दादी-नानी और पिता-दादाजी के बातों का अनुसरण, संयम बरतते हुए समय के घेरे में रहकर जरा सा सावधानी बरतें तो कभी आपके घर में डॉ. नहीं आएगा. यहाँ पर दिए गए सभी नुस्खे और घरेलु उपचार कारगर और सिद्ध हैं... इसे अपनाकर अपने परिवार को निरोगी और सुखी बनायें.. रसोई घर के सब्जियों और फलों से उपचार एवं निखार पा सकते हैं. उसी की यहाँ जानकारी दी गई है. इस साइट में दिए गए कोई भी आलेख व्यावसायिक उद्देश्य से नहीं है. किसी भी दवा और नुस्खे को आजमाने से पहले एक बार नजदीकी डॉक्टर से परामर्श जरूर ले लें.
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सोमवार, दिसंबर 03, 2018

Vitamin A deficiency

विटामिन ए की कमी लक्षण और उपाय – Vitamin A deficiency

Rajesh Mishra, Kolkata, West Bengal

विटामिन ए Vitamin A वसा में घुलनशील विटामिन है और एक ताकतवर एंटीओक्सिडेंट है। यह आँखें, तंत्रिका तंत्र, त्वचा , नाख़ून , हड्डियाँ तथा अन्य कई अंगों को स्वस्थ बनाये रखने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है ।
विटामिन A अन्य एंटीओक्सिडेंट की तरह फ्री रेड्कल से बचाव करके कैंसर तथा अन्य बीमारियों से बचाता है।
विटामिन A मजबूत हड्डी , जींस की कार्यविधि , स्वस्थ त्वचा तथा प्रतिरोधक क्षमता को बनाये रखने में भी मददगार होता है। यह खून में लाल रक्त कण RBC बनने में सहायक होता है।
विटामिन A पाचन तंत्र , श्वसन तंत्र , मूत्र संसथान आदि को संक्रमण से बचाने के लिए भी आवश्यक होता है।

विटामिन A किसमें ज्यादा होता है
Good Source of Vitamin A

विटामिन ए लाल पीले फल व सब्जी और पत्तेदार सब्जी में अधिक मिलता है। कददू , गाजर , टमाटर , मटर , पालक , लाल मिर्च , संतरा , खरबूजा , तरबूज , शकरकंद , ब्रोकली आदि में यह प्रचुर मात्रा में होता है। खुबानी इसका एक बहुत अच्छा स्रोत है।

विटामिन ए की कमी लक्षण व उपाय

गेहूं से बनी रोटी जो की हमारा मुख्य आहार है उसमे विटामिन A नहीं होता है। रोटी पर घी लगाने से इसकी पूर्ती हो जाती है। घी में विटामिन A होता है। अतः रोटी पर घी जरूर लगाना चाहिए।

विटामिन ए दो तरह से प्राप्त होता है।

रेटिनॉल Retinol के रूप में : यह एक्टिव विटामिन होता है और एनीमल फ़ूड यानी मांसाहार से प्राप्त होता है।
बीटा केरोटीन – केरोटेनोइड Carotenoid के रूप में : यह पेड़ पौधों से प्राप्त होता है लेकिन इसे शरीर इसे पचाकर पहले रेटिनॉल में बदलता है , फिर यह शरीर के काम आता है।
विटामिन ए प्राप्त करने के लिए कैप्सूल आदि खाने की अपेक्षा फल सब्जी आदि आहार लेना अधिक उपयुक्त होता है।अतः आहार में पीले , नारंगी , लाल रंग के फल सब्जी प्रचुर मात्रा में लेने चाहिये ताकि विटामिन A की पर्याप्त मात्रा शरीर को मिलती रहे और इसकी कमी ना हो। लेकिन चिकित्सक के अनुसार आवश्यकता होने पर दवा अवश्य लेनी चाहिए।

विटामिन ए की कमी के लक्षण
Vitamin A deficiency symptom

विटामिन A की कमी से शरीर में कई प्रकार की परेशानी हो सकती हैं। यदि नीचे बताये लक्षण महसूस हो तो विटामिन ए की कमी पर जरूर ध्यान देना चाहिए और भोजन में विटामिन A युक्त सामान की मात्रा बढ़ा देनी चाहिए।
— रात के समय या कम रौशनी में देखने में परेशानी होना , दिन के समय सही दिखाई देना।
— हथेली और तलुओं की स्किन दानेदार कड़क हो जाये।
— आँखों में जलन , चुभन या सूजन आदि ।
— बालों में रूखापन या रुसी डैंड्रफ।
— नाख़ून खुरदरे हो जाये और आसानी से टूट जाते हो।
— थकान व डिप्रेशन महसूस हो।
— नींद आसानी से नहीं आती हो।

