4lGD1JT_F_bjFSKLKiumJ9L1k90UnMAZdnjCiE7V9eAGniabhBzP5poxkG3Bpkiv64tQIa4nBQY/s400/600veer_sleep.jpg" width="400" /></a></div>
</span></span></h2>
<h2 style="margin: 0px; padding: 0px 0px 2px; position: relative;">
<div style="background-color: #f4f196; color: #333333; font-size: 16px; text-align: center;">
<span style="color: red; font-size: 14px; line-height: 17.5636px;">गलती कुबूल करने और गुनाह छोड़ने में कभी देरी नहीं करनी चाहिए ।</span></div>
<div style="text-align: center;">
<span style="color: red;"><span style="font-family: '; font-size: 14px; line-height: 17.5636px;"><span style="color: #333333;"><span style="background-color: #f4f196; font-size: 14px; line-height: 17.5636px;">क्योंकि सफर जितना लंबा हो वापसी उतनी ही कठिन होगी।।.</span></span><br /></span></span><br />
<h2>
<span style="color: blue; font-size: x-large;">how-to-increase-sex-power</span></h2>
</div>
<span style="color: red;">
</span></h2>
पुरूष यौन ताकत को बढ़ाने के लिए क्या क्या उपाय नहीं करते हैं। अक्सर शादि के बाद पुरूषों में <a href="http://rajayurved.blogspot.in/2015/06/blog-post_23.html">"राज"</a> यौन ताकत में कमी होने लगती है। जिसके कई कारण है। यौन दुर्बलता के मुख्य कारण जैसे थकान, टेंशन, खाने पर ध्यान न देना, धूम्रपान व शराब आदि का अधिक सेवन करना आदि।</div>
<div style="text-align: justify;">
ये समस्या धातुदोष, शीध्रपतन, नपुंसकता और स्वप्न दोष के रूप में सामने आती हैं। जिस वजह से नौजवान युवकों का वैवाहिक जीवन में परेशानी आने लगती है। <a href="http://rajayurved.blogspot.in/2015/06/blog-post_23.html">"राज"</a> आपको कुछ आयुवेर्दिक उपायों को बता रहै है जिनके सेवन से आप इस समस्या से आसानी से बच सकते हो।</div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">यौन क्षमता बढ़ाने वाले आयुवेर्दिक नुस्खे पुरूषों के लिए</span><br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<span style="color: red;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiGqoq7wfSOi8OySuj_31Chmg5aIqKy9FkNwsgjoxyJOwr0vo-I_dyoHuc09OVrlGIMwOPmopD4WQrbifC1GBirjFH-NQcS3tsN0ZizybJGHKa5_siubkkZeF5nPJoSgHxC45fdQy3EI48/s1600/1245371.large.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="240" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiGqoq7wfSOi8OySuj_31Chmg5aIqKy9FkNwsgjoxyJOwr0vo-I_dyoHuc09OVrlGIMwOPmopD4WQrbifC1GBirjFH-NQcS3tsN0ZizybJGHKa5_siubkkZeF5nPJoSgHxC45fdQy3EI48/s400/1245371.large.jpg" width="400" /></a></span></div>
<br />
<span style="color: red;"> <span style="color: purple;">सेब का सेवन</span></span><br />
</div>
<div style="text-align: justify;">
पुरूषों की सेहत और पौरूष शक्ति को बढ़ाने के लिए सेब बहुत ही फायदेमंद औषधि की तरह कार्य करती है।</div>
<div style="text-align: justify;">
सेब के अंदर के गुण <a href="http://rajayurved.blogspot.in/2015/06/blog-post_23.html">"राज"</a> यौन दुर्बलता को दूर करते है।</div>
<h4 style="text-align: justify;">
<span style="color: purple;">त्रिफला का सेवन</span></h4>
<div style="text-align: justify;">
त्रिफला काम शक्ति को बढ़ाता है। इसलिए रोज रात को सोने से पहले पांच मुनक्कों के साथ त्रिफला का सेवन करना चाहिए। और बाद में ठंडा पानी पी लें। इस उपाय से शीध्रपतन का रूकनाए काम शक्ति में ताकत और जोश बढ़ता है।</div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgH3JKiGXZ-wF2EDxYeqCNvIaN8YaFMo4YZ7UbotfIb1Wq9JoKFOGyR_CGy0NDXFPrSz4Fv5cvhUnovhUeooC9zplfW17-gHSjVQRW75bBhqhFfi7EeZ_F88iybdSybx6yf_hlLdZMxkDw/s1600/sex-life.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="400" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgH3JKiGXZ-wF2EDxYeqCNvIaN8YaFMo4YZ7UbotfIb1Wq9JoKFOGyR_CGy0NDXFPrSz4Fv5cvhUnovhUeooC9zplfW17-gHSjVQRW75bBhqhFfi7EeZ_F88iybdSybx6yf_hlLdZMxkDw/s400/sex-life.jpg" width="338" /></a></div>
<h4 style="text-align: justify;">
<span style="color: purple;">हल्दी का सेवन</span></h4>
<div style="text-align: justify;">
यदि आपका वीर्य बहुत पतला है और यौन दुर्बलता है तो आप रोज सुबह के समय में एक चम्मच हल्दी के चूर्ण में एक चम्मच शहद को मिला लें और इसका सेवन करें। आपकी गुप्त समस्याएं भी ठीक हो जाएगीं।</div>
<h4 style="text-align: justify;">
<span style="color: purple;">वीर्य बढ़ाने के लिए बरगद</span></h4>
<div style="text-align: justify;">
बरगद के पेड़ के पत्ते को शाम को सूर्य ढ़लने से पहले तोड़ लें और उससे निकलने वाले दूध को बताशे के उपर टपका कर सेवन करें। इस अचूक उपाय से यौन दुर्बलता दूर होती है। वीर्य गाढ़ा होता है और काम क्रिया का समय बढ़ता है।</div>
<h4 style="text-align: justify;">
<span style="color: purple;">सौंठ का प्रयोग</span></h4>
<div style="text-align: justify;">
सौंठ में कुछ अन्य आयुवेर्दिक तत्वों को मिलाकर चूर्ण बनता है। जिसका सेवन आपकी क्षमता को बढ़ाता है। कैसे बनाएं ये चूर्ण आइये बताते हैं-</div>
<div style="text-align: justify;">
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg-vHJYV7D0UWvPJSyzKi74KP8AKNPIuQGdawcrXQy1I016KKnk6MrSECqrGoKH_LJgycHY8qOdVGlMinWXSJh9KXu6TC7146NmtcoPaAOk-YRlRFIo8TtIRiE19Lkc98yGpWp3ypPAYfo/s1600/erectile-dysfunction.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="300" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg-vHJYV7D0UWvPJSyzKi74KP8AKNPIuQGdawcrXQy1I016KKnk6MrSECqrGoKH_LJgycHY8qOdVGlMinWXSJh9KXu6TC7146NmtcoPaAOk-YRlRFIo8TtIRiE19Lkc98yGpWp3ypPAYfo/s400/erectile-dysfunction.jpg" width="400" /></a></div>
दो ग्राम अकरकरा</div>
<div style="text-align: justify;">
तीस ग्राम काले तिल</div>
<div style="text-align: justify;">
चार ग्राम सौंठ</div>
<div style="text-align: justify;">
30 ग्राम पिप्पली और चार ग्राम गोंद</div>
<div style="text-align: justify;">
(ये सारी चीजें <a href="http://rajayurved.blogspot.in/2015/06/blog-post_23.html">"राज"</a> आपको पनसारी की दुकान पर मिल जाती हैं)</div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<div style="text-align: justify;">
इन सभी को आपस में मिलाकर अच्छी तरह से कूट पीस लें। और इससे बने चूर्ण का सेवन रात को सोने से पहले आधा चम्मच गर्म दूध के साथ सेवन करें। इस अचूक औषधि का फायदा आपको कुछ ही दिनों में दिखने लगेगा।</div>
<h4 style="text-align: justify;">
<span style="color: purple;">छुहारे खाना</span></h4>
<div style="text-align: justify;">
छुहारे खाने से यौन इच्छा और काम शक्ति बढ़ती है। इसके लिए आप रोज दूध में दो बादामए तीन काजू और पाच छुहारे को डालकर उबाल लें। और फिर इसमें मिश्री डाल दें। इस दूध को रोज रात को सोने से पहले सेवन करें। इस उपाय से आपको फायदा होगा।</div>
<h4 style="text-align: justify;">
<span style="color: purple;">इमली का सेवन</span></h4>
<div style="text-align: justify;">
इमली भी काम शक्ति को बढ़ाती है। कैसे करें इमली का प्रयोग जानें। इमली के आधा किलों बीजों को लें और इनको बीच में से दो भाग में काट दें। अब इसे पानी में तीन दिनों तक भिगने के लिए छोड़ दें। उसके बाद आप इसके छिलके उतार लें और सफेद भाग को पीस लें। और इसमें आधा किलों पिसी हुई मिश्री का मिला लें। अब इसे किसी कांच की बोतल में भर दें।</div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">सेवन की विधि</span></div>
<div style="text-align: justify;">
इस प्रकार से तैयार इमली से बनी औषधि का सेवन सुबह और शाम दूध के साथ आधा चम्मच सेवन करें। इस उपाय से शीध्रपतन नहीं होता है और काम में जोश आता है।</div>
<h4 style="text-align: justify;">
<span style="color: purple;">आंवला</span></h4>
<div style="text-align: justify;">
पुरूषों की गुप्त रोगों की समस्या में आंवला एक कारगर औषधि का काम करता है। इसके लिए आपको रोज रात के समय में आंवले के चूर्ण में पानी भरकर रख दें। और सुबह उठते ही इस पानी में थोड़ी हल्दी मिला लें अब इसे छानकर इसका सेवन करें।</div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">दूसरा उपाय</span></div>
<div style="text-align: justify;">
मिश्री को पीसकर आंवले के चूर्ण में मिला लें। और रात को सोने से पहले एक चम्मच इसका सेवन पानी के साथ करें।</div>
<h4 style="text-align: justify;">
<span style="color: purple;">आंवला का मुरब्बा</span></h4>
<div style="text-align: justify;">
इसके अलावा आंवला का मुरब्बा खाने से भी "राज" पुरूषों की यौन दुर्बलता दूर होती है।</div>
<div style="text-align: justify;">
एक चम्मच शहद में एक छोटी चम्म्च आंवले के चूर्ण मिला लें और इसका सेवन रोज दिन में दो बार करें। आपको इसका काफी फायदा मिलेगा।</div>
</div>
RAJhttp://www.blogger.com/profile/03629974765289732103noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4970850955424214744.post-10376404076266789872016-11-02T14:57:00.001-04:002016-11-02T14:57:11.319-04:00Benefits Of Salt Water<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<h2 style="text-align: center;">
<span style="color: red;">सुबह नमक वाला पानी पीने के चमत्कारी फायदे<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhjA5ZHBLy4FkOEMHbif6sr_Tz8Bd0iYo_OgJ1Ox2MqSZPTVT-YyVR-vOaC9mBQenbb70OZM0CwuRXbo2dTw327ze4qUpsiS5xW6yI4Z0FkFvvEI1Nr5mZ4O2_JJc_MfMS4Kd17SA9ishM/s1600/coffee-girl.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="400" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhjA5ZHBLy4FkOEMHbif6sr_Tz8Bd0iYo_OgJ1Ox2MqSZPTVT-YyVR-vOaC9mBQenbb70OZM0CwuRXbo2dTw327ze4qUpsiS5xW6yI4Z0FkFvvEI1Nr5mZ4O2_JJc_MfMS4Kd17SA9ishM/s400/coffee-girl.jpg" width="285" /></a></div>
</span></h2>
<div style="text-align: justify;">
स्वस्थ जीवन और निरोगी काया कौन नहीं चाहता है। यदि स्वस्थ जीवन चाहते हैं तो रोज सुबह उठकर काला नमक या सेंधा नमक को पानी में मिलाकर पीएं। इस पानी को अंग्रेजी में सोल वाटर कहते हैं। नमक वाले पानी को पीने से ब्लड शुगर, मोटापा और ब्लड प्रेशर आदि बीमारियों से मुक्ति मिलेगी ही साथ यह आपको अन्य घातक बीमारियों से भी बचाता है। आपको पानी में केवल काला नमक व सेंधा नमक ही मिलाना है। किचन में मैजूद साधा नमक न मिलाएं। 80 से ज्यादा खनिज काले नमक में होते हें जो शरीर के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं। आइये जानते हैं नमक वाला पानी कैसे आपको कई तरह की बीमारियों से छुटकारा दिलवाता है।</div>
<h3 style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">कैसे बनाएं नमक वाला पानी?</span></h3>
<div style="text-align: justify;">
1 गिलास गुनगुने पानी में एक छोटी चम्मच काला नमक को मिलाएं। और इसे अच्छे से मिलाएं। अब यह पानी पीने लायक बन गया है।</div>
<h3 style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">नमक वाले पानी पीने के फायदे<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEipeIBLl4GmVl8F8BcSquvBPAOdQ6k3rSxrW1Hb0aObrrME6v-_kFSWfhxFTeyelrpUNVB4pFDp5jCRT0mNbSLnGsdbbdmAFbNBOvlK4VXOrRyF0knD2GcEWOKyrnhJtgwrsOvqMEzvgQE/s1600/cup.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="327" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEipeIBLl4GmVl8F8BcSquvBPAOdQ6k3rSxrW1Hb0aObrrME6v-_kFSWfhxFTeyelrpUNVB4pFDp5jCRT0mNbSLnGsdbbdmAFbNBOvlK4VXOrRyF0knD2GcEWOKyrnhJtgwrsOvqMEzvgQE/s400/cup.jpg" width="400" /></a></div>
</span></h3>
<h3 style="text-align: justify;">
<span style="color: #351c75;">त्वचा की समस्या में</span></h3>
<div style="text-align: justify;">
नमक वाला पानी पीने से त्वचा से संबंधित सभी परेशानियां जैसे एक्ने, एक्जिमा और रैश की परेशानी दूर होती है। नमक के पानी में क्रामिया होता है जो त्वचा की हर समस्या से लड़ता है।</div>
<h3 style="text-align: justify;">
<span style="color: #351c75;">पाचन तंत्र को ठीक रखना</span></h3>
<div style="text-align: justify;">
नमक वाला पानी मुंह में लार वाली ग्रंथियों को सक्रिय करने में मदद करता है। लार पेट के अंदर प्राकृतिक नमक, हाइड्रोक्लोरिक एसिड और प्रोटीन को पचाने वाले एंजाइम को उत्तेजित करने में सहायता करती है। इससे खाया गया भोजन टूट कर आराम से पच जाता है। इसके अलावा इंटेस्टाइनिल ट्रैक्ट और लिवर में भी एंजाइम को उत्तेजित होने में मदद मिलती है, जिससे खाना पचने में आसानी होती है।</div>
<h3 style="text-align: justify;">
<span style="color: #351c75;">नींद समस्या में</span></h3>
<div style="text-align: justify;">
नींद की समस्या आजकल कई लोगों में देखी जा रही है। एैसे में रोज सुबह नमक वाला पानी पीना चाहिए। नींद लाने में नमक हमारी तंत्रिका को आराम देता है और दो खतरनाक हार्मोन्स एड्रनलाईन और कोर्टिसोल को नमक कम कर देता है जिस वजह से रात को शांत व अच्छी नींद आती है।</div>
<h3 style="text-align: justify;">
<span style="color: #351c75;">वजन घटाएं</span></h3>
<div style="text-align: justify;">
यह पाचन को दुरुस्त करके शरीर की कोशिकाओं तक पोषण पहुंचाता है, जिससे मोटापा कंट्रोल करने में मदद मिलती है।</div>
<div style="text-align: justify;">
काले नमक का पानी पीना न सिर्फ सेहत के लिए अच्छा होता अपितु यह चेहरे से जुड़ी हर दिक्कत को भी दूर करता है। सुबह उठकर अपनी आदत में थोड़ा बदलाव लाएं और नमक के पानी को पीने की आदल डालें।</div>
<div style="text-align: justify;">
काले नमक का पानी पीना न सिर्फ सेहत के लिए अच्छा होता अपितु यह चेहरे से जुड़ी हर दिक्कत को भी दूर करता है। सुबह उठकर अपनी आदत में थोड़ा बदलाव लाएं और नमक के पानी को पीने की आदल डालें।</div>
<h3 style="text-align: justify;">
<span style="color: #351c75;">बनाए हड्डी मजबूत</span></h3>
<div style="text-align: justify;">
शायद ही आपको पता होगा कि हमारा शरीर भी हड्डियों से खनिज और कैल्शियम को खींचता है। इससे धीरे-धीरे हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। लेकिन नमक वाले पानी में जो तत्व पाए जाते हैं वे कैल्शियम की कमी को पूरा करते हैं और हड्डियों को भी मजबूत बनाते हैं।</div>
<div style="text-align: justify;">
अगर आप स्वस्थ जीवन जीना चाहते हैं तो नियमित रूप से सुबह पानी में काला नमक मिलाकर पीना शुरू कर दें।</div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<div style="text-align: justify;">
जी हां, इस लिक्विड को सोल वॉटर कहते हैं, और इसे पीने से ब्लड शुगर, ब्लड प्रेशर, एनर्जी में सुधार, मोटापा और अन्य तरह की बीमारियां तुरंत ठीक हो जाती है। लेकिन नमक पानी लेते समय इस बात का ध्यान रखें कि इसमें आपको सादे नमक का प्रयोग नहीं करना है, अथवा यह फायदे की जगह आपको नुकसान पहुचायेगा। काले नमक में 80 मिनरल और जीवन के लिए जरूरी सभी आवश्यक प्राकृतिक तत्व पाए जाते हैं।</div>
</div>
RAJhttp://www.blogger.com/profile/03629974765289732103noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4970850955424214744.post-53746596488026854192016-11-02T14:52:00.000-04:002016-11-02T14:52:11.898-04:00दो औषधियों के जरिये आप पा सकते है सफेद दांत<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEidBfaKLMG-UJCj87b5N2uVaXxn3oB_-OvLJhFmV6Zd7PrK9ZqnUcgkdQu_DAMmGtUcmjpHRaWYWocZgnDOt_R_6gKgGnnJcXDJSKLaaB_zp9AWts1t4g1Dxa-EueZ9ErZ4LD5pXWzvQFc/s1600/INDIAN-WOMAN-facebook.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="160" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEidBfaKLMG-UJCj87b5N2uVaXxn3oB_-OvLJhFmV6Zd7PrK9ZqnUcgkdQu_DAMmGtUcmjpHRaWYWocZgnDOt_R_6gKgGnnJcXDJSKLaaB_zp9AWts1t4g1Dxa-EueZ9ErZ4LD5pXWzvQFc/s320/INDIAN-WOMAN-facebook.jpg" width="320" /></a></div>
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<br /></div>
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बेहद व्यस्त दिनचर्या के चलते हम अपने शरीर के महत्वपूर्ण अंगों की सही से देखभाल नहीं कर पाते जिनमें दांत एक है | हम सब पीले दांतों से परेशान है और सफेद दांतों के बारे में भूलते जा रहे है | आज के दिनों में सफेद दांत होना अति आवश्क है |अगर आपके पास सफेद दांत है तो आप खुल के हस पायेगे, किसी के नजदीक जा पायेगे | अगर आपके दांत पीले और गंदे हैं तो आप अपनी इज्जत की खातिर हसना भूल जायेगे,, शर्म के मारे किसी के नजदीक नहीं जा पायेगें |</div>
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<br /></div>
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आज हम आयुर्वेद के खजाने से आपके लिए एक आसान और बेहद असरदार नुख्सा लेकर आये है | </div>
<div style="text-align: justify;">
यह सिर्फ एक नुख्सा ही नहीं है—- यह है आपकी मुस्कान वापिस लाने वाला रास्ता | यह नुख्सा जितना आसान है उतना ही असरदार | आइये देखते है के कैसे आप पा सकते हो सफेद – सुंदर दांत सिर्फ एक मिनिट में |</div>
<div style="text-align: center;">
<img alt="teath के लिए चित्र परिणाम" height="225" src="http://surgerystars.com/wp-content/uploads/2013/12/Miley-Cyrus-teath.jpg" width="400" /></div>
<div style="text-align: justify;">
एक बर्तन में थोडा सा बेकिंग सोडा डाल कर उस में ताजा निकला हुआ नीम्बू का रस मिला कर अच्छे से मिक्स कर लें | इन दोनों औषधियों को तब तक उंगली से मिलाते रहें जब तक आपको एक गाढ़ा पेस्ट नहीं मिल जाता है | जब पेस्ट बन कर तयार हो जाए उसके बाद इस पेस्ट को अपने दांतों पर लगाये | वह पेस्ट दांतों के लिए बलीच का काम करेगा | पेस्ट को दांतों पर लगाने के एक मिनिट बाद दांतों को ब्रश कर के साफ़ कर लें |परिणाम देखकर आप दंग रह जाएँगे|</div>
</div>
RAJhttp://www.blogger.com/profile/03629974765289732103noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4970850955424214744.post-18197494464367755622016-11-02T14:38:00.002-04:002016-11-02T14:38:57.501-04:00रोजाना एक इलायची खाने के फायदे<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<h2 style="text-align: center;">
<span style="color: red;">इलायची के स्वास्थ्य लाभ<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjoTpTlD_GC3C7nQwRq147JT8jE9_XxaGfnbacWvux_e9cg9P3fd9vw2Cf7luSaLFQSxaPkpn5Dn9gImr_7FHHSUewuh60XFPSVLnh_yTjHkcdZvmbWka8kVN8KHyhiOI55U8JBG4Fh9yQ/s1600/Cardamom.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="208" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjoTpTlD_GC3C7nQwRq147JT8jE9_XxaGfnbacWvux_e9cg9P3fd9vw2Cf7luSaLFQSxaPkpn5Dn9gImr_7FHHSUewuh60XFPSVLnh_yTjHkcdZvmbWka8kVN8KHyhiOI55U8JBG4Fh9yQ/s400/Cardamom.jpg" width="400" /></a></div>
</span></h2>
<div style="text-align: justify;">
इलायची एक सुगंधित मसाला है। यह मीठे व्यंजन का स्वाद बढ़ाने के लिए उपयोग में लाई जाती है। इसकी गंध तीखी होती है। इसलिए इसका उपयोग माउथ फ्रेशनर के रूप में किया जाता है। इसमें आयरन और राइबोफ्लेविन, विटामिन सी के साथ ही नियासिन भी पाया जाता है। ये रेड ब्लड सेल्स के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इलायची खाने के कई फायदे हैं चलिए आज हम जानते हैं इलायची खाने के ऐसे ही कुछ फायदों के बारे में...</div>
<h3 style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">1. पाचन को ठीक कर देती है</span></h3>
<div style="text-align: justify;">
खाने के बाद कई लोग इलायची का उपयोग माउथ फ्रेशनर के रूप में करते हैं। जानते हैं क्यों? दरअसल इलायची प्राकृतिक रूप से गैस को खत्म करने का काम करती है। यह पाचन को बढ़ाने, पेट की सूजन को कम करने व दिल की जलन को खत्म करने का काम करती है। </div>
<div style="text-align: justify;">
आयुर्वेदिक ग्रंथों के अनुसार यह खाने के पाचन में मदद करती है। यदि आपको बदहजमी की शिकायत है तो दो से तीन इलायची, अदरक का एक छोटा सा टुकड़ा, थोड़ी सी लौंग और सूखा धनिया पीस लें। इस पाउडर को गर्म पानी के साथ खाएं। पेट से जुड़ी प्रॉब्लम्स खत्म हो जाएंगी।<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhBP2Dhw4VNPOvyD655jmErkm3ut57VcDzNfGvnzkw8zh7bxg0eLYXady015-nGtvi5VAozbrNf80mO7aCBuIUwpUXm0V3JXQvq0G4MiqmBsnGUYtxhEqD-zR9eckmrhqPuqe_yq3vKwXo/s1600/Cardamom.jpeg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="222" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhBP2Dhw4VNPOvyD655jmErkm3ut57VcDzNfGvnzkw8zh7bxg0eLYXady015-nGtvi5VAozbrNf80mO7aCBuIUwpUXm0V3JXQvq0G4MiqmBsnGUYtxhEqD-zR9eckmrhqPuqe_yq3vKwXo/s400/Cardamom.jpeg" width="400" /></a></div>
</div>
<h3 style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">2. सांस की दुर्गंध दूर करती है</span></h3>
<div style="text-align: justify;">
इलायची में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं। साथ ही, इसका तेज स्वाद और भीनी-सी महक सांसों की दुर्गंध दूर करती है। यह डायजेस्टिव को मजबूत बनाती है। रोज खाने के बाद एक इलायची खाएं या रोज सुबह इलायची की चाय पी सकते हैं।</div>
<h3 style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">4. फेफड़ों से जुड़े रोगों का है प्राकृतिक इलाज</span></h3>
<div style="text-align: justify;">
इलायची अस्थमा, खांसी, ज़ुकाम और फेफड़ों से जुड़ी दूसरी बीमारियों से राहत दिलाती है। आयुर्वेद में इलायची को एक गर्म मसाला माना गया है। यह शरीर को अंदर से गर्म रखती है।</div>
<div style="text-align: justify;">
इसके सेवन से कफ बाहर हो जाता है। सर्दी, खांसी या छाती में जमाव है, तो इन परेशानियों से राहत पाने के लिए इलायची सबसे बेहतर प्राकृतिक उपचार है। यदि आपको ज्यादा सर्दी हो रही हो तो भाप लेते समय गर्म पानी के बर्तन में इलायची के तेल की कुछ बूंदें डालें।</div>
<h3 style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">5. दिल की गति को नियमित करना</span></h3>
<div style="text-align: justify;">
इलायची पोटैशियम, कैल्शियम जैसे खनिजों से भरपूर होती है। इसलिए यह शरीर की इलेक्ट्रोलिसिस प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इलायची दिल की गति को नियमित करने में मदद करती है। साथ ही, यह ब्लडप्रेशर को नियंत्रित करती है। इसीलिए अगर आप अपने हार्ट को हमेशा हेल्दी बनाए रखना चाहते हैं, तो अपने रोजाना के खाने में इलायची को शामिल करें या केवल इलायची वाली चाय पिएं।</div>
<h3 style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">3. एसिडिटी से छुटकारा<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiViZDhyMef3nTCQqbRy7vK5Nh2vT8Bd-N9MnhiDWPjI3qu92ajsQfqgXBtL9Qg7hYC2LCfy6h1w-z0jBAOuTClkHezO3rSKXoxrJCtWDjwQSwRbyr1khxgCYd0oWFTMbTnWdvDTZF30RM/s1600/gym-clothes-woman.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="400" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiViZDhyMef3nTCQqbRy7vK5Nh2vT8Bd-N9MnhiDWPjI3qu92ajsQfqgXBtL9Qg7hYC2LCfy6h1w-z0jBAOuTClkHezO3rSKXoxrJCtWDjwQSwRbyr1khxgCYd0oWFTMbTnWdvDTZF30RM/s400/gym-clothes-woman.jpg" width="266" /></a></div>
</span></h3>
<div style="text-align: justify;">
इलायची में मौजूद तेल इसे एसिडिटी को खत्म करता है। इलायची चबाने पर इसमें से कई तरह के तेल निकलते हैं, जो आपकी लार ग्रंथियों को उत्तेजित करते हैं। इससे आपका पेट ठीक तरह से कार्य करता है। भूख तेज लगती है। इलायची खाने पर इसमें मौजूद तेल ठंडक का अहसास कराता है। इसलिए इसे चबाने से एसिडिटी से होने वाली जलन दूर हो जाती है।</div>
<h3 style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">6. एनीमिया से बचाती है</span></h3>
<div style="text-align: justify;">
एक गिलास गर्म दूध में एक या दो चुटकी इलायची पाउडर और हल्दी मिलाएं। आप यदि चाहें तो स्वाद के लिए चीनी मिला सकते हैं।एनीमिया के लक्षणों और कमजोरी से राहत पाने के लिए इसे हर रात पिएं। </div>
<h3 style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">7. शरीर को डिटॉक्सिफाई करना</span></h3>
<div style="text-align: justify;">
इलायची मैंगनीज का एक प्रमुख स्रोत है। मैंगनीज एंजाइम के स्राव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह फ्री रेडिकल्स को ख्रत्म करता है। इसके अलावा, इलायची में शरीर से जहरीले तत्व बाहर करने का गुण पाया जाता है। यह कैंसररोधी का भी काम करती है।</div>
</div>
RAJhttp://www.blogger.com/profile/03629974765289732103noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4970850955424214744.post-54964644478894744132016-11-02T14:20:00.000-04:002016-11-02T14:20:14.691-04:00इन आहार के सेवन से मक्खन की तरह पिघलेगी चर्बी<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<h2 style="text-align: center;">
<span style="color: red;">चर्बी घटने का सबसे आसान तरीका<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg0_W5MakmYCK2zL-3W1EdNDNb7wuP7hShNVslI7bG3hMLksHZUVpr-Y5wMMEBuMvtjX6VfI6pGOr52bvyJLjBgv6vWsWupiJli9tdMcx7ypVDdBpjOqmm_h_rQTBmSCMIiB7y_AfEv9WM/s1600/Weight.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="266" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg0_W5MakmYCK2zL-3W1EdNDNb7wuP7hShNVslI7bG3hMLksHZUVpr-Y5wMMEBuMvtjX6VfI6pGOr52bvyJLjBgv6vWsWupiJli9tdMcx7ypVDdBpjOqmm_h_rQTBmSCMIiB7y_AfEv9WM/s400/Weight.jpg" width="400" /></a></div>
</span></h2>
<div style="text-align: justify;">
बढ़ते वजन से परेशान ज्यादातर लोगों के लिए वजन घटाने की कोशिश एक मुद्दे की तरह होती है। इसके लिए वह जिम, योग और विशेष प्रकार की डाइट को भी अपनाते हैं। इन तरीकों में से अधिकांश बहुत प्रभावी होते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ खाद्य पदार्थों को अपने आहार में शामिल कर आप आसानी से फैट कम करने में सफल हो सकते हैं। हालांकि आपको इस बात पर विश्वास नहीं हो रहा होगा लेकिन यह सच है ऐसे खाद्य पदार्थ चयापचय को बढ़ाकर, फैट की रिहाई करने वाले हार्मोंन को उत्तेजित कर, शरीर के विषैले पदार्थों को बाहर कर फैट घटाने में मदद करते हैं। इसलिए इन खाद्य पदार्थों को अपने स्वस्थ आहार योजना का हिस्सा बनाना बहुत महत्वपूर्ण है। यहां जल्दी से फैट को कम करने वाले ऐसे ही जादुई आहार के बारे में जानकारी दी गई है। </div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">केले </span>को हमेशा से ही वजन बढ़ाने वाला खाद्य पदार्थ माना जाता है। लेकिन आपको यह जानकर बहुत आश्चर्य होगा कि केला फैट को जलाने वाला फल है। इस फल में मौजूद प्रतिरोधी स्टार्च पेट में मौजूद अच्छे बैक्टीरिया के कारण, पेट में फैटी एसिड में परिवर्तित हो जाती है। यह चयापचय फैट में मदद कर फैट को रोकने में मदद करता है। वजन कम करने के लिए आप इसे स्मूदी या फ्रूट सलाद के रूप में ले सकते हैं। </div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">साबुत अनाज</span> फैट को कम करने का एक स्मार्ट विकल्प है। अनाजों को अपने आहार में शामिल करने से शरीर के विषैले तत्व बाहर निकलते हैं और शरीर का फैट कम होता हैं। साबुत अनाज सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होते है। इसमें विटामिन ई, विटामिन बी और अन्य तत्व जैसे जिंक, सेलेनियम, कॉपर, आयरन, मैगनीज एवं मैग्नीशियम आदि प्राप्त किया जा सकते हैं। साथ ही इनमें फाइबर भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। जिससे वजन कम करने में मदद मिलती है। </div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">नारियल का तेल</span> मध्यम श्रृंखला ट्राइग्लिसराइड्स से समृद्ध होता है। यह फैटी एसिड शरीर द्वारा जल्दी पच जाता है, इसतरह से यह शरीर में जमा नहीं होता, लेकिन शरीर द्वारा ऊर्जा के उत्पादन के उपयोग कर सकते हैं। वजन घटाने के उद्देश्य को पूरा करने के लिए नारियल का तेल खाना पकाने के लिए तेल का एक बेहतरीन विकल्प है।<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEixdT_bEA7ZZPkBgW0SNOEzYpkYZc716HzSivWcTYbtm_Cj4JMlui1DgbIPDvW2uT1E3w-nYR-tv7uVtfdT-HiZcRt89_ZZFJkhokbUsYnYay2EEXfoXdgcm3RzrOLLuiTJ6o1NPqwYJy8/s1600/Natural+Deodorants.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="300" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEixdT_bEA7ZZPkBgW0SNOEzYpkYZc716HzSivWcTYbtm_Cj4JMlui1DgbIPDvW2uT1E3w-nYR-tv7uVtfdT-HiZcRt89_ZZFJkhokbUsYnYay2EEXfoXdgcm3RzrOLLuiTJ6o1NPqwYJy8/s400/Natural+Deodorants.jpg" width="400" /></a></div>
</div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">बादाम</span> के फायदे के बारे में भला कौन नहीं जानता। प्रोटीन से भरपूर यह नट्स मांसपेशियों के निर्माण के साथ-साथ शरीर में फैट को भी जमा नहीं होने देते। फैट को जलाने में मदद करने के कारण बादाम को चयापचय को बढ़ावा देने के लिए भी जाना जाता है। पेंसिलवेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी के क्लाएर बेरीमैन के अनुसार, कार्बोहाइड्रेट वाले खाद्य पदार्थों के बजाय हर रोज नाश्ते में बादाम का सेवन करने से हृदय संबंधी रोगों का खतरा तो कम होता ही है। साथ ही शरीर में जमने वाली अतिरिक्त वसा को भी नियंत्रण में रखा जा सकता है। बादाम को हर रोज नाश्ते में शामिल कर मेटाबॉलिक और हृदय रोगों के खतरों को आसानी से कम किया जा सकता है। बादाम को आप कच्चे या पानी में भिगोकर भी खा सकते हैं।</div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">लाल मिर्च </span>में फैट को जलाने के प्रभाव होते हैं। मिर्च कैप्सेसिन से भरपूर होने के कारण ऑक्सीकरण द्वारा पेट वसा को कम करने में मदद करता है। यह चयापचय को बढ़ाकर शरीर से कैलोरी को जलाने में मदद करती है। ब्रिटेन में हुए एक शोध के अनुसार, लाल मिर्च शरीर में व्याप्त अवांछित कैलोरी जलाने एवं मोटापा घटाने में मददगार साबित होती है। मिर्च में मौजूद कैप्सेसिन तत्व, मिर्च को गर्मी देकर भूख कम करता है और कैलॉरी को जलाते हुए ऊर्जा की खपत बढ़ा सकता है। </div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">ब्रोकली </span>खाने से न केवल स्वास्थ्य और पोषण मिलता है, बल्कि इसमें लो कैलोरी होने की वजह से वजन भी कम होता है। ब्रोकोली में मौजूद फिटोनुट्रिएंट एंजाइम को उत्तेजित कर, वसा कोशिकाओं में वसा को जलाने के लिए उत्तेजित करता है। अब आप जब भी सब्जियां खरीदने जाएं, तो ब्रोकली को कभी नजरअंदाज न करें। आप इसका सेवन सब्जी या सलाद के रूप में कर सकते हैं। <div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi5BKJezU4FvndhiQF_eBhKfK0w5N20OZb5tSBjSBWAOwBSPw6L5Hfn_Q41PDK4X2_64PzGNMQKmA_RLcHlPouJdSk_sUyhSzOPcIAnUC-Ljo0QXwuIYp5jNbxDO9Y5dYfyigwfwvV_1Zc/s1600/child+food1.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="160" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi5BKJezU4FvndhiQF_eBhKfK0w5N20OZb5tSBjSBWAOwBSPw6L5Hfn_Q41PDK4X2_64PzGNMQKmA_RLcHlPouJdSk_sUyhSzOPcIAnUC-Ljo0QXwuIYp5jNbxDO9Y5dYfyigwfwvV_1Zc/s320/child+food1.jpg" width="320" /></a></div>
</div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">दालें </span>भारतीय भोजन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसके विभिन्न प्रकार के स्वास्थ्य लाभ होते हैं। यह आयरन का अच्छा स्रोत है और इसकी कमी चयापचय को धीमा कर सकती है। अपने आहार में नियमित रूप से दालों को शामिल कर चयापचय दर को बनाये रखने और फैट को प्रभावी रूप से कम करने में मदद मिलती है। अकुरित दालों को आप सलाद के रूप में भी ले सकते हैं।</div>
</div>
RAJhttp://www.blogger.com/profile/03629974765289732103noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4970850955424214744.post-25173548307800087252016-11-02T13:37:00.000-04:002016-11-02T13:37:52.870-04:00लहसुन के फायदे और नुकसान<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="text-align: left;">
</div>
<div style="text-align: justify;">
<h2 style="text-align: center;">
<span style="color: red;">लहसुन के ये अद्भुत व गज़ब फायदे<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEivfEwrAx3taapv_eQhu3StpwCsEoA0yG1APPdZQXuoGtnAWTdtwD6qCYLCUThDFhcrk4iMpgIpgnWY8Ax3ZrAxIKu7xJRBfnBbFs7MG7kYQvT7E4yoGmBB1o_iXAWg1YHmJAIvlmDt0SM/s1600/garlic.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="346" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEivfEwrAx3taapv_eQhu3StpwCsEoA0yG1APPdZQXuoGtnAWTdtwD6qCYLCUThDFhcrk4iMpgIpgnWY8Ax3ZrAxIKu7xJRBfnBbFs7MG7kYQvT7E4yoGmBB1o_iXAWg1YHmJAIvlmDt0SM/s400/garlic.jpg" width="400" /></a></div>
</span></h2>
<br />आमतौर पर लहसुन का इस्तेमाल खाने के स्वाद को बढ़ाने के लिए किया जाता है लेकिन कम लोगों को ही पता होता है कि लहसुन के कई स्वास्थ्य लाभ भी हैं.</div>
<div style="text-align: justify;">
लहसुन में एलिसिन नामक मुख्य कंपाउंड होता है, जोकि एंटीबैक्टीरियल, एंटीवायरल, एंटीफंगल और एंटीऑक्सीडेंड गुणों से भरपूर होता है. साथ ही इसमें विटामिन और पोषक तत्व भी भरपूर मात्रा में होते हैं. विटामिन B1, B6, C होने के साथ ही इसमें मैगनीज, कैल्शियम, कॉपर, सेलेनियम और दूसरे प्रमुख लवण होते हैं.</div>
<div style="text-align: justify;">
हर रोज लहसुन की थोड़ी मात्रा का सेवन करने से कई बीमारियां दूर रहती हैं. लहसुन से ज्यादा से ज्यादा लाभ लेने के लिए इस कच्चा खाना चाहिए. बहुत ज्यादा पका देने से इसके कुछ स्वास्थ्यवर्धक तत्व नष्ट हो जाते हैं.</div>
<h3 style="text-align: justify;">
<span style="color: #990000;">लहसुन के फायदे:<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhbzxw7mJYCsKulrsCCnygoCRYjPzwadfKdpK1er0ZzTs876hHp2iwJSNSXh2wCYiDQgGeXsh0IDwQkpKThO30DU9UsovchVC2YfXLhYqy5BpzxCgRuHr35_VdpQiCG6yjRjqoQKd0PwWs/s1600/garlic+honey.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="300" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhbzxw7mJYCsKulrsCCnygoCRYjPzwadfKdpK1er0ZzTs876hHp2iwJSNSXh2wCYiDQgGeXsh0IDwQkpKThO30DU9UsovchVC2YfXLhYqy5BpzxCgRuHr35_VdpQiCG6yjRjqoQKd0PwWs/s400/garlic+honey.jpg" width="400" /></a></div>
</span></h3>
<div>
<ul>
<li>*दिल के स्वास्थ्य के लिए लहसुन से बेहतर कुछ भी नहीं. ये ब्लड सर्कुलेशन और लो कोलेस्ट्रॉल को बनाए रखने में मददगार होता है. इसकी इन खूबियों की वजह से दिल संबंधी कई बीमारियां अपने-आप ही दूर रहती हैं . दिल को स्वस्थ्य बनाए रखने के लिए हर रोज सुबह के समय लहसुन की एक कच्ची कली का सेवन करना फायदेमंद होता है.</li>
<li>*गठिया के दर्द में आराम के लिए भी लहसुन का इस्तेमाल फायदेमंद है. गठिया के मरीजों के लिए ये एक अचूक दवा है. इसका एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेट्री गुण गठिया के दर्द में काफी आराम पहुंचाता है. लहसुन को अपनी डाइट का हिस्सा बनाकर आप गठिया के दर्द में आराम पा सकते हैं.</li>
<li>*सर्दी और खांसी के इलाज में भी लहसुन एक कारगर औषधि है. शुरुआती सांस संबंधी बीमारी में भी लहसुन फायदेमंद है.</li>
<li>*लौंग की ही तरह लहसुन भी दांत दर्द में काफी फायदेमंद है. प्रभावित दांत में लहसुन का तेल लगाने से दांत के दर्द में राहत मिलती है. इससे इंफेक्शन का खतरा भी कम हो जाता है.</li>
<li>*लहसुन का इस्तेमाल पाचन तंत्र को भी मजबूत करता है. इसमें मौजूद कई पोषक तत्व खाने को पचाने में मदद करते हैं. इसके साथ कई रिसर्च में ये भी कहा गया है कि लहसुन का इस्तेमाल कैंसर से बचाव में भी मदद करता है. लहसुन का इस्तेमाल करने वालों में कैंसर होने के चांसेज काफी कम हो जाते हैं.</li>
<li>*फंगल इंफेक्शन में भी लहसुन काफी फायदेमंद है. कई बार पैरों की उंगलियों के बीच में फंगल इंफेक्शन हो जाता है. प्रतिदिन की डाइट में कच्चे लहसुन का इस्तेमाल करने से ऐसी बीमारियां दूर रहती हैं साथ ही उस जगह पर कच्चे लहसुन को पीसकर लगाने से भी फायदा होगा.</li>
<li>*इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए भी लहसुन एक बेजोड़ दवा है. इसमें मौजूद विटामिन सी, बी6 और दूसरे मिनरल्स इम्यून सिस्टम को बूस्ट करने का काम करते हैं. साथ ही ये संक्रमण से बचाव में भी कारगर है.</li>
<li>*हाइपरटेंशन को कंट्रोल करने के लिए भी लहसुन का इस्तेमाल काफी फायदेमंद है. ये हाई ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने का काम करता है. खासतौर पर सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर. उच्च रक्त चाप के मरीजों को निश्चित रूप से लहसुन का सेवन करना चाहिए.</li>
</ul>
<h3 style="text-align: left;">
<span style="color: red;">लहसुन की अधिक मात्रा आपके स्वास्थ्य को हानिकारक प्रभाव भी दे सकती हैं।</span></h3>
`````````````````````````````````````````````````````````````````````````````````<br /><ol style="text-align: left;">
<li>लहसुन सांस में बदबू, मुंह, पेट या सीने में जलन, गैस, मतली, उल्टी, शरीर में गंध और दस्त का कारण बन सकता है।</li>
<li>लहसुन के गाढ़े पेस्ट का त्वचा पर उपयोग त्वचा को जलने की तरह नुकसान पहुंचा सकता है।</li>
<li>गर्भावस्था एवं स्तनपान करानेवाली स्त्रियों को वैद्यराज की देखरेख में लेवे |</li>
<li>लहसुन के सेवन से खून का बहाव ज्यादा होता है। इसलिए अनुसूचित सर्जरी से कम से कम दो सप्ताह पहले लहसुन का सेवन करना बंद कर दें।</li>
<li>लहसुन गैस्ट्रोइंटेस्टिनल ट्रैक्ट में जलन पैदा कर सकता है। इसलिए अगर आपको पाचन संबंधी समस्या हो तो लहसुन का प्रयोग सावधानी से करे|</li>
<li>अधिक कच्चा लहसुन लेने के बाद एक स्वस्थ आदमी में दिल का दौरा पड़ने की संभावना हो जाती है|</li>
</ol>
</div>
</div>
RAJhttp://www.blogger.com/profile/03629974765289732103noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4970850955424214744.post-58408302309907210442016-10-21T09:24:00.000-04:002016-10-21T09:24:08.171-04:00बेकिंग सोडा के कुछ कमाल के टिप्स : बेकिंग सोडा एक नैचुरल स्क्रब है, जो कील मुंहासे और दांतों को सफेद करता है..."राज"<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<h2 style="text-align: center;">
<span style="color: #990000;">बेकिंग सोडा के हैं अनगिनत फायदे : राजेश मिश्रा <div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj_yh1Mb1NGfyjJpHQNfiQ9bqGnht-EHYnYJ4Ts03G-EzhQVLo82QkzY0SpJTP8jFOQU5GX8G0A7C_CW7Po01wXegxpyCr80A5IIWRdCzXuXL-6iQyiQXiCDFsJa7unBhOctO-xjSu_QA0/s1600/Gori+twacha.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="225" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj_yh1Mb1NGfyjJpHQNfiQ9bqGnht-EHYnYJ4Ts03G-EzhQVLo82QkzY0SpJTP8jFOQU5GX8G0A7C_CW7Po01wXegxpyCr80A5IIWRdCzXuXL-6iQyiQXiCDFsJa7unBhOctO-xjSu_QA0/s400/Gori+twacha.jpg" width="400" /></a></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
</div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
</div>
</span></h2>
<div style="text-align: justify;">
<b><span style="color: #20124d;">हल्दी, चंदन, बेसन के लाभ के बारे में तो </span><span style="color: red;">"राज"</span><span style="color: #20124d;"> सभी जानते हैं लेकिन किचिन में यूज होने वाले बेकिंग सोड़ा भी स्किन को ग्लोइंग और खूबसूरत बनाता है। बेकिंग सोडे का इस्तेमाल हम खाने-पीने की चीजों में करते हैं लेकिन इसके और भी बहुत सारे फायदे हैं, जिनके बारे में शायद आपको पता नहीं है। जी हां, बेकिंग सोडा खाने की चीजों के अलावा रूप निखारने में भी काफी इस्तेमाल किया जाता है। यह आपको आसानी से मार्किट में मिल जाता है और दूसरा यह महंगा भी नहीं है।बेकिंग सोडा एक नैचुरल स्क्रब है, जो कील मुंहासे और दांतों को सफेद करता है। हल्दी, चंदन, बेसन के लाभ के बारे में तो सभी जानते हैं लेकिन किचिन में यूज होने वाले बेकिंग सोड़ा भी </span><span style="color: #cc0000;">"राज"</span><span style="color: #20124d;"> स्किन को ग्लोइंग और खूबसूरत बनाता है।</span></b></div>
<div>
<h3 style="text-align: justify;">
<span style="color: #990000;">आइए पढ़ते हैं इसके फायदे:-</span></h3>
<h4 style="text-align: justify;">
<span style="color: #cc0000;">1. फेसवॉश<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjohnfeWOz_P8v1rsrfIfc7KHllZnatKmk8BpPFtZn8QYp14bezjyDINBHB0x67VRrUiFCvRC9SewHbCrBsM054nP_4RsK0b0z1fsxvXXW3SonfcXp3KN6sr8_AKe1ur0psNBp2AcZf8CM/s1600/Face+Wash.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="266" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjohnfeWOz_P8v1rsrfIfc7KHllZnatKmk8BpPFtZn8QYp14bezjyDINBHB0x67VRrUiFCvRC9SewHbCrBsM054nP_4RsK0b0z1fsxvXXW3SonfcXp3KN6sr8_AKe1ur0psNBp2AcZf8CM/s400/Face+Wash.jpg" width="400" /></a></div>
</span></h4>
<div style="text-align: justify;">
यह एक अच्छा फेसवॉश है। मेकअप को हटान के लिए बेकिंग सोडा में पानी मिलाकर चेहरे को धो लें। इससे मेकअप के कण अच्छे तरीके निकल जाएंगे।</div>
<h4 style="text-align: left;">
<span style="color: #990000;">2. पैरों की खूबसूरती</span></h4>
<div style="text-align: justify;">
बेकिंग सोडा का इस्तेमाल पैरों की खूबसूरती बढ़ाने के लिए किया जाता है। इसका प्रयोग पैडिक्योर के रूप में भी कर सकती हैं। यह पैरों की खूबसूरती को बढ़ाता है। इसके लिए एक टब में चार लीटर पानी लें । उसमें आधा कप बेकिंग सोडा डाल दें। आधे घंटे तक पैर को पानी में डालकर रखने के बाद अापके पैर खूबसूरत दिखाई देंगे।</div>
<h4 style="text-align: justify;">
<span style="color: #cc0000;">3. सनबर्न </span></h4>
<div style="text-align: justify;">
गर्मियों में धूप के कारण त्वचा सनबर्न का शिकार हो जाती है। सनबर्न से बचने के लिए बेकिंग सोडा और पानी को मिलाकर पेस्ट बना लें और इस पेस्ट को सनबर्न वाली जगह पर लगाएं। इससे सनबर्न का शिकार हुई अापकी त्वचा को तुरंत आराम मिलेगा।</div>
<h4 style="text-align: justify;">
<span style="color: #cc0000;">4. डार्क अंडरआर्म<br /><br /><div style="text-align: center;">
<img alt="बेकिंग सोडा के कुछ कमाल के टिप्स के लिए चित्र परिणाम" height="225" src="https://i.ytimg.com/vi/6NuGE8L6NMU/maxresdefault.jpg" width="400" /></div>
</span></h4>
<div style="text-align: justify;">
डार्क अंडरआर्म में कालेपन का सबसे बड़ा कारण जमा हुआ डेड स्किन सेल्स होता है। इसको स्क्रब करने से इसका कालापन दूर किया जा सकता है।। इसके लिए बेकिंग सोडा और पानी मिलाकर गाढ़ा पेस्ट बना कर अंडरआर्म पर स्क्रब करें। इससे अंडरआर्मस का कालापन दूर हो जाएगा।</div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiM4RoUtMBvcOZuGhJSY6JzHN76J8t9PHAH6CnZDugJaHrCArEveNjtpAOtG8Wr5FcAC6Psh3BLPzWQqUS6MQra-gWpBZw7IpqwkMvvbMzKVn_CUJCELaRaHvV3Vaspu6zZyfAPoreoOdI/s1600/6931948_orig.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="298" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiM4RoUtMBvcOZuGhJSY6JzHN76J8t9PHAH6CnZDugJaHrCArEveNjtpAOtG8Wr5FcAC6Psh3BLPzWQqUS6MQra-gWpBZw7IpqwkMvvbMzKVn_CUJCELaRaHvV3Vaspu6zZyfAPoreoOdI/s400/6931948_orig.jpg" width="400" /></a></div>
<h4 style="text-align: justify;">
<span style="color: #cc0000;">5.ब्लैकहेड्स<br /></span></h4>
<div style="text-align: justify;">
ब्लैकहेड्स की समस्या होने पर बेकिंग सोडा का इस्तेमाल करने से इनको दूर किया जा सकता है। सबसे पहले चेहरे को साफ करें । अब पानी और बेकिंग सोडा का मास्क बनाकर ब्लैकहेड्स वाले स्थान पर लगाएं। इससे ब्लैकहेड्स अौर मुंहासों की समस्या ठीक हो जाती हैं।</div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<div style="text-align: justify;">
घर में अगर बेकिंग सोडा रखा है तो उसके कमाल के फायदे हैं. बेकिंग सोडा खाने में इस्तेमाल में लाने के साथ ही किचन के कई महत्वपूर्ण जगहों पर काम आता है. ये हैं बेकिंग सोडा के कुछ कमाल के टिप्स:</div>
<h2 style="text-align: justify;">
<span style="color: blue;">टिप्स- </span></h2>
</div>
<div>
<div style="text-align: justify;">
<b><span style="color: #cc0000;">डस्टबीन में कुछ डालने से पहले थोड़ा-सा बेकिंग सोडा डालिए. बेकिंग सोडा डस्टबिन में होने से कचरा डालने से बदबू नहीं आएगी और साथ ही हर धुलाई के साथ डस्टबिन चमकता नजर आएगा.</span></b></div>
<ul style="text-align: left;">
<li style="text-align: justify;">- अगर वॉश बेसिन की नाली में कुछ फंस गया हो तो लगभग आधा कटोरी बेकिंग सोडा लेकर इसमें डाल दीजिए. इससे न सिर्फ नाली साफ होगी, बल्कि उसमें से आ रही बदबू भी जाती रहेगी.</li>
<li style="text-align: justify;">- अगर आपको भी वॉश बेसिन और बाथ टब को साफ करते समय उपयोग में लाने वाले केमिकल की महक अच्छी नहीं लगती, तो आप केमिकल की जगह बेकिंग सोडे का इस्तेमाल कर सकती हैं. एक स्पंज के टुकड़े में थोड़ा-सा बेकिंग सोडा लेकर हल्के हाथों से रगड़ते हुए बाथ टब को साफ कीजिए.</li>
<li style="text-align: justify;">- कई घरों का फ्रिज, सेब, अदरक, लहसुन, प्याज तथा अन्य कोई तेज महक से भरा रहता है. अगर आप भी इस समस्या से परेशान हैं तो एक छोटी कटोरी में बेकिंग सोडा लेकर फ्रिज में रख दीजिए. फ्रिज की दुर्गंध दूर हो जाएगी. कुछ दिनों बाद इस सोडे को बदल कर नया रख दीजिए.</li>
<li style="text-align: justify;">इसका इस्तेमाल करने के दौरान इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि ये बहुत कम देर के लिए ही शरीर के संपर्क में रहे. त्वचा पर इस्तेमाल करने से पहले इसे हाथ पर थोड़ा सा लगाकर पैच टेस्ट कर लेना चाहिए.</li>
</ul>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<h3 style="text-align: left;">
<span style="color: #cc0000;">बेकिंग सोडा के फायदे:<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhVARpERkHU46MoNtVdZwWWHVg78_gDrmqFRcx_vbVQil2tils-AwXDVUnwUTADNGudvAcG8jhczg4UainbuPj3Sb8Bc28FkegJF3VfdINos5gNRGO17gobICXos9sFv6LNK65hBNISMKE/s1600/reduce-pimples-naturally.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="266" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhVARpERkHU46MoNtVdZwWWHVg78_gDrmqFRcx_vbVQil2tils-AwXDVUnwUTADNGudvAcG8jhczg4UainbuPj3Sb8Bc28FkegJF3VfdINos5gNRGO17gobICXos9sFv6LNK65hBNISMKE/s400/reduce-pimples-naturally.jpg" width="400" /></a></div>
</span></h3>
<div style="text-align: justify;">
1. कील-मुंहासों से निजात पाने के लिए ये एक कारगर उपाय है. कील-मुहांसों को खत्म करने के साथ ही ये त्वचा का pH लेवल भी बैलेंस रखने में मददगार है. एक चम्मच बेकिंग सोडा में थोड़ा सा पानी मिलाकर पेस्ट बना लें. इस पेस्ट को प्रभावित जगह पर एक से दो मिनट के लिए लगाएं. दिन में 2 से 3 बार करने से फायदा होगा.</div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<div style="text-align: justify;">
2. दांतों के पीलेपन को दूर करने के लिए भी बेकिंग सोडा एक कारगर उत्पाद है. पीलापन दूर करने के साथ ही ये प्लार्क भी दूर करने का काम करता है. ब्रश में थोड़ी सी मात्रा में बेकिंग सोडा लगाकर ब्रश करने से दांतों का पीलापन चला जाता है. पर इसके ज्यादा इस्तेमाल से बचना चाहिए.</div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<div style="text-align: justify;">
3. सनबर्न दूर करने के लिए भी बेकिंग सोडा प्रयोग में लाया जाता है. बेकिंग सोडा को ठंडे पानी में मिलाकर एक गाढ़ा घोल तैयार कर लें और इस घोल को एक साफ कपड़े की मदद से प्रभावित जगह पर लगाएं. इससे लाभ होगा.</div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<div style="text-align: justify;">
4. गोरी रंगत पाने के लिए भी बेकिंग सोडा का इस्तेमाल किया जाता है. ये डेड सेल्स को हटाकर त्वचा में निखार लाता है. इसे गुलाब जल में घोलकर चेहरे पर कुछ मिनटों के लिए लगाने से फायदा होगा.</div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<div style="text-align: justify;">
5. दांतों की ही तरह नाखून के पीलेपन को दूर करने के लिए बेकिंग सोडा का इस्तेमाल किया जाता है. बेकिंग सोडा, पानी और हाइड्रोजन पराक्साइड के घोल में कुछ देर तक हाथ रखने से नाखून का पीलापन चला जाता है. इस प्रक्रिया को दिन में दो से तीन बार करने से लाभ होगा.</div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<div style="text-align: justify;">
6. शरीर की दुर्गंध को दूर करने के लिए भी बेकिंग सोडा का इस्तेमाल किया जाता है. ये पसीने को सोख लेता है और बदबू को दूर देता है. सोडा को पानी में मिलाकर अंडराआर्म्स में सफाई करने से फायदा होगा.</div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<div style="text-align: justify;">
7. बदबूदार बालों के लिए भी बेकिंग सोडा का इस्तेमाल किया जा सकता है. ऑयली हेयर वालों के लिए भी ये एक कारगर उपाय है. इसके इस्तेमाल से स्कैल्प हेल्दी बनते हैं.</div>
<div style="text-align: center;">
<img alt="बेकिंग सोडा के कुछ कमाल के टिप्स के लिए चित्र परिणाम" height="211" src="http://www.indilinks.com/wp-content/uploads/2016/09/dandruff_and_baking_soda.jpg" width="400" /></div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<div style="text-align: justify;">
8. अगर आपके बालों में डैंड्रफ हो गया है तो बेकिंग सोडा आपके लिए एक कारगर उपचार हो सकता है. गीले बालों में एक चम्मच बेकिंग सोडा धीरे-धीरे मलें और कुछ देर बाद उसे साफ कर लें. ऐसा करने से डैंड्रफ साफ हो जाएगा.</div>
</div>
</div>
RAJhttp://www.blogger.com/profile/03629974765289732103noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4970850955424214744.post-37824150354091667952016-09-28T08:26:00.000-04:002016-09-28T08:26:02.686-04:00शक्तिवर्धक फल, सब्जियां और दालें<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<h2 style="text-align: center;">
<span style="color: red; font-size: x-large;">शाकाहार अधिक पौष्टिक व गुणकारी<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjsHyZ8x1d5xPUAG3qhMOfiV7KrNxRxx2vrmgKWVtqts7hpBrhk7isXX_sNakkGsNq1yzP0pUlcXp66hXYAdBuuQUpyEh_n_P7ktHgfWRxkGs3qL_74Ajyi2y2yByaKndXHUsAroZM8to4/s1600/slim-healthy.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="290" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjsHyZ8x1d5xPUAG3qhMOfiV7KrNxRxx2vrmgKWVtqts7hpBrhk7isXX_sNakkGsNq1yzP0pUlcXp66hXYAdBuuQUpyEh_n_P7ktHgfWRxkGs3qL_74Ajyi2y2yByaKndXHUsAroZM8to4/s400/slim-healthy.jpg" width="400" /></a></div>
</span></h2>
<div style="text-align: left;">
<b><span style="color: purple;">गेहूँ, चावल, ज्वार, बाजरा, मक्का आदि के साथ यदि उचित मात्रा में दालें एवम् हरी सब्जियों का सेवन किया जाए तो </span><span style="color: red;">"राज"</span><span style="color: purple;"> मांसाहार की अपेक्षा शाकाहार सस्ता होने के साथ-साथ स्वादिष्ट, रोगप्रतिरोधक क्षमता से भरपूर और शक्तिवर्धक भी होता है।</span></b></div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<h3 style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">शक्तिवर्धक सब्जियों तथा फलों के गुण<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh4TRVXyX8tquNcOoHZLp0M2q1AdBtPJMvWDkBu6oGANR0g-InWhzxzAN5N2ID1MtRMwC33HtmKeDZHONXNQMJpBnTyGxak-pazvc2_qrfqqURf62HSrvj-Xa74fPPnl9AYT12ogoaCOx8/s1600/iStock.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="360" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh4TRVXyX8tquNcOoHZLp0M2q1AdBtPJMvWDkBu6oGANR0g-InWhzxzAN5N2ID1MtRMwC33HtmKeDZHONXNQMJpBnTyGxak-pazvc2_qrfqqURf62HSrvj-Xa74fPPnl9AYT12ogoaCOx8/s400/iStock.jpg" width="400" /></a></div>
</span></h3>
<h4 style="text-align: justify;">
<span style="color: #990000;">नींबू-lemon </span></h4>
<div>
<div>
<div style="text-align: justify;">
नींबू की गिनती फल तथा सब्जियों दोनों में कर सकते हैं एकगिलास उबलते हुए पानी में <b><span style="color: red;">"राज </span></b>एक नींबू निचोडकर पीते रहने से शरीर में नयी स्फूर्ति का अनुभव होता है। नेत्र ज्योति बढ़ती है। मानसिक दुर्बलता दूर होती है। अधिक काम करने से थकावट नहीं होती। नींबू पानी बिना चीनी-नमक के एक एक घूंट पीना चाहिए। लंम्बी बीमारी के बादकी कमजोरी खाना खाने से कहीं ज्यादा नींबू पानी से दूर होती है। पर रोज-रोज नहीं लेना चाहिए, आपका मोटापा काफी कम हो जाएगा और यह आम्लीय होताहै ज्यादा लेना नुकसानदायक हो सकता है।</div>
<div style="text-align: justify;">
- एक कप उबला पानी में एक चुटकी सेंधा नमक, एक चुटकी काला नमक, एक चम्मच-lemonचीनी, दस बूंद नींबू का रस, भूना हुआ जीरा चौथाई चम्मच मिलाकर पियें। इसे चाय की जगह पर पी सकते हैं, यह पाचन शक्ति, शारीरिक शक्ति बढ़ता है। कभी –कभी इसे पीते रहें ।</div>
<h4 style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">सेबःapple </span></h4>
</div>
<div>
<div style="text-align: justify;">
इसमें फासफोरस होता है, जो पेट को साफ करता है। सेब, विटामिन व खनिज जैसे तत्वों से भरपूर होता है। इसके छोटे-छोटे टुकडे कर शहद डालकरखायें ,फलकी गुणवत्ता बढजातीहै। सेब काटकर उस पर उबलता पानी डालें जब पानी ठंडा हो जाये तो सेब को मसल कर उसका शर्बत बनायें मीठे के लिये मिश्री डालें।यह छोटे बच्चों केलिये भी उपयोगी आहार है.बच्चों ,बडों सब को शक्ति व स्फूर्ति देता है। गठिया रोग में दो सेब रोज खायें।</div>
<div style="text-align: justify;">
प्रतिदिन एक सेब खाएँ। यह हमें अच्छा स्वास्थ्य प्रदान करेगा। सेब का सेवन हृदय रोगियों के लिए भी लाभदायक है। एनीमिया के रोगी सेब के रस का सेवन करें, लाभ होगा। भोजन के साथ सेब का सेवन करने से शराब पीने की आदत धीरे-धीरे छूट जाती है। कच्चे सेब के सेवन से अतिसार व कब्ज में आराम मिलता है। उच्च रक्तचाप में सेब खाने से बहुत राहत मिलती है। पथरी रोग में भी सेब का सेवन लाभप्रद सिद्ध होता ह</div>
<h4 style="text-align: justify;">
<span style="color: #990000;">पपीताः pappaya <div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh0wvCQvEjXQJwbH_Iu4ayPDwTnu82k0-9me3CvYuOJLnz5h-YMI5bybrHmLPwrBcYxF2VCgI0ji_sYi2HoUl_CkWbTzJ8VYHRNcfawPpJ1hpRoNsQquO7EUSYvb5SxERUUpNDrnvfglCk/s1600/pappaya.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="300" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh0wvCQvEjXQJwbH_Iu4ayPDwTnu82k0-9me3CvYuOJLnz5h-YMI5bybrHmLPwrBcYxF2VCgI0ji_sYi2HoUl_CkWbTzJ8VYHRNcfawPpJ1hpRoNsQquO7EUSYvb5SxERUUpNDrnvfglCk/s400/pappaya.jpg" width="400" /></a></div>
</span></h4>
</div>
<div>
<div style="text-align: justify;">
अच्छा पका हुआ पपीता ही खाना गुणकारी है। खाली पेट पपीता खाना ज्यादा लाभदायक होता है। इसके बाद दोपहर भोजन के बाद पपीता खाने से भोजन ठीक से हजम हो जाता है। पपीता सेवन से रक्तवाहिनी शिरायें लचीली होती हैं, रक्त सुचारु रूप से प्रवाहि होता है। ह्रदय रोग में सबसे ज्यादा लाभदायक है।</div>
<h4 style="text-align: justify;">
<span style="color: #990000;">आमःmango </span></h4>
</div>
<div>
<div style="text-align: justify;">
आम खाने से रक्तअधिक मात्रा में बनता है। दुबले लोगों का वजन बढ़ता है। शरीर में स्फूर्ति आती है। आम में शहद व ठंडे या गुनगुने दूध में मिलाकर पियें अधिक लाभकारी होता है.एनिमिक होने पर या गर्भवती महिलाएं अधिक मात्रा में खाएं।</div>
<h4 style="text-align: justify;">
<span style="color: #990000;">अंगूरःgrape </span></h4>
</div>
<div>
<div style="text-align: justify;">
शरीर को भरपूर आयरन (Iron) पौष्टिक तत्व : अंगूर में कैल्शियम, क्लोरिन, लोहा और बायफ्लवोनाइडस् हैं।</div>
<div style="text-align: justify;">
सुझाव : अंगूर में शक्कर की मात्रा बहुत ज़्यादा है। अंगूर जितने गहरे रंग का होता है <b><span style="color: red;">"राज </span></b>उतना ही पौष्टिक होता है। स्वाद के अनुसार हरे या गहरे लाल रंग के अंगूर खा सकते हैं। इन्हें दूध से बने कस्टर्ड, क्रीम दही या पुडिंग में बिना पकाए डाला जा सकता है) मिलता है।</div>
<div style="text-align: justify;">
करता है ताकि रक्तआस नी से प्रवाहित हो सके। आपको मांसल करता है। श्वेत प्रदर में लाभ होता है। गर्भवति महिलाओं का बच्चा स्वस्थ्य व बलवान होता है।</div>
<h4 style="text-align: justify;">
<span style="color: #990000;">मोनक्काः </span></h4>
</div>
<div>
<div style="text-align: justify;">
सर्दी के मौसम में मोनक्का लाभप्रद है। बीस मोनक्का गर्म पानी में धोकर रात को भिगो दें। प्रातः पानी पीलें तथा इसे खा लें। इसे नित्य प्रयोग करने से रक्तबढता है व शक्ति उत्पन्न होती है। दुर्बल-कमजोर रोगी को मोनक्का का पानी रोज पिलायें।मोनक्का से आयरन प्राप्त होता है ।एक पाव दूध में चार पांच मोनक्का उबालकर दूध पी जायें तथा पका हुआ मोनक्का भी खा जायें इससे कब्जियत दूर करता है।</div>
<h4 style="text-align: justify;">
<span style="color: #990000;">आंवलाः amla </span></h4>
</div>
<div>
<div style="text-align: justify;">
इसमें सारे रोगों को दूर रखने की शक्ति होती है। आंवला युवक को नवयौवनता प्रदान करता है। इसमें विटामिन सी सर्वाधिक होता है। एक आंवला दो संतरे के बराबर होता है। आंवला शक्ति का भंडार है। आंवला किसी प्रकार भी खायें स्वास्थ्य के लिये अच्छा होता है।एक आंवला रोज किसी भी रूप में लें.</div>
<h4 style="text-align: justify;">
<span style="color: #990000;">केलाः banana</span></h4>
</div>
<div>
<div style="text-align: justify;">