विटामिन A की कमी के कारण
Cause of Vitamin A Deficiency

— सबसे मुख्य कारण भोजन में ऐसे आहार की कमी , जिनसे विटामिन A प्राप्त होता है।
— शरीर द्वारा विटामिन A ग्रहण नहीं कर पाना। किसी बीमारी के कारण आंतों की पोषक तत्वों के अवशोषण की क्षमता कम होने से यह हो सकता है।
— अधिक पेशाब आने से विटामिन A की कमी हो सकती है। टी बी , यूरिन इन्फेक्शन , न्यूमोनिया या किडनी में खराबी आदि बीमारी के कारण ऐसा हो सकता है।
— गर्भवती महिला को तीसरी तिमाही में खुद के तथा गर्भ के लिए अधिक मात्रा में विटामिन ए की जरुरत होती है। ऐसे में पर्याप्त मात्रा नहीं लेने से कमी हो जाती है।
— माँ के दूध में पर्याप्त मात्रा में विटामिन ए होता है , जिन शिशुओं को माँ का दूध उपलब्ध नहीं हो पाता उन्हें इसकी कमी हो जाती है। लेकिन स्तनपान कराने वाली माँ को इसकी कमी ना हो यह भी जरुरी है।
— जिन लोगों को लम्बे समय तक वसा के पाचन की समस्या होती है उन्हें विटामिन A की कमी होने की सम्भावना बढ़ जाती है।
— शराब पीने से विटामिन A की कमी हो जाती है।

— जिन शिशुओं को माँ का पहला दूध यानि कोलेस्ट्रोम नहीं मिलता उन्हें विटामिन A की कमी हो सकती है।
— पर्याप्त आहार नहीं ले पाने के कारण 5 साल से छोटे बच्चों में विटामिन A की कमी अक्सर हो जाती है जिसके कारण दिखना बंद होना या अन्य दुखद परिणाम सामने आ सकते हैं। अतः इस समय उनका विशेष ध्यान रखने की जरुरत होती है।

विटामिन A की कमी से नुकसान
Vitamin A deficiency effects

विटामिन A की कमी के कारण रतौंधी तो होती ही है , साथ ही कॉर्निया ख़राब होने से दिखाई देना भी बंद हो सकता है। इसके अलावा आँखों में सूखापन या जलन आदि हो सकते हैं । आँखें स्वस्थ रहे उसके लिए विटामिन A अत्यधिक जरुरी होता है।
विटामिन ए घाव भरने और नई स्किन जल्दी बनने मे भी सहायक होता है। यह त्वचा में होने वाले कैंसर से बचाता है , इसके अलावा स्किन को कोमलता प्रदान करता है। इसकी कमी से त्वचा में झुर्रियां जल्दी पड़ सकती हैं।
विटामिन A की कमी से शरीर की बाहरी और अंदरूनी त्वचा में सूखापन और कड़ापन आ सकता है। यह कमी श्वसन तंत्र , पाचन तंत्र या मूत्र संसथान के लिए बहुत हानिकारक हो सकती है।
गर्भवती महिला को विटामिन ए की कमी से माँ को या बच्चे को आँखों की समस्या हो सकती है। विटामिन A की कमी गर्भस्थ शिशु के लिए बहुत खतरनाक हो सकती है।
बच्चों में विटामिन A की कमी के कारण उनका शारीरिक तथा हड्डियों का विकास प्रभावित हो सकता है , प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण उन्हें सर्दी जुकाम ज्यादा होते हैं , मीजल्स , डायरिया या फेफड़ों में संक्रमण आदि ज्यादा हो सकते हैं।

विटामिन ए की कमी से बचाव
Prevention of vitamin A deficiency

अपने भोजन में विटामिन ए युक्त सामान शामिल करें। बाजार में आजकल फोर्टीफाइड सामग्री उपलब्ध है जिनमे अतिरिक्त रूप से विटामिन खनिज आदि मिलाये जाते हैं उनका उपयोग करें।
चपाती घी से चुपड़ी हुई खायें। दो या तीन चम्मच घी से भी अच्छी मात्रा में विटामिन ए प्राप्त हो सकता है।
पीले , नारंगी और लाल रंग के फल सब्जी नियमित रूप से खाएं। गाजर का हलवा विटामिन ए के लिए सर्वोत्तम आहार है , सर्दी में जरूर खाएं। दो चम्मच घी से भी काफी मात्रा में विटामिन ए मिल
गर्भावस्था में अधिक मात्रा में विटामिन ए की जरुरत का ध्यान रखें। शिशु को स्तन का पहला दूध अवश्य पिलायें इसके भी स्तनपान जरुर करायें।
5 साल से छोटे बच्चों को विटामिन ए युक्त आहार भरपूर मात्रा में दें।
पाचन सम्बन्धी बीमारी या समस्या का जल्द से जल्द उचित उपचार करायें।
शराब का सेवन ना करें।