केला एक संपू्र्ण व संतुलित आहारमाना जाता हैजो बच्चे भोजन नहीं कर पाते उन्हे भोजन की जगह केला खिलाने से ताकत मिलती है।केला अपने में संपूर्ण भोजन की तरह होता है ।मांसपेशियां मजबूत होती है। वीर्यवर्धक होता है। केला एक फल ही नहीं है इसे जरूरत पडने पर रोटी की जगह भी खा सकते हैं. एक समय में तीन से अधिक केले नहीं खाना चाहिये। ताजा केला खाना सर्वोत्तम है। प्रातः दो केले पर थोड़ा सा घी लगाकर खाकर ऊपर से दूध पीयें। इससे शरीर पुष्ठ होता है।</div>
<h4 style="text-align: justify;">
<span style="color: #990000;">अमरूदःguava </span></h4>
</div>
<div>
<div style="text-align: justify;">
इसमें विटामिन सी 300 से 450 मि.ग्रा. तक होता है। ह्दय को बल, शरीर को स्फूर्ति देता है.पाचन क्रिया को सुचारू बनाता,होसके तो इसे भूंनकर भीखायें पेट के लिये फायदेमंद है.खाने को हजम करता है।</div>
<h4 style="text-align: justify;">
<span style="color: #990000;">छुआराः </span></h4>
</div>
<div>
<div style="text-align: justify;">
इससे केलशियम बहुत मात्रा में मिलता है। इसे खाकर ऊपर से दूध पीने से हड्डियों के सभी रोगों से निजात मिलता है।</div>
<h4 style="text-align: justify;">
<span style="color: #990000;">गाजरः </span></h4>
</div>
<div>
<div style="text-align: justify;">
रोज आधा गिलास गाजर के रसमें शहद मिलाकर पीने से कमजोरी दूर होती है। रक्त (हिमोग्लोबिन)बढता है। गाजर खाने से फाइबर अधिक मिलता है जिसकी सख्त जरूरत आपके शरीर को होती है।</div>
<h3 style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">शक्तिवर्धक सब्जियाँ vegetables<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhe3O_DTRasTYvqdYy5TaIt0xC4nQgLvAxpjGWUubAQNKxRdUm6kUcY__rbkX2wc3XY6Mh-DYXcnoc5k2hpiiAQ_YkuTRnREFEPiB8ie_y2grHP7hHA8LZ49ZqFUmGNHE_M1kFytscd-GE/s1600/makan-2Bsayuran.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="253" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhe3O_DTRasTYvqdYy5TaIt0xC4nQgLvAxpjGWUubAQNKxRdUm6kUcY__rbkX2wc3XY6Mh-DYXcnoc5k2hpiiAQ_YkuTRnREFEPiB8ie_y2grHP7hHA8LZ49ZqFUmGNHE_M1kFytscd-GE/s400/makan-2Bsayuran.jpg" width="400" /></a></div>
</span></h3>
<h4 style="text-align: justify;">
<span style="color: #cc0000;">मूलीः radish</span></h4>
</div>
<div>
<div style="text-align: justify;">
गन्धक, पोटाश, आयोडीन, कैलशियम, लोहा, फासफोरस, मैग्नीशियम, क्लोरीन मूली में बहुतायत पाया जाता है। एक मूली रोज खाने से हड्डियां मजबूत होंगी। ह्दय को बल मिलता है ।जॉडिस में सुबह खाली पेट अवश्य खायें.</div>
<h4 style="text-align: justify;">
<span style="color: #990000;">टमाटरः tomato </span></h4>
</div>
<div>
<div style="text-align: justify;">
प्रातः नाश्ते में एक ग्लास टमाटर के रस में थोड़ा सा शहद मिलाकर पियें चहेरा टमाटर की तरह लाल हो जायेगा, स्मरण शक्ति बढ़ती है, हाईब्लड प्रेशर घटता है, भूख बढ़ती है ,हिमोग्लोबिन बढ़ाता है तथा रक्त में लाल कणों को बढ़ाता है। टमाटर में लोहा दोगुना पाया जाता है। बच्चों को टमाटर का रस पिलाने से बलवान हष्टपुष्ट रहते हैं। बड़ी आंतों को ताकत देता है। उनके घाव को दूर करता है</div>
<h4 style="text-align: justify;">
<span style="color: #990000;">आलूःpotat </span></h4>
</div>
<div>
<div style="text-align: justify;">
आलुओं में <b><span style="color: red;">"राज </span></b>मुर्गों के चूजों जैसी प्रोटीन होती है। बड़ी आयु वालों के लिय बहुत लाभदायक है इसमें विटामिन .सी.अधिक मात्रामें पाया जाताहै.इसे भूनकर खायें तो डायबिटीस वालों को नुकसान नहीं करेगा.बच्चों को उबले आलू देना फायदेमंद है.छोटेबच्चों को आलू खिचडी में डालकर या अलग से उबालकर,मसलकरक खिलायें .</div>
<h4 style="text-align: justify;">
<span style="color: #990000;">लहसुनःgarlic </span></h4>
</div>
<div>
<div style="text-align: justify;">
दिन में तीनों बार खाने के साथ खाने से बल बढ़ता है। पाचन शक्ति ठीक होती है। प्रातः चार दाने खाकर दूध पीने से वीर्य बढ़ता है। नपुंसकता जाती है। यदि लहसुन नियमित खाने तो बुढापा जल्दी नहीं आता। झुर्रिर्यां नहीं पड़ती हैं ,कारण झुर्रियां धमनियों के सिकुडने से पड़ती हैं–।</div>
<h4 style="text-align: justify;">
<span style="color: #990000;">मूंगफलीःgroundnut </span></h4>
</div>
<div>
<div style="text-align: justify;">
इसमें प्रोटीन, चिकनाई पाई जाती है। इसकी चिकनाई घी से मिलती जुलती होती है। मूंगफली खाने से दूध बादाम घी की कमी पूरी होती है। अण्डे के बराबर प्रोटीन पाई जाती है। यह गर्म होती है इसलिए सर्दियों में खाना चाहिये, गरम प्रकृति के व्यक्तियों को हानिकारक है ज्यादा खाने से पित बढ़ता है। गर्भावस्था में नित्य मूंगफली खाने से शिशु की प्रगति में लाभ होता है। कच्ची मूंगफली खाने से दूध पिलाने वाली माताओं को दूध बढ़ता है। सर्दियों में सूखापन आ जाता है तो मूंगफली के तेल, गुलाब जल मिलाकर मालिश करें। सूखापन दूर होता है। मुठ्ठी भर मूंगफली तमाम पोषक तत्वों को पूरा करती है।</div>
<h3 style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">शक्तिवर्धक दालें dal<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhQXlA6YnsDtmmkcz3QEWjWp1oOUtyxPFdDZt4XjCqY56xrLo99Y7DctohEbbqVH9o0wLn_IqkJnAFi5aGZ6Pf58h-VOulcQV9FL_DYhwnzBhpFb5M7z0yLA8blnWYGkoIiZ63mIHbrwSA/s1600/4+%25281%2529.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="136" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhQXlA6YnsDtmmkcz3QEWjWp1oOUtyxPFdDZt4XjCqY56xrLo99Y7DctohEbbqVH9o0wLn_IqkJnAFi5aGZ6Pf58h-VOulcQV9FL_DYhwnzBhpFb5M7z0yLA8blnWYGkoIiZ63mIHbrwSA/s400/4+%25281%2529.jpg" width="400" /></a></div>
</span></h3>
<h4 style="text-align: justify;">
<span style="color: #990000;">मूंग दालmungdal</span></h4>
<div style="text-align: justify;">
- ज्वर में मूंगदाल देना उत्तम है।इसमें प्रोटीन भरपूर मात्रा में पाई जाती है ये दाल पचनें में हल्की होती है इस कारण मरीज के लिये उत्तम मानी जाती है। छिलके सहित काम में लेना चाहिये। मूंग दाल आंखों के लिये हितकारक है।</div>
<div style="text-align: justify;">
- लम्बे समय तक बीमार रहने के बाद मूंग की दान खाने से शक्ति बढ़ती है। मूंग पानी में उबाल कर नमक, काली मिर्च डालकर, हींग का तड़का लगाकर देने से सुपाच्य होता है व शक्ति बढ़ती है।</div>
<div style="text-align: justify;">
-मूंग सेककर पीसे, उससे उबटन लगायें पसीना आना बंद हो जायेगा।</div>
<div style="text-align: justify;">
-कब्जः चावल एक भाग दाल दो भाग मूंग मिलाकर खिचड़ी बनाये कब्ज दूर होगा। पेट साफ होगा।</div>
<div style="text-align: justify;">
-मूंग पानी में पीसकर जले स्थान पर लगाये लेप से जलन ठीक होगी।</div>
<div style="text-align: justify;">
- छिल्के सहित मूंग इतने पीनी में भिगायें कि पानी सोख ले। दो घंटे बाद पीसकर दाल, खाज पर लगायें लाभ होगा। </div>
<h4 style="text-align: justify;">
<span style="color: #990000;">उड़द दाल urad dal</span></h4>
<div style="text-align: justify;">
- मलमूत्र अधिक लाने वाली, गठिया, दमा, बवासीर, लकवा में लाभदायक इसकी दालें खायें।</div>
<div style="text-align: justify;">
-. शक्तिवर्धक उड़द किसी भी रूप में खाये शक्ति ही बढ़ायेगी। यह गरिष्ठ होती है, अच्छी पाचन शक्ति वाले ही खाये। उड़द खाने से शरीर में मांस बढ़ता है। दाल हींग से छौंकर खाने से इसके गुणों में वृद्धि होती है।</div>
<div style="text-align: justify;">
- साबुत उड़द जलते कोयले पर डालें इसका धुंआ सूंघे हिचकी मिट जायेगी।</div>
<div style="text-align: justify;">
- नकसीर सिर दर्द- उड़द की दाल पीसकर माथे पर लगाने से नकसीर, सिर दर्द ठीक होता है।</div>
<h4 style="text-align: justify;">
<span style="color: #990000;">अरहर दाल arhar dal</span></h4>
<div style="text-align: justify;">
जिन्हें अरहर की दाल नुकसान करती है किसी भी तरह से इसे घी में छौंकर खायें फिर किसी प्रकार हानि नहीं करेगी। इसे खोलकर पकाएं इसको उबाला पानी गिरा कर इसमें नमक मिर्च हल्दी डालकर बंद कर दें इसका झाग निकाल देनें से इससे यूरिया एसिड नहीं बनता।</div>
<div style="text-align: justify;">
हाइडोसिल- बच्चों की अगर पोत लटक जाये तो इसे भिगोकर, पीसकर गर्म कर लेप लगाये।</div>
<div style="text-align: justify;">
दाल प्रोटीन का अच्छा स्त्रोत है। कई दाले मिलाकर खाने से प्रोटीन के अतिरिक्त लोहा-चूना कार्बोहाइडेट पाया जाता है। सामान्य व्यक्ति को अपने आहार में सामान्य रूप से पचास ग्राम दालें सेवन करना चाहिये।</div>
<h4 style="text-align: justify;">
<span style="color: #990000;">मसूर दाल masoor dal</span></h4>
<div style="text-align: justify;">
मसूर दाल गर्म शुष्क रक्त बढ़ाने वाली रक्त को गाढ़ा करने वाली होती है। पचने में भारी होती है। घी का छौंक लगाकर खाने से नेत्रों को शक्ति मिलती है। मसूर, मूंग की दाल समान है। मूंग की जगह धुली मसूर प्रयोग कर सकते है। -</div>
<div style="text-align: justify;">
-.पेट के रोग- पाचन क्रिया से संबंधित हर प्रकार के रोग में मसूर की दाल खाना लाभप्रद है।</div>
<div style="text-align: justify;">
-फोडे फुनसी- मसूर की पुलिटिस लगाने से फोडे फूटकर मवाद सुखा देते है।</div>
<div style="text-align: justify;">
- मुंहासे व मुंहासे के दाग धब्बे- मसूर की दाल इतने पानी में भिगोये की पानी सोखले फिर पीसकर दूध में मिलाकर सुबह शाम चेहरे पर मलें।</div>
<div style="text-align: justify;">
-खूनी बवासीर- हो तो प्रायः भोजन के साथ मसूर की दाल खाने व एक गिलास खट्टी छाछ पीने से लाभ होता है।</div>
<h4 style="text-align: justify;">
<span style="color: #990000;">पापड papad</span></h4>
<div style="text-align: justify;">
शक्तिप्रद- जो किसी बीमारी से उठें हों। पाचन शक्ति दुर्बल हो तो पापड के साथ भोजन करने से भोजन शीघ्र पचता है। रक्त अधिक बनता है।</div>
</div>
</div>
</div>
RAJhttp://www.blogger.com/profile/03629974765289732103noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4970850955424214744.post-12042485670947156192016-09-21T04:37:00.000-04:002016-09-21T04:37:58.833-04:00वीर्यवृद्धि नपुंसकता दूर करने के लिए<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<h2 style="text-align: center;">
इमली के बीज मर्दाना शक्तिवर्धक</h2>
<div>
<div class="uiScaledImageContainer _4-ep" id="u_72_3" style="height: 180px; width: 320px;">
<a ajaxify="https://www.facebook.com/photo.php?fbid=1445635665454405&set=gm.1757788981142179&type=3&size=320%2C180&player_origin=photos" class="_4-eo" data-render-location="group" data-testid="theater_link" href="https://www.facebook.com/photo.php?fbid=1445635665454405&set=gm.1757788981142179&type=3" rel="theater" style="width: 320px;"><img alt="Image may contain: text" class="scaledImageFitWidth img" height="225" src="https://fbcdn-sphotos-c-a.akamaihd.net/hphotos-ak-xpl1/v/t1.0-9/14333608_1445635665454405_6828926430239271229_n.jpg?oh=423fd45125b81ef051ccd95cb5891227&oe=5880DBB8&__gda__=1484531740_33dd2949ebe81b36459a5dd52ef6e9c7" width="400" /></a></div>
</div>
<br /><br /><br />वीर्यवृद्धि के लिए सफेद प्याज के रस के साथ शहद लेने पर फायदा होता है। सफेद प्याज का रस, शहद, अदरक का रस और घी का मिश्रण 21 दिनों तक लगातार लेने से नपुंसकता दूर हो जाती है।<br /><br />शीघ्रपतन और सेक्शुअल डिजायर बढ़ाने के लिए<br />1.) 100 ग्राम अजवाइन को सफेद प्याज के रस में भिगोकर सुखा लें। सूख जाने पर फिर यही प्रक्रिया दोहराएं। ऐसा तीन बार करें। अच्छी तरह सूख जाने पर इसका बारीक पाउडर बना लें। अब इस पाउडर को पांच ग्राम घी और पांच ग्राम शक्कर के साथ सेवन करें। इस योग को इक्कीस दिन तक लेने पर शीघ्रपतन की समस्या से राहत मिलती है। एक किलो प्याज का रस, एक किलो शहद और आधा किलो शक्कर मिलाकर डिब्बे में पैक कर लें। इसे पंद्रह ग्राम की मात्रा में एक माह तक नियमित सेवन करें। इस योग के प्रयोग से सेक्शुअल डिजायर में वृद्धि होती है।<br /><br />2.) एक किलो प्याज के रस में आधा किलो उड़द की काली दाल मिलाकर पीस कर पेस्ट बना लें। इसे सुखाकर एक किलो प्याज के रस में मिलाकर फिर से पीस लें। इस पेस्ट को दस ग्राम मात्रा में लेकर भैंस के दूध में पकाएं और शक्कर डाल कर पी जाएं। इस योग का सेवन तीस दिन तक नियमित सुबह-शाम सेवन करने से कमजोरी दूर होती है और कामेच्छा में बढ़ोतरी होती है।<br /><br /><img alt="Image result for प्याज और अजवायन" height="225" src="https://i.ytimg.com/vi/YwLA94URLj0/maxresdefault.jpg" width="400" /><br />इमली के बीज बहुत लाभकारी हैं। इमली काम में ले लेने के बाद इसके बीज प्राय: फेंक दिए जाते हैं। आपको पता नहीं हैं के इमली के बीज मर्दाना शक्तिवर्धक स्वप्न दोष धातु की कमज़ोरी और स्त्रियों के प्रदर रोग में भी बहुत लाभकारी हैं। ये सस्ती और मर्दाना ताक़त के लिए बहुत बढ़िया दवा हैं। इस से वीर्य गाढ़ा हो स्तम्भन शक्ति बढ़ जाती हैं। आइये जाने इसके प्रयोग की विधि।<br /><br />बनाने की विधि<br /><br />250 ग्राम इमली के बीज भाड़ में भुनवा लीजिये या घर पर ही भून लीजिये। फिर इनको कूटकर छिलका उतार ले। इसमें 250 ग्राम बुरा खांड मिला ले। इसके दो चम्मच नित्य प्रात: गर्म दूध से फंकी ले। यह स्वप्न दोष और मर्दाना शक्ति बढ़ाने में लाभदायक हैं। स्त्रियों का प्रदर भी इससे ठीक होता हैं।<br /><br />इसका चूर्ण बनाने की दूसरी विधि<br /><br />250 ग्राम बीजो को चार दिन पानी में भिगोये और फिर छिलके उतार कर छाया में सुखाये। सूखने पर पीसकर समान भाग मिश्री मिलाकर पीसें। चौथाई चम्मच नित्य दूध से दो बार सुबह शाम इसकी फंकी ले। ५० दिन सेवन से शीघ्र पतन दूर होगा, वीर्य गाढ़ा हो जायेगा।<br />विशेष।<br /><br />जिन युवको को धातु की कमज़ोरी हो या पेशाब में धात गिरती हो तो उनको हर रोज़ एक चममच आंवला और मिश्री का एक समान बना हुआ चूर्ण एक चम्मच रात्रि को सोने से पहले गुनगुने दूध के साथ ज़रूर सेवन करना चाहिए।</div>
RAJhttp://www.blogger.com/profile/03629974765289732103noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4970850955424214744.post-11446421055312220612016-09-20T03:22:00.002-04:002016-09-20T03:22:32.018-04:00चिकनगुनिया : कारण, लक्षण और घरेलू उपचार-राजेश मिश्रा<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br />
<div style="clear: right; float: right; margin-bottom: 1em; margin-left: 1em;">
</div>
<br />
<h2>
<span style="color: red;">इस तरह मिल सकता है चिकुनगुनिया से राहत<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjmz2JvtUbXN203k0LRKOINLNxEQ-s43HoDSIrDUkN6Yp-kI8wFbhlpkmdfgpNBr1_qFQ7oPx2RNoetJ8v3lwbelQ8DrE0vcfXbgvMuvX1QDVGf7m3Ao4bHacFKU9TCNVZ_GQzRDCcr2Jo/s1600/sleeping-with.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="212" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjmz2JvtUbXN203k0LRKOINLNxEQ-s43HoDSIrDUkN6Yp-kI8wFbhlpkmdfgpNBr1_qFQ7oPx2RNoetJ8v3lwbelQ8DrE0vcfXbgvMuvX1QDVGf7m3Ao4bHacFKU9TCNVZ_GQzRDCcr2Jo/s400/sleeping-with.jpg" width="400" /></a></div>
</span><img height="210" src="http://www.youthensnews.com/wp-content/uploads/2016/09/chikungunya.jpg" width="400" /><span style="color: red;">
</span></h2>
<h3 style="text-align: left;">
<span style="color: #0c343d;">Chikungunya Fever in Hindi | चिकनगुनिया बुखार क्या है<br /><br />Chikungunya Fever (चिकनगुनिया बुखार) भी मच्छरों के संक्रमण से फैला हुआ एक तरह का बुखार है –डेंगू की तरह इसका भी प्रकोप बड़ी तेजी से देखनो को मिल रहा है । इस बीमारी की पूरी जानकारी न होने के कारण लोगो में इसका डर काफी ज्यादा देखनो को मिल रहा है. लेकिन हम, यह स्पष्ट कर देना चाहते है की यह बुखार डेंगू बुखार इतना प्रभावशाली नहीं होता, इसमें रोगी के जान जाने की खतरा न के बराबर ही होती है । लेकिन पहले से अस्वस्थ , बुजुर्गों और बच्चों के जीवन के लिए यह खतरनाक साबित हो सकता है । डॉक्टर की सलाह, समय पर रोकथाम और उचित देखरेख से इसका इलाज पूर्णतयः सम्भव है. इसलिए किसी भी दहशत और अफवाहों में न आए और "</span><span style="color: red;">राज"</span><span style="color: #0c343d;"> द्वारा सुझाए गए निर्देशो को पालन करे —</span></h3>
चिकनगुनिया बुखार से बचने के तरीके<br />
चिकनगुनिया के लक्षण<br />
चिकनगुनिया से जुड़े परीक्षण<br />
चिकनगुनिया के घरेलू उपचार<br />
चिकनगुनिया का इलाज<br />
<h3 style="text-align: left;">
<span style="color: #20124d;">Chikungunya History in Hindi | चिकनगुनिया बुखार का इतिहास :राज</span><span style="color: #20124d;"> <div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhds0AQAFiCbiB8G7kwyavNn2XqErx5b6Aq-AruCzKGaRxx53FHXxnzWWk1FwaAaWKDHsYiZTiAoPXpxxtLZxkSNdTZahxr3wkJCczu2LfLctKRzZSjaKbLSHZYF-Osoq2P5d3s8sBDG6Y/s1600/home-remedies-for-cold.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="265" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhds0AQAFiCbiB8G7kwyavNn2XqErx5b6Aq-AruCzKGaRxx53FHXxnzWWk1FwaAaWKDHsYiZTiAoPXpxxtLZxkSNdTZahxr3wkJCczu2LfLctKRzZSjaKbLSHZYF-Osoq2P5d3s8sBDG6Y/s400/home-remedies-for-cold.jpg" width="400" /></a></div>
</span></h3>
जानकारों का मानना है की, इस रोग को सबसे पहले, तंज़ानिया Tanzania, मारकोंड प्लेटू Markonde Plateau, मोजाम्बिक Mozambique और टनगानिका Tanganyika पर 1952 में फैलते देखा गया था। Markonde इलाके में स्वाहिली भाषा बोली जाती है जिसमें चिकनगुनिया का मतलब होता है- “अकड़े हुए आदमी की बीमारी।” एक खास प्रजाति का मच्छर ही चिकनगुनिया फैलाता है जिसे एडिस एजेप्टी कहा जाता है, इस मच्छर की पहचान एक जर्मन डॉक्टर जोहान विल्हेम ने 1818 में की थी । एडिस एजिप्टी’ ग्रीक नाम है जिसका मतलब होता है ‘बुरा मच्छर’ । इस रोग को पहली बार मेरोन रोबिंसन तथा लुम्स्डेन ने वर्णित किया था। यह पहली बार तंजानिया मे फैला था।<br />
<h2 style="text-align: left;">
<span style="color: red;">Chikungunya Causes in Hindi </span></h2>
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<span style="color: red;">चिकनगुनिया बुखार के कारण : </span><span style="color: #20124d;">राज</span></h2>
<br />
Chikungunya Fever, चिकनगुनिया वायरस संक्रमित मच्छरों के काटने से होता है । चिकनगुनिया वायरस एक अर्बोविषाणु है, जिसे अल्फाविषाणु परिवार का माना जाता है। इसका संवाहक एडीज एजिप्टी मच्छर है जो की डेंगू बुखार और येलो फीवर का भी संवाहक होता है, इस तरह के मच्छर बरसाती पानी जमा होने से तेजी से पनपते हैं।<br />
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<span style="color: #cc0000;">चिकनगुनिया बुखार के लक्षण<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjPFWfR-RnjBoBcCzjkzTgg4yJYlamk6SWtAQNf67Lh0l_eDk-UgBROGd4W-8LADGQC03yI5pHuRD4-iF1WFnCCZCBas1fA5ndH2EyxDOu3w1ZFWZASCHpxadkiw9eGMGRod6JBYCGbRxw/s1600/Migraine1.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="248" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjPFWfR-RnjBoBcCzjkzTgg4yJYlamk6SWtAQNf67Lh0l_eDk-UgBROGd4W-8LADGQC03yI5pHuRD4-iF1WFnCCZCBas1fA5ndH2EyxDOu3w1ZFWZASCHpxadkiw9eGMGRod6JBYCGbRxw/s400/Migraine1.jpg" width="400" /></a></div>
</span></h2>
साधारणतः चिकनगुनिया बुखार के लक्षण संक्रमण होने के 2 से 7 तक ही रहते हैं लेकिन साधारणतः रोगी की दशा और उम्र पर भी यह निर्भर करता है । चिकनगुनिया बुखार के लक्षण एक से अधिक भी हो सकते है । सामान्यत: चिकनगुनिया बुखार के लक्षण कुछ ऐसे होते हैं —<br />
➥ रोगी को अचानक बिना खांसी व जुकाम के तथा ठंड व कपकंपी के साथ अचानक तेज़ बुख़ार चढ़ना<br />
➥ जोड़ों में तेज दर्द के साथ सूजन होना<br />
➥ तेज बुखार (104-105 F) जो की 2-7 दिन तक लगातार रहना<br />
➥ रोगी के सिर के अगले हिस्से , आंख के पिछले भाग में रहना , कमर, मांसपेशियों तथा जोड़ों में दर्द होना।<br />
➥ मिचली nausea, उल्टी vomiting आना या महसूस होना<br />
➥ शरीर पर लाल-गुलाबी चकत्ते red rashes होना<br />
➥ आँखों लाल रहना ,आँखों में दर्द रहना<br />
➥ हमेशा थका-थका और कमजोरी महसूश करना<br />
➥ भूख न लगना, खाने की इच्छा में कमी, मुँह का स्वाद ख़राब होना, पेट ख़राब हो जाना,<br />
➥ नींद न आना या नींद में कमी<br />
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<span style="color: #741b47;">Chikungunya Checkup and test in Hindi </span></h2>
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<span style="color: #741b47;">चिकनगुनिया बुखार से जुड़े जाँच </span><span style="color: red;">: </span><span style="color: #20124d;">राज</span></h2>
चिकनगुनिया बुखार से जुड़े जाँचो में आरटी-पीसीआर, रक्त सीरम की जाँच और वायरस पृथक्करण मुख्य है जिससे रोगी में चिकनगुनिया बुखार होने का पता लगया जा सकता है ।<br />
<span style="color: #cc0000;">Virus Isolation :</span> संक्रमण के शुरुआत के दिनों में रक्त से चिकनगुनिया के वायरस को अलग कर परिक्षण करने के लिए यह जांच की जाती हैं।<br />
<span style="color: red;">Enzyme-Linked Immunosorbent assays (ELISA) Test </span>: इससे चिकनगुनिया के antibodies रक्त में है या नहीं यह जांच की जाती हैं।<br />
<span style="color: #cc0000;">Complete Blood Count (CBC) Test :</span> इस रक्त परिक्षण में सफेद रक्त कण (White Blood Cells) और Platelet Count में कमी आने पर चिकनगुनिया होने की आशंका का निर्धारण किया जाता है ।<br />
Reverse Transcriptase – Polymerase Chain Reaction (RT-PCR) Test : इससे चिकनगुनिया के Gene की जांच की जाती हैं ।<br />
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<span style="color: #351c75;">Chikungunya Precautions and Prevention in Hindi | चिकनगुनिया से बचाव के तरीके</span></h2>
चूँकि चिकनगुनिया बुखार, मच्छरों के काटने से होता है । सम्भवतः जितना हो सके मच्छरों से बचा जाए<br />
<br />
➥ घर में सोते समय मच्छर दानी का प्रयोग करें ।<br />
➥ घर में मच्छर भगाने वाले कॉयल , लिक्विड,इलेक्ट्रॉनिक बैट आदि का प्रयोग करें।<br />
➥ बाहर जाने से पहले मोस्कीटो रेप्लेंट क्रीम का प्रयोग करें ।<br />
➥ आपके घर के आसपास जलजमाव वाली जगह के सफाई का खासा ख्याल रखे । जलजमाव बिल्कुल भी न होने दे<br />
➥ घर के दरवाजे , खिड़कियों और रोशनदानों पर जालियां लगाकर रखे ।<br />
➥ टायर, डब्बे ,कूलर, A/C, पशुओ के लिए रखे पानी, गमले में रुके पानी को बदलते रहे और 2-3 दिन में साफ़ करते रहे<br />
➥ खाली बर्तनों को खुले में न रखे और उसे ढक कर रखे ।<br />
➥ अगर आस-पास में किसी को यह संक्रमण है तो विशेष सावधानी बरते।<br />
➥ अगर 2-3 दिन से अधिक समय तक बुखार हो तो तुरन्त चिकत्सक से मिले और रक्तजाच जरूर करा लें ।<br />
<br />
उपरोक्त लक्षण दिखने पर चिकित्सक के पास जाकर चिकनगुनिया बुखार के लक्षण का संदेह व्यक्त करे । डॉक्टर की सलाह, समय पर रोकथाम और उचित देखरेख इस रोग से संक्रमित व्यक्ति के लिए बहुत ही आवश्यक है.<br />
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<span style="color: #990000;">चिकनगुनिया से बचने के प्राकृतिक एवं घरेलू तरीके </span><span style="color: red;">: </span><span style="color: #20124d;">राज</span></h3>
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<span style="color: #990000;">Chikunguniya Natural and Home remedies in Hindi<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhgZwnrg3WWLV0bm5nJnzCEu3M68KAYllSEDeLBZvs1oou05DHWiQa58nR8KN3tZbfduBkwOM2h5KsZmEAlA-w38uY5Shg3cnSNAkDgwFM3R7bE_Gpfkwj6gnmFmfNz6w4c5gdkxtsOW2E/s1600/pp+%25281%2529.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="300" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhgZwnrg3WWLV0bm5nJnzCEu3M68KAYllSEDeLBZvs1oou05DHWiQa58nR8KN3tZbfduBkwOM2h5KsZmEAlA-w38uY5Shg3cnSNAkDgwFM3R7bE_Gpfkwj6gnmFmfNz6w4c5gdkxtsOW2E/s400/pp+%25281%2529.jpg" width="400" /></a></div>
</span></h3>
<br />
➥<span style="color: red;">बकरी का दूध :-</span> डेंगू बुखार के साथ ही साथ चिकनगुनिया बुखार के इलाज के लिए भी बकरी का दूध बहुत ही उपयोगी है क्योंकि यह सीधे प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित करता है, ऊर्जा देता है, शरीर में जरूरी तरल की आपूर्ति करता है और आवश्यक पोषक तत्वों की कमी नहीं होने देता।<br />
<br />
➥<span style="color: #cc0000;">पीपते के पत्ते :-</span> पपीते की पत्तियां न सिर्फ डेंगू बल्कि चिकुनगुनिया में भी उतनी ही प्रभावी है। उपचार के लिए पपीते की पत्तियों से डंठल को अलग करें और केवल पत्ती को पीसकर उसका जूस निकाल लें। दो चम्मच जूस दिन में तीन बार लें । यह बॉडी से टॉक्सिन बाहर निकालने तथा प्लेटलेट्स की गिनती बढ़ाने में मदद करता है ।<br />
<br />
➥<span style="color: red;">तुलसी के पत्ते और काली मिर्च :</span>- 4 – 5 तुलसी के पत्ते, 25 ग्राम ताजी गिलोय का तना लेकर कूट लें एवं 2 – 3 काली मिर्च पीसकर 1 लीटर पानी में गर्म कर ले । जब पानी की मात्रा 250 M.L. तक रह जाए , तो उतार ले और यह काढ़ा रोगी को थोड़े समय के अंतराल पे देते रहे,यह ड्रिंक आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाती है और एंटी-बैक्टीरियल तत्व के रूप में कार्य करती है।<br />
<br />
➥<span style="color: red;">तुलसी अजवायन और नीम के पत्तियां </span>– अजवायन, किशमिश, तुलसी और नीम की सूखी पत्तियां लेकर एक गिलास पानी में उबाल लें। इस पेय को बिना छानें दिन में तीन बार पीना चाहिए। तुलसी का काढ़ा और उसकी पत्तियों को उबालकर पीने से राहत मिलती है।<br />
<br />
➥<span style="color: red;">मेथी के पत्ते :</span>- इसकी पत्तियों को पानी में भिगोकर, छानकर पानी को पीया जा सकता है। इसके अलावा, मेथी पाउडर को भी पानी में मिलाकर पी सकते हैं। यह पत्तियां बुखार कम करने में सहायता करती है ।<br />
<br />
➥ <span style="color: red;">एप्सम साल्ट (Epsom salt) :-</span> एप्सम साल्ट की कुछ मात्रा गरम पानी में डालकर उस पानी से स्नान करे । इस पानी में नीम की पत्तियां भी मिलाएं। ऐसा करने से भी दर्द से राहत मिलेगी और तापमान नियंत्रित होगा।<br />
<br />
➥<span style="color: red;">गिलोय :-</span> गिलोय के तनों को तुलसी के पत्ते के साथ उबालकर डेंगू पीड़ित व्यक्ति को देना चाहिए । यह मेटाबॉलिक रेट बढ़ाने, इम्युनिटी और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत रखने और बॉडी को इंफेक्शन से बचाने में मदद करती है।<br />
<br />
➥<span style="color: red;">हल्दी :-</span> हल्दी में मेटाबालिज्म बढ़ाने का गुण होता है, यह दर्द और घाव को जल्दी ठीक करने में भी उपयोगी होता है । हल्दी का सेवन दूध में मिलाकर किया जा सकता है।<br />
<br />
➥<span style="color: red;"> लहसुन और सजवायन की फली (Garlic and drum stick):-</span> किसी भी तेल में लहसुन और सजवायन की फली मिलाकर तेल गरम करें और इस तेल से रोगी की मालिश करें। इसके सेवन से दर्द में काफी आराम मिलता है<br />
<br />
➥ <span style="color: red;">फलों का रस,</span> दूधश् दही, लाइट जल्दी पचने वाली चीजें सेवन करें । विटामिन-सी युक्त, आयरन, इलेक्टक्रेलाइट, ओआररस लेते रहें जो कि शरीर को बुखार से थ्रोमबोसाटोपनिया होने से बचाने में सहायक है।<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhQQ-nf22ThoXeHzKrt_7YymMRW476ngO3oNeiiviUlLvQdKO1VbCLooFm-ntDQ9htwCH38o4tgc3A3r8YJOa-qtg7aF6PnpYfxHoIcfwOysVgkKVDquTdmWdh4vZ9UI6kl5_VhHIH3Irk/s1600/images.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="259" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhQQ-nf22ThoXeHzKrt_7YymMRW476ngO3oNeiiviUlLvQdKO1VbCLooFm-ntDQ9htwCH38o4tgc3A3r8YJOa-qtg7aF6PnpYfxHoIcfwOysVgkKVDquTdmWdh4vZ9UI6kl5_VhHIH3Irk/s400/images.jpg" width="400" /></a></div>
<br />
<br />
➥ <span style="color: #cc0000;">कच्चा गाजर</span> खाना भी काफी लाभदायक होता है । यह रोगी की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है साथ ही जोड़ों के दर्द से भी राहत देती है।<br />
<br />
➥ चिकुनगुनिया बुखार के लिए गिलोय, पपीता पत्ते, एलोवेरा/मुसब्बर वेरा का रस और बकरी का दूध देना लाभप्रद होता है।<br />
<br />
** लेकिन इन सभी घरेलू औषधियों का प्रयोग किसी योग्य चिकित्सक के देखरेख में ही किया जाना चाहिए।<br />
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<span style="color: #990000;">Ayurvedic medicine of Chikungunya in hindi</span></h3>
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<span style="color: #990000;">चिकनगुनिया का आयुर्वेदिक इलाज </span><span style="color: red;">: </span><span style="color: #20124d;">राज</span></h3>
नीचे दी गई दवाओं को 2 सप्ताह तक, गर्म पानी के साथ लें। सटीक दवा शरीर में देखे जा रहे लक्षणों, दवा के प्रभाव पर तय की जाती है।<br />
संजीवनी वटी (100 mg) दिन में दो बार।<br />
सुदर्शन घन वटी 500mg 1 गोली दिन में तीन बार।<br />
अमृतारिष्ट 15-30 ml दिन में दो बार।<br />
<br />
अथवा<br />
संजीवनी वटी (100 mg) दिन में दो बार।<br />
त्रयोदशांग गुग्गुलु 500mg दिन में तीन बार।<br />
महारस्नादी क्वाथ 45 ml दिन में दो बार।<br />
<span style="color: red;">बुखार और दर्द:</span> दशमूल काढ़ा का सेवन करें।<br />
<span style="color: red;">बुखार के लिए:</span> पटोलादि क्वाथ अथवा पञ्च तिक्त क्वाथ अथवा सुदर्शन चूर्ण का सेवन करें।<br />
बुखार जिसमें कफ की अधिकता हो: निम्बादी क्वाथ<br />
<span style="color: red;">आमवात, गठिया, आर्थराइटिस जैसी स्थिति:</span> रस्नादी क्वाथ अथवा महारास्नादि क्वाथ अथवा महा योगराज गुग्गुलु अथवा योगराज गुग्गुलु अथवा रसना सप्तक क्वाथ का सेवन करें।<br />
<span style="color: #cc0000;">पुराने बुखार में</span>: आरोग्यवर्धिनी गुटिका का सेवन करें।<br />
<span style="color: red;">त्वचा पर दाने/रैशेस:</span> गुडूच्यादी क्वाथ अथवा बिल्वादी गुटिका अथवा हरिद्रा खण्ड का सेवन करें।<br />
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<span style="color: #990000;">चिकनगुनिया में गुग्गुलु का सेवन</span></h3>
गुग्गुलु क्योंकि शरीर में सूजन को दूर करते हैं इसलिए चिकनगुनिया में विशेष रूप से उपयोगी है। जब बुखार ठीक भी हो जाता है तो श्री में जोड़ों की दिकात रह जाती है। ऐसे में निम्न से किसी एक गुग्गुलु का सेवन शरीर में दर्द सूजन में राहत देता है:<br />
अमृता गुग्गुलु Amrita Guggulu (2 tablets twice daily)<br />
योगराज गुग्गुलु Yogaraj guggulu (2 tablets thrice daily)<br />
महायोगराज गुग्गुलु Maha yogaraja Guggulu (2 tablets twice daily)<br />
सिंहनाद गुग्गुलु Simhanada Guggulu (2 tablets thrice daily)<br />
गोक्षुरादी गुग्गुलु Gokshuradi Guggulu (2 tablets twice daily)<br />
कैशोर गुग्गुलु Kaishore Guggulu (2 tablets twice daily)<br />
त्रयोदाशांग गुग्गुलु Trayodashanga Guggulu (2 tablets thrice daily)<br />
सिद्ध की एक हर्बल दवा Nilavembu kudineer chooranam भी चिकनगुनिया में लाभकारी है। इसमें बुखार दूर करने के antipyretic, सूजन नष्ट करने के anti-inflammatory और दर्द निवारक analgesic गुण है।<br />
क्लोरोक्विन फास्फेट (250 मिलीग्राम) Chloroquine Phosphate (250 mg) दिन में एक बार दैनिक देने से से चिकनगुनिया से पीड़ित लोगों में लाभ देखा गया है।<br />
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<span style="color: #990000;">Herbal medicine of Chikungunya in Hindi<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjZYIYEZbCWrSR1Pjl3OjJOkqBp6HEg7fKNrDbTS2V2jy9FRmYlJopf7P1ksskhAAl_zNfuDvfC-HHJvKDCyu5QmkPf4bqsG4tGmyya7cjgicdZ4aSRJex_hd0wWO1wNHAIW1hMtOr40l8/s1600/Ginger+Tea.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="265" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjZYIYEZbCWrSR1Pjl3OjJOkqBp6HEg7fKNrDbTS2V2jy9FRmYlJopf7P1ksskhAAl_zNfuDvfC-HHJvKDCyu5QmkPf4bqsG4tGmyya7cjgicdZ4aSRJex_hd0wWO1wNHAIW1hMtOr40l8/s400/Ginger+Tea.jpg" width="400" /></a></div>
</span></h3>
<ul style="text-align: left;">
<li>गिलोय</li>
<li>सोंठ</li>
<li>कालमेघ</li>
<li>पाठा</li>
<li>तुलसी</li>
<li>नीम</li>
<li>त्रिफला</li>
<li>मंजीठ</li>
<li>रसना</li>
<li>गुग्गुलु</li>
<li>हल्दी</li>
<li>निर्गुन्डी</li>
<li>अदरक का रस</li>
<li>त्रिफला का काढ़ा</li>
</ul>
आदि का प्रयोग घरेलू उपचार की तरह किया जा सकता है।<br />
source by – http://www.bimbim.in/ayurved/chikungunya/2699<br />
<h3 style="text-align: left;">
<span style="color: #990000;">Homeopathic medicine of Chikungunya in Hindi</span></h3>
<h3 style="text-align: left;">
<span style="color: #990000;">चिकनगुनिया का होमियोपैथिक इलाज</span></h3>
Eupatorium-perf<br />
Pyroginum<br />
Rhus-tox<br />
Cedron<br />
Influenzinum<br />
China<br />
Arnica<br />
Belladona<br />
Bryonia<br />
<br />
Sourced by – http://treatment.hpathy.com/homeo-medicine/homeopathy-chikungunya/<br />
<h3 style="text-align: left;">
<span style="color: #990000;">Chikungunya Treatment in Hindi<br /> चिकनगुनिया का इलाज</span></h3>
<div>
<b><span style="color: red;">Chikungunya Fever</span></b> का फिलहाल अभी तक medical science में कोई सत्यापित इलाज नहीं है – हमारे द्वारा सुझाए गए चिकनगुनिया से बचाव के तरीके / Chikunguniya prevention in Hindi और चिकनगुनिया के घरेलू और प्राकर्तिक इलाज / Chikungunya home remedies and natural treatment in Hindi सबसे बेहतरीन इलाज है । डॉक्टर की सलाह अनुसार दवा , ब्लड टेस्ट, समय पर रोकथाम और उचित देखरेख से काफी हद तक इसपे काबू पाया जा सकता है ।<br />
<h3 style="text-align: left;">
<span style="color: red;">** चेतावनी –<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
</div>
</span><span style="color: red;">: </span><span style="color: #20124d;">राज</span></h3>
➥ अगर किसी को बुखार हो रखा हो तो, (खासकर डेंगू के सीजन में) तो एस्प्रिन (Asprin) बिल्कुल न लें। यह मार्केट में इकोस्प्रिन (Ecosprin) नाम से मुख्यतः मिलता है ।<br />
<br />
➥ ब्रूफेन (Brufen), कॉम्बिफ्लेम (combiflame) आदि एनॉलजेसिक से भी परहेज करें क्योंकि अगर डेंगू है तो इन दवाओं से प्लेटलेट्स कम हो सकती हैं और शरीर से ब्लीडिंग शुरू हो सकती है।<br />
<br />
➥ किसी भी तरह के बुखार में सबसे सेफ पैरासेटामॉल (Paracetamol) लेना है।<br />
<br />
➥ किसी भी प्रकार की व्यक्तिगत चिकित्सा शुरू करने से पहले चिकित्सक/वैद्य से परामर्श करना आवश्यक है।<br />
<table align="center" cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="margin-left: auto; margin-right: auto; text-align: center;"><tbody>
<tr><td style="text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjj9snSl1oW9GH-9MI_fOXVrRaUyTIXeJx4NRKdVc24fQWYZuCsgk-4msh3Wzeu4LwMyvgVpNrmSl8f_Mlt7Vq3Ii714ORNDw20lQvaf7g1nDzK3PVnZaV8SwMPl97B2u_lF3V0OqGs5BM/s1600/DSCN3343.JPG" imageanchor="1" style="margin-left: auto; margin-right: auto;"><img border="0" height="400" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjj9snSl1oW9GH-9MI_fOXVrRaUyTIXeJx4NRKdVc24fQWYZuCsgk-4msh3Wzeu4LwMyvgVpNrmSl8f_Mlt7Vq3Ii714ORNDw20lQvaf7g1nDzK3PVnZaV8SwMPl97B2u_lF3V0OqGs5BM/s400/DSCN3343.JPG" width="400" /></a></td></tr>
<tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;">Rajesh Mishra / राजेश मिश्रा, Kolkata</td></tr>
</tbody></table>
<br /></div>
</div>
RAJhttp://www.blogger.com/profile/03629974765289732103noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4970850955424214744.post-84358143836232539402016-08-30T03:40:00.000-04:002016-08-30T03:40:22.436-04:00नस पर नस चढ़ना (Neuro Muscular Diseases) के उपचार<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<h2 style="text-align: center;">
<span style="color: #660000;">नस पर नस चढ़ना (माँस-पेशियों की ऐंठन)</span></h2>
<div style="text-align: center;">
By Dr. D K Goyal<br /><img alt="pain in leg के लिए चित्र परिणाम" height="278" src="https://encrypted-tbn0.gstatic.com/images?q=tbn:ANd9GcRrGKaBPJJRNJ_vQ7UbGq_rpgTg6a14ZuTZlfX_Qo91AUX0FC90" width="400" /><br />
</div>
<div style="text-align: center;">
<br /></div>
नस पर नस चढ़ना जैसी बीमारी से हो सकता है आप भी दुखी हों क्यूंकि ये एक आम समस्या बन गयी हैं सभी लोग इसके उपचार को देखते हैं लेकिन कोई भी इसके कारण को नहीं जानना चाहता वजह किसी के भी आज इसका वक़्त नहीं है गोली लो और अपना काम चलाओ लेकिन भविष्य में इस बीमारी के क्या नुक्सान हो सकते हैं आज इस बात पर लेख लिखने का मौका मिला ! कई लोगों को रात में सोते समय टांगों में एंठन की समस्या होती है। नस पर नस चढ़ जाती है। कई लोगों को टांगों और पिंडलियों में मीठा – 2 दर्द सा भी महसूस होता है। पैरों में दर्द के साथ ही जलन, सुन्न, झनझनाहट या सुई चुभने जैसा एहसास होता है।<br />
<br />
<br />
शरीर में कहीं भी, किसी भी माश्पेसी में दर्द (Muscular pain) हो तो उसका इलाज किसी भी थेरेपी में पेन किलर के अलावा और कुछ नही है! यह आप सब अच्छी तरह जानते हैं और आप यह भी जानते हैं कि पेन किलर कोई इलाज नहीं है! यह एक नशे की तरह है जितनी देर इसका असर रहता है उतनी देर ब्रेन को दर्द का एहसास नहीं होता! और आपको पेन किलर के दुष्प्रभाव (साइड एफेक्ट) के बारे मे भी अच्छी तरहं पता है! जिसे आप चाह कर भी नकार नहीं सकते हैं! इन सभी की मुख्य वजेह होती है गलत तरीके से बैठना – उठना, सोफे या बेड पर अर्ध लेटी अवस्था में ज्यादा देर तक रहना, उलटे सोना, दो – दो सिरहाने रख कर सोना, बेड पर बैठ कर ज्यादा देर तक लैपटॉप या मोबाइल का इस्तेमाल करना या ज्यादा सफर करना या जायदा टाइम तक खड़े रहना या जायदा देर तक एक ही अवस्था में बैठे रहना आदि!<br />
<div style="text-align: center;">
<img height="265" src="https://scontent-sin6-1.xx.fbcdn.net/v/t1.0-9/14183929_1419503151400990_1010857178979107109_n.jpg?oh=b31b280b0ed86480340379610e0d1433&oe=5857C940" width="400" /></div>
पहले लोग अपनी रोजमर्रा की जरूरतों के लिए और मशीनी-करण के ना होने के कारण शारीरिक मेहनत ज्यादा करते थे! जैसे वाहनों के अभाव में मीलों पैदल चलना, पेड़ों पर चढ़ना, लकड़ियां काटना, उन्हें जलाने योग बनाने के लिए उनके टुकड़े करना (फाड़ना), खेतों में काम करते हुए फावड़ा, खुरपा, दरांती आदि का इस्तेमाल करना जिनसे उनके हाथो व पैरों के नेचुरल रिफ्लेक्स पॉइंट्स अपने आप दबते रहते थे और उनका उपचार स्वयं प्रकृति करती रहती थी! इसलिए वे सदा तंदरुस्त रहते थे! मैं शरीर को स्वस्थ रखने में प्रकृति की सहायता करता हूँ उसके खिलाफ नहीं इसलिए मेरे उपचार के कोई दुष्प्रभाव (side effects) नहीं हैं!<br />
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शरीर में किसी भी रोग के आने से पहले हमारी रोग प्रतिरोधी क्षमता कमजोर पड़ जाती है या मांसपेशियों पर नियंत्रण का नुक्सान (loss of muscle control) और किसी बड़े रोग के आने से कम से कम दो – तीन साल पहले हमारी अंत: स्त्रावी ग्रंथियों (endocrine glands) की कार्यप्रणाली सुस्त व् अव्यवस्थित हो जाती है! कुछ ग्रंथियां अपना काम कम करने लग जाती हैं और कुछ ग्रंथियां ज्यादा, जिसके कारण धीरे-धीरे शरीर में रोग पनपने लगते हैं!<br />
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जिनका हमे या तो पता ही नहीं चलता या फिर हम उन्हें कमजोरी, काम का बोझ, उम्र का तकाजा (बु ढ़ापा), खाने में विटामिन्स – प्रोटीन्स की कमी, थकान, व्यायाम की कमी आदि समझकर टाल देते हैं या फिर दवाइयां खाते रहते हैं! जिनसे ग्रंथियां (endocrine glands) कभी ठीक नहीं होती बल्कि उनकी (malfunctioning) अव्यवस्थित कार्यप्रणाली चलती रहती है जिस का नतीजा कम से कम दो-तीन साल या कभी – कभी इससे भी ज्यादा समय के बाद अचानक सामने आता है किसी बड़े रोग के रुप में, वह कोई भी हो सकता है! जैसे शुगर उच्च – रक्तचाप (high blood pressure) थायराइड (hypothyroidism or hyperthyroidism), दिल की बीमारी, चर्म रोग, किडनी संबंधी रोग, नाड़ी तंत्र संबंधी रोग या कोई और हजारों हैं! लेकिन मेरे उपचार द्वारा सभी अंत: स्त्रावी ग्रंथियां व्यवस्थित (सुचारु) तरीके से काम करने लग जाती हैं! या ये कहे की मांसपेशियों पर नियंत्रण का नुक्सान (loss of muscle control) कम हो जाता है और रोग प्रतिरोधी क्षमता इम्युनिटी मजबूत हो जाती है! तो किसी प्रकार के रोग शरीर में आने की कोई संभावना ही नहीं रहती, यही कारण है लगभग दो पीढ़ियां पहले आजकल पाए जाने वाले रोग नहीं होते थे! इसीलिए आजकल कुछ रोगों को (lifestyle diseases) रहन सहन के रोग माना जाता है!<br />
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नस पर नस चढ़ना तो एक बीमारी पता है लेकिन कहाँ कहाँ की नस कब चढ़ जाये कोई नहीं कह सकता कुछ दर्द यहाँ लिख रहा हूँ जो इस तरह हैं मस्कुलर स्पाजम, मसल नोट के कारण होने वाली सभी दर्दें जैसे कमरदर्द, कंधे की दर्द, गर्दन और कंधे में दर्द, छाती में दर्द, कोहनी में दर्द, बाजू में दर्द, ऊँगली या अंगूठे में दर्द, पूरी टांग में दर्द, घुटने में दर्द, घुटने से नीचे दर्द, घुटने के पीछे दर्द, टांग के अगले हिस्से में दर्द, एडी में दर्द, पंजे में दर्द, नितंब (हिप) में दर्द, दोनो कंधो में दर्द, जबड़े में और कान के आस पास दर्द, आधे सिर में दर्द, पैर के अंगूठे में दर्द आदि सिर से पांव तक शरीर में बहुत सारे दर्द होते हैं ! हमारे शरीर में लगभग 650 मांसपेशियां होती हैं! जिनमे से 200 के करीब मुस्कुलर स्पासम या मसल नोट से प्रभावित होती हैं!<br />
मुस्कुलर स्पासम (Muskulr Spasm) या मसल नोट (Muscle Note ) या नस पर नस चढ़ना :- <br />
हमारे शरीर में जहां जहां पर भी रक्त जा रहा है! ठीक उसके बराबर वहां वहां पर बिजली भी जा रही है! जिसे बायो इलेक्ट्रिसिटी कहते हैं रक्त जो है वह धमनियों और शिराओं (arteries and veins) में चलता है! और करंट जो है वह तंत्रिकाओं (nerves) में चलता है! शरीर के किसी भी हिस्से में अगर रक्त नहीं पहुंच रहा हो तो वह हिस्सा सुन्न हो जाता है या मांसपेशियों पर नियंत्रण नहीं रहता (loss of muscle control) और उस स्थान पर हाथ लगाने पर ठंडा महसूस होता है और शरीर के जिस हिस्से में बायो इलेक्ट्रिसिटी (bio-electricity) नहीं पहुंच रही, वहां पर उस हिस्से में दर्द हो जाता है और वहां हाथ लगाने पर गर्म महसूस होता है! इस दर्द का साइंटिफिक कारण होता है कार्बोनिक एसिड (h2co3 carbonic acid) जो बायोइलेक्ट्रिसिटी की कमी के कारण उस मांसपेशी में प्रकृतिक तौर पर हो रही सव्चालित क्रिया से उत्पन्न होता है! उस प्रभावित मसल में जितनी ज्यादा बायोइलेक्ट्रिसिटी की कमी होती है, उतना अधिक कार्बोनिक एसिड उत्पन्न होता है और उतनी ही अधिक दर्द भी होती है! जैसे ही उस मांसपेशी में बायोइलेक्ट्रिसिटी जाने लगती है वहां से कार्बन घुलकर रक्त मे मिल जाता है, और दर्द ठीक हो जाता है! रक्त मे घुले कार्बोनिक एसिड को शरीर की रक्त शोधक प्रणाली पसीने और पेशाब के द्वारा बाहर निकाल देती है!<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
</div>
<h3>
<span style="color: #073763; margin-left: 1em; margin-right: 1em;">अनियंत्रित मधुमेह (रक्त में शक्कर का स्तर)</span></h3>
<span style="color: #20124d; margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><br /><img alt="pain in leg के लिए चित्र परिणाम" height="333" src="http://www.lifemartini.com/wp-content/uploads/2011/07/leg-pain.jpg" width="400" /></span><br />
<h4 style="text-align: left;">
<span style="color: #990000;">नस पर नस चढ़ना बीमारी होने के कारण :-</span><br /> </h4>
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<ul style="text-align: left;">
<li>शरीर में जल, रक्तमें सोडियम, पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम स्तर कम होने</li>
<li>पेशाब ज्यादा होने वाली डाययूरेटिक दवाओं जैसे लेसिक्स सेवन करने के कारण शरीर में जल, खनिज लवण की मात्रा कम होने</li>
<li>मधुमेह, अधिक शराब पीने से, किसी बिमारी के कारण कमजोरी, कम भोजन या पौष्टिक भोजन ना लेने से, ‘Poly-neuropathy’ या नसों की कमजोरी।</li>
<li>कुछ हृदय रोगी के लिये दवायें जो कि ‘Beta-blockers’ कहलाती हैं, वो भी कई बार इसका कारण होती हैं।</li>
<li>कोलेस्ट्रॉल कम करने वाली दवा सेवन करने से.</li>
<li>अत्यधिक कठोर व्यायाम करने, खेलने, कठोर श्रम करने से.</li>
<li>एक ही स्थिति में लंबे समय तक पैर मोड़े रखने के कारण और पेशियों की थकान के कारण हो सकता है।</li>
<li>पैर की धमनियोंकी अंदरूनी सतह में कोलेस्ट्रॉल जमा होने से, इनके संकरे होने (एथ्रीयो स्कोरोसिस) के कारण रक्त प्रवाह कम होने पर,</li>
<li>पैरों की स्नायुओं के मधुमेह ग्रस्त होने</li>
<li>अत्यधिक सिगरेट, तंबाकू, शराब का सेवन करने, पोष्क तत्वों की कमी, संक्रमण से।</li>
</ul>
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<h4 style="text-align: left;">
<span style="color: #cc0000;">नस पर नस चढ़ना बीमारी होने के लक्षण :-</span></h4>
आधुनिक जीवन शैली – जिसमें व्यक्ति आराम परक जीवन जीना चाहता है, सभी काम मशीनों के द्वारा करता है, खाओ पीओ और मौज करो की इच्छा रखता है, इस प्रकार के जटिल रोगों को जन्म दे रही हैं।<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
</div>
<div style="text-align: left;">
<span style="color: #cc0000;"><b>लक्ष्णः</b></span></div>
<span style="color: #cc0000; margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img alt="pain in leg के लिए चित्र परिणाम" height="266" src="https://encrypted-tbn0.gstatic.com/images?q=tbn:ANd9GcSo-RFSBQAPd-5V2oYAf8aoOY4hIh4mvW_G4j0rmnFIc3leab8w" width="400" /></span><br />
<h3 style="text-align: left;">
</h3>
<ul style="text-align: left;">
<li>हाथ पैरों में सुन्नपन्न (Numbness) होना, सोते समय यदि हाथ अथवा पैर सोने लगे, सोते हुए हाथ थोड़ा दबते ही सुन्न होने लगते हैं, कई बार एक हाथ सुन्न होता है, दूसरे हाथ से उसको उठाकर करवट बदलनी पड़ती है। </li>
<li>हाथों की पकड़ ढीली होना, अथवा पैरों से सीढ़ी चढ़ते हुए घुटने से नीचे के हिस्सों में खिचांव आना। </li>
<li>गर्दन के आस-पास के हिस्सों में ताकत की कमी महसूस देना। </li>
<li>गर्दन को आगे-पीछे, दाॅंयी-बाॅंयी ओर घुमाने में दर्द होना। </li>
<li>शरीर के दाॅंये अथवा बाॅंये हिस्से में दर्द के वेग आना। </li>
<li>याददाश्त का कम होते चले जाना। </li>
<li>चलने का सन्तुलन बिगड़ना। </li>
<li>हाथ-पैरों में कम्पन्न रहना। </li>
<li>माॅंसपेशियों में ऐठन विशेषकर जाॅंघ (Thigh)व घुटनों के नीचे (Calf) में Muscle Cramp होना। </li>
<li>शरीर में लेटते हुए साॅंय-साॅंय अथवा धक-धक की आवाज रहना। </li>
<li>कोई भी कार्य करते हुए आत्मविश्वास का अभाव अथवा भय की उत्पत्ति होना। इनको (Psychoromatic Disease) भी कहा जाता है। </li>
<li>अनावश्यक हृदय की धड़कन बढ़ी हुई रहना। </li>
<li>शरीर में सुईंया सी चुभती प्रतीत होना। </li>
<li>शरीर के कभी किसी भाग में कभी किसी भाग में जैसे आॅंख, जबड़े,कान आदि में कच्चापन अथवा Paralytic Symptoms उत्पन्न होना। </li>
<li>सर्दी अथवा गर्मी का शरीर पर अधिक असर होना अर्थात सहन करने में कठिनाई प्रतीत होना। </li>
<li>एक बार यदि शरीर आराम की अवस्था में आ जाए तो कोई भी कार्य करने की इच्छा न होना अर्थात् उठने चलने में कष्ट प्रतीत होना। </li>
<li>कार्य करते समय सामान्य रहकर उत्तेजना (Anxiety)चिड़चिड़ापन (Irritation) अथवा निराशा (Depression) वाली स्थिति बने रहना। </li>
<li>रात्रि में बैचेनी बने रहना, छः-सात घण्टे की पर्याप्त निद्रा न ले पाना। </li>
<li>कार्य करते हुए शीघ्र ही थकान का अनुभव होना। पसीना अधिक आने की प्रवृत्ति होना। </li>
<li>किसी भी अंग में फड़फड़ाहट होते रहना। </li>
<li>मानसिक कार्य करते ही दिमाग पर एक प्रकार का बोझ प्रतीत होना,मानसिक क्षमता का हृास होना। </li>
<li>रात को सोते समय पैरों में नस पर नस चढ़ना अर्थात् अचानक कुछ मिनटों के लिए तेज दर्द से आहत होना। </li>
<li>शरीर गिरा गिरा सा रहना, मानसिक दृढ़ता का अभाव प्रतीत होना। </li>
<li>शरीर में पैरों के तलवों में जलन रहना या हाथ-पैर ठण्डे रहना। </li>
</ul>
<h3 style="text-align: left;">
<span style="color: #cc0000;"> Neuromuscular disease</span></h3>
(1.) Nervousness- व्यक्ति अपने भीतर घबराहट, बैचेनी, बार-बार प्यास का अनुभव करता है| किसी interview को देने, अपरिचित व्यक्तियों से मिलने, भाषण देने आदि में थोडा ह्रदय की धड़कन बढती हा नींद ठीक प्रकार से नहीं आती व रक्तचाप असामन्य रहता है| इसके लिए व्यक्ति के ह्रदय व मस्तिष्क को बल देने वाले पोषक पदार्थ (nervine tonic) का सेवन करना चाहिए तथा अपने भीतर अद्यात्मिक दृष्टिकोण का विकास करना चाहिए| सम भाव, समर्पण का विकास कर व्यक्तिगत अंह से बचना चाहिए| उदाहरण के लिए यदि व्यक्ति मंच पर भाषण देता है तो यह भाव न लाए कि वह कितना अच्छा बोल सकता है अपितु इस भाव से प्रवचन करे कि भगवान उसके माध्यम से kids को क्या संदेश देना चाहते है? भविष्य के प्रति भय, महत्वाकांक्षा इत्यादि व्यक्ति में यह रोग पैदा करते है|<br />
(2.) Neuralgia – इसमें व्यक्ति को शरीर के किसी भाग में तेज अथवा हलके दर्द का अनुभव होता है|जैसे जब चेहरे का तान्त्रिक तन्त्र (Facial Nervous) रुग्ण हो जाता है तो इस रोग को triglminal neuralgia कहते है| इसमें व्यक्ति के चेहरे में किसी एक और अथवा पुरे चेहरे जैसे जबड़े, बाल, आंखे के आस-पास एल प्रकार का खिंचाव महसूस होता है| कुछ मनोवैज्ञानिक को ने पाया कि यह रोग उनको अधिक होता है जो दुसरो की ख़ुशी से परेशान होते है| इस रोग का व्यक्ति यदि हसना भी चाहता है तो भी पीड़ा से कराह उड़ता है| अर्थात प्रकृति दुसरो की ख़ुशी छिनने वालो की ख़ुशी छिन्न लेती है| अंग्रेजी चिकित्सक इसको Nervous व muscular को relax करने वाली दवाएं जैसे Pregabalin,Migorill, Gabapentin इत्यादि देते है|<br />
(3.) Parkinson(कम्पवात)– इसमें व्यक्ति के हाथ पैरों में कम्पन होता है| जब व्यक्ति आराम करता है तो हाथ पैर हिलाने लगता है| जब काम में लग जाता है तब ऐसी कठिनाई कम आती है| इसके L-dopa दिया जाता है| कृत्रिम विधि से तैयार किया हुआ यह chennal कम ही लोगो के शरीर स्वीकार करता है| आयुर्वैदिक जड़ी कोंच के बीजों (कपिकच्छु) में यह रसायन मिलता है| अंत: यह औषधि इस रोग में लाभकारी है| इसके लिए कोंच के बीजों को गर्म पानी में मंद आंच पर थोड़ी देर पकायें फिर छिलका उतार कर प्रति व्यक्ति 5 से 10 बीजों को दूध में खीर बना ले| साथ में दलिया अथवा अंकुरित गेंहू भी पकाया जा सकता है| खीर में थोडा गाय का घी अवश्य मिलाएं अन्यथा चूर्ण की अवस्था अथवा कोंच पाक भी लाभदायक है| यह समस्त तान्त्रिक तन्त्र व मासपेशियों के लिए बलदायक है|<br />
(4.) Alzheimer- इसमें व्यक्ति की यादगार (Memory)कम होती चली जाती है|<br />
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न्यूरो मस्कुलर रोगों की चपेट में बहुत बड़े-बड़े व्यक्ति भी आए है| इस युग के जाने-माने भौतिक शास्त्र के वैज्ञानिक प्रो. स्टीफन हाकिन्स इसी से सम्बन्धित एक भयानक रोग से युवावस्था में ही पीड़ित हो गए व उनका सारा शरीर लकवाग्रस्त हो गया था| परन्तु उन्होंने हिम्मत नहीं हारी व कठोर संघर्ष के द्वारा अपनी शोधों (Researches) को जारी रखा आज भी वो 65 वर्ष की उम्र में अपनी जीवन रक्षा के साथ-साथ विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान कर रहे है| उनकी उपलब्धियों के आधार पर उनको न्यूटन व आइंस्टाइन जैसे महान वैज्ञानिकों की क्ष्रेणी में माना जाता है|<br />
<h3 style="text-align: left;">
<span style="color: #cc0000;">नस पर नस चढ़ना के कुछ घरेलू उपचार :- </span></h3>
अगर आपकी नस पर नस चढ़ जाती है तो आप जिस पैर की नस चढ़ी है तो उसी तरफ के हाथ की बीच की ऊँगली के नाखून के नीचे के भाग को दबाए और छोड़ें ऐसा जब तक करें जब तक ठीक न हो जाए! <br />
नस पर नस चढ़ना एक बहुत साधारण सी प्रक्रिया है, लेकिन जब भी शरीर में कहीं भी नस पर नस चढ़ना जाए, जान ही निकाल देती है और अगर रात को सोते समय पैर की नस पर नस चढ़ना जाए तो व्यक्ति चकरघिन्नी की तरह घूम कर उठ बैठता है,<br />
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<a href="http://i0.wp.com/dkgoyal.com/wp-content/uploads/2016/02/1201561446037513.jpg"><img height="225" src="https://i0.wp.com/dkgoyal.com/wp-content/uploads/2016/02/1201561446037513.jpg?resize=295,166" width="400" /></a><br />
सूजन और दर्द अलग | तो यदि आपके साथ हो जाये तो तुरंत ये उपाय करें <br />
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(आप लंबाई में अपने शरीर को आधा आधा दो भागों में चिन्हित करें, अब जिस भाग में नस चढ़ी है उसके विपरीत भाग के कान के निचले जोड़ पर उंगली से दबाते हुए उंगली को हल्का सा ऊपर और हल्का सा नीचे की तरफ बार बार 10 सेकेंड तक करते रहें | नस उतर जाएगी |) <br />
<ol style="text-align: left;">
<li>सोते समय पैरों के नीचे मोटा तकिया रखकर सोएं। </li>
<li>आराम करें। पैरों को ऊंचाई पर रखें। </li>
<li>प्रभाव वाले स्थान पर बर्फ की ठंडी सिकाई करे। सिकाई 15 मिनट, दिन में 3-4 बार करे। </li>
<li>अगर गर्म-ठंडी सिकाई 3 से 5 मिनट की (दोनों तरह की बदल-2 कर) करें तो इस समस्या और दर्द – दोनों से राहत मिलेगी। </li>
<li>आहिस्ते से ऎंठन वाली पेशियों, तंतुओं पर खिंचाव दें, आहिस्ता से मालिश करें। </li>
<li>वेरीकोज वेन के लिए पैरों को ऊंचाई पर रखे, पैरों में इलास्टिक पट्टी बांधे जिससे पैरों में खून जमा न हो पाए। </li>
<li>यदि आप मधुमेह या उच्च रक्तचाप से ग्रसित हैं, तो परहेज, उपचार से नियंत्रण करें। </li>
<li>शराब, तंबाकू, सिगरेट, नशीले तत्वों का सेवन नहीं करें। </li>
<li>सही नाप के आरामदायक, मुलायम जूते पहनें। </li>
<li>अपना वजन घटाएं। रोज सैर पर जाएं या जॉगिंग करें। इससे टांगों की नसें मजबूत होती हैं। </li>
<li>फाइबर युक्त भोजन करें जैसे चपाती, ब्राउन ब्रेड, सब्जियां व फल। मैदा व पास्ता जैसे रिफाइंड फूड का सेवन न करें। </li>
<li>लेटते समय अपने पैरों को ऊंचा उठा कर रखें। पैरों के नीचे तकिया रख लें, इस स्थिति में सोना बहुत फायदेमंद रहता है।<br /><img alt="pain in leg के लिए चित्र परिणाम" height="300" src="http://pad1.whstatic.com/images/thumb/d/d1/Treat-Minor-Leg-Pain-Step-2.jpg/aid465478-728px-Treat-Minor-Leg-Pain-Step-2.jpg" width="400" /></li>
</ol>
<h3 style="text-align: left;">
<span style="color: #cc0000;">भोजन :</span></h3>
<ol style="text-align: left;">
<li>– भोजन में नीबू-पानी, नारियल-पानी, फलों – विशेषकर मौसमी, अनार, सेब, पपीता केला आदि शामिल करें।</li>
<li>– सब्जिओं में पालक, टमाटर, सलाद, फलियाँ, आलू, गाजर, चाकुँदर आदि का खूब सेवन करें।</li>
<li>– 2-3 अखरोट की गिरि, 2-5 पिस्ता, 5-10 बादाम की गिरि, 5-10 किशमिश का रोज़ सेवन करें। </li>
</ol>
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<b><span style="color: #990000;">अपील:-</span></b> प्रिय दोस्तों यदि आपको ये पोस्ट अच्छा लगा हो या आप हिंदी भाषा को इन्टरनेट पर पोपुलर बनाना चाहते हो तो इसे नीचे दिए बटनों द्वारा Like और Share जरुर करें ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इस पोस्ट को पढ़ सकें हो सकता आपके किसी मित्र या किसी रिश्तेदार को इसकी जरुरत हो और यदि किसी को इस उपचार से मदद मिलती है तो आप को धन्यवाद जरुर देगा.</div>
RAJhttp://www.blogger.com/profile/03629974765289732103noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4970850955424214744.post-47705358438190928602016-08-13T14:33:00.003-04:002016-08-13T14:33:52.551-04:00शीघ्रपतन: कारण और "राज" का निवारण <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<h2 style="text-align: left;">
<div style="text-align: center;">
<span style="color: red;">शीघ्र पतन का आयुर्वेदिक घरेलु इलाज</span></div>
<span style="color: red;"><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgCuH2l-d-a21ucyu0Q1ZRDes8o_c1l46rzbTa3MAmtU-XkrhJCb1FjwekLEyKLDV3uCaI-LEVr9xds-1y2j1FJeopa98RxptL1_Y4h5roIizuItzkuxq2RRYtV-9eoXggQb7lQS5kSjC4/s1600/Sexlife.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="298" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgCuH2l-d-a21ucyu0Q1ZRDes8o_c1l46rzbTa3MAmtU-XkrhJCb1FjwekLEyKLDV3uCaI-LEVr9xds-1y2j1FJeopa98RxptL1_Y4h5roIizuItzkuxq2RRYtV-9eoXggQb7lQS5kSjC4/s400/Sexlife.jpg" width="400" /></a></div>
</span></h2>
<div style="text-align: justify;">
शीघ्रपतन सभी उम्र के पुरुषों में आम है। "शीघ्रपतन" या "शीघ्र स्खलन" एक ऐसा स्खलन है जो आदमी के चाहने के पहले हो जाता है और जिसकी प्रक्रिया को टालने या नियंत्रित करना आदमी के बस में नहीं है। शीघ्रपतन पुरुषों में एक बहुत आम समस्या है। जिस प्रकार पार्टी जोरशोर से चल रही हो और अचानक वहां पुलिस आ जाये, कुछ ऐसी की मुश्किल घडी लेन में सक्षम है ये समस्या। इसका कारण और इलाज क्या है? क्या इससे केवल पुरुष प्रभावित होते हैं? कुछ तथ्य ... कारण और "राज" का निवारण जानिए</div>
<h3 style="text-align: justify;">
<span style="color: #990000;">शीघ्रपतन क्या है?</span></h3>
<div style="text-align: justify;">