शनिवार, अगस्त 05, 2017

36 Health Tips for life : RAJESH MISHRA



स्वस्थ रहने के 36 उपाय
महत्वपूर्ण ध्यान रखने योग्य बातें:

1) हमेशा पानी को घूट-घूट करके चबाते हुए पिये और खाने को इतना चबाये की पानी बन जाये। किसी ऋषि ने कहा है कि "खाने को पियो और पीने को खाओ"

2) खाने के 40 मिनट पहले और 60-90 मिनट के बाद पानी पिये और फ्रीज का ठंडा पानी, बर्फ डाला हुआ पानी जीवन मे कभी भी नही पिये। गुनगुना या मिट्टी के घडे का पानी ही पिये ।
3)सुबह जगने के बाद बिना कुल्ला करे 2 से 3 गिलास पानी सुखआसन मे बैठकर पानी घूटं-घूटं करके पिये यानी उषा पान करे ।
4) खाने के साथ भी कभी पानी न पिये। जरुरत पड़े तो सुबह ताजा फल का रस, दोपहर मे छाछ और रात्रि मे गर्म दूध का उपयोग कर सकते हैं।
5) भोजन हमेशा सुखआसन मे बैठकर करे और ध्यान खाने पर ही रहे, मतलब टेलीविजन देखते, गाने सुनते हुए, पढ़ते हुए, बातचीत करते हुए कभी भी भोजन न करे।

6) हमेशा बैठ कर खाना खाये और पानी पिये। अगर संभव हो तो सुखासन, सिद्धासन मे बैठ कर ही खाना खाये।
7) फ्रीज़ मे रखा हुआ भोजन न करें या उसे साधारण तापमान में आने पर ही खाये दुबारा कभी भी गर्म ना करे ।
8) गूँथ कर रखे हुये आटे की रोटी कभी न खाये, जैसे- कुछ लोग सुबह में ही आटा गूँथ कर रख देते है और शाम को उसी से बनी हुई चपाती खा लेते है जो स्वास्थ के लिए हानिकारक है। ताजा बनाए ताजा खाये।
9) खाना खाने के तुरंत बाद पेशाब जरूर करे ऐसा करने से डायबिटज होने की समभावना कम होती हैं।
10) मौसम पर आने वाले फल, और सब्जियाँ ही उत्तम है इसलिए बिना मौसम वाली सब्जियाँ या फल न खाये।
11) सुबह मे पेट भर भोजन करें। जबकि रात मे बहुत हल्का भोजन करें।
12) रात को खीरा, दही और कोई भी वात उत्पन्न करने वाली चीज न खाये।
13) दही के साथ उड़द की दाल न खाये। जैसे- दही और उड़द की दाल का बना हुआ भल्ला।
14) दूध के साथ नमक या नमक की बनी कोई भी चीज न खाये। क्योंकि ये दोनों एक दूसरे के प्रतिकूल प्रभाव डालती है।
15) दूध से बनी कोई भी दो चीजे एक साथ न खाये।
16) कोई भी खट्टी चीज दूध के साथ न खाये सिर्फ एक खा सकते है आँवला। खट्टे आम का शेक न पिये केवल मीठे पके हुए आम का ही शेक पीये ।
17) कभी भी घी और शहद का उपयोग एक साथ न करे! क्योंकि दोनों मिलकर विष बनाते है।
18) खाना भूख से कम ही खाये। जीने के लिए खाना खाये न कि खाने के लिए जीये।
19) रिफाइण्ड तेल जहर हैं आप हमेशा कच्ची घाणी का सरसो, तिल या मूगंफली का तेल ही उपयोग करे और जीवन मे हाटॅ टेक व जोडो के दर्द से बचे ।
20) तला, और मसालेयुक्त खाना खाने से बचे। अगर ज्यादा ही मन हो तो सुबह मे खाये रात मे कभी भी नहीं।
21) खाने मे गुड या मिस्री का प्रयोग करें, चीनी के प्रयोग स बचें।
22) नमक का अधिक सेवन न करें। आयोडिन युक्त समुद्री नमक का उपयोग बिल्कुल भी नही करे! सेधां, काला या डली वाला नमक इस्तेमाल करें।
23) मेदा, नमक और चीनी ये तीनों सफ़ेद जहर है इनके प्रयोग से बचें।
24) हमेशा साधारण पानी से नहाएँ और पहले सर पर पानी डाले फिर पेरो पर और अगर गरम से नहाओ तो हमेशा पहले पैरो पर फिर सर पर पानी डालना चाहिये।
25) हमेशा पीठ को सीधी रख कर बेठे।
26) सर्दियों मे होंठ के फटने से बचने के लिए नहाने से पहले नाभि मे सरसों के तेल लगाये । जबरदस्त लाभ मिलता है।
27) शाम के खाने के बाद 2 घंटे तक न सोये। 5 से 10 मिनट वज्रासन मे बैठे 1000 कदम वाक जरूर करें।
28) खाना हमेशा ऐसी जगह पकाया जाये जहां वायु और सूर्य दोनों का स्पर्श खाने को मिल सके।
29) कूकर मे खाना न पकाए बल्कि किसी खुले बर्तन मे बनाए, क्योकि कूकर मे खाना उबलता है और खुले बर्तन के अन्दर खाना पकता हैं इससे खाने प्रोटीन मात्रा 93 प्रतिशत होती है और कूकर मे मात्र 13 प्रतिशत रहती है ।
30) सिल्वर के बर्तनो का प्रयोग खाना बनाने और खाने दोनों के लिए कभी भी न करें!पीतल, कासां, मिट्टी के बर्तन का ही उपयोग करें।
31) खाने को कम से कम 32 बार चबाये।
32) रोज टूथब्रश का प्रयोग न करें इससे मसूड़े कमजोर होते है। दंतमंजन का प्रयोग कर सकते है।
33) अपनी दोनों नासिकाओ मे देशी गाय के घी को हल्का गुनगुना करके 1-1 बुंद रात मे डालने से दिमाग तंदरुस्त रहता है। नजला जुकाम, सिर दर्द, माइगृेन, नींद नहीं आना, तनाव आदि समस्या का समाधान होता हैं
34) हमेशा मीठा, नमकीन से पहले खाना चाहिए ।