किसी पुरुष के सेक्स के दौरान अपने चरमोत्कर्ष का अनचाहे रूप से समय से पहले हो जाना और वीर्य पतन पर नियंत्रण न हो पाना शीघ्रपतन कहलाता हैI प्यार का ये सुनहरा पल- चरमोत्कर्ष, इस समस्या के चलते बुरा स्वप्न बन जाता है और दोनों ही पार्टनर्स को असंतुष्ट अवस्था में छोड़ देता हैI ये पुरुषों में सेक्स से जुडी समस्याओं में सबसे आम है, और लगभग हर पुरुष को जीवन में कभी न कभी इसका अनुभव हो ही जाता है। </div>
<h3 style="text-align: justify;">
<span style="color: #990000;">शीघ्रपतन की वजह क्या है?</span></h3>
<div style="text-align: justify;">
शीघ्रपतन की वजह शारीरिक या मानसिक, दोनों में से कोई भी या दोनों हो सकती हैंI इस्सका असर उन् अनुभवहीन युवा व्यस्कों को ज़्यादा भुगतना पड़ता है जो सेक्स की शुरुवात कर रहे होते हैं और उनके दिमाग में अच्छा प्रदर्शन न कर पाने का डर बैठा होता हैI अनुभव और उम्र के साथ अक्सर पुरुष नियंत्रण करने की इस कला में थोड़ा माहिर हो जाते हैं, लेकिन हर बार कामयाबी की कोई गारंटी नहीं। </div>
<div style="text-align: justify;">
इस स्थिति की पीछे कुछ और मानसिक वजह भी हैं जैसे की धार्मिक पृष्ठभूमि, जहाँ सेक्स एक हौवा होता है और इस से जुडी कई उलझनें हो सकती हैं या फिर काम से सम्बंधित तनाव, निराशा, अपराध बोध या फिर सेक्स से जुड़ा पुराण बुरा अनुभवI भौतिक वजह भी कई हो सकती हैं जैसी की लिंग के ऊपरी भाग का अतिसंवेदनशील होना, हार्मोन समस्या, ड्रग्स, पुरानी चोट, या कोई और मानसिक बीमारीI कुछ मामलों में इसकी वजह दिलचस्पी और आकर्षण की कमी भी हो सकती है। </div>
<h3 style="text-align: justify;">
<span style="color: #990000;">आप क्या कर सकते हैं?</span></h3>
<div style="text-align: justify;">
बहुत से मामलों में कोशिश करके स्खलन पर नियंत्रण विकसित किया जा सकता है जिस प्रकार समय और अभ्यास से बच्चे पेशाब पर नियंत्रण करना सीख आते हैं। विश्राम तकनीक या ध्यान बांटने की तकनीक भी कारगर सिद्ध हो सकती है, लेकिन सबसे असरदार तरीका है आपसी समन्वय और स्खलन को गति में विविधता के ज़रिये नियंत्रण करने की कला में कौशल हासिल करना। </div>
<div style="text-align: justify;">
कंडोम या क्रीम और जेल का प्रयोग भी मददगार साबित हो सकता है क्यूंकि यह संवेदनशीलता में कमी लाता हैI अपने डॉक्टर से इस सन्दर्भ में दवा भी ली जा सकती है। </div>
<h3 style="text-align: justify;">
<span style="color: #990000;">शीघ्रपतन दोनों पार्टनर के लिए दुखदायी</span></h3>
<div style="text-align: justify;">
सेक्स जीवन के लिए शीघ्रपतन एक बुरे समाचार की तरह है। जब कोई पुरुष हर समय इस दबाव में सेक्स करता है, तो उसके लिए सेक्स का लुत्फ़ उठा पाना संभव हो जाता है। और साथ ही शीघ्रपतन दोनों पार्टनर्स को असंतुष्टि की अवस्था में छोड़ देता हैI जब कोई पुरुष इस पर नियंत्रण करने के दबाव में सेक्स कर रहा होता है तो यह सहज है की वो अपने साथी को सेक्स का पूरा आनंद देने से भटक जाता है। </div>
<h3 style="text-align: justify;">
<span style="color: #990000;">समस्या पुरुषों तक ही सीमित नहीं</span></h3>
<div style="text-align: justify;">
पुर्तगाल में की गयी शीघ्रपतन के सम्बन्द्ग में की गयी इकलौती रिसर्च के अनुसार सिर्फ पुरुष ही अपने आप को इस तकलीफ से जूझता नहीं पाते,बल्कि 40 महिलाएं भी इच्छानुसार चरम नहीं कर पाती, जबकि 3 फीसदी ने शीघ्र पतन की समस्या से जूझने का दावा किया है। </div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<b><div style="text-align: justify;">
<b><i>इरेक्टाइल डिस्फंक्शन निम्नलिखित कारणों का परिणाम हो सकता है :</i></b></div>
</b><div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<div style="text-align: justify;">
* काम का तनाव, अवसाद यानी डिप्रेशन, अनियमित जीवनशैली, बढ़ती उम्र, धूम्रपान, शराब और नशीले ड्रग्स का सेवन, हृदय रोग, डायबटीज़, हार्मोन असन्तुलन आदि।</div>
<h3 style="text-align: left;">
<span style="color: #990000;">शीघ्रपतन रोकने के लिए आजमाएं इसे<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjQl4NaMahwtJKVQTMppHRNpAAEyak2NclacMo2gGK3q0wMea4mqCX60N33yKGrBiYUfVSB_5QyG8tbdLLgbbonBeboFRJminhvE3AciVC5ZmZkOpzTPrqP1JTNZuU3eDy3yEqEUpZHjNo/s1600/za.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="222" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjQl4NaMahwtJKVQTMppHRNpAAEyak2NclacMo2gGK3q0wMea4mqCX60N33yKGrBiYUfVSB_5QyG8tbdLLgbbonBeboFRJminhvE3AciVC5ZmZkOpzTPrqP1JTNZuU3eDy3yEqEUpZHjNo/s400/za.jpg" width="400" /></a></div>
</span></h3>
<div style="text-align: justify;">
यदि आप भी इसके शिकार हैं, तो आपको यह जान कर प्रसन्नता होगी कि आपके पास विकल्प हैं। आपके पास उपचार के निम्नलिखित विकल्प हैं :</div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<div style="text-align: justify;">
* वियाग्रा जैसी गोली: यह केवल तत्कालिक समाधान है। इसे हर संभोग से पहले लेना पड़ता है। इसमें शरीर में खून का बहाव इतनी तेजी से होने लगता है कि इसके साइड इफेक्ट के रूप में ह़दयाघात तक के मामले देखे गए हैं।</div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<div style="text-align: justify;">
* स्थाई समाधान: आयुर्वेद में शीघ्रपतन रोकने का स्थाई समाधान उपलब्ध हैं। आयुर्वेदिक पद्धति में शिलाजीत, सफेद मुसली, गोखरू, अश्वगंध आदि को सेक्स पावर बढ़ाने वाला और लंबे समय तक स्त्री को संतुष्ट करने वाल वाजीकरण औषधि की श्रेणी में रखा गया है।</div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<div style="text-align: justify;">
* बाजार में शिलाजीत, सफेद मुसली आदि आधारित कई कंपनियों की दवा भी उपलब्ध है, जिसे किसी योग्य वैद्य से परामर्श कर लिया जा सकता है।</div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<div style="text-align: justify;">
* इन सामधानों के अतिरिक्त मूत्रमार्ग में प्रौस्टेग्लेण्डिन गोली, इन्ट्राकैवर्नस इन्जेक्शन, लिंग में कड़ापन के लिए वैक्यूम उपकरण जैसे भी कई उपाय हैं।</div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<div style="text-align: justify;">
* वैसे सबसे अच्छा तरीका तो यह है कि किसी सेक्स एक्सपर्ट या आयुर्वेद के डिग्रीधारी वैद्य से परामर्श लिया जाए। यह कोई बड़ी समस्या नहीं है। 90 फीसदी पुरुष इससे समय-समय पर पीडि़त होते रहते हैं। तनाव प्रबंधन पौष्टिक आहार और नियमित जीवनशैली अपनाकर इससे लंबे समय तक बचा जा सकता है।</div>
<h3 style="text-align: left;">
<div style="text-align: justify;">
<span style="color: #990000;">शीघ्र पतन का आयुर्वेदिक घरेलु इलाज</span></div>
<span style="color: #990000;">Shighrapatan ke Gharelu Upaye :<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgxvd-LVc1l8ti0qprXBy8hMEw5VwrUAhC66bm8_vl1Q8dMC80HKpuTyHgrSUIeBLfN4lGD1JT_F_bjFSKLKiumJ9L1k90UnMAZdnjCiE7V9eAGniabhBzP5poxkG3Bpkiv64tQIa4nBQY/s1600/600veer_sleep.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="266" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgxvd-LVc1l8ti0qprXBy8hMEw5VwrUAhC66bm8_vl1Q8dMC80HKpuTyHgrSUIeBLfN4lGD1JT_F_bjFSKLKiumJ9L1k90UnMAZdnjCiE7V9eAGniabhBzP5poxkG3Bpkiv64tQIa4nBQY/s400/600veer_sleep.jpg" width="400" /></a></div>
</span></h3>
1. आम<br />दो-तीन माह आम का अमरस पीने से मर्दाना ताकत आती है। शरीर की कमजोरी दूर होती है। शरीर मोटा होता है। वात संस्थान और काम शक्ति को उत्तेजना मिलती है।<br />2. भिंडी<br />भिंडी से बना पाउडर, प्रिमेच्यूर ईजॅक्युलेशन मे रामबन होता है. इसके 10गम पाउडर को ले और एक गिलास मिल्क मे घोलकर पी जाए. आप चाहे तो इसमे 2 स्पून शुगर भी डाल सकते है. ऐसा रोज़ 1 महीने तक करे, आपको ज़रूर लाभ मिलेगा.<br />3. नारियल<br />नारियल कामोत्तेजक है। वीर्य को गाढ़ा करता है।<br />4. गाजर<br />गाजर हर व्यक्ति के लिए शक्तिवर्धक ;ज्वदपबद्ध है। वीर्य को गाढ़ा करती है। मर्दाना कमजोरी को दूर करने में रामबाण है। गाजर का रस पीना चाहिए।<br />5. प्याज<br />प्याज कामवासना को जगाता है। वीर्य को उत्पन्न करता है। देर मैथुन करने की शक्ति देता है। ईरानी नागरिक याह्या अली अकबर बेग नूरी ने 88 वर्ष की आयु में 168 वाँ विवाह किया। इस आयु तक उसकी जवानी बरकरार रहने का कारण है, उसका एक किलो कच्चा प्याज खाना।<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh4mTRJNWyCN95coKzeQaqo4BS-PtnEnmQmli0cf95gi9XXHbyMmJP4YFKwm11UU16jTctgdENbDRieApk4CKriylcH6A4Fvfp8LxecOIkj1hfhwCwkInsUSV1TWqbHagHgcZz-ahFSjjM/s1600/Marriage+and+Sex+Problems.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="266" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh4mTRJNWyCN95coKzeQaqo4BS-PtnEnmQmli0cf95gi9XXHbyMmJP4YFKwm11UU16jTctgdENbDRieApk4CKriylcH6A4Fvfp8LxecOIkj1hfhwCwkInsUSV1TWqbHagHgcZz-ahFSjjM/s400/Marriage+and+Sex+Problems.jpg" width="400" /></a></div>
<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi4THMB-nzdaLr42elr106PNTFTxs6rb7YGJRgm4ThvQshLrdfWCaz2nFcHJme831Mzq9eRS8RtbR7HU9nfO0HBHaRxVm8vnWMUsfLj1jH-32dckhrOGigoEu-UfYwNKXquEwZsbQyWsNk/s1600/couple_sex.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="260" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi4THMB-nzdaLr42elr106PNTFTxs6rb7YGJRgm4ThvQshLrdfWCaz2nFcHJme831Mzq9eRS8RtbR7HU9nfO0HBHaRxVm8vnWMUsfLj1jH-32dckhrOGigoEu-UfYwNKXquEwZsbQyWsNk/s400/couple_sex.jpg" width="400" /></a></div>
<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiGqoq7wfSOi8OySuj_31Chmg5aIqKy9FkNwsgjoxyJOwr0vo-I_dyoHuc09OVrlGIMwOPmopD4WQrbifC1GBirjFH-NQcS3tsN0ZizybJGHKa5_siubkkZeF5nPJoSgHxC45fdQy3EI48/s1600/1245371.large.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="240" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiGqoq7wfSOi8OySuj_31Chmg5aIqKy9FkNwsgjoxyJOwr0vo-I_dyoHuc09OVrlGIMwOPmopD4WQrbifC1GBirjFH-NQcS3tsN0ZizybJGHKa5_siubkkZeF5nPJoSgHxC45fdQy3EI48/s400/1245371.large.jpg" width="400" /></a></div>
<br /><br />प्याज़ मे ऐसे गुण होते है जो शरीर मे यौन समस्याओ को दूर कर देता है. हरा और सामानया, दोनो ही प्रकार के प्याज़ फयदेमंद होते है. हरी प्याज़ के बीज को एक गिलास पानी मे घोलकर पी जाए. इससे भोजन करने से पहले ले, इससे शरीर मे ताक़त आती है. कक्चा प्याज़ ज़्यादा खाए.<br /><br />मर्दाना शक्ति बढ़ाने के लिए प्याज का रस और शहद मिलाकर पियें। सफेद प्याज का रस, शहद, अदरक का रस, देषी घी, प्रत्येक 6 ग्राम- इन चारों को मिलाकर चाटें। एक महीने के सेवन से नामर्द भी मर्द बन सकते हैं।</div>
RAJhttp://www.blogger.com/profile/03629974765289732103noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-4970850955424214744.post-20999603652848965472016-07-28T13:07:00.000-04:002016-07-28T13:07:23.638-04:00मानसून में "राज" बच्चों का आहार<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<h2 style="text-align: left;">
<span style="font-size: x-large;"><br />बच्चों की<span style="color: #cc0000;"> खानपान पर दें ध्यान क्योंकि </span><span style="color: purple;">मानसून है दगाबाज़</span></span></h2>
<h2 style="text-align: left;">
<span style="color: #cc0000;"><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgxRF_kr5zxkXDffkDEX-gBxBKij66nHYSWuGXzSmgK7HEcotZ9YsRATqyHMErRUJDQSRGzmpQdp_WmQxftBtsY7j5kqf6_0g-vTYU6FH61zVbllUOrU7On8YRNlWKZpeI3Nm7r1g1VDMs/s1600/breakfastcoverr_600x450.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="300" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgxRF_kr5zxkXDffkDEX-gBxBKij66nHYSWuGXzSmgK7HEcotZ9YsRATqyHMErRUJDQSRGzmpQdp_WmQxftBtsY7j5kqf6_0g-vTYU6FH61zVbllUOrU7On8YRNlWKZpeI3Nm7r1g1VDMs/s400/breakfastcoverr_600x450.jpg" width="400" /></a></div>
</span></h2>
<h4 style="text-align: center;">
<span style="color: purple;">बच्चों को तो "राज" </span><span style="color: purple;">बारिश में भीगना बहुत भाता है। पर ध्यान रहे ... -इस मौसम में गरिष्ठ भोजन को त्यागकर हल्का व सुपाच्य भोजन करें, क्योंकि मानसून में शरीर भोजन को जल्दी नहीं पचा पाता है। अपने पाचन तंत्र को बेहतर बनाने के लिए लहसुन, काली मिर्च, अदरक, हल्दी और धनिया का सेवन करें।</span></h4>
<h4 style="text-align: center;">
<div class="separator" style="clear: both; color: purple; text-align: center;">
</div>
<div style="text-align: justify;">
मानसून के आने से "राज" गर्मी की चिलचिलाती धूप से काफी राहत मिलती है। जहां एक ओर ये राहत देता है तो दूसरी ओर मानसून के आने से नुकासान ज्यादा होता है। इस समय चारों ओर कीचड़ की गदंगी से संक्रमण के फैलने का डर बना रहता है। इसके बाद इन दिनों का संक्रमित खानपान बड़े से लेकर बच्चों को भी अपनी चपेट में ले लेता है। बच्चे के लगातार बीमार होने से उनका इम्यूनिटी सिस्टम भी कमजोर होने लगता है। इसलिए उनके सुरक्षित रहने के लिए विशेष रख रखाव की जरूरत होती है। आज हम आपको बता रहें हैं बच्चों के इम्यूनिटी पावर को मजबूत करने के लिए ऐसे आहार लें, जिससे आपके बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता में सुधार हो और वो हर बीमारियों से सुरक्षित रहे।</div>
</h4>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjrcyJIKGII2O2hJTZhVXYn09UaRinwXribSOmHg3djdEi8IeuQCGP9PmWT2PILdhQsl5PsGOUD_4caDIYh2nU7H48kMT1BzyGHzbAxBBFwOC9t5w35JtC0fBnAp3Msp3hqPuBpF4P2Ruw/s1600/child+food1.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="200" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjrcyJIKGII2O2hJTZhVXYn09UaRinwXribSOmHg3djdEi8IeuQCGP9PmWT2PILdhQsl5PsGOUD_4caDIYh2nU7H48kMT1BzyGHzbAxBBFwOC9t5w35JtC0fBnAp3Msp3hqPuBpF4P2Ruw/s400/child+food1.jpg" width="400" /></a></div>
<br /><h3 style="text-align: left;">
<span style="color: red;">1. सूप –</span></h3>
सूप पीना वैसे भी "राज" स्वास्थ के लिए काफी अच्छा माना जाता है। जिसकी सलाह डॉक्टर भी दिया करते हैं क्योंकि ये शरीर में असानी से पचने वाला होता है। सूप हमेशा आप घर का बनाया हुआ ही पीया करें। सूप को बनाने के लिए आप ताजी सब्जियों के साथ यदि मांस को भी डाल देते हैं तो यह काफी फायदेमंद वाला साबित होता है। इसे बनाने के लिए आप शोरबा में सब्जियां या मांस उबाल लें। फिर इनमें काली मिर्च, अदरक, लहसुन और प्याज को डालकर अच्छी तरह से मिला दें। ये सूप स्वाद बढ़ाने के साथ शरीर के लिए भी लाभदायक होता है।<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEihPntL1oFcVDo9TeUhhw8_LhKsSh-EETYMrks_4Kvkl3qccxqfByieT8Cjtf1rksHzOhyphenhyphenEoRAusHKoTua9A_Mr9Fpktdo0KSJAkkIkBawlF-3jJioZa_VXF_5lpMRCAGNG2XYUkUgExsc/s1600/child+food2.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="200" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEihPntL1oFcVDo9TeUhhw8_LhKsSh-EETYMrks_4Kvkl3qccxqfByieT8Cjtf1rksHzOhyphenhyphenEoRAusHKoTua9A_Mr9Fpktdo0KSJAkkIkBawlF-3jJioZa_VXF_5lpMRCAGNG2XYUkUgExsc/s400/child+food2.jpg" width="400" /></a></div>
<br /><h3 style="text-align: left;">
<span style="color: red;">2. मौसमी फलों को खाओ-</span></h3>
इस उमस भरे मौसम में "राज" बाहरी संक्रमण से बचने के लिए फलों का सेवन करना सबसे अच्छा उपाय है। इसके लिए आप अपने आहार में मौसमी फलों को शामिल कर अपने स्वास्थ को ठीक रखते हुए शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकते हैं। आप ऐसे मौसम में फलों का सेवन करने के लिए प्लम, जामुन और चेरी को शामिल करें। इन फलों का सेवन रोज करें इन मानसूनी फलों में एंटीबॉयोटिक गुणों की भरपूर मात्रा पाई जाती है। जो प्रतिरोधक क्षमता में सुधार लाती है जिससे सर्द गर्म से होने वाले बुखार से राहत मिलती है।<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg2ibkIgiGsQvESFJDVVq78q7BSWAvNiiMh-r5-sMqvYtTWiIWdpRCESc33suVumBr38JsR_CCoK4LGoGfyUS6-XhBsVfGvlwwuHBGAUv4Ld4sgjgdkkRhU6XImpR3e4oMzOLeCZbbt-ig/s1600/child+food3.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="200" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg2ibkIgiGsQvESFJDVVq78q7BSWAvNiiMh-r5-sMqvYtTWiIWdpRCESc33suVumBr38JsR_CCoK4LGoGfyUS6-XhBsVfGvlwwuHBGAUv4Ld4sgjgdkkRhU6XImpR3e4oMzOLeCZbbt-ig/s400/child+food3.jpg" width="400" /></a></div>
<br /><h3 style="text-align: left;">
<span style="color: red;">3. स्नैक और नट</span></h3>
सूखे मेवे और नट्स का सेवन "राज" बच्चों के शरीर के लिए काफी फायदेमंद होता है। इससे बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। इसके साथ ही इनमें पाए जाने वाले पौष्टिक गुण जैसे फैटी एसिड, प्रोटीन और सेलेनियम, विटामिन बी कॉम्प्लेक्स, carotenoids होते है। जो मानसून के समय में होने वाले संक्रमण के साथ बैक्टीरिया से लड़ने में सहायक होते है। इसके साथ ही ये पौष्टिक तत्व बच्चों की ग्रोथ में भी सहायक होते है।<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEitsI_bTvaOCqekuXltleSLQLGuyN2WzEwQQla4tnHb8V9cxGCoK3WIjwu3ezUlnwoivVyQI-4DfoBa6jtOzG7PUvGMLijgw3qmFuUu6aEtdh04jWXuAJEfFj3iDOMvfRbnd-rq6FdaKkk/s1600/Haldi+Doodh.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="200" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEitsI_bTvaOCqekuXltleSLQLGuyN2WzEwQQla4tnHb8V9cxGCoK3WIjwu3ezUlnwoivVyQI-4DfoBa6jtOzG7PUvGMLijgw3qmFuUu6aEtdh04jWXuAJEfFj3iDOMvfRbnd-rq6FdaKkk/s400/Haldi+Doodh.jpg" width="400" /></a></div>
<br /><h3 style="text-align: left;">
<span style="color: red;">3. हल्दी वाला दूध-</span></h3>
हमारे भारत में "राज" हल्दी वाले दूध को हर घरों में मां और दादी के द्वारा दी जाने वाली औषधिय दवाई मानी जाती है। जो किसी भी तरह के संक्रमण को दूर करने में सहायक होती है। इसके अलावा शारीरिक दर्द को दूर करने लिए इसें जादूई चमत्कार माना जाता है। जादूई गुणों से भरपूर हल्दी में एंटीऑक्सीडेंट के गुण पाएं जाते है जो शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता का निर्माण करने में मदद करता है। इसलिए यदि आपका बच्चा मामूली सी सर्दी या किसी प्रकार के संक्रमण से पीड़ित है,तो उसे बिस्तर पर जाने से पहले एक गिलास गर्म हल्दी दूध पीने को दे दीजिए। आपका बच्चा स्वस्थ होने के साथ एक बेहतर नींद भी सोएगा।<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEixiVuoUhgPSBwXjCaQVqgBIAbKlzxQULECBIamISrwEYH-lDvPRrmNZNEdYCqQ4x_MNR3cd0_hu2FxjIBSFqrhJd8n7rl8kkx-4E1M5KkIzAQqRBQEw-xtdVU1DexrMkVx7g6TCUwrhfs/s1600/Shahad+Adrak.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="200" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEixiVuoUhgPSBwXjCaQVqgBIAbKlzxQULECBIamISrwEYH-lDvPRrmNZNEdYCqQ4x_MNR3cd0_hu2FxjIBSFqrhJd8n7rl8kkx-4E1M5KkIzAQqRBQEw-xtdVU1DexrMkVx7g6TCUwrhfs/s400/Shahad+Adrak.jpg" width="400" /></a></div>
<br /><h3 style="text-align: left;">
<span style="color: #660000;">4. शहद और अदरक-</span></h3>
शहद और अदरक का रस "राज" हमारे शरीर को स्वस्थ रखने का सबसे अच्छा उपचार माना जाता है। क्योंकि अदरक में एंटीवायरल और जीवाणुरोधी के गुण पाए जाते है जो संक्रमण को दूर करने में मदद करते हैं। इसके अलावा हनी में भी एंटीसेप्टिक और एंटीबायोटिक गुण होते हैं, जो संक्रमण दूर करने में मदद करते है। इस मौसम में सर्द-गर्मी से सर्दी खासी के साथ गले में खराश होने लगती है और इस समस्या को दूर करने का यह सबसे अच्छा घरेलू नुस्खा माना जाता है।<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEitoCqYHrouRlN4c4UjHsApH5UazbCTzDtjChSQV-y5m7-JJ6XoTADLrT_MZYAjX8DIW21ZkapQXOVerZJ5habz3-uQE97h2DjZlzvrb0nUqWBMwffKl_3XSwKQCEsI8I9QxBGKKQbUqqs/s1600/Tulsi+Tea1.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="200" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEitoCqYHrouRlN4c4UjHsApH5UazbCTzDtjChSQV-y5m7-JJ6XoTADLrT_MZYAjX8DIW21ZkapQXOVerZJ5habz3-uQE97h2DjZlzvrb0nUqWBMwffKl_3XSwKQCEsI8I9QxBGKKQbUqqs/s400/Tulsi+Tea1.jpg" width="400" /></a></div>
<br /><h3 style="text-align: left;">
<span style="color: purple;">5. तुलसी की चाय-</span></h3>
तुलसी के पत्तों में "राज" प्राकृतिक रूप से एंटीसेप्टिक और एंटीबायोटिक के गुण पाए जाते है जो बाहरी संक्रमण को दूर करने में सहायक होते है। तुलसी का पत्तों से बनी चाय का सेवन रोज करने से हमारे शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। जो बच्चों को हर तरह की बीमारियों से लड़ने में मदद करती है।</div>
RAJhttp://www.blogger.com/profile/03629974765289732103noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4970850955424214744.post-5342110763103545702016-07-27T14:49:00.003-04:002016-07-27T14:49:36.822-04:00टमाटर के फायदे और नुकसान<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<h2 style="text-align: center;">
<span style="color: #351c75;">टमाटर के आश्चर्य चकित करने वाले लाभ<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjydVlCzuHJ8Njkc42jM1ni-95_a_NoHlfp_WQLBUxSXdySD2HJc44l-rDUgCP2so1FkSFj_DSB393TC0XqPlIbU47YUiXUYrDKB18ypl6zkwZy-lDw7R0jNwRBqJxdnsdouwUTPesrxzk/s1600/1467537543-4365446.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="245" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjydVlCzuHJ8Njkc42jM1ni-95_a_NoHlfp_WQLBUxSXdySD2HJc44l-rDUgCP2so1FkSFj_DSB393TC0XqPlIbU47YUiXUYrDKB18ypl6zkwZy-lDw7R0jNwRBqJxdnsdouwUTPesrxzk/s400/1467537543-4365446.jpg" width="400" /></a></div>
</span></h2>
<div style="text-align: justify;">
टमाटर सिर्फ स्वाद में ही खट्टा-मीठा नहीं होता बल्कि टमाटर कई तरह के औषधिय गुणों से भी भरपूर होता है। टमाटर एंटी-ऑक्सीडेंट और खासकर लाइकोपीन से भरपूर होता है। टमाटर में प्रोटीन, विटामिन, वसा आदि तत्व विद्यमान होते हैं। यह सेवफल व संतरा दोनों के गुणों से युक्त होता है। कार्बोहाइड्रेट की मात्रा कम होती है इसके अलावा भी टमाटर खाने से कई लाभ होते हैं। पौष्टिक तत्वों से भरपूर टमाटर हर मौसम में फायदेमंद है। इसे सब्जी में डालें या सलाद के रूप में या किसी और रूप में यह आपके लिए बेहद फायदेमंद साबित होगा। टमाटर पर किए गए परीक्षणों से ज्ञात हुआ कि टमाटर सब्जी नहीं, बल्कि पौष्टिक व गुणकारी फल है। गर्भावस्था के दौरान स्त्रियों के शरीर में लौह तत्व की कमी को पूरा करने वाला टमाटर को स्वादिष्ट व गुणकारी फल माना जाता है। टमाटर में भरपूर मात्रा में कैल्शियम, फास्फोरस व विटामिन सी पाये जाते हैं, विटामिन, पोटाश, मैगजीन, लौह और कैल्शियम से भरपूर टमाटर को चटनी, सांस कैचाअप, जैम और विभिन्न व्यंजनों के रूप में सेवन किया जा सकता है। इसके अलावा लोग सर्दियों के मौसम में टमाटर का सूप भी पीते हैं। यह सेहत के लिए बहुत ही लाभदायक है।</div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiRec0sViyD-x6KbndrfZ_TrUWUAsLp6xwlAeCnIeGuQlufyBIA22lPsZuon74g6HpdwNAGTkb0jYZM-8AcW3vwY481obRLYJgYXtPCspp1_qd83AxJax5HoM8s-OedgFydp3EXBblUypc/s1600/tomato-outdoor-girl-50-seeds.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="400" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiRec0sViyD-x6KbndrfZ_TrUWUAsLp6xwlAeCnIeGuQlufyBIA22lPsZuon74g6HpdwNAGTkb0jYZM-8AcW3vwY481obRLYJgYXtPCspp1_qd83AxJax5HoM8s-OedgFydp3EXBblUypc/s400/tomato-outdoor-girl-50-seeds.jpg" width="400" /></a></div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<div style="text-align: justify;">
टमाटर खाने से भूख बढती है। इसके अलावा टमाटर पाचन शक्ति, पेट से संबंधित अनेक समस्याओं को दूर करता है। टमाटर खाने से पेट साफ रहता है और इसके सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। त्वचा के लिए टमाटर खाने से सनबर्न और टैन्ड स्किन में फायदा होता है। टमाटर में पाया जाने वाला लाइकोपीन तत्व त्वचा को अल्ट्रावायलेट किरणों से बचाता है।</div>
<div style="text-align: justify;">
डायबिटीज रोगियों के लिए टमाटर खाना बहुत फायदेमंद होता है। हर रोज एक खीरा और एक टमाटर खाने से डायबिटीज रोगी को लाभ मिलता है। टमाटर आंखों व पेशाब संबंधी रोगों के लिए भी फायदेमंद है। टमाटर खाने से लीवर और किडनी की कार्यक्षमता को बढ़ाता है। हर रोज टमाटर का सूप पीने से लीवर और किडनी को फायदा होता है।</div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjuRnj7bOR0r2_Qs5tuY6trZCQ666xUIZyXgwGZBvg01ohRmmqnR2Qmb2EPRgNu-DSoAxc8rVor7S9d4p5GYYeJ2bXjtsLC_d2vf7wgWi2K8HaKSTOfIewJhp9J7NWDWSbIJdGygziGbVY/s1600/512foAz2YIL.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="400" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjuRnj7bOR0r2_Qs5tuY6trZCQ666xUIZyXgwGZBvg01ohRmmqnR2Qmb2EPRgNu-DSoAxc8rVor7S9d4p5GYYeJ2bXjtsLC_d2vf7wgWi2K8HaKSTOfIewJhp9J7NWDWSbIJdGygziGbVY/s400/512foAz2YIL.jpg" width="300" /></a></div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<div style="text-align: justify;">
यदि आप टमाटर जैसा लाल दिखना चाहते हैं तो अपने भोजन में टमाटर का सेवन शुरू कर दीजिए। टमाटर को कच्चा, पकाकर और सूप के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। किसी न किसी तरह से आप टमाटर को आप हर रोज इस्तेमाल करते हैं। टमाटर खाने से कैंसर का खतरा कम होता है।</div>
<div style="text-align: justify;">
टमाटर खाने से त्वचा जवां दिखती है और त्वचा से संबंधित बीमारियां नहीं होती हैं। यानी टमाटर आपको जवां दिखाता है। ब्लड प्रेशर के मरीजों के लिए भी टमाटर बहुत फायदेमंद होता है। आइए हम आपको बताते हैं कि टमाटर में क्या-क्या गुण हैं और कैंसर से बचाव के लिए यह कितना फायदेमंद है।</div>
<div style="text-align: justify;">
टमाटर के नियमित सेवन से पेट साफ रहता है। टमाटर इतने पौष्टिक होते हैं कि सुबह नाश्ते में केवल दो टमाटर संपूर्ण भोजन के बराबर होते हैं और सबसे बड़ी बात तो यह है कि इनसे आपके वजन में जरा भी वृद्धि नहीं होगी। इसके अलावा यह पूरे शरीर के छोटे-मोटे विकारों को दूर करता है।</div>
<div style="text-align: justify;">
जो लोग अपना वजन कम करने के इच्छुक हैं, उनके लिए टमाटर एक वरदान है। एक मध्यम आकार के टमाटर में केवल 12 कैलोरीज होती है, इसलिए इसे पतला होने के भोजन के लिए उपयुक्त माना जाता है।</div>
<h2 style="text-align: justify;">
<span style="color: purple;">टमाटर के फायदे और नुकसान</span></h2>
<h3 style="text-align: left;">
<div style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">टमाटर के फायदे</span></div>
<span style="color: red;"><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgk0L2FSpD08Jes-m5BaoBV3Z_IPiywIDNHxusV4SDIKSnnV3Sd9uVPwWwWZt81tmtQztkLWs5T-ntzJBTjAD68WnZTNnHDHzyWiIRANAYorbS7HpL473V2ND-u29X8dDpZSRJUdXAoMyM/s1600/fight-acne..jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="245" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgk0L2FSpD08Jes-m5BaoBV3Z_IPiywIDNHxusV4SDIKSnnV3Sd9uVPwWwWZt81tmtQztkLWs5T-ntzJBTjAD68WnZTNnHDHzyWiIRANAYorbS7HpL473V2ND-u29X8dDpZSRJUdXAoMyM/s400/fight-acne..jpg" width="400" /></a></div>
</span></h3>
<div style="text-align: justify;">
1. एनीमियाके रोगी को रोजाना दो सौ ग्राम टमाटर का रस पीने से बहुत लाभ होता है।</div>
<div style="text-align: justify;">
2. रोजाना टमाटर का रस पीने से जॉंडिस रोग में बहुत लाभ होता है।</div>
<div style="text-align: justify;">
3 कम वजन से परेशान लोग यदि भोजन के साथ पक्के टमाटर खाएं तो उनका वजन बढ़ता है।</div>
<div style="text-align: justify;">
4. पेट में कीड़े हो तो टमाटर के टुकडों पर या रस में काली मिर्च का चूर्ण और सेंधा नमक डालकर खाएं। पेट के कीड़े दूर हो जाएंगे।</div>
<div style="text-align: justify;">
5. टमाटर के रस में थोडी-सी शर्करा मिलाकर पीने से पित्त की विकृति से उत्पन्न रोग दूर होते है।</div>
<div style="text-align: justify;">
6. टमाटर खाने से न केवल मुंह के छाले दूर होते हैं बल्कि कब्ज की समस्या भी दूर होती है।</div>
<div style="text-align: justify;">
7. छोटे बच्चों में आंखों की ज्योति में क्षीणता अनुभव होने पर उन्हें टमाटर खिलाना चाहिए। टमाटरों में विटामिन ए होता है जो आंखों की ज्योति को विकसित करता है।</div>
<div style="text-align: justify;">
8. दांतों में खून की समस्या का अनुभव होते ही रोजाना दो सौ ग्राम टमाटर का रस सुबह-शाम पीने से बहुत लाभ होता है। यह स्कर्वी रोग में सहायक है।</div>
<div style="text-align: justify;">
9. भोजन के प्रति अरूचि होने या भूख न लगने की स्थिति में टमाटर के दो सौ ग्राम रस में अदरक का रस और नींबू का रस मिलाकर पीने से भूख अधिक लगती है।</div>
<div style="text-align: justify;">
10. अर्श रोग में खून निकलने पर रोजाना दो सौ ग्राम टमाटर खाने या रस पीने से खून निकलने की समस्या दूर होती है, टमाटर कब्ज को दूर करता है।</div>
<div style="text-align: justify;">
11. पके टमाटरों का रस रोजाना पिलाने से बच्चों के नाक से नकसीर की समस्या दूर होती है।</div>
<div style="text-align: justify;">
12. पके टमाटरों का रस, सुबह-शाम पीने से गर्मियों में निकलने वाले फोड़े-फुंसियों व त्वचा के अन्य विकारों से सुरक्षा होती है।</div>
<div style="text-align: justify;">
13. गर्मियों में अधिक प्यास की विकृति होने पर दो सौ ग्राम टमाटर के रस में दो-तीन लौंग का चूर्ण मिलाकर पीने से बहुत लाभ होता है।</div>
<div style="text-align: justify;">
14. टमाटर के सौ ग्राम रस में पचास ग्राम नारियल का तेल मिलाकर, शरीर पर मलकर कुछ देर बाद स्नान करने से खाज-खुजली से राहत मिलेगी।</div>
<div style="text-align: justify;">
15. अदरक, पोदीना, धनिया और सेंधा नमक को टमाटर के साथ पीसकर चटनी बनाकर भोजन के साथ सेवन करने से भूख बढ़ती है।</div>
<div style="text-align: justify;">
16. दो सौ ग्राम टमाटर का रस सुबह-शाम पीने से रतौंधी की विकृति नष्ट होती है।</div>
<div style="text-align: justify;">
17. टमाटर को काटकर उन पर सोंठ का चूर्ण और सेधा नमक डालकर खाने से पाचन क्रिया तीव्र होती है।</div>
<div style="text-align: justify;">
18. टमाटर के डेढ़ सौ ग्राम रस में दस ग्राम शहद मिलाकर सेवन करने से नाक व मुंह से रक्तपित्त की समस्या दूर होती है।</div>
<div style="text-align: justify;">
19. मधुमेह रोगी को रोजाना टमाटर का सेवन करना चाहिए। टमाटरों की खटाई शरीर में शर्करा की मात्रा को कम करती है।</div>
<div style="text-align: justify;">
20. गर्भावस्था में स्त्रियों को टमाटर का दो सौ ग्राम रस रोजाना पीना चाहिए, इससे खून निकलने की समस्या दूर होती है।</div>
<h3 style="text-align: left;">
<div style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">टमाटर के नुकसान</span></div>
<span style="color: red;"><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgpnr8kbcYCBwoCFB4m9jzZf_UQIEMIJYslR9CzFlrJqROEf28CPElhiDTANYXCEE53CrLhkjgzSfxHCBYtWERwVKUk2lrpXT7fnSe5FYC5D2XTV6opyauGfr_XRtijCRc4zqYtVCUXoBc/s1600/Tomatoes.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="300" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgpnr8kbcYCBwoCFB4m9jzZf_UQIEMIJYslR9CzFlrJqROEf28CPElhiDTANYXCEE53CrLhkjgzSfxHCBYtWERwVKUk2lrpXT7fnSe5FYC5D2XTV6opyauGfr_XRtijCRc4zqYtVCUXoBc/s400/Tomatoes.jpg" width="400" /></a></div>
</span></h3>
<div style="text-align: justify;">
ध्यान रखें तेज खांसी, दस्त और पथरी के रोगी को टमाटर नहीं खाना चाहिए। साथ शरीर में सूजन और मांसपेशियों में दर्द हो तो टमाटर का सेवन ना करें।</div>
<h3 style="text-align: left;">
<div style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">टमाटर का सूप</span></div>
<span style="color: red;"><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEime-FDvTTmRKK4kbvLkCb1io4Cjy-A0nR6kt6vlqIFPYAvcUwdi_s0kcbbywdAd9z762X_K-zog3o0wKEl0Q-PFBy7JcQedX0ioPKt3l84XLQuHwpYxHXx67olsPFwefzb5dakia-YR14/s1600/tomato_girl.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="400" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEime-FDvTTmRKK4kbvLkCb1io4Cjy-A0nR6kt6vlqIFPYAvcUwdi_s0kcbbywdAd9z762X_K-zog3o0wKEl0Q-PFBy7JcQedX0ioPKt3l84XLQuHwpYxHXx67olsPFwefzb5dakia-YR14/s400/tomato_girl.jpg" width="266" /></a></div>
</span></h3>
<div style="text-align: justify;">
भारत में टमाटर का सूप बड़े ही चाव से पिया जाता है। सर्दियों के मौसम में इसकी मांग बढ़ जाती है। यह एक ऐसा सूप है जिसे हर कोई असानी से बना सकता है। यह सूप सस्ती होने के साथ-साथ आपके सेहत को भी बेहतर बना सकती है। जिन लोगों की हड्डियां कमजोर है या जिन्हें ह्र्दय संबंधित रोग है उन्हें टमाटर का सूप पीना चाहिए। अगर आप नियमित रूप से टमाटर का सूप पीते हैं तो यह रक्त वाहिकाओं को दुरुस्त करता है और खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह मधुमेह और कैंसर के रोगियों के लिए भी फायदेमंद है। यहां तक जिन लोगों को अपना वजन कम करना है उन्हें भी टमाटर का सूप लगातार पीते रहना चाहिए।</div>
</div>
RAJhttp://www.blogger.com/profile/03629974765289732103noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4970850955424214744.post-72487417274218786722016-07-21T13:15:00.001-04:002016-07-21T13:23:38.327-04:0018 रोगों के लिए "राज" सिर्फ एक घरेलू दवा <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<h2 style="text-align: left;">
<span style="color: red;">वृद्ध को जवान बना दे, रोगी को दौड़ना सिखा दे "राज" लाये हैं ऐसा प्राकृतिक दवा</span></h2>
<div>
</div>
<h3 style="text-align: left;">
<ul style="text-align: left;">
<li><span style="color: purple;">250 ग्राम मैथीदाना</span></li>
<li><span style="color: purple;">100 ग्राम अजवाईन</span></li>
<li><span style="color: purple;">50 ग्राम काली जीरी</span></li>
</ul>
</h3>
<div>
(ज्यादा जानकारी के लिए नीचे देखे)<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjIFqSWYtB6x99Q3b4AuxgUWg-nJghqwtulxrVfRw8k2U6PmuAOIeweK2doAGZ1IgdBuVvwuzAnU28T0ToQrSN3ScDtV-tY68_gOmGgLvHwXQ_HUapvghhaTiyy8xz003ianfUdJO1B7BY/s1600/Methi_Ajwain_Kali+Jiri.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="400" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjIFqSWYtB6x99Q3b4AuxgUWg-nJghqwtulxrVfRw8k2U6PmuAOIeweK2doAGZ1IgdBuVvwuzAnU28T0ToQrSN3ScDtV-tY68_gOmGgLvHwXQ_HUapvghhaTiyy8xz003ianfUdJO1B7BY/s400/Methi_Ajwain_Kali+Jiri.jpg" width="166" /></a></div>
<br />
उपरोक्त तीनो चीजों को साफ-सुथरा करके हल्का-हल्का सेंकना (ज्यादा सेंकना नहीं) है। तीनों को अच्छी तरह मिक्स करके मिक्सर में पावडर बनाकर कांच की शीशी या बरनी में भर लेवें ।<br />
रात्रि को सोते समय एक चम्मच पावडर एक गिलास पूरा कुन-कुना पानी के साथ लेना है। गरम पानी के साथ ही लेना अत्यंत आवश्यक है लेने के बाद कुछ भी खाना पीना नहीं है। यह चूर्ण सभी उम्र के व्यक्ति ले सकतें है।<br />
चूर्ण रोज-रोज लेने से शरीर के कोने-कोने में जमा पडी गंदगी (कचरा) मल और पेशाब द्वारा बाहर निकल जाएगी । पूरा फायदा तो 80-90 दिन में महसूस करेगें, जब फालतू चरबी गल जाएगी, नया शुद्ध खून का संचार होगा । चमड़ी की झुर्रियाॅ अपने आप दूर हो जाएगी। शरीर तेजस्वी, स्फूर्तिवाला व सुंदर बन जायेगा । घरेलू<br />
<h3 style="text-align: left;">
<span style="color: red;">इससे " राज" फायदे ये हैं-</span></h3>
1. गठिया दूर होगा और गठिया जैसा जिद्दी रोग दूर हो जायेगा ।<br />
2. हड्डियाँ मजबूत होगी ।<br />
3. आॅख का तेज बढ़ेगा ।<br />
4. बालों का विकास होगा।<br />
5. पुरानी कब्जियत से हमेशा के लिए मुक्ति।<br />
6. शरीर में "राज" खून दौड़ने लगेगा ।</div>
<div>
7. कफ से मुक्ति ।<br />
8. हृदय की कार्य क्षमता बढ़ेगी ।<br />
9. थकान नहीं रहेगी, घोड़े की तहर दौड़ते जाएगें।<br />
10. स्मरण शक्ति बढ़ेगी ।<br />
11. स्त्री का शारीर "राज" शादी के बाद बेडोल की जगह सुंदर बनेगा ।</div>
<div>
12. कान का बहरापन दूर होगा ।<br />
13. भूतकाल में जो एलाॅपेथी दवा का साईड इफेक्ट से मुक्त होगें।<br />
14. खून में "राज" सफाई और शुद्धता बढ़ेगी ।</div>
<div>
15. शरीर की सभी खून की नलिकाएॅ शुद्ध हो जाएगी ।<br />
16. दांत मजबूत बनेगा, इनेमल जींवत रहेगा ।<br />
17. नपुसंकता दूर होगी।<br />
18. डायबिटिज काबू में रहेगी, डायबिटीज की जो दवा लेते है वह चालू रखना है। इस चूर्ण का असर "राज" दो माह लेने के बाद से दिखने लगेगा । जिंदगी निरोग, आनंददायक, चिंता रहित स्फूर्ति दायक और आयुष्ययवर्धक बनेगी । जीवन जीने योग्य बनेगा।<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiIJOZNfCfuevcgjY6w4HgUeWR2UTyX-HSgZP56e9_1oNXEj_kVi2h6zjGar5RGhMJcZ0RyI0mmCRyDWBdAEVIZ09p1KBuT3ufjaLwxDYfXb9sepVgJy_BaJDFmjZPcw3vVqqs7b8ToXEg/s1600/cup.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="327" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiIJOZNfCfuevcgjY6w4HgUeWR2UTyX-HSgZP56e9_1oNXEj_kVi2h6zjGar5RGhMJcZ0RyI0mmCRyDWBdAEVIZ09p1KBuT3ufjaLwxDYfXb9sepVgJy_BaJDFmjZPcw3vVqqs7b8ToXEg/s400/cup.jpg" width="400" /></a></div>
</div>
<div>
<br />
कुछ लोग कलौंजी को काली जीरी समझ रहे है जो कि गल्त है काली जीरी अलग होती है जो आपको पंसारी/करियाणा की दुकान से मिल जाएगी जिसके नाम इस तरह से है-<br />
<ul style="text-align: left;">
<li>हिन्दी कालीजीरी, करजीरा।</li>
<li>संस्कृत अरण्यजीरक, कटुजीरक, बृहस्पाती।</li>
<li>मराठी कडूकारेलें, कडूजीरें।</li>
<li>गुजराती कडबुंजीरू, कालीजीरी।</li>
<li>बंगाली बनजीरा।</li>
<li>अंग्रेजी पर्पल फ्लीबेन।</li>
</ul>
पोस्ट अच्छा लगे तो "राज" प्लीज शेयर करना मत भूलना </div>
</div>
RAJhttp://www.blogger.com/profile/03629974765289732103noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4970850955424214744.post-89815743448195886142016-07-18T11:53:00.001-04:002016-07-18T11:53:31.226-04:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<h2 style="text-align: left;">
जूस के साथ कभी न लें दवा, नहीं तो...<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjXnKU9swDMAyWRmZAMAK41orRx8BcR_Wv4oP2pURWTAMZmwhWzJZ_3R__r9_2SzP5W0t3qJ7mOaChOf9aE90z4ytzjgdXt6a_voOXSW6LBD-SDrz5pbBrugViRlW7IrKMKzBJZIAx22bk/s1600/Juice+with+Medicene.gif" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="300" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjXnKU9swDMAyWRmZAMAK41orRx8BcR_Wv4oP2pURWTAMZmwhWzJZ_3R__r9_2SzP5W0t3qJ7mOaChOf9aE90z4ytzjgdXt6a_voOXSW6LBD-SDrz5pbBrugViRlW7IrKMKzBJZIAx22bk/s400/Juice+with+Medicene.gif" width="400" /></a></div>
</h2>
<br />दवाओं को अगर पानी के साथ न लेकर जूस के साथ लेने की आदत है, तो इसे सुधार लीजिए, क्योंकि इससे दवाओं का असर कम हो सकता है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के महासचिव व एचसीएफआई के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ.के.के. अग्रवाल के मुताबिक, अंगूर का रस शरीर में कुछ दवाओं को सोखने की क्षमता कम कर सकता है, वहीं संतरा और सेब के जूस शरीर में दवाओं की सोखने की क्षमता कम कर उनके असर को कम कर सकते हैं।<br /><br />कनाडा स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टर्न ओंटारियो के डॉ.डेविड बैले के अध्ययन का हवाला देते हुए डॉ, अग्रवाल ने कहा, "अंगूर का रस रक्तधारा में जाने वाली दवाओं की मात्रा कम कर देता है।"<br /><br />अमेरिकन एकेडमी ऑफ फैमिली फिजिशियंस, के डॉक्टरों ने कॉलेस्ट्रॉल, उच्च रक्तचाप और दिल की धड़कन की दवा लेने वाले मरीजों को अंगूरों का रस न पीने की चेतावनी दे रखी है।<br /><br />शोध में पता चला है कि अंगूर, संतरे व सेब का रस कैंसर की दवा एटोपोफोस, बीटा ब्लॉकर दवा एटेनोलोल और एंटी ट्रांसप्लांट रिजेक्शन ड्रग सिस्लोस्पोरीन, सिप्रोफ्लॉक्सासिन, लिवोफ्लॉक्सासिन व इट्राकॉनाजोल जैसे एंटीबायोटिक्स का असर कम कर देता है।<br /><br />शोध में शामिल स्वयंसेवकों ने एलर्जी की दवा फेक्सोफेनाडाईन सादे पानी व अंगूर के रस के साथ ली। जिन्होंने यह दवा अंगूर के रस के साथ ली, उनके शरीर ने केवल आधी दवा ही सोखी।<br /><br />रस में मौजूद तत्व दवा के सोखने की क्षमता को प्रभावित करते हैं। कुछ रसायन दवा को ले जाने वाले तत्वों को बाधित कर देते हैं, जिससे दवा के सोखने की क्षमता कम हो जाती है, जबकि कुछ रसायन ड्रग्स मेटाबॉलिज्म एंजाइम जो आम तौर पर दवा को तोड़ने का काम करते हैं, उन्हें बाधित कर देते हैं।<br /><br />आम तौर पर पानी के साथ दवा लेना सुरक्षित होता है। एक घूंट के बजाय एक ग्लास बेहतर होता है, क्योंकि यह दवा को घुलने में मदद करता है। ठंडे पानी की बजाए गर्म पानी ज्यादा बेहतर रहता है।<br /><br /><h3 style="text-align: left;">
<span style="color: #990000;">इन 5 हर्बल जूस को पीते वक़्त रखे सावधानी, वरना फायदे की जगह आप हो सकते है बीमार</span></h3>
<h3 style="text-align: left;">
<span style="color: #351c75;">Herbal juice benefits and side effects in Hindi </span></h3>
नेचुरल प्रोडक्ट्स हमें फायदा जरूर पहुंचाते हैं, लेकिन इनका इस्तेमाल शुरू करने से पहले ये सोच लेना जरूरी है कि ये आपके लिए फायदेमंद हैं या नहीं? इसकी वजह ये है कि कई बार ये दवाएं आपको बीमार भी कर सकती हैं। दूसरी ओर, आयुर्वेदिक दवाएं उम्र, बॉडी की पावर और बीमारी, उसकी स्टेज, सही मात्रा और मौसम के अनुसार लेने पर ही फायदेमंद साबित होती हैं। इसलिए जब भी ऐसी दवाओं को खाना जरूरी लगे तो सबसे पहले किसी एक्सपर्ट से सलाह-मशविरा जरूर करें।<br /><br /><img src="http://www.ajabgjab.com/wp-content/uploads/2015/10/AyurvedicJuices-1.jpg?81d273" /><br /><br />सेहतमंद बने रहने के लिए तरह-तरह के नेचुरल जूस का सेवन शुरू करने से पहले उनकी प्योरिटी और इस्तेमाल के लिए हिदायतों पर गौर करना जरूरी होता है। वरना फायदे की जगह आपको हो सकता है नुक्सान।<br /><br />1. एलोवेरा जूस (Aloevera juice)<br />loading...<br /><br /><img src="http://www.ajabgjab.com/wp-content/uploads/2015/10/AloveraJuice-1.jpg?81d273" /><br /><br />लाभ- यह ठंडा होता है। इसे पीना स्किन और बालों के ही लिए बहुत ही फायदेमंद है। शरीर की इम्यूनिटी पावर और ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाने में भी ये मददगार होता है। यह दिल और लिवर से जुड़ी कई प्रकार की बीमारियों के खतरे को कम करता है।<br /><br />कब-कितना लें- सुबह खाली पेट पानी के साथ 10 से 30 मिली.।<br /><br />एहतियात- कफ की शिकायत है, तो मानसून या सर्दी के मौसम में इसे नहीं पीना चाहिए, क्योंकि कई बार इससे गले में खराश, खांसी और सीने में दर्द की शिकायत भी हो सकती है। एलोवेरा शरीर में नए सेल्स को बनाता है और उनका ग्रोथ भी करता है, इसलिए कैंसर रोगी इसे न पिएं।<br /><br /><br />2. आंवला जूस (Amla juice)<br /><br /><img src="http://www.ajabgjab.com/wp-content/uploads/2015/10/AmalaJuice-1.jpg?81d273" /><br /><br />लाभ- वजन कंट्रोल करता है, आंखों, बालों और स्किन के लिए फायदेमंद होता है। इम्यूनिटी और डाइजेशन सिस्टम को मज़बूत बनाता है। शरीर की गर्मी को बाहर करने के साथ-साथ एसिडिटी और कोलेस्ट्रॉल की शिकायत भी दूर करता है।<br /><br />कब-कितना लें- सुबह खाली पेट पानी के साथ 20 से 40 मिली.।<br /><br /><br />एहतियात- गर्मियों में तो इसे कोई भी व्यक्ति पी सकता है, लेकिन कफ की समस्या से जूझ रहे व्यक्ति को बारिश और ठंड के दिनों में इससे परहेज करना चाहिए।<br /><br />3. जामुन का रस (Jamun juice)<br /><br /><img src="http://www.ajabgjab.com/wp-content/uploads/2015/10/JamunJuice-1.jpg?81d273" /><br /><br />लाभ- डायबिटीज रोगियों के लिए खासतौर से फायदेमंद। ब्लड में शुगर की मात्रा को कंट्रोल करता है। डाइजेशन सिस्टम को सही रखने में मददगार होता है।<br /><br /><br />कब-कितना लें- सुबह खाली पेट पानी के साथ 20 मिली.।<br /><br />एहतियात- कसैला होने के कारण वात प्रकृति के लोगों के लिए हानिकारक हो सकता है। गले में खराश या दर्द की शिकायत होने पर भी इसका सेवन न करें।<br /><br />4. करेले का रस (Karele ka juice)<br /><br /><br /><img src="http://www.ajabgjab.com/wp-content/uploads/2015/10/Bittergourdjuice-1.jpg?81d273" /><br /><br />लाभ- डायबिटीज का खतरा कम करता है।<br /><br />कब-कितना लें- सुबह खाली पेट पानी के साथ 20 मिली.।<br /><br />एहतियात- ठंड खत्म होने का दौर में इससे परहेज करना चाहिए। इससे पेट दर्द और गैस की शिकायत हो सकती है। दस्त होने पर भी इसे पीना अवॉयड करना चाहिए।<br /><br />5. जवारे का रस (Jaware ka ras)<br /><br /><img src="http://www.ajabgjab.com/wp-content/uploads/2015/10/Jawarekajuice-1.jpg?81d273" /><br /><br />लाभ- खून की कमी दूर करता है। कैंसर मरीजों के लिए फायदेमंद होता है।<br /><br /><br />कब-कितना लें- सुबह खाली पेट पानी के साथ 40 मिली.।<br /><br />एहतियात- डायबिटीज की शिकायत हो, तो इससे परहेज करें।</div>
RAJhttp://www.blogger.com/profile/03629974765289732103noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4970850955424214744.post-77071320523293920492016-06-13T14:14:00.001-04:002016-06-13T14:14:51.937-04:00मधुमेह में कैसा आहार लेना चाहिए<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div>
<h2>
<span style="color: #660000; font-size: x-large;">मधुमेह को घरेलू इलाज से करें कंट्रोल<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
</div>
<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiHJhlP9_SWOVnnXy-_0_o3r9gx1T_0XwCDkmCwoCPspmcHDi6ddgCfbU3szjR2HnuH3Jhp9xZoSeimonVnwfJTqhS4FyM1dXw6chc4uqgQpfh1GfRDeh8LQx0nPg9IQaEmQL6dZ3N4KLY/s1600/rebel-654480.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="236" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiHJhlP9_SWOVnnXy-_0_o3r9gx1T_0XwCDkmCwoCPspmcHDi6ddgCfbU3szjR2HnuH3Jhp9xZoSeimonVnwfJTqhS4FyM1dXw6chc4uqgQpfh1GfRDeh8LQx0nPg9IQaEmQL6dZ3N4KLY/s400/rebel-654480.jpg" width="400" /></a><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjNuiqoZhwZENf8fmYqDIU6kMmqSvyTC1oz0UxCukqW2KV2yT45t2X1A-Lc6Pu2_vvsbp-cbSnAJbn8zcls6eSipuujBBNMy_tnWUhV38mjfeq-VxbpRCQOuTe689XW4mte4tMdK-pDzsY/s1600/veggies-and-fruits-junk-food.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="400" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjNuiqoZhwZENf8fmYqDIU6kMmqSvyTC1oz0UxCukqW2KV2yT45t2X1A-Lc6Pu2_vvsbp-cbSnAJbn8zcls6eSipuujBBNMy_tnWUhV38mjfeq-VxbpRCQOuTe689XW4mte4tMdK-pDzsY/s400/veggies-and-fruits-junk-food.jpg" width="400" /></a></div>
</span><div style="text-align: justify;">
<span style="font-size: small;">मधुमेह जैसी आजीवन रहने वाली बीमारी की चिकित्सा संभव नहीं है, लेकिन इसे नियंत्रित किया जाना आसान है। गौरतलब है कि मधुमेह या चीनी की बीमारी को मधुमेह रोगी स्वंय अपनी देखभाल करके कंट्रोल कर सकते हैं। विशेष भोजन या हल्का भोजन लेकर मधुमेह आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है। लेकिन इसमें ध्यान रखने वाली बात होती है कि मधुमेह रोगियों का खाना कैसा हो। आइए जानें मधुमेह रोगियों को खाने में क्या चीज लेनी चाहिए और क्या नहीं। </span></div>
"मानव सेवा ही ईश्वर सेवा है...: "राज"<div style="text-align: justify;">
<span style="font-size: small;"><br /></span></div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="font-size: small;">यदि आप मधुमेह रोगी हैं तो, जाहिर सी बात है कि आपके दिमाग में यह एक सवाल जरुर आया होगा कि क्या हम फल का सेवन कर सकते हैं? एक्सपर्ट बोलते हैं कि मधुमेह रोगी भी फल का सेवन कर सकते हैं लेकिन सही मात्रा में। ऐसे फल जैसे, केला, लीची, चीकू और कस्टर्ड एप्पल आदि से बचना चाहिये। आज हम आपको कुछ ऐसे 18 फल बताने जा रहे हैं, जिसका सेवन आप आराम से कर सकते हैं। दरअसल, मधुमेह के रोगियों को रेशेदार फल, जैसे तरबूज, खरबूजा, पपीता, सेब और स्ट्राबेरी आदि खाने चाहिए। इन फलों से रक्त शर्करा स्तर नियंत्रित होता है इसलिये इन्हें खाने से कोई नुकसान नहीं होता। मधुमेह रोगियों को फलो का रस नहीं पीना चाहिये क्योंकि एक तो इसमें चीनी डाली जाती है और दूसारा कि इसमें गूदा हटा दिया जाता है, जिससे शरीर को फाइबर नहीं मिल पाता। तो आइये जानते हैं कि मधुमेह रोगियों को कौन-कौन से फलों का सेवन करना चाहिये।</span></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<span style="font-size: small;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhhegv6HKLb2T3zdWWCg4AURmkDlKGDSsZ3eBVfRCRYDH5bZ-PncI_qOATf_4l3lFJt77kQ07svmep4rNkuQUrvgX0m1MkeUZA9QdoybqnLnY5ef4h-CW6txNPZZfK3FLDlaOOWwHhZSuU/s1600/Control-Diabetes.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="300" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhhegv6HKLb2T3zdWWCg4AURmkDlKGDSsZ3eBVfRCRYDH5bZ-PncI_qOATf_4l3lFJt77kQ07svmep4rNkuQUrvgX0m1MkeUZA9QdoybqnLnY5ef4h-CW6txNPZZfK3FLDlaOOWwHhZSuU/s400/Control-Diabetes.jpg" width="400" /></a></span></div>
</h2>
</div>
<h4 style="text-align: justify;">
<span style="color: #351c75;">कीवी </span></h4>
<div style="text-align: justify;">
कई रिसर्च के अनुसार यह बात सामने आई है कि कीवी खाने से ब्लड शुगर लेवल कम होता है।</div>
<h4 style="text-align: justify;">
<span style="color: purple;">काली जामुन </span></h4>
<div style="text-align: justify;">
मधुमेह रोगियो के लिये यह फल बहुत ही लाभकारी है। इसके बीजो़ को पीस कर खाने से मधुमेह कंट्रोल होता है।</div>
<h4 style="text-align: justify;">
<span style="color: #0c343d;">अमरख </span></h4>
<div style="text-align: justify;">
यदि आप को मधुमेह है तो आप यह फल आराम से खा सकते हैं। पर यदि रोगी को डायबिटीज अपवृक्कता है तो उसे अमरख खाने से पहले डॉक्टर से पूछना चाहिये।</div>
<h4 style="text-align: justify;">
<span style="color: purple;">अमरूद </span></h4>
<div style="text-align: justify;">
अमरूद में विटामिन ए और विटामिन सी के अलावा फाइबर भी होता है।</div>
<h4 style="text-align: justify;">
<span style="color: #351c75;">चैरी </span></h4>
<div style="text-align: justify;">
इसमें जीआई मूल्य 20 होता है जो कि बहुत कम माना जाता है। यह मधुमेह रोगियों के लिये बहुत ही स्वास्थ्य वर्धक मानी जाती है।</div>
<h4 style="text-align: justify;">
<span style="color: #351c75;">आड़ू </span></h4>
<div style="text-align: justify;">
इस फल में भी जीआई बहुत कम मात्रा में पाया जाता है और मधुमेह रोगियों के लिये अच्छा माना जाता है।</div>
<h4 style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">सेब </span></h4>
<div style="text-align: justify;">
सेब में एंटीऑक्सीडेंट होता है जो कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाता है।</div>
<h4 style="text-align: justify;">
<span style="color: #0c343d;">अनानास </span></h4>
<div style="text-align: justify;">
इसमें एंटी बैक्टीरियल तत्व होने के साथ ही शरीर की सूजन कम करने की क्षमता होती है। यह शरीर को पूरी तरह से फायदा पहुंचाता है।</div>
<h4 style="text-align: justify;">
<span style="color: magenta;">नाशपाती </span></h4>
<div style="text-align: justify;">
इसमें खूब सारा फाइबर और विटामिन पाया जाता है जो कि मधुमेह रोगियों के लिये फायदेमंद होता है।</div>
<h4 style="text-align: justify;">
<span style="color: #0c343d;">पपीता </span></h4>
<div style="text-align: justify;">
इसमें विटामिन और अन्य तरह के मिनरल होते हैं।</div>
<h4 style="text-align: justify;">
<span style="color: purple;">अंजीर</span></h4>
<div style="text-align: justify;">
इसमें मौजूद रेशे मधुमेह रोगियों के शरीर में इंसुलिन के कार्य को बढावा देते हैं।</div>
<h4 style="text-align: justify;">
<span style="color: blue;">संतरा</span></h4>
<div style="text-align: justify;">
यह फल रोज खाने से विटामिन सी की मात्रा बढेगी और मधुमेह सही होगा।</div>
<h4 style="text-align: justify;">
<span style="color: #20124d;">तरबूज </span></h4>
<div style="text-align: justify;">
यदि इसे सही मात्रा में खाया जाए तो यह फल मधुमेह रोगियों के लिये अच्छा साबित होगा।</div>
<h4 style="text-align: justify;">
<span style="color: #660000;">अंगूर </span></h4>
<div style="text-align: justify;">
अंगूर का सेवन मधुमेह के एक अहम कारक मेटाबोलिक सिंड्रोम के जोखिम से बचाता है। अंगूर शरीर में ग्लूकोज के स्तर को नियंत्रित करता है।</div>
<h4 style="text-align: justify;">
<span style="color: #660000;">अनार </span></h4>
<div style="text-align: justify;">
यह फल भी बढे हुए ब्लड शुगर लेवल को कम करने में असरदार है।</div>
<h4 style="text-align: justify;">
<span style="color: #4c1130;">खरबूज </span></h4>
<div style="text-align: justify;">
इसमें ग्लाइसिमिक इंडेक्स ज्यादा होने के बावजूद भी फाइबर की मात्रा अच्छी होती है इसलिये यदि इसे सही मात्रा में खाया जाए तो अच्छा होगा।</div>
<h4 style="text-align: justify;">
<span style="color: #4c1130;">कटहल</span></h4>
<div style="text-align: justify;">
यह फल इंसुलिन लेवल को कम करता है क्योंकि इसमें विटामिन ए, सी, थायमिन, राइबोफ्लेविन, नियासिन, कैल्शियम, पौटैशियम, आयरन, मैग्नीशियम तथा अन्य पौष्टिक तत्व होते हैं।</div>
<h4 style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">आमला</span></h4>
<div style="text-align: justify;">
इस फल में विटामिन सी और फाइबर होता है जो कि मधुमेह रोगी के लिये अच्छा माना जाता है।</div>
<h3 style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">मधुमेह रोगियों का खाना </span>"राज" <span style="color: red;">कैसा हो?<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjuLVYJSsp1BjRyxhuH0noCJ9Wylqp9IEQwbPRM0C7rA1CjCIh-_ptnkVH0FsPOctSVHdHZFI4Da5HluASIRn747gRmkGH_DoKCjsj4GPHFF1FEU60bivnw8fIyBSKroMDz8QMjNvhptY4/s1600/vegetarian-diet-to-control-diabetes.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="281" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjuLVYJSsp1BjRyxhuH0noCJ9Wylqp9IEQwbPRM0C7rA1CjCIh-_ptnkVH0FsPOctSVHdHZFI4Da5HluASIRn747gRmkGH_DoKCjsj4GPHFF1FEU60bivnw8fIyBSKroMDz8QMjNvhptY4/s400/vegetarian-diet-to-control-diabetes.jpg" width="400" /></a></div>
</span></h3>
<div style="text-align: justify;">
मधुमेह जैसी आजीवन रहने वाली बीमारी की चिकित्सा संभव नहीं है, लेकिन इसे नियंत्रित किया जाना आसान है। गौरतलब है कि मधुमेह या चीनी की बीमारी को मधुमेह रोगी स्वंय अपनी देखभाल करके कंट्रोल कर सकते हैं। विशेष भोजन या हल्का भोजन लेकर मधुमेह आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है। लेकिन इसमें ध्यान रखने वाली बात होती है कि मधुमेह रोगियों का खाना कैसा हो। आइए जानें मधुमेह रोगियों को खाने में क्या चीज लेनी चाहिए और क्या नहीं।</div>
<div style="text-align: justify;">
<ol>
<li>मधुमेह रोगियों को घुलनशील फाइबर युक्त आहार लेना चाहिए।</li>
<li>विशेष भोजन के रूप में मधुमेह रोगी जल्दी पचने वाला आहार ले सकते हैं। </li>
<li>मधुमेह रोगी को खाने में हल्दी का सेवन किसी न किसी रूप में ज़रूर करना चाहिए।</li>
<li>मधुमेह रोगियों को काब्रोहाइड्रेट के रूप में मोटा अनाज, भूरे चावल, प्रोटीन युक्त पदार्थ, मांस इत्यादि लेना चाहिए। </li>
<li>हल्के आहार में मधुमेह रोगी को अनाज, दालें, हरी पत्तेदार सब्जियां, टोंड दूध इत्यादि लेना फायदेमंद होता है। </li>
<li>मधुमेह में संतुलित आहार के साथ-साथ कैलोरी, प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट इत्यादि भी भरपूर मात्रा में लेना चाहिए। </li>
<li>तरल पदार्थों को बनाते समय उसमें शुगर फ्री खाद्य पदार्थ का ही इस्तेमाल करें जैसे टमाटर की चटनी इत्यादि में शुगर न डालें। </li>
<li>अंगूर, जामुन,सेब इत्यादि फलों से भी मधुमेह को नियंत्रित किया जा सकता है। </li>
<li>कम शुगर वाले खाद्य पदार्थ लें जिसमें कम वसा वाले खाने को प्राथमिकता दें। </li>
<li>दूध वाली चाय के बजाय ग्रीन टी, लेमन टी, हर्बलटी इत्यादि को अपनी दिनचर्या में शामिल करें। </li>
<li>सलाद में हरी सब्जियां की सलाद बना सकते हैं। </li>
<li>आप घर की बनी टमाटर की चटनी, सूप और टमाटर ले सकते हैं। </li>
<li>खीरा प्याज, नींबू और सामान्य मिर्च मसालों का ही प्रयोग करें।</li>
<li>करेला, मेथी दाना का सेवन करें। </li>
<li>अधिक समय तक भूखे ना रहें और थोड़े-थोड़े समय में कुछ न कुछ खाते रहें। </li>
<li>खाना बनाते समय सरसों का तेल, मूंगफली,सोयाबीन,सूर्यमुखी के तेल का इस्तेमाल करें ये आपको मधुमेह नियंत्रित करने में बहुत मदद करेगा। </li>
<li>स्ट्राबेरी, तरबूज़, पपीता, बेर जैसे फल आदि जल्दी पच जाते हैं इसलिए वो आंत में आसानी से अवशोषित हो जाते हैं। काजू, बादाम और ड्राईफ्रूट्स खाने से भी मधुमेह को बढ़ने से रोका जा सकता है। </li>
<li>मधुमेह के मरीज साबुत दाल ,सलाद ,कच्चे मीठे खट्टे फलों के साथ-साथ विटामिन सी, ई कुछ खनिज इत्यादि पौष्टिक आहार को अपने भोजन में शामिल कर मधुमेह को कम कर सकते हैं। </li>
<li>हरी पत्तेदार सब्ज़ियाँ मैग्निशियम और विटामिन जैसी एंटी-ऑक्सीडेंट का अच्छा स्रोत होती हैं जो कि रक्त से शुगर की मात्रा कम करने में लाभकारी भूमिका निभाता है।</li>
</ol>
</div>