35) बार-बार नहीं खाना चाहिये एक बार बैठ कर भरपेट या उससे थोड़ा कम खाना चाहिये।
36) हमेशा सकारात्मक सोचना चाहिये। नकारात्मक सोचने से भी बीमारियाँ आती है।

शुक्रवार, अगस्त 04, 2017

51 "RAJ" Home Remedies for Cough and Cold in Babies

बच्चों में सर्दी और खांसी के लिए "
राज" 51 घरेलु उपचार


बड़े बच्चे नख़रेबाज़ और चिड़चिड़े हो जाते हैं "राज" और आपको लगता है कि आपके प्यारे बच्चे को किसी ने बदल दिया है।

मुझे सोमवार को छुट्टी लेनी पड़ी थी, क्योंकि मेरी छोटी अंशिका बदलते हुए मौसम के चपेट में आ गयी थी। सर्दी और खांसी की वजह से वह बहुत बीमार हो गयी थी। अब वह पहले से ठीक है और उसे आराम है।इसलिए मैंने यह विचार बनाया कि क्यों ना बच्चों और शिशुओं के लिए सर्दी और खांसी के सरल घरेलु उपचारों (baby cough medicine homemade) के बारे में एक पोस्ट लिखा जाये। ये घरेलु उपचार आजमाए और परखे हुए हैं, जिन्होंने मेरी सहायता की है। यह पोस्ट बच्चों और शिशुओं में सर्दी और खांसी के लिए २१ घरेलु उपचारों के बारे में है।

सर्दी और बुखार के लक्षण कई अभिभावकों को भ्रमित कर सकते हैं। आपको कैसे पता चलता है कि यह सर्दी है या बुखार? हालाँकि, इनके लक्षण एक समान प्रतीत होते हैं और आपको चिंतित कर सकते हैं, लेकिन इन दोनों में अंतर करना आसान होता है।

सर्दी में नाक बहती है, नाक जम जाती है, छींक आती है, खांसी होती है और कभी-कभी शरीर का तापमान भी थोड़ा बढ़ जाता है।
बुखार के लक्षण ज्यादा गंभीर होते हैं। इसकी वजह से शरीर का तापमान अधिक बढ़ सकता है, गले में संक्रमण, खांसी, शरीर दर्द आदि हो सकता है। चाहे सर्दी हो या बुखार, अपने डॉक्टर से अपने बच्चे के लिए दवाएं निर्देशित करवाना ना भूलें।

छोटी-मोटी बीमारियों का सामना करने के लिए माएं घरेलु उपचारों का प्रयोग क्यों करती हैं? मुख्य कारण है कि – यह नुकसानदायक रसायनों से नहीं बना होता है! मैंने बच्चों के आयु वर्ग के आधार पर उपचारों को विभाजित कर दिया है, ताकि यह आपके लिए आसान हो जाए।

जैसा कि आप जानती हैं, सभी उपचार सभी आयु वर्ग के बच्चों के लिए उपयुक्त नहीं होते हैं।

६ महीने तक के बच्चे:
क्या "राज" आपको अपने बच्चे की पहली सर्दी याद है? मुझे याद है, अंशिका केवल ३ सप्ताह की थी जब वो पहली बार सर्दी और खांसी से बीमार पड़ी थी। मुझे याद है कि उसकी तकलीफ को देखकर मैं बहुत बेसहारा महसूस कर रही थी। उस उम्र में बच्चे पहले ही बहुत कोमल होते हैं और कोई भी बीमारी इस स्थिति को और भी अधिक बुरी बना सकती है।
मुझे पूरा भरोसा है कि सर्दी और खांसी के दौरान कई माएं जागती हुई रातों और बच्चों में चिड़चिड़ेपन के इस कठिन दौर से गुजरी होंगी। तो चलिए कुछ घरेलु उपचारों पर एक नज़र डालते हैं जो उनकी तकलीफ कम कर सकते हैं और उन्हें तेजी से स्वस्थ कर सकते हैं।

#१. माँ का दूध
माँ का दूध एक अद्भुत पेय होता है। इसलिए ६ महीने से छोटी उम्र के बच्चों को सर्दी और खांसी के दौरान विषाणुओं और जीवाणुओं का सामना करने के लिए माँ के दूध के अलावा किसी भी अन्य दवा की जरुरत नहीं होती है।
जैसा कि आपको पता है कि माँ का दूध प्रतिरक्षियों से भरपूर होता है। माँ के दूध में मौजूद ये प्रतिरक्षी सभी प्रकार के कीटाणुओं, विषाणुओं और जीवाणुओं के विरुद्ध बच्चे के शरीर में प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाने में सहायता करते हैं। यह आपके छोटे बच्चे को उचित प्रकार से हाइड्रेट रखने में भी सहायता करता है।
आप स्तनपान कराने के फायदों के बारे में भी पढ़ सकती हैं।

#२. नाक में नमक के पानी की बूंदें डालना
मेरे मामले में यह प्रभावकारी साबित हुआ है और मैंने इसका नाम मेरा रक्षक भी रख दिया था। इससे नाक साफ़ रखने में और इसे जमने से बचाने में सहायता मिली। इससे नाक साफ़ करना बहुत आसान हो जाता है और यह अपेक्षाकृत रूप से आंसू-मुक्त भी होता है।
मुझे विश्वास है कि आपके बालरोग विशेषज्ञ ने आपके छोटे शिशु के लिए सेलाइन ड्रॉप का निर्देश दिया होगा। अपने डॉक्टर की बातों या उनके निर्देश का अनुसरण करना ना भूलें। इसके प्रयोग का सामान्य नियम यह है कि पहले नाक को हल्के हाथ से साफ़ करें और इसके बाद ड्रॉप डालें। बच्चे का सिर मोड़ कर रखें ताकि दवा बाहर ना निकले। आप घर पर भी सेलाइन ड्रॉप बना सकती हैं।

एक स्टील की कटोरी, चम्मच लें और इसे अच्छी प्रकार से कीटाणुमुक्त करें। १/२ छोटा चम्मच नमक लें और इसे ८ छोटे चम्मच गर्म फ़िल्टर के पानी में घोलें। ठंडा होने के बाद, आप इसे अपने बच्चे के लिए प्रयोग कर सकती हैं। लेकिन इसे केवल आपातकालीन स्थितियों में ही प्रयोग करें और मैं आपको घर पर बने सेलाइन ड्रॉप के बजाय बाज़ार में उपलब्ध सेलाइन ड्रॉप का प्रयोग करने की सलाह दूंगी, क्योंकि इसमें बैक्टीरिया पनपने का खतरा होता है।
अपने बच्चे की बंद नाक खोलने के लिए "राज" नेज़ल एस्पिरेटर भी एक बहुत बढ़िया विकल्प होता है। यह उन सभी चीजों को हटाने में सहायता करता है जो आपके बच्चे की नाक बंद करते हैं।
आप इसे यहाँ खरीद सकती हैं
आप सर्दी को दूर रखने के ५ उपायों के बारे में भी पढ़ सकती हैं।

#३. लहसुन और अजवाइन की पोटली

लहसुन और अजवाइन को इनके कीटाणु-रोधक और विषाणु-रोधक गुणों के लिए जाना जाता है। इसलिए ये दोनों एक साथ मिलकर काफी प्रभावशाली साबित हो सकते हैं और यह सर्दी और बंद नाक के विरुद्ध एक ताकतवर हथियार है। लेकिन इसके नाम से मत डरिये, वास्तव में इसे बनाना बहुत आसान है।
आपको यह पोटली या पाउच बनाने के लिए ३ चीजों की जरुरत होती है – लहसुन, अजवाइन और साफ़ मलमल का कपड़ा।
लहसुन की २ बड़ी कलियों और १ बड़ा चम्मच अजवाइन को तवे पर सूखा भूनें। इसके ठंडा होने का इंतज़ार करें और ठंडा होने के बाद इसे एक पोटली में बांधें। आप यह एक साफ़ मलमल के कपड़े की सहायता से भी कर सकती हैं।
इस पोटली को बच्चे के पालने या झूले में रखें जहाँ बच्चा सोता है। पोटली से निकलने वाला लहसुन-युक्त अजवाइन का धुआं बच्चे की मदद करेगा, क्योंकि यह बंद नाक खोलने में और कफ के जमाव से राहत पहुंचाने में सहायता करता है।
चेतावनी: बच्चे के द्वारा इस पोटली को मुंह में भरने और दम घुटने की संभावना से बचने के लिए कृपया पोटली/पाउच को बच्चे के पास ना रखें। इसे बहुत नजदीक रखने पर यह श्वसन के लिए नुकसानदेह भी बन सकता है।
यदि आप सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं तो आप इस पोटली को बच्चे के पैर के नीचे रगड़ भी सकती हैं। यह तरीका भी प्रभावी होता है।

#४. पनिकूरका

यह एक गूदेदार सदाबहार पौधा होता है, जिसे दक्षिण भारत में व्यापक रूप से पनिकूरका कहते हैं और इसे बच्चों में खांसी, बुखार, गले की खराश और बंद नाक का इलाज करने के लिए प्रयोग किया जाता है।
इसे भारतीय बोरेज, पत्ता अजवाइन, पत्थर चूर, कर्पूरवल्ली या नवरयिला के रूप में भी जाना जाता है, और यह एक प्राकृतिक ज्वरनाशक और कफ गिराने वाली औषधि है। गूदेदार सुगंधित पत्तियों को स्टोव पर भुना जाता है, और ठंडा करने के बाद बच्चे के माथे पर रखा जाता है। पत्तों का सूखना पानी का अवशोषण दर्शाता है और इस प्रकार बच्चे को खांसी/कफ जमने से राहत मिलती है।

#५. तेल मालिश

लगभग ¼ कप सरसों का तेल लें और इसे गर्म करें। एक या दो लहसुन की कलियाँ लें। उन्हें हल्का कूटें और इसके बाद काट दें। इसे सरसों के तेल में डाल दें। इसके भूरा होने का इंतज़ार करें, इसके बाद आंच से हटा दें।
याद रखें, इसे केवल भूरा करना होता है, इसे जलने ना दें। आप इस तेल का प्रयोग कर सकती हैं और बच्चे के सीने और पाँव की मालिश कर सकती हैं। इसे बाद उसे मोज़े पहनाएं।
बेहतर परिणामों के लिए "राज" चुटकी भर अजवाइन भी डाला जा सकता है। इसे तेल गर्म करते समय डालें। लहसुन की तरह इसे भी काला ना होने दें। सरसों के तेल, लहसुन और अजवाइन में कीटाणु-रोधक और विषाणु-रोधक गुण होते हैं। इसके अलावा सरसों के तेल की तासीर गर्म होती है जो बच्चे में कफ के जमाव में भी सहायता करता है। यह आपके बच्चे को काफी मात्रा में आराम प्रदान करने में सहायता करता है।
आप बच्चे की मालिश करने का क्रमशः तरीका भी पढ़ सकती हैं।
चेतावनी: इस बात का ध्यान रखें कि बच्चा कभी भी तेल ना पीये क्योंकि इसकी वजह से दस्त और अन्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। बच्चों के लिए तेलों या हर्बल दवाओं के सेवन का सुझाव नहीं दिया जाता है।

#६. केसर तिलक

केसर के कुछ धागे लें। इसका पेस्ट बनाने के लिए इसे पत्थर पर रगड़ें। रात में बच्चे के पाँव और माथे पर तिलक या टीका लगाएं।
केसर का तिलक बच्चे के माथे में जमा पानी को अवशोषित करने में सहायता करेगा।
#७. सैजन के पत्तों का केश तेल

यह मेरी माँ द्वारा प्रयोग किया जाने वाला एक पुराना उपचार है।
मोरिंगा या सैजन की कोमल हरी पत्तियों को तोड़ें। एक मोटी पेनी वाली कढ़ाई में १/२ कप नारियल तेल गर्म करें और उसमें मुट्ठीभर सैजन की पत्तियां डालें।
पत्ते सूख जाने के बाद, आप कढ़ाई को आंच से हटा सकती हैं।

सर्दी, खांसी और कफ जमा होने पर इस तेल को अपने बच्चे के बालों के तेल के रूप में प्रयोग करें।