<div style="text-align: justify;">
<b><i><span style="color: red;">वे खाद्य पदार्थ </span></i></b>"राज" <b><i><span style="color: red;">जो रक्त में शुगर का स्तर बढ़ाते हैं<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhjjW1DDRUHcFUjwRLb_lXsTDe_nvdZuxoJ-RnbZ463h5jTUAWVPl0_coXhQZKQTf2e3htPLHtb1hP1Qkv3ClDJDjOaEVHIrjucW1_OX3fZUR-MqTc9ezc4QxDoNj1pFAsHFkixYxdZlJc/s1600/collarge-of-diet.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="271" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhjjW1DDRUHcFUjwRLb_lXsTDe_nvdZuxoJ-RnbZ463h5jTUAWVPl0_coXhQZKQTf2e3htPLHtb1hP1Qkv3ClDJDjOaEVHIrjucW1_OX3fZUR-MqTc9ezc4QxDoNj1pFAsHFkixYxdZlJc/s400/collarge-of-diet.jpg" width="400" /></a></div>
</span></i></b></div>
<div style="text-align: justify;">
<ul>
<li><b>चीनी</b></li>
<li><b>नमक</b></li>
<li><b>गुड़ </b></li>
<li><b>देसी घी</b></li>
<li><b>फुलक्रीम दूध</b></li>
<li><b>घी में तले परांठें </b></li>
<li><b>आइस्क्रीम</b></li>
<li><b>मांस </b></li>
<li><b>अंडा </b></li>
</ul>
</div>
<h3 style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">धूम्रपान व मदिरापान </span></h3>
<div>
<div style="text-align: justify;">
डायबिटीज के रोगी को आहार में जड़ एवं कंद, मिठाइयाँ, चॉकलेट, तला हुआ भोजन, सूखे मेवे, केला, चीकू, सीताफल इत्यादि चीजों को खाने से बचना चाहिए। इतना ही नहीं मधुमेह नियंत्रित करने के लिए डॉक्टर के निर्देशानुसार ही कैलोरीज लेनी चाहिए।</div>
<h3 style="text-align: justify;">
<span style="color: purple;">मधुमेह को घरेलू इलाज से करें कंट्रोल</span></h3>
<div style="text-align: justify;">
मधुमेह बीमारी में रक्त में शर्करा की मात्रा सामान्य से अधिक हो जाती है। अभी तक इसका कोई स्थाई इलाज सामने निकल कर नहीं आया है। इसलिए अगर आपको डायबीटीज को कंट्रोल करना है, तो अच्छा पौष्टिक आहार और अपने लाइफस्टाइल में परिवर्तन लाना होगा। इस बीमारी को घरेलू इलाज से काफी हद तक कम किया जा सकता है। आइए जानते है मधुमेह को घरेलू इलाज से कैसे कंट्रोल कर सकते हैं।</div>
<h4 style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">मधूमेह को ठीक करने के लिए </span>"राज" <span style="color: red;">घरेलू इलाज- <div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgbKWPQsq9Nnu8mW6kG6re5GvbTVdciWUjoMR8wQe7PZyR9UCfCJVY1ECEsG-K1v9qDhOt7_S0ce95CzLMCY-tm1ueq6nMAxz8fC_0hsLucIr-o8ZJPj3lAEC2jYEQsAHjAocg6V1bwizA/s1600/iStock_72091089_wide.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="216" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgbKWPQsq9Nnu8mW6kG6re5GvbTVdciWUjoMR8wQe7PZyR9UCfCJVY1ECEsG-K1v9qDhOt7_S0ce95CzLMCY-tm1ueq6nMAxz8fC_0hsLucIr-o8ZJPj3lAEC2jYEQsAHjAocg6V1bwizA/s400/iStock_72091089_wide.jpg" width="400" /></a></div>
</span></h4>
<div style="text-align: justify;">
<b><span style="color: red;">1. करेला- </span></b>डायबिटीज में करेला काफी फायदेमंद होता है, करेले में कैरेटिन नामक रसायन होता है, इसलिए यह प्राकृतिक स्टेरॉयड के रुप में इस्तेमाल होता है, जिससे खून में शुगर लेवल नहीं बढ़ पाता। करेले के 100 मिली. रस में इतना ही पानी मिलाकर दिन में तीन बार लेने से लाभ होता है।</div>
<div style="text-align: justify;">
<b><span style="color: #134f5c;">2. मेथी-</span></b> मधुमेह के रोगियों के लिए मेथी बहुत फायदेमंद होता है। अगर आप रोज़ 50 ग्राम मेथी नियमित रुप से खाएगें तो निश्चित ही आपका ग्लूकोज़ लेवल नीचे चला जाएगा, और आपको मधुमेह से राहत मिलेगी।</div>
<div style="text-align: justify;">
<b><span style="color: #351c75;">3. जामुन- </span></b>जामुन का रस, पत्ती़ और बीज मधुमेह की बीमारी को जड़ से समाप्त कर सकता हैं। जामुन के सूखे बीजों को पाउडर बना कर एक चम्मच दिन में दो बार पानी या दूध के साथ लेने से राहत मिलती है।</div>
<div style="text-align: justify;">
<b><span style="color: #741b47;">4. आमला-</span></b> एक चम्मच आमले का रस करेले के रस में मिला कर रोज पीएं , यह मधुमेह की सबसे अच्छी दवा है।</div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="color: magenta;"><b>5. आम की पत्ती –</b></span> 15 ग्राम ताजे आम के पत्तों को 250 एमएल पानी में रात भर भिगो कर रख दें। इसके बाद सुबह इस पानी को छान कर पी लें। इसके अलावा सूखे आम के पत्तों को पीस कर पाउडर के रूप में खाने से भी मधुमेह में लाभ होता है।</div>
<div style="text-align: justify;">
<b><span style="color: red;">6. शहद- </span></b>कार्बोहाइर्ड्रेट, कैलोरी और कई तरह के माइक्रो न्यू ट्रिएंट से भरपूर<a href="http://www.onlymyhealth.com/madhumeh-rogiyo-ke-liye-shehed-ke-faayde-aur-nuksaan-1337253384"> </a>शहद मधुमेह के लिए लाभकारी है। शहद मधुमेह को कम करने में सहायता करता है।</div>
<b><div style="text-align: justify;">
<b><span style="color: red;">इसके अलावे इनका सेवन करने से भी मधुमेह में आराम मिलता है-</span></b></div>
</b><div style="text-align: justify;">
1. एक खीरा, एक करेला और एक टमाटर, तीनो का जूस निकालकर सुबह खाली पेट पीने से मधुमेह नियंत्रित होता है।</div>
<div style="text-align: justify;">
2. नीम के सात पत्ते सुबह खाली पेट चबाकर या पीसकर पानी के साथ लेने से मधुमेह में आराम मिलता है।</div>
<div style="text-align: justify;">
3. सदाबहार के सात फूल खाली पेट पानी के साथ चबाकर पीने से मधुमेह में आराम मिलता है।</div>
<div style="text-align: justify;">
4. जामुन, गिलोय, कुटकी, नीम के पत्ते, चिरायता, कालमेघ, सूखा करेला, काली जीरी, मेथी इन सब को समान मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण सुबह-शाम खाली पेट पानी के साथ लें, इससे मधुमेह में आराम मिलता है।</div>
<h3 style="text-align: justify;">
<span style="color: #990000;">इन आहार से </span>"राज" <span style="color: #990000;">दूर रहें-<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj5gYApXeIAJhHNoXn8EKwJukxO0A9e0_90ZLWwy_W2psJBJKfPX6375iugFXHChvrAWe2QlGaYW4JJrA89y3szveGpLDB77WJ8pBxTjTWtmEd8kqN0u5UJAlgvQ_Tj0s7nWrE-G3StQ9Y/s1600/fat-girl-excerising.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="267" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj5gYApXeIAJhHNoXn8EKwJukxO0A9e0_90ZLWwy_W2psJBJKfPX6375iugFXHChvrAWe2QlGaYW4JJrA89y3szveGpLDB77WJ8pBxTjTWtmEd8kqN0u5UJAlgvQ_Tj0s7nWrE-G3StQ9Y/s400/fat-girl-excerising.jpg" width="400" /></a></div>
</span></h3>
<b><div style="text-align: justify;">
<b><span style="color: red;">1. मीठे से दूर रहें</span></b></div>
</b><div style="text-align: justify;">
वैसे तो ऐसे लोग बहुत बड़ी संख्या में हैं, जो मीठा खाना पसंद नहीं करते, लेकिन इसके बावजूद वे मधुमेह के शिकार हैं। मधुमेह मीठा खाने के कारण नहीं होता, लेकिन एक बार यह हो जाए तो मरीज को मीठे से दूर रहना पड़ता है। इसलिए कोशिश करें कि मिठाई ना खाएं।</div>
<b><div style="text-align: justify;">
<b><span style="color: red;">2. जमीन के अंदर उगनेवाले चाजों से बचें</span></b></div>
</b><div style="text-align: justify;">
शकरकंदी, अरवी, आलू और ऐसी कई चीजे जो जमीन के अंदर उगती है, उनको ना खाएं या कोशिश करें कि कम से कम मात्रा में इनका सेवन करें।</div>
<b><div style="text-align: justify;">
<b><span style="color: red;">3. जंक फ़ूड से दूर रहें</span></b></div>
</b><div style="text-align: justify;">
जंक फ़ूड बिल्कुल ना खाएं, इससे मधुमेह का खतरा और बढ़ जाता है। साथ ही तली हुई चीजें भी ना खाएं, यह आपकी बीमारी को और बढ़ा देगा। अंकुरित अन्न को उबालकर या भुनकर खाएं पर तलकर नहीं खाएं।</div>
<b><div style="text-align: justify;">
<b><span style="color: red;">4. सूखा मेवा ना खाएं</span></b></div>
</b><div style="text-align: justify;">
अगर आपको मधुमेह है तो आप सूखा मेवा कभी नहीं खाएं, और अगर खाना भी हो तो इन्हे पानी में भिगोकर खा सकते हैं।</div>
<b><div style="text-align: justify;">
<b><span style="color: red;">5. वसायुक्त भोजन ना करें<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg1f9uIoR7Kz_TWeVbIxHSjRNKfIMgBhoRQ1aIfmClu5sx_LWIQ8ID7GAY1KiqG094nMlmAJ7NrluR9PLhMyd0fByOdO2zJYuWur3oUnASiExkXRuGddLoTE9SIlaj47ir1TaDRk6wYqSM/s1600/juice-in-morning.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="353" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg1f9uIoR7Kz_TWeVbIxHSjRNKfIMgBhoRQ1aIfmClu5sx_LWIQ8ID7GAY1KiqG094nMlmAJ7NrluR9PLhMyd0fByOdO2zJYuWur3oUnASiExkXRuGddLoTE9SIlaj47ir1TaDRk6wYqSM/s400/juice-in-morning.jpg" width="400" /></a></div>
</span></b></div>
</b><div style="text-align: justify;">
मधुमेह से बचना है, तो वसायुक्त भोजन कम लें। वसा या कार्बोहाइड्रेट वाला भोजन करने से मधुमेह बढ़ता है। इसलिए वसा या कार्बोहाइड्रेट की कम मात्रा वाला भोजन लेने से मधुमेह से बचाव हो सकता है।</div>
<span style="color: red;"><div style="text-align: justify;">
<b>6. चावल ना खाएं </b></div>
</span><div style="text-align: justify;">
अगर आप रोज एक बड़ा बाउल सफेद चावल खाते हैं, तो आपको टाइप-2 मधुमेह होने का खतरा सामान्य से 11 प्रतिशत ज्यादा होता है। चावल के पकाने की विधि पर उसके खाने से होने वाला फायदा या नुकसान निर्भर करता है। अगर चावल की बिरयानी बनाई जाए या चावल को मांस या सोयाबीन के साथ खाया जाए, तो डाइबिटीज होने का खतरा ज्यादा रहता है। क्योंकि इससे शरीर में रक्त में शर्करा की मात्रा पर असर पड़ सकता है।</div>
<b><div style="text-align: justify;">
<b><span style="color: red;">7. इन फलों से दूर रहें</span></b></div>
</b><div style="text-align: justify;">
केला, आम, लीची जैसे फलों को ना खाएं या कम मात्रा में खाएं, क्योंकि इससे मधूमेह का खतरा बढ़ता है।</div>
<b><div style="text-align: justify;">
<b><span style="color: red;">8. इनसे भी दूर रहें</span></b></div>
</b><div style="text-align: justify;">
अगर आपको मधुमेह हो तो आप आइसक्रीम, केक, पेस्ट्री आदि से भी परहेज रखें। यह आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते है।</div>
</div>
</div>
RAJhttp://www.blogger.com/profile/03629974765289732103noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4970850955424214744.post-52775012332029605392016-05-12T14:23:00.003-04:002016-05-12T14:23:45.911-04:00जल्दी वजन बढ़ाने के लिए <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<h2 style="text-align: center;">
<span style="color: red;">कैलोरी और वसायुक्त आहार का करें सेवन<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjahPLcVbToieCSK-68gjEqKwXVa07kaXVULhuVD9TyAab3M-MuGGKjwErZBzv0hZ0_IqVgZ4db1ee49RHeefN7_-t4BFdkEKwncolVI1thf-IxXaW11K87rrpW5_94gb8APQTxFbmgrl8/s1600/2i20nmb.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="302" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjahPLcVbToieCSK-68gjEqKwXVa07kaXVULhuVD9TyAab3M-MuGGKjwErZBzv0hZ0_IqVgZ4db1ee49RHeefN7_-t4BFdkEKwncolVI1thf-IxXaW11K87rrpW5_94gb8APQTxFbmgrl8/s400/2i20nmb.jpg" width="400" /></a></div>
</span></h2>
<div style="text-align: justify;">
वजन भी एक समस्या है चाहे वह ज्यादा हो या कम। लेकिन जिनका वजन कम हे वे इसे बढ़ाने के लिए कई प्रकार के जतन करते हैं, कुछ लोग तो जल्दी वजन बढ़ाने के लिए कुछ ऐसे नुस्खे आजमाते हैं जो वजन तो बढ़ाते हैं लेकिन उसका नुकसान शरीर पर होता है।</div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<div style="text-align: justify;">
वजन बढ़ाने के साथ- साथ आप ऐसे टिप्स आजमायें जो आपके शरीर के लिए फायदेमंद हों और आपको फिट रखें। इसके लिए आपको निरंतर कोशिश करते रहना चाहिए। कहीं ऐसा न हो इसका साइड इफेक्ट आपके शरीर पर पड़े। जैसे - <b><span style="color: red;">फास्ट फूड, जंक फूड और कोलेस्टॉल और वसायुक्त आहार</span></b> के सेवन से वजन तो बढ़ता है लेकिन इनके कारण कई बीमारियों होने का खतरा भी बढ़ जाता है। आइए हम आपको वजन बढ़ाने के आसान नुस्खों के बारे में बताते हैं।</div>
<br /><div style="text-align: center;">
<a href="http://1.bp.blogspot.com/-jM2bZAxJ-D0/U0wAWwGaaEI/AAAAAAAAAS8/40VYj5lIunk/s1600/download+(16).jpg"><img border="0" height="299" src="https://1.bp.blogspot.com/-jM2bZAxJ-D0/U0wAWwGaaEI/AAAAAAAAAS8/40VYj5lIunk/s400/download+(16).jpg" width="400" /></a></div>
<br /><br /><div style="text-align: center;">
<a href="http://1.bp.blogspot.com/-fIgNbRnd7mA/U0wAXCLlI4I/AAAAAAAAATE/jEjzU6xv3ks/s1600/images+(23).jpg"><img border="0" height="272" src="https://1.bp.blogspot.com/-fIgNbRnd7mA/U0wAXCLlI4I/AAAAAAAAATE/jEjzU6xv3ks/s400/images+(23).jpg" width="400" /></a></div>
<h3 style="text-align: left;">
<span style="color: red;">वजन बढ़ाने के टिप्स</span></h3>
<div style="text-align: center;">
<a href="http://2.bp.blogspot.com/-cFz1rxRgJEI/U0wAWx8opII/AAAAAAAAATA/Uq5uZb_MOBc/s1600/download+(17).jpg"><img border="0" height="299" src="https://2.bp.blogspot.com/-cFz1rxRgJEI/U0wAWx8opII/AAAAAAAAATA/Uq5uZb_MOBc/s400/download+(17).jpg" width="400" /></a></div>
<ul style="text-align: left;">
<li>वजन बढ़ाने के लिए सबसे पहले तो आपका फिट रहना जरूरी है। आप वजन बढ़ाना चाहते हैं इसका ये अर्थ नहीं कि आप शारीरिक रूप से बिल्कुल भी सक्रिय नहीं होंगे।</li>
<li>वजन बढ़ाने के लिए नियमित व्यायाम बहुत जरूरी है, इसके लिए आप फिटनेस सेंटर ज्वॉइन कर सकते हैं।</li>
<li>वजन बढ़ाने के लिए सबसे बढ़िया उपाय है आप हाई कैलोरी का खाना खाएं। लेकिन इसका ये अर्थ नहीं कि आप जंकफूड भारी मात्रा में खाने लगे।</li>
<li>जंक फूड और फास्ट फूड की तुलना में स्वस्थ और अधिक कैलोरीयुक्त खाद्य-पदार्थों को प्राथमिकता दीजिए।</li>
<li>अगर आप वजन हेल्दी रूप से बढ़ाना चाहते हैं तो आपको सुबह का नाश्ता हेवी करना होगा। सुबह का नाश्ता करने आप दिनभर ऊर्जावान बने रहते हैं।</li>
<li>वजन बढ़ाने के लिए प्रोटीन शेक भी एक अच्छा विकल्प हो सकता है। इससे हड्डियां भी मजबूत होती है।</li>
<li>चिकन, चावल, फिश, अंडा इत्यादि भी वज़न बढ़ाने में सहायक हो सकते हैं। इन सभी खाद्य पदार्थों में भारी मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है।</li>
<li>दूध या दूध से बनी चीजों में भी प्रोटीन पाया जाता है या फिर आप सोया मिल्क या पाउडर के सेवन से भी अपना वजन बढ़ा सकते हैं।</li>
<li>अंकुरित अनाज में प्रोटीन अच्छी मात्रा में मौजूद होती है। आप अंकुरित चने, मोंठ इत्यादि के सेवन से अपना वजन बढ़ा सकते हैं।</li>
<li>पनीर, मक्खन, घी, तेल, तैलीय भोजन सभी को खाने से मोटापा बढ़ाने में मदद मिलती हैं।</li>
<li>वजन बढ़ाने के लिए फुलक्रीम दूध में रात को चने भिगोकर सुबह खाने चाहिए। इस तरह के खाद्य पदार्थों में प्रोटीन अच्छी मात्रा में मौजूद होता है।</li>
<li>फलियां, मेवा, बींस इत्यादि में भरपूर प्रोटीन मौजूद होता हैं। इनके सेवन से आप आसानी से अपना वजन बढ़ा सकते हैं।</li>
<li>बहुत अधिक तैलीय पदार्थों के सेवन और तरल पदार्थों की कमी से भी वजन बढ़ता है।</li>
<li>अधिक वसा इत्यादि का सेवन या फिर अधिक मात्रा में कैलोरी लेना लेकिन उस अनुसार व्यायाम ना करने से भी मोटापा बढ़ता है।</li>
</ul>
<br /><b><i><span style="color: red;">इसके अलावा आप हरी सब्जियां, फल, सूप इत्यादि के सेवन से भी आसानी से अपना वजन बढ़ा सकते हैं। इन टिप्स से आप प्रोटीन की कमी को दूर कर अपना वजन बढ़ा सकते हैं, साथ ही आप अपने भोजन को भी संतुलित रख सकते हैं। वजन बढ़ाने के लिए भोजन का संतुलित होना भी बेहद जरूरी है।</span></i></b></div>
RAJhttp://www.blogger.com/profile/03629974765289732103noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4970850955424214744.post-12779726234452441422016-05-09T16:19:00.000-04:002016-05-09T16:19:48.597-04:00गर्मियों में "राज" अमृत बन जाता है पुदीना<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<h2 style="text-align: left;">
<div style="text-align: center;">
<span style="color: #351c75;">Summer becomes nectar peppermint</span></div>
<span style="color: red;"><div style="text-align: center;">
बदहज़मी, दिल और दिमाग को ठंडा करने, चटनी और शरबत के स्वाद का क्या कहने...<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhoVXtRduQRM2K0NM-0BPXVjvQddJ5M3vTqDcSW-wG31_UYnrfhFtskGnbHejfDwfLKN1W0zJdNYtKDFfpt3ICODCsEn-F4NZa_6U1kn2fCrxoxTfxTS5qZTIaNcB8KKRHvXw46-EvWU3w/s1600/images.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="259" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhoVXtRduQRM2K0NM-0BPXVjvQddJ5M3vTqDcSW-wG31_UYnrfhFtskGnbHejfDwfLKN1W0zJdNYtKDFfpt3ICODCsEn-F4NZa_6U1kn2fCrxoxTfxTS5qZTIaNcB8KKRHvXw46-EvWU3w/s400/images.jpg" width="400" /></a></div>
</div>
</span></h2>
हमारे देश में अमृतमय खाद्य पदार्थों की कमी नहीं है, भारत की धरती माता हमें समय समय पर ऐसे फल और सब्जियां देती रहती है जो हमारे शरीर के लिए अमृत का काम करते हैं, अगर हम इन चीजों को नियमित इस्तेमाल करें तो हमारे शरीर से हजारों बीमारियाँ तो ख़त्म हो ही सकती हैं, बीमारियों से भी बचा जा सकता है, पुदीना भी एक ऐसा ही खाद्य पदार्थ है जिसे गर्मियों में नियमित इस्तेमाल किये जाने से शरीर को अनेकों लाभ होते हैं।<br /><h3 style="text-align: left;">
<span style="color: red;">क्या है पुदीना यानी पिपरमिंट खाने से लाभ</span><br /><span style="color: blue;">1. याददास्त में लाभ<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgLVI1B6762WA3aLsMsEHPq7HTNHPqiif4bDT6VtFotTmCwPJe7rBY-wqHckqCgm-dMtR06Nu7VwU_QXjBRRW-8ViJHfrrgM7nf9Gapm2SvzYDgSnlbdEeXoJ4XLonf6izEjYbwItBxd0M/s1600/Peppermint-Juice.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="276" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgLVI1B6762WA3aLsMsEHPq7HTNHPqiif4bDT6VtFotTmCwPJe7rBY-wqHckqCgm-dMtR06Nu7VwU_QXjBRRW-8ViJHfrrgM7nf9Gapm2SvzYDgSnlbdEeXoJ4XLonf6izEjYbwItBxd0M/s400/Peppermint-Juice.jpg" width="400" /></a></div>
</span></h3>
अगर आप बमुश्किल किसी चीज को याद रख पाते हैं, तो पुदीने की चाय पीजिए, क्योंकि एक शोध में पता चला है कि पुदीने की चाय स्वस्थ वयस्कों की याददाश्त लंबी अवधि के लिए सुधार सकती है। इस शोध के लिए अध्ययनकर्ताओं ने 180 प्रतिभागियों को पुदीने की चाय, कैमोमिल (बबूने का फूल) की चाय और गर्म पानी का सेवन कराया था।<br /><br />शोध के परिणामों से पता चला कि है कि कैमोमिल और गर्म पानी का सेवन करने वालों की तुलना में जिन प्रतिभागियों ने पुदीने की चाय का सेवन किया था, उनकी दीर्घकालिक स्मरणशक्ति और सतर्कता में महत्वपूर्ण सुधार देखे गए।<br /><br />वहीं कैमोमिल चाय का सेवन करने वाले प्रतिभागियों में पुदीने की चाय और गर्म पानी का सेवन करने वाले प्रतिभागियों की तुलना में स्मृति और एकाग्रता की क्षमता में कमी महसूस की गई।<br /><br />इस शोध को हाल ही में नॉटिंघम में आयोजित साइकोलॉजिकल सोसाइटी के वार्षिक सम्मेलन में पेश किया गया था।<br /><h3 style="text-align: left;">
<span style="color: #741b47;">2. पेट और गैस की बीमारियों में लाभ</span></h3>
पेट और गैस से सम्बंधित बीमारियों में पुदीना रामबाण का काम करता है। इसकी चटनी और शरबत पीने से पेट में ठंढक पहुँचती है और लीवर में इकठ्ठा जहरीला पदार्थ बाहर आ जाता है, इसको नियमित खाते रहने से पाचन शक्ति बढ़िया हो जाती है। पुदीने के तेल की पेट पर मालिश करने से भी गैस और पेट दर्द में आराम मिलता है।<br /><h3 style="text-align: left;">
<span style="color: #990000;">3. माँ को लाभ</span></h3>
बच्चों को दूध पिलाने वाली महिलाओं की छाती में दर्द होने पर भी पुदीने का तेल फायदेमंद होता है।<br /><h3 style="text-align: left;">
<span style="color: #274e13;">4. सांस की बीमारियों में लाभ</span></h3>
नियमित रूप से पुदीना खाने वालों को सांस की ‘घरघराहट और सरसराहट’ जैसे बामारियों से फायदा मिलता है। पुदीने के तेल की छाती पर मालिस करने से छाती का दर्द भी सही होता है। आयुर्वेदिक सीरप में पुदीने का जमकर इस्तेमाल किया जाता है। अस्थमा में भी लाभ मिलता है।<br /><h3 style="text-align: left;">
<span style="color: #0c343d;">5. सिरदर्द </span></h3>
पुदीने का तेल लगाने से सिरदर्द में तुरंत लाभ मिलता है, आयुर्वेदिक तेलों में इसका बहुत इस्तेमाल किया जाता है। इसका तेल बालों और शरीर की त्वचा के लिए बहुत बढ़िया होता है।<br /><h3 style="text-align: left;">
<span style="color: #20124d;">6. खून में वृद्धि</span></h3>
नियमित रूप से पुदीना खाने से शरीर का हीमोग्लोबिन बढ़ने लगता है, वैसे भी हरी साग सब्जियां खून बढाने में रामबाण का काम करती हैं।<br />इसके अलावा भी पुदीने के हजारों लाभ हैं इसलिए बिना सोचे समझे गर्मियों में जमकर पुदीना खाइए और शरीर की कई बीमारियों को दूर भगाइए।<br /><h3 style="text-align: left;">
<span style="color: red;">जानिए पुदीने के 10 लाजवाब गुणों के बारे में-<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh_OXRTw7G60RpcCAD0FEif7A6WaM-YPqwexsYNV7AEqb8BCZepHkVhdKKCkv4wkhmDjeCpE5PUOgS19IJnEgllC77euHHk-7DpN-ZXaPH5Lt1GIF8fzemeWoGr5h8yukz1uIXu6pYrVkI/s1600/pudina-mint-chutney-recipe-for-dosaidli-in-tamil-youtube-thumbnail.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="300" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh_OXRTw7G60RpcCAD0FEif7A6WaM-YPqwexsYNV7AEqb8BCZepHkVhdKKCkv4wkhmDjeCpE5PUOgS19IJnEgllC77euHHk-7DpN-ZXaPH5Lt1GIF8fzemeWoGr5h8yukz1uIXu6pYrVkI/s400/pudina-mint-chutney-recipe-for-dosaidli-in-tamil-youtube-thumbnail.jpg" width="400" /></a></div>
</span></h3>
<ul style="text-align: left;">
<li>– पुदीने में मौजूद फाइबर कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करता है और मैगनीशियम हड्डियों को ताकत देता है। उल्टी होने पर आधा कप पोदीना हर दो घंटे में रोगी को पिलाएं। उल्टी आना बंद हो जाएगी।</li>
<li>– पुदीने की पत्तियों का ताजा रस नींबू और शहद के साथ समान मात्रा में लेने से पेट की सभी बीमारियों में आराम मिलता है।</li>
<li>– पुदीने का रस काली मिर्च व काले नमक के साथ चाय की तरह उबालकर पीने से जुकाम, खांसी व बुखार में राहत मिलती है।</li>
<li>– पुदीने की पत्तियां चबाने या उनका रस निचोड़कर पीने से हिचकियां बंद हो जाती हैं। सिरदर्द में पत्तियों का लेप माथे पर लगाने से आराम मिलता है।</li>
<li>– माहवारी समय पर न आने पर पुदीने की सूखी पत्तियों के चूर्ण को शहद के साथ समान मात्रा में मिलाकर दिन में दो-तीन बार नियमित रूप से लें।</li>
<li>– पुदीने का रस किसी घाव पर लगाने से घाव जल्दी भर जाते हैं। यह चर्म रोगों को भी समाप्त करता है। चर्म रोग होने पर पुदीना के पत्तों का लेप लगाने से आराम मिलता है।</li>
<li>– पुदीने की पत्तियों को सुखाकर बनाए गए पाउडर को मंजन की तरह प्रयोग करने से मुंह की दुर्गंध दूर होती है और मसूड़े मजबूत होते हैं।</li>
<li>– पुदीने के रस को नमक के पानी के साथ मिलाकर कुल्ला करने से गले का भारीपन दूर होता है और आवाज साफ होती है।</li>
<li>– अधिक गर्मी में जी मिचलाए तो एक चम्मच सूखे पुदीने की पत्तियों का चूर्ण और आधी छोटी इलायची के चूर्ण को एक गिलास पानी में उबालकर पीने से लाभ होता है। हैजा होने पोदीना, प्याज का रस और नींबू का रस बराबर मात्रा में मिलाकर पीने से लाभ मिलता है।</li>
<li>– अगर आपकी त्वचा ऑयली है, तो पुदीने का फेशियल आपके लिए सही रहेगा। इसको बनाने के लिए दो बड़े चम्मच ताजा पीसे पुदीने के साथ दो बड़े चम्मच दही और एक बड़ा चम्मच ओटमील लेकर गाढ़ा घोल बनाएं। इसे चेहरे पर दस मिनट तक लगाएं और चेहरे को धो लें। इसके रस को चेहरे पर लगाने से कील और मुंहासे दूर होता है। पोदीने के रस को मुल्तानी मिट्टी में मिलाकर चेहरे पर लेप करने से चेहरे की झांइयां समाप्त हो जाती हैं और चेहरे की चमक बढ जाती है। शराब में पुदीने की पत्तियों को पीसकर चेहरे पर लगाने से चेहरे के दाग, धब्बे, झांई मिट जाते हैं।</li>
</ul>
</div>
RAJhttp://www.blogger.com/profile/03629974765289732103noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4970850955424214744.post-1847870395204488852016-04-15T13:19:00.001-04:002016-04-15T13:19:28.657-04:00त्रिफला के बेमिसाल फायदे : Triphala Benefits<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<h2 style="text-align: center;">
<span style="color: #660000;">अनगिनत फायदे हैं राज त्रिफला में<br />Triphala Benefits<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEglKSlpWikz-eB1XtPci4mVPN0gInaNT5wmdQA1Rele5diwjCdg824SoAf4hXwgkdEd986W1fdfJpcgJ4lTC2Gt8ZRNab-MGLocagOQb4rGyzJGzRTTb851oZ5OVWZtVfhNrsQm2GlnpEQ/s1600/sad-woman-2.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="208" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEglKSlpWikz-eB1XtPci4mVPN0gInaNT5wmdQA1Rele5diwjCdg824SoAf4hXwgkdEd986W1fdfJpcgJ4lTC2Gt8ZRNab-MGLocagOQb4rGyzJGzRTTb851oZ5OVWZtVfhNrsQm2GlnpEQ/s400/sad-woman-2.jpg" width="400" /></a></div>
</span></h2>
<div style="text-align: justify;">
बालों की देखभाल के लिए हम त्रिफला का नाम बहुत पहले से सुनते आ रहे है| यह एक आयुर्वेदिक दवा है जो बालों को घना बनाने में मदद करती है साथ ही झड़ने से भी रोकती है| त्रिफला शब्द की बात करे तो इसका अर्थ होता है तीन फल। दरहसल त्रिफला 3 ऐसे फलों का मिलन है जो तीनों ही अमृतीय गुणों से भरपूर है। <b><span style="color: purple;">"राज"</span></b> पहला है <b><span style="color: #990000;">आंवला, दूसरा बहेड़ा और तीसरा हरड़।</span></b></div>
<div style="text-align: justify;">
त्रिफला का गुणकारी चूर्ण तीन जड़ी बूटियों के मिश्रण से बनता है| आयुर्वेद में इन जड़ी बूटियों को अमलकी, विभीतक और हरितकी कहा गया है। त्रिफला चूर्ण बनाने के लिए इन तीनों को बीज निकाल कर समान मात्रा में चूर्ण तैयार कर लिया जाता है|</div>
<div style="text-align: justify;">
हम में से ज्यादातर लोगो केवल इसके बालों के लिए सौंदर्य लाभों के बारे में जानते है| लेकिन आज हम आपको इसके स्वास्थ्य लाभो के बारे में बताएँगे| आपको इस बात को जानकर शायद आशचर्य हो लेकिन आयुर्वेदिक दवाओं की किताब, नाम चरक सहिंता में सबसे पहले अध्याय में त्रिफला की जानकारी बताई गयी है|</div>
<div style="text-align: justify;">
त्रिफला कई रोगों को दूर करने में फायदेमंद है| संयमित आहार-विहार के साथ जो लोग इसका नियमित प्रयोग करते है उन्हें मोतियाबिंद, दृष्टिदोष आदि नेत्र रोग होने की संभावना खत्म हो जाती है| </div>
<h3 style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">आंखों के लिए लाभप्रद<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgJeS_3zwv6o6zw7XKN_G_eLOTvRdfs-e2P24RhlPYutpFt453OJSO7783YfmW-gnpaK7ZXiDM9El6pNDWx5BryJ7uUuuyhQKN5XpL0-MLnnZ6YqQwzYMEbcu13qbklbIE04zrlF5NbfiA/s1600/coffee-girl.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="400" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgJeS_3zwv6o6zw7XKN_G_eLOTvRdfs-e2P24RhlPYutpFt453OJSO7783YfmW-gnpaK7ZXiDM9El6pNDWx5BryJ7uUuuyhQKN5XpL0-MLnnZ6YqQwzYMEbcu13qbklbIE04zrlF5NbfiA/s400/coffee-girl.jpg" width="285" /></a></div>
</span></h3>
<div style="text-align: justify;">
त्रिफला का चूर्ण आंखों के लिए बहुत फायदेमंद है| इससे आंखें स्वच्छ व दृष्टि सूक्ष्म होती है। इसके अतरिक्त आंखों की कई समस्याए जैसे जलन, लालिमा आदि तकलीफें दूर होती हैं। इसका प्रयोग करने के लिए एक चम्मच त्रिफला चूर्ण को रातभर एक कटोरी पानी में भिगोकर रखें। सुबह कपड़े से छानकर उस पानी से आंखें धो लें। यह प्रयोग आंखों के लिए अत्यंत हितकर है।</div>
<h3 style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">बालों की समस्या से निजात<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhHzCx3hWsQDc_3X7yfFkmFhCpXo7O__-wzaI2-34AotJuZal5dZMiADmU0ut1mWPGgjZPHKJJ8ItmpCRNWLyptYXr6w8t9shptKhRTVV6LbqWLPIfot5BgV4OPfOa1ws3Cw3i0n9zdAu0/s1600/triphala-for-hair-loss.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="300" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhHzCx3hWsQDc_3X7yfFkmFhCpXo7O__-wzaI2-34AotJuZal5dZMiADmU0ut1mWPGgjZPHKJJ8ItmpCRNWLyptYXr6w8t9shptKhRTVV6LbqWLPIfot5BgV4OPfOa1ws3Cw3i0n9zdAu0/s400/triphala-for-hair-loss.jpg" width="400" /></a></div>
</span></h3>