#८. मौसम के अनुसार कपड़े


बच्चे के कपड़े उसके सीने को सर्दी से बचाने वाले होने चाहिए।
सर्दियों के मौसम में, उसे गर्म रखने के लिए एक के ऊपर एक कपड़े पहनाएं।
यदि गर्मी है तो सुनिश्चित करें कि उसके कपड़े आरामदायक हों और उसे घुटन महसूस ना हो।
हालाँकि, रात में कंबल का प्रयोग करना सामान्य लगता है, लेकिन शायद यह उतना अच्छा विचार नहीं है। आपका बच्चा अपने सिर के ऊपर चादर या कंबल खींच सकता है। इससे घुटन हो सकती है और उसे SIDS या आकस्मिक शिशु मृत्यु सिंड्रोम का भी खतरा होता है।
आप अपने बच्चे को एक पीस की पोशाक और उसके ऊपर कोई टी-शर्ट पहना सकती हैं। यदि बाहर ठंड नहीं है तो यह प्रभावी हो सकता है। याद रखें, उसका आराम सबसे ज्यादा अहमियत रखता है, इसलिए यदि उसे परेशानी महसूस होती है तो उसकी पोशाक को उस हिसाब से निःसंकोच बदलें। हालाँकि, सीने को ढंकना ना भूलें।

#९. अपना और अपने बच्चे का हाथ साफ़ रखना

कीटाणुरोधी बेबी वाइप या साबुन से नियमित अंतरालों पर अपना और अपने बच्चे का हाथ अच्छी प्रकार से साफ़ करती रहें। यदि आपको लगता है कि यह कैसे उपयोगी है या परिवार में कोई ऐसा व्यक्ति है जो कहता है कि उसे इसमें विश्वास नहीं है तो मैं आपको बताती हूँ कि यह महत्वपूर्ण क्यों है।
यह कीटाणुओं को फैलने से रोकने में मदद करता है। अब आप इस स्थिति को और अधिक खराब नहीं बनाना चाहती। हैं ना?
दिनभर में आप कई लोगों से मुलाकात और बातचीत करेंगी और इसका मतलब है कि आप बहुत सारे जीवाणुओं और कीटाणुओं का आदान-प्रदान भी करेंगी।बीमारी के दौरान, शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता उतनी ज्यादा मजबूत नहीं होती है – जिसका मतलब है कि वह अन्य बीमारियों के प्रति भी संवेदनशील होता है। इसलिए, कम से कम जब तक उसके स्वास्थ्य में सुधार नहीं होता है इस गतिविधि का पालन करना ना भूलें।

#१०. बच्चे का सिर ऊपर रखें

जब आपका बच्चा सोता है तो उसका सिर ऊपर रखने का प्रयास करें। इससे उसे सही प्रकार से साँस लेने में सहायता मिलती है। साथ ही, उसके बिस्तर, पालने या झूले में से ऐसी किसी भी चीज को हटा दें जिससे उसे सांस लेने में तकलीफ हो सकती है।

६ महीने से बड़े बच्चे

आप ६ महीने से बड़े बच्चों के लिए भी माँ के दूध, सेलाइन नेज़ल ड्रॉप, अजवाइन लहसुन पोटली का प्रयोग कर सकती हैं। साथ ही, ४, ५, और ६ बिदुओं में दी गयी चीजों का भी इस्तेमाल करें।
सर्दी, खांसी और बंद नाक का सामना करने के लिए उन उपचारों के अतिरिक्त आप इन सरल उपचारों को भी शामिल कर सकती है।

#११. पनिकूरका जूस

पनिकूरका के पत्तों को भाप से पकाकर इसका रस निकालें। ७ महीने और इससे अधिक उम्र के बच्चों को इसका १/२ चम्मच दें। बच्चों में सर्दी-खांसी के लिए यह बहुत प्रभावशाली होता है।
#१२. सूखी भुनी हुई हल्दी रगड़ना

केरल में इस उपचार को उनक्का मंजल चुट्टठु के नाम से भी जाना जाता है।
हल्दी की एक सूखी गाँठ को आंच पर रखें जब तक कि यह थोड़ा जला हुआ नहीं दिखने लगता है। हल्दी का पेस्ट बनाने के लिए इसे पत्थर पर रगड़ें।
सर्दी से राहत पाने के लिए बच्चे की नाक के ऊपर यह पेस्ट लगाएं।
चेतावनी: कृपया इस पेस्ट को बच्चे के नाक के अंदर ना लगाएं या ऐसे किसी भी रूप में प्रयोग ना करें जिससे उसे घुटन हो।

#१३. हल्दी का पेस्ट


पेस्ट बनाने के लिए हल्दी पाउडर को थोड़े पानी के साथ मिलाएं। इसे एक कलछुल में लें और गर्म करें। गर्म होने के बाद इसे आंच से उतार दें।
हल्के गर्म पेस्ट को बच्चे के सीने, माथे और पैरों पर लगायें। हल्दी की गर्मी बलगम को अवशोषित कर सकती है, इस प्रकार बच्चे को सर्दी-खांसी से राहत मिलती है।
#१४. गाजर का रस

ताज़े गाजर से निकाले गए रस को उबाल कर कमरे के तापमान पर ठंडा करके रखे गए पानी में घोला जा सकता है और ६ महीने और इससे अधिक उम्र के बच्चों को दिया जा सकता है। यह सर्दी-खांसी के लिए प्रभावकारी होता है।
चेतावनी: कृपया इस बात का ध्यान रखें कि यह रस देने से पहले आपने पहले बच्चे को गाजर दिया हो और इससे बच्चे को किसी भी प्रकार की एलर्जी ना हो।

#१५. गर्म सरसों तेल की मालिश
सरसों के तेल को थोड़े कलौंजी और २ लहसुन की कलियों के साथ गर्म करें। इसे बच्चे के सीने, नाक के नीचे, पैरों के पीछे और हथेलियों पर लगाएं। हल्के हाथ से मालिश करें।
मालिश के बाद आप अतिरिक्त तेल पोंछ सकती हैं।

#१६. अजवाइन या जीरे के साथ गर्म पानी देना

बच्चे को अच्छी तरह से हाइड्रेट रखने के लिए नियमित अंतरालों पर गर्म पानी दें।
किसी भी बीमारी के दौरान हाइड्रेशन बहुत महत्वपूर्ण होता है। आपका बच्चा चिड़चिड़ा हो सकता है और शायद कुछ ना लेना चाहे, लेकिन आप उसे थोड़ा गर्म पानी जरूर पिलाएं। आप उबले हुए अजवाइन या जीरे के पानी का प्रयोग भी कर सकती हैं।
एक गिलास पानी लें और उसमें चुटकी भर अजवाइन या जीरा डालें। पानी उबलने का इंतज़ार करें। पानी ठंडा करें और इसका प्रयोग करें।
यदि आप बच्चे के पर्याप्त मात्रा में पानी लेने के बारे में चिंतित हैं तो बच्चों के पानी के सेवन पर दिया गया गया लेख पढ़ें।
#१७. सेंधा नमक के साथ मिले हुए गर्म सरसों के तेल की मालिश
सरसों का तेल गर्म करें। इसमें एक छोटा चम्मच सेंधा नमक डालें। इसे बच्चे की पीठ और छाती पर लगायें।

#१८. अजवाइन का काढ़ा
बच्चों के सर्दी-खांसी में अजवाइन का काढ़ा बहुत उपयोगी होता है।
सामग्री:
अजवाइन या ओमान – १ चम्मच
तुलसी के पत्ते – ८
सोंठ पाउडर या चुक्कू – १/२ चम्मच (वैकल्पिक)
लौंग – १
काली मिर्च – ५
हल्दी – १/२ चम्मच
गुड़ – १/३ कप
पानी – १/२ कप
विधि:
मोटी तली वाले एक बर्तन में सभी सामग्रियां लें और १० मिनट के लिए उबालें या इसकी मात्रा को ३/४ तक कम करें। छान लें, ठंडा करें और इसे अपने बच्चे को पिलायें।
इसकी खुराक है खाने के बाद दिन में दो बार १ चम्मच। यदि आप एलोपैथिक कफ सिरप दे रही हैं तो अजवाइन का काढ़ा ना दें।

#१९. सूप देना
उसके खाने में कुछ सूप का प्रयोग करें।
सर्दी-खांसी के दौरान सूप बहुत अच्छा आरामदायक भोजन होता है। आप सब्जियों या टमाटर का गर्म सूप दे सकती हैं। यदि आपका बच्चा ८ महीने और इससे ज्यादा उम्र का है तो आप उसे चिकन सूप दे सकती हैं।
ये सूप बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं। यह इस बात को सुनिश्चित करने में सहायता करेगा कि उनके ऊर्जा स्तर में ज्यादा कमी ना आये और उन्हें बीमारी से लड़ने में मदद करेगा।
आप बच्चों में सर्दी-खांसी का सामना करने के लिए ७ पौष्टिक सूप और २५ भोजन पर दिया गया लेख देख सकती हैं।

#२०. नीलगिरी का तेल

नहीं, नीलगिरी का तेल लेने के लिए आपको नीलगिरी की यात्रा करने की जरुरत नहीं है। इसे युकलिप्टस तेल के नाम से भी जाना जाता है।
इसे युकलिप्टस के पेड़ से निकाला जाता है और इसके बहुत सारे प्रयोग हैं