<div style="text-align: justify;">
यदि आप बालों की समस्या से निजात पाना चाहते है तो त्रिफला चूर्ण का प्रयोग शुरू कर दे| त्रिफला को लगाने से बाल झड़ने बंद हो जाते हैं और गंजापन दूर होता है। बालों के लिए यह किसी आयुर्वेदिक दवा से कम नहीं है| इसका प्रयोग करने के लिए जानिए विधि:-</div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<div style="text-align: justify;">
Triphala Benefits for Hair पाने के लिए, एक कप पानी ले उसमे लगभग 4 चम्मच त्रिफला का पावडर मिला लें। अब इसे किसी भी पैन में पांच मिनट के लिये उबाल ले और ठंडा होने दें और इस पैक को अपने बालों में लगाएं। अब हलके हलके से अपने सिर पर मालिश करें और सूखने के लिए रख दे| कम से कम 2 घंटे तक इसे रखे|</div>
<div style="text-align: justify;">
कुछ देर बाद अपने सिर को धोकर त्रिफला के पैक को साफ कर लीजिये। इसके पश्चात बालों में शैंपू कर के कंडीशनर लगाइये। हफ्ते में 2 बार ऐसा करें। इससे ना केवल आपके बालों का झड़ना कम होगा बल्कि रूसी और खुजली भी गायब हो जाएगी।</div>
<h3 style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">मुंह की दुर्गंध दूर करे</span></h3>
<div style="text-align: justify;">
कुछ लोगो के मुंह से बहुत दुर्गंध आती है, जिससे कई बार उन्हें लोगो के बिच शर्मिंदा होना पढता है| मुंह की दुर्गंध को दूर करने के लिए त्रिफला को रात भर पानी में भिगोकर रखें। फिर सुबह मंजन करने के बाद इस पानी मुंह में भरकर रखें। कुछ देर बाद निकाल दें। इससे आपके दांत और मसूड़े वृद्धावस्था तक मजबूत रहते हैं। मुंह के छाले दूर करने में भी यह मददगार है|</div>
<h3 style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">वजन कम करने में सहायक</span></h3>
<div style="text-align: justify;">
जो लोग अपने बढ़ते वजन को लेकर परेशान है उनके लिए भी त्रिफला बहुत फायदेमंद है| त्रिफला के गुनगुने काढ़े में शहद मिलाकर पीने से मोटापा घटता है। त्रिफला के काढ़े से यदि घाव धोया जाये तो एलोपैथिक- एंटिसेप्टिक की आवश्यकता भी नहीं रहती है और घाव जल्दी भर जाता है।</div>
<h3 style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाये</span></h3>
<div style="text-align: justify;">
कुछ लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है जिसके कारण वह बार-बार बीमार पड़ते है। लेकिन त्रिफला का सेवन किया जाये तो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और शरीर को बीमारियों से लड़ने की ताकत मिलती है। दरहसल त्रिफला शरीर में एंटीबॉडी के उत्पादन को बढ़ावा देता है जो शरीर में एंटीजन के खिलाफ लड़ने में सहायक है और बॉडी को बैक्टेरिया मुक्त रखते है|</div>
<h3 style="text-align: justify;">
<span style="color: purple;">अन्य फायदे इन्हे भी जानिए:-<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhBo47jCY6HFoWmXwRH2Md7LI9USCNa0B_nnIf3TIQxLivCizBYqNwNfEYc-1dSR3LFfcyN3jQ1R9c6AZt8IpfXoRvfBfvaG-x1z6hZ2IvZa5DKGhFQMhpPHQMqm4-bfLfxIOpkfsYgnJ0/s1600/22_triphala.jpeg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="263" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhBo47jCY6HFoWmXwRH2Md7LI9USCNa0B_nnIf3TIQxLivCizBYqNwNfEYc-1dSR3LFfcyN3jQ1R9c6AZt8IpfXoRvfBfvaG-x1z6hZ2IvZa5DKGhFQMhpPHQMqm4-bfLfxIOpkfsYgnJ0/s400/22_triphala.jpeg" width="400" /></a></div>
</span></h3>
<div style="text-align: justify;">
Triphala Churna Benefits कई है| मधुमेह के उपचार में भी यह लाभप्रद है। यह पेन्क्रियाज को उत्तेजित करता है जिससे इंसुलिन की मात्रा उत्पन्न होती है और शरीर शर्करा के स्तर को बनाए रखता है।</div>
<div style="text-align: justify;">
कब्ज की समस्या होने पर त्रिफला बहुत फायदेमंद होता है। इसे खाने पर कब्ज की काफी पुरानी समस्या भी दूर भाग जाती है। रात को सोते समय त्रिफला चूर्ण को हल्के गर्म पानी के साथ ले, आपकी समस्या दूर हो जाएगी|</div>
<div style="text-align: justify;">
यदि आपको एनीमिया है तो भी त्रिफला का सेवन आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। क्योंकि नियमित रूप से त्रिफला का सेवन करने से शरीर में लाल रक्त कोशिकाएं बढ़ जाती है जिससे शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ने लगता है।</div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<div>
ऊपर आपने जाना Triphala Benefits in Hindi. यदि आप भी उपरोक्त लाभ पाना चाहते है तो त्रिफला चूर्ण का इस्तेमाल जरूर करे| लेकिन दुर्बल व्यक्ति तथा गर्भवती महिला को त्रिफला का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके अतिरिक्त नए बुखार में भी इसका सेवन करे| यदि आपको दूध का सेवन करना है तो दूध व त्रिफला के सेवन के बीच 2 घंटे का अंतर जरूर रखें।<br /><ol style="text-align: left;">
<li><b><span style="color: #351c75;">सुबह पानी में 5 ग्राम त्रिफला चूर्ण भिगो कर रख दें, शाम को छानकर पी लें। शाम को उसी त्रिफला चूर्ण में पानी मिलाकर रखें, और सुबह उसी पानी से आँखो पर छींटे लगाए ऐसा करने से मुँह के छाले और आंखों की जलन, कुछ ही समय में ठीक हो जायेंगे</span></b></li>
<li><b><span style="color: #351c75;">रात को सोते वक्त 5 ग्राम त्रिफला चुर्ण हल्के गर्म दूध अथवा गर्म पानी के साथ लेने से कब्ज में बहुत फायदा होता है</span></b></li>
<li><b><span style="color: #351c75;">एक चम्मच त्रिफला को एक गिलास पानी में दो- तीन घंटे के लिए भिगो दें, फिर इसके निकाले हुए पानी को छानकर मुँह में भरकर थोड़ी देर घुमाए इससे आप के मुँह के छाले ठीक हो जायेंगे</span></b></li>
<li><b><span style="color: #351c75;">ईसबगोल की भूसी व त्रिफला को बराबर मात्रा में मिलाकर गुनगुने पानी से लेने से भी कब्ज में राहत मिलती है</span></b></li>
<li><b><span style="color: #351c75;">त्रिफला के सेवन से बालों को भी बहुत फायदा होता है जिन लोगो के बाल जरुरत से ज्यादा झड़ते है वह अगर सुबह शाम एक -एक चमच्च त्रिफला का सेवन करे तो ये समस्या बहुत कम हो जाती है</span></b></li>
<li><b><span style="color: #351c75;">त्रिफला के सेवन से बाल मजबूत, घने व मुलायम व लम्बे हो जाते है</span></b></li>
<li><b><span style="color: #351c75;">अगर आप को ज्यादा थकान महसूस होती है तो त्रिफला का चूर्ण लेने से यह समस्या समाप्त हो जाती है और आप अपने आप को पहले से ज्यादा फुर्तीला महसूस करेंगे</span></b></li>
<li><b><span style="color: #351c75;">साथ ही त्रिफला भूख बढानें और ब्लड सर्कुलेशन सही करने तथा खून बढ़ाने में भी सहायक होता है</span></b></li>
<li><b><span style="color: #351c75;">त्रिफला, शरीर में एंटीबॉडी के उत्पादन को बढ़ावा देता है जो शरीर में एंटीजन के खिलाफ लड़ते है और शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है</span></b></li>
<li><b><span style="color: #351c75;">त्रिफला में भरपूर मात्रा में एंटी ऑक्सीडेंट होते है जो कि सेल्स के मेटाबोल्जिम को नियमित रखते है और उनकी प्रक्रिया को बनाएं रखते है। त्रिफला से उम्र बढ़ाने वाले कारक भी कम होते है, इसी कारण त्रिफला का सेवन करने वाले लोगो की उम्र कम दिखाई देती है</span></b></li>
</ol>
</div>
</div>
RAJhttp://www.blogger.com/profile/03629974765289732103noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4970850955424214744.post-12499820383246954942016-03-28T16:41:00.000-04:002016-03-28T16:41:26.122-04:00गर्भावस्था में खान-पान कैसा होना चाहिए : राज <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<h2 style="text-align: justify;">
<div style="text-align: center;">
<span style="color: #990000;">गर्भावस्था के हर हफ्ते में महिला को चाहिए अलग पोषण</span></div>
<span style="color: #990000;"><div style="text-align: center;">
What should be Eating in Pregnancy<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhh579NVgA8QgI8FlDg2d26uBNf3MKXJFvTrbVoxAO6j1fPYyNlBqInnCWHBENHGdj9UaNx3oLfAbXXCccrgPikdxmy8VGxq-JMIGih3TpKMDcQPwluIBSNPElDbnGtfFlr0an34hhw21g/s1600/Pregnancy.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="225" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhh579NVgA8QgI8FlDg2d26uBNf3MKXJFvTrbVoxAO6j1fPYyNlBqInnCWHBENHGdj9UaNx3oLfAbXXCccrgPikdxmy8VGxq-JMIGih3TpKMDcQPwluIBSNPElDbnGtfFlr0an34hhw21g/s400/Pregnancy.jpg" width="400" /></a></div>
</div>
</span></h2>
<div style="text-align: justify;">
गर्भवती का खान-पान : राज, गर्भावस्था के दौरान आहार संतुलित तो होना ही चाहिए साथ ही आपके खाने मेंप्रोटीन, आयरन और विटामिन आदि भरपूर मात्रा में होना चाहिए। स्वस्थ रहने के लिए डॉक्टर हमेशा पौष्टिक आहार लेने की सलाह देते हैं। लेकिन गर्भावस्था के दौरान "राज" आहार का खास ख्याल रखना आवश्यक हो जाता है। जिससे जच्चा-बच्चा दोनों ही हष्ट्-पुष्ट रहें। अक्सर गर्भवती महिलाओं के साथ ये समस्या रहती हैं कि वे गर्भावस्था में क्या खाएं और क्या ना खाएं।</div>
<h3 style="text-align: justify;">
<ul>
<li><span style="color: purple;">नाश्ते में अनाज, गेहूं का आटा, जई, कॉर्न फ्लैक्स, ब्रेड और पास्ता लें। </span></li>
<li><span style="color: purple;">सूखे फल खासकर अंजीर, खुबानी और किशमिश, अखरोट और बादाम लें।</span></li>
<li><span style="color: purple;">गर्भावस्था मधुमेह से बचने के लिए कम चीनी का सेवन करें।</span></li>
<li><span style="color: purple;">गर्भावस्था की आखिरी तिमाही में पौष्टिक आहार लेना अत्यंत महत्त्वपूर्ण।</span></li>
</ul>
</h3>
<div style="text-align: justify;">
स्वस्थ गर्भावस्था और तंदुरुस्त बच्चे के लिए अपनी आहार योजना बेहद सोच-समझकर बनानी चाहिए। आइए "राज" आपको बताते हैं कि गर्भावस्था के हर पड़ाव पर आपका आहार कैसा होना चाहिए।<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiJHDUqh2Qv4y-j13pK8Yvn2AfeoJMQOEYFlBkIb0NTJ6Wa8_AjU_9bj5foQJUm9bo48pFpUqBout9JHr6ppew5Whrvyz20AX6qVUvfwFAaiAN0QcGbc8_bUPnlc0eBc67MjnGMouIdUZY/s1600/collarge-of-diet.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="271" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiJHDUqh2Qv4y-j13pK8Yvn2AfeoJMQOEYFlBkIb0NTJ6Wa8_AjU_9bj5foQJUm9bo48pFpUqBout9JHr6ppew5Whrvyz20AX6qVUvfwFAaiAN0QcGbc8_bUPnlc0eBc67MjnGMouIdUZY/s400/collarge-of-diet.jpg" width="400" /></a></div>
</div>
<h3 style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">जीरो से आठवें सप्ताह तक<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjtS_Huo90mmCmbFDmQvnTHWZL64bB6P-Whpmp_eSUHvixydGTsZBkhwk8o4tvgDks7ph7dSwp9yXcTVJNFRozOGg7wMXL_GRuO_C1YYeMLd3Q6e1eGnkaORzli6m4JVflhOaViIdBXz48/s1600/Pattagobhi.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="400" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjtS_Huo90mmCmbFDmQvnTHWZL64bB6P-Whpmp_eSUHvixydGTsZBkhwk8o4tvgDks7ph7dSwp9yXcTVJNFRozOGg7wMXL_GRuO_C1YYeMLd3Q6e1eGnkaORzli6m4JVflhOaViIdBXz48/s400/Pattagobhi.jpg" width="400" /></a></div>
</span></h3>
<div style="text-align: justify;">
<ul>
<li>हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक, मेथी, बथुआ, सरसों, मूली के पत्ते और सलाद को अपने भोजन में शामिल करें।</li>
<li>राजमा, चने की दाल, काले चने और सेम जरूर खाए।</li>
<li>खट्टे फल जैसे- खरबूजा, संतरा, मौंसमी भी खाए।</li>
<li>नाश्ता में अनाज, गेहूं का आटा, जई, कॉर्न फ्लैक्स, ब्रेड और पास्ता खा सकती है।</li>
<li>नट्स, विशेष रूप से अखरोट और बादाम जरूर खाए।</li>
<li>कैफीन युक्त पेय से बचें। नारियल पानी पिएं, मिल्क शेक, ताजा फलों के रस या नींबू पानी लें।</li>
<li>इससे आपके शरीर में पानी की मात्र बढ़ेगी और निर्जलीकरण की समस्या से बचे रहेंगी।</li>
</ul>
</div>
<h3 style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">नौं से 16वां सप्ताह<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgf61pMWZXXB-LyKLiJbM6-YFNW0Fyu1GqAXvznaC_5Q0fsQXIFCYsVKYJUUgGgAG7uwT5yJe3gAZ0qx_p6SQteGY5lWiSivZ4XYPkHouMct73AIUfQaQNmoGf08fTUtkTkCEtom2ZCthw/s1600/girl-eating-salad.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="265" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgf61pMWZXXB-LyKLiJbM6-YFNW0Fyu1GqAXvznaC_5Q0fsQXIFCYsVKYJUUgGgAG7uwT5yJe3gAZ0qx_p6SQteGY5lWiSivZ4XYPkHouMct73AIUfQaQNmoGf08fTUtkTkCEtom2ZCthw/s400/girl-eating-salad.jpg" width="400" /></a></div>
</span></h3>
<div style="text-align: justify;">
<ul>
<li>हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे- पालक, मूली के पत्ते और सलाद।</li>
<li>लौकी, करेला और चुकंदर के रूप में सब्जियां।</li>
<li>गेहूं से बनीं वस्तुओं और ब्राउन राइस।</li>
<li>काले चने, पीली मसूर, राजमा, और लोभिया जैसी दालें।</li>
<li>अगर आप मांसाहारी हैं तो सप्ताह में दो बार मांस, अंडे और मछली (सामन मछली, झींगे और मैकेरल) आदि लें।</li>
<li>सूखे फल खासकर अंजीर, खुबानी और किशमिश, अखरोट और बादाम।</li>
<li>संतरे, मीठा नींबू और सेब आदि फल।</li>
<li>डेयरी उत्पादों विशेष रूप से दूध, दही, मक्खन, मार्जरीन, और पनीर आदि। ये विटामिन डी के मुख्य स्रोत हैं।</li>
<li>सीने में जलन और कब्ज रोकने के लिए, दिन में पानी के आठ दस गिलास जरूर पिएं।</li>
</ul>
</div>
<h3 style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">17वें से 24वें सप्ताह तक<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgZyUIWBcLlFodKw9PE4nZ22AKaphNY_IohD8S_ier6Og0emFK9aVgbXfK-bD5jGrhhTI4AcgJezJ8541tnJaavjgcw8utiltv-yxTwkzAeb5_E5Xrq1lB4sMvKXCy2EA8FzUzosCxWlMo/s1600/intl_spain_lg2_cynthia_19_225_4x3.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="300" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgZyUIWBcLlFodKw9PE4nZ22AKaphNY_IohD8S_ier6Og0emFK9aVgbXfK-bD5jGrhhTI4AcgJezJ8541tnJaavjgcw8utiltv-yxTwkzAeb5_E5Xrq1lB4sMvKXCy2EA8FzUzosCxWlMo/s400/intl_spain_lg2_cynthia_19_225_4x3.jpg" width="400" /></a></div>
</span></h3>
<div style="text-align: justify;">
<ul>
<li>सूखे मेवे जैसे बादाम, अंजीर, काजू, अखरोट।</li>
<li>नारियल पानी, ताजा फलों का रस, छाछ और पर्याप्त मात्रा में पानी।</li>
<li>राजमा, सोयाबीन, पनीर, पनीर, टोफू, दही आपकी कैल्शियम की जरूरतों को पूरा करेगा।</li>
<li>टोन्ड दूध (सोया दूध)।</li>
<li>हरी सब्जियां जैसे पालक, ब्रोकोली, मेथी, सहजन की पत्तियां, गोभी, शिमला मिर्च, टमाटर, आंवला और मटर।</li>
<li>विटामिन सी के लिए संतरे, स्ट्रॉबेरी, चुकंदर, अंगूर, नींबू, टमाटर, आम और नींबू पानी का सेवन बढ़ाएं।</li>
<li>स्नैक्स में - भुना बंगाली चना, उपमा, सब्जी इडली या पोहा।</li>
</ul>
</div>
<h3 style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">25वें से 32वें सप्ताह तक<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiz5JwzVnlzGJWr3j4cKKjC_Ujd4q0VUOvh65cqefJKdw3EV3nEM_4obSv_4feIAEUZiiI8Bc5GN4o59TaoO_lRMj1HUSB_Nn6FhpcMtiOOoL6jH3tZRN3ZxZEPLumTdwqothNftY8k6Xk/s1600/intl_india_andrea_Singh_198_4x3.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="300" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiz5JwzVnlzGJWr3j4cKKjC_Ujd4q0VUOvh65cqefJKdw3EV3nEM_4obSv_4feIAEUZiiI8Bc5GN4o59TaoO_lRMj1HUSB_Nn6FhpcMtiOOoL6jH3tZRN3ZxZEPLumTdwqothNftY8k6Xk/s400/intl_india_andrea_Singh_198_4x3.jpg" width="400" /></a></div>
</span></h3>
<div>
<ul style="text-align: left;">
<li>गर्भावस्था के 25 सप्ताह से अपने चयापचय (मेटाबॉलिक) दर 20 प्रतिशत बढ़ जाती है, इसलिए आपके कैलोरी बर्न करने की गति बढ़ जाती है और नतीजतन आपको अधिक थकान और गर्मी महसूस होगी। इसलिए आपको अपने भोजन में तरल पदार्थो की मात्रा बढ़ानी चाहिए। इसका फायदा यह होगा कि आप निर्जलीकरण से भी दूर रहेंगी और साथ ही आपको कब्ज भी नहीं होगा। वात रोग से बचने के लिए छोटे-छोटे अंतराल पर थोड़ा-थोड़ा भोजन करती रहें।</li>
<li>एक दिन में 10-12 गिलास पानी पिएं।</li>
<li>दही के साथ एक या दो पराठें।</li>
<li>प्रचुर मात्रा में बादाम और काजू का सेवन करें।</li>
<li>फलों का रस पीने से अच्छा है कि ताजा फल खाए जाएं।</li>
<li>भोजन के साथ सलाद जरूर लें।</li>
<li>प्याज, आलू, और राई आदि का सेवन करें।</li>
<li>सेब, नाशपाती, केले, जामुन, फलियां और हरी पत्तेदार सब्जियां।</li>
<li>मछली, जैसे -सेलमॉन, बांग्रा आदि। अगर आप शाकाहारी हैं तो मछली के तेल के विकल्प या उसकी खुराक ले सकती हैं।</li>
</ul>
</div>
<h3 style="text-align: left;">
<span style="color: red;">33वें से 40वें सप्ताह तक<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg4PKDx68Xwa4rHMY9x8_EieHRXegpZBGRAPb6Po20E-sDDAT7aH6WDNAGH49QZ8V4jwfrPcqTaqiSkaD8irVVg-rNJP2KU8rEyh0t7-X_YaD2bjatlDiXQmCi_rBAcPzW-NW3RAVAv_kg/s1600/juice-in-morning.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="353" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg4PKDx68Xwa4rHMY9x8_EieHRXegpZBGRAPb6Po20E-sDDAT7aH6WDNAGH49QZ8V4jwfrPcqTaqiSkaD8irVVg-rNJP2KU8rEyh0t7-X_YaD2bjatlDiXQmCi_rBAcPzW-NW3RAVAv_kg/s400/juice-in-morning.jpg" width="400" /></a></div>
</span></h3>
<div style="text-align: justify;">
<ul>
<li>गर्भावस्था की आखिरी तिमाही में पौष्टिक आहार लेना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। इस दौरान भ्रूण पूरी तरह तैयार हो चुका होता है। वह जन्म लेने को तैयार होता है। पौष्टिक आहार जैसे, फल और सब्जियां बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाने में मदद करती हैं।</li>
<li>गर्भावस्था मधुमेह से बचने के लिए कम चीनी का सेवन करें।</li>
<li>शुगर फ्री बिस्किट, एल्कोहल रहित पेय पदार्थ का सेवन करें।</li>
<li>खीरा, गाजर, मूली और हरी पत्तेदार सब्जियां।</li>
<li>विटामिन सी के लिए स्ट्राबैरी, नींबू, मौसमी, ब्रोकली, आंवला का रस, संतरा या आम को अपने भोजन में शामिल करें।</li>
<li>सूखे मेवे जैसे, खजूर, अंजीर, बादाम, अखरोट, खुमानी और किशमिश का रोजाना सेवन करें। वहीं तैलीय, मसालेदार और जंक फूड का परहेज करें।</li>
</ul>
</div>
<div style="text-align: justify;">
<b><i><span style="color: #351c75;">प्रसव का समय निकट आ चुका है। और ऐसे में मां को अपने बच्चे के लिए प्रचुर मात्रा में दूध की जरूरत होती है। तो, अपने भोजन में बैंगन, दालें आदि की मात्रा बढ़ा दें। चाय कॉफी और चीनी वाली चीजों से जरा दूरी रखें।</span></i></b></div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<h3 style="text-align: justify;">
<span style="color: purple;">गर्भवती का खान-पान के लिए इन्हें भी आज़मा सकती हैं... <div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhLwqKnnQPHd_jFI7lRAi7_AIjDu-uy9DnWwVk5fglj4qnRoqER2AXE_nwhkQFP8SaMZKMETei-3ygljYJr4IUFFXVwMFHxs95MLWeQay7XQtR7q4hQ0IEJHWcHjrBquZQGPDc5poehm0w/s1600/list-of-foods-that-cause-miscarriage-in-early-pregnancy-you-must-avoid.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="225" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhLwqKnnQPHd_jFI7lRAi7_AIjDu-uy9DnWwVk5fglj4qnRoqER2AXE_nwhkQFP8SaMZKMETei-3ygljYJr4IUFFXVwMFHxs95MLWeQay7XQtR7q4hQ0IEJHWcHjrBquZQGPDc5poehm0w/s400/list-of-foods-that-cause-miscarriage-in-early-pregnancy-you-must-avoid.jpg" width="400" /></a></div>
</span></h3>
<div style="text-align: justify;">
<ol>
<li>गर्भावस्था के दौरान आहार संतुलित तो होना ही चाहिए साथ ही आपके खाने में प्रोटीन, आयरन और विटामिन आदि भरपूर मात्रा में होना चाहिए। साथ ही गर्भावस्था के अंतिम तीन महीनों में आयरन और फोलिक एसिड की गोली लेना भी जरूरी होता है।</li>
<li>सामान्य महिला को अपने दैनिक आहार में 2100 कैलोरी की जरूरत होती है, जबकि गर्भवती महिला को 2500 कैलोरी की जरूरत होती है। 10 प्रतिशत कैलोरी प्रोटीन से तथा 35 प्रतिशत कैलोरी फैट यानी तेल, घी और मक्खन से तथा 55 प्रतिशत कैलोरी कार्बोहाइड्रेट से मिलनी चाहिए।</li>
<li>नाश्ता अधिक देर से न करें, सुबह उठने के कुछ समय पश्चात ही नाश्ता कर लें। साथ ही दाल, चावल, सब्जियां, रोटी और फलों को अपने दैनिक आहार में शामिल करें।</li>
<li>दैनिक आहार में हरी सब्जि़यां, दूध, उबला भोजन, अंकुरित चना, अंडे को जरूर शामिल करना चाहिए क्योंकि गर्भ में पल रहे शिशु को मां के आहार से ही पोषण मिलता है। जब मां पौष्टिक खाना खाएगी तभी तो बच्चा भी स्वस्थ होगा।</li>
<li>गर्भवती महिलाओं को खाना खाने के बाद थोड़ी मात्रा में अजवाइन अवश्य लेना चाहिए। इससे मिचली नहीं आती और खाना जल्दी हजम होता है।</li>
<li>यदि गर्भधारण के दौरान सुबह अक्सर आपका जी मिचलाता है तो आपको खूब पानी पीना चाहिए। खाना थोड़ा-थोड़ा कई बार खाएं साथ ही अच्छी नींद लें जिससे मां और होने वाला शिशु दोनों ही स्वस्थ रहें।</li>
<li>दलिया या साबुत अनाज से बनी रोटियां भी अपने आहार में शामिल करना चाहिए। मैदे का उपयोग कम से कम करें।</li>
<li>गर्भावस्था में छाछ पीना लाभकारी हो सकता है। लेकिन आपको दही के उत्पादों से एलर्जी है तो छाछ न लें।</li>
<li>गर्भवती महिलाओं को बादाम, अखरोट जैसे कुछ मेवे अवश्य लेना चाहिए। ये न सिर्फ कमजोरी दूर करते हैं बल्कि इनके सेवन से मां और होने वाले बच्चे दोनों का मस्तिष्क भी तेज होता है।</li>
<li>सब्जियों को मेथी का तड़का देकर बनाएं। मेथी के सेवन से गर्भाशय शुद्ध रहता है और भूख अधिक लगती है।</li>
<li>बढ़ता हुए गर्भस्थ शिशु अपनी सभी जरूरतें मां द्वारा लिए आहार से पूरी करता है। क्योंकि आहार से गर्भवती महिला की लौह तत्वों की आपूर्ति नहीं हो पाती, इसलिए आयरन फोलिक एसिड की गोलियां खाना जरूरी होता है। साथ ही फोलिक एसिड कई तरह के आहार में विटामिन बी के रूप में विद्यमान होता है।</li>
<li>दूध में मुनक्का उबालकर पहले मुनक्का खायें फिर दूध पी जायें। इससे कब्ज की शिकायत नहीं होगी साथ ही हीमोग्लोबीन बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।</li>
<li>पत्तागोभी खायें क्योंकि इसमें क्षारीय तत्व होते हैं जो रक्त शोधन करते हैं। इसकी सब्जी या कच्चा सलाद अवश्य लें।</li>
<li>गर्भवती महिलाओं को नमक कम से कम खाना चाहिए इससे रक्तचाप नॉर्मल रहता है।</li>
<li>इसके अलावा डॉक्टर से खाने-पीने की उचित जानकारी ले लेना बेहतर होता है जिससे मां और बच्चे दोनों में किसी तरह की कोई बीमारी या कमजोरी न पनप पाएं।</li>
</ol>
</div>
<h3 style="text-align: justify;">
<span style="color: #0c343d;">गर्भावस्था में फलो के फायदे </span></h3>
<h3 style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">अनार</span></h3>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
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<a href="http://i1.wp.com/apnafreshstore.com/apnisakhi/wp-content/uploads/2015/04/anar.jpg"><img src="http://i1.wp.com/apnafreshstore.com/apnisakhi/wp-content/uploads/2015/04/anar.jpg?resize=249%2C202" /></a></div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<div style="text-align: justify;">
अनार में एंटी ऑक्सीडैंट्स तथा विटामिन्स भरपूर मात्रा में पाएं जाते हैं। अनार का जूस गर्भवती महिलाओं के लिए बहुत फायदेमंद होता है।</div>
<div style="text-align: justify;">
सेब</div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
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<a href="http://i1.wp.com/apnafreshstore.com/apnisakhi/wp-content/uploads/2015/04/apple.jpg"><img src="http://i1.wp.com/apnafreshstore.com/apnisakhi/wp-content/uploads/2015/04/apple.jpg?resize=210%2C240" /></a></div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<div style="text-align: justify;">
विटामिन ,कैल्शियम , आयरन , प्रोटीन से भरपूर होता है गर्भावस्था में अनिद्रा जैसे रोग में काफी लाभकारी होता है</div>
<h3 style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">केला</span></h3>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
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<a href="http://i2.wp.com/apnafreshstore.com/apnisakhi/wp-content/uploads/2015/04/kela.jpg"><img src="http://i2.wp.com/apnafreshstore.com/apnisakhi/wp-content/uploads/2015/04/kela.jpg?resize=300%2C168" /></a></div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<div style="text-align: justify;">
पोटैशियम , सोडियम , फास्फोरस ,विटामिन ए ,बी 1, और सी होते है</div>
<h3 style="text-align: justify;">
<span style="color: #783f04;">अंगूर</span></h3>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<div style="text-align: justify;">
<a href="http://i0.wp.com/apnafreshstore.com/apnisakhi/wp-content/uploads/2015/04/angur.jpg"><img src="http://i0.wp.com/apnafreshstore.com/apnisakhi/wp-content/uploads/2015/04/angur.jpg?resize=300%2C137" /></a></div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<div style="text-align: justify;">
कैल्शियम , आयरन , क्लोरिन होते है</div>
<h3 style="text-align: justify;">
संतरा</h3>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<div style="text-align: justify;">
<a href="http://i2.wp.com/apnafreshstore.com/apnisakhi/wp-content/uploads/2015/04/santra.jpg"><img src="http://i2.wp.com/apnafreshstore.com/apnisakhi/wp-content/uploads/2015/04/santra.jpg?resize=243%2C207" /></a></div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<div style="text-align: justify;">
कैल्शियम ,क्लोरिन , कापर ,लोहा , विटामिन बी 1, और सी भरपूर होते है</div>
<h3 style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">नासपाती</span></h3>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<div style="text-align: justify;">
<a href="http://i0.wp.com/apnafreshstore.com/apnisakhi/wp-content/uploads/2015/04/nashpati.jpg"><img src="http://i0.wp.com/apnafreshstore.com/apnisakhi/wp-content/uploads/2015/04/nashpati.jpg?resize=231%2C218" /></a></div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<div style="text-align: justify;">
फास्फोरस ,विटामिन ए , बी 1, बी 2 और पोटैशियम पाया जाता है</div>
<h3 style="text-align: justify;">
<span style="color: #351c75;">पालक</span></h3>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<div style="text-align: justify;">
<a href="http://i0.wp.com/apnafreshstore.com/apnisakhi/wp-content/uploads/2015/04/palak.jpg"><img src="http://i0.wp.com/apnafreshstore.com/apnisakhi/wp-content/uploads/2015/04/palak.jpg?resize=259%2C194" /></a></div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<div style="text-align: justify;">
पालक में आयरन सबसे ज्यादा होता है। गर्भवती महिलाओं के लिए यह काफी उपयोगी है।</div>
<h3 style="text-align: justify;">
<span style="color: #4c1130;">चुकंदर</span></h3>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<div style="text-align: justify;">
<a href="http://i1.wp.com/apnafreshstore.com/apnisakhi/wp-content/uploads/2015/04/chukandar.jpg"><img src="http://i1.wp.com/apnafreshstore.com/apnisakhi/wp-content/uploads/2015/04/chukandar.jpg?resize=300%2C150" /></a></div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<div style="text-align: justify;">
यह विटामिन ए, विटामिन बी कॉम्पलेक्स, कैरोटिनाइड्स और फ्लेवोनाइड्स का अच्छा स्रोत है। इसमें आयरन भरपूर होता है, जो गर्भवती महिलाओं में बच्चे के विकास में सहायक होता है।</div>
<h3 style="text-align: justify;">
<span style="color: #0b5394;">अंकुरित आहार</span></h3>
<div style="text-align: justify;">
<a href="http://i2.wp.com/apnafreshstore.com/apnisakhi/wp-content/uploads/2015/04/6.jpg"><img src="http://i2.wp.com/apnafreshstore.com/apnisakhi/wp-content/uploads/2015/04/6.jpg?resize=260%2C193" /></a></div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<div style="text-align: justify;">
गर्भवती महिला को संतुलित मात्रा में अंकुरित आहार भी मिलना चाहिए। इसके लिए अंकुरित सोयाबीन , मूंग, चने , गेहू का सेवन करना चाहिए बीजों के अंकुरित होने के पश्चात् इनमें पाया जाने वाला स्टार्च- ग्लूकोज, फ्रक्टोज एवं माल्टोज में बदल जाता है जिससे न सिर्फ इनके स्वाद में वृद्धि होती है बल्कि इनके पाचक एवं पोषक गुणों में भी वृद्धि हो जाती है |नवजात शिशु में मानसिक, शारीरिक दुर्बलताओं को दूर किया जा सकता है यदि गर्भवस्था के दौरान महिला अंकुरित अनाज का सेवन करती है।</div>
</div>
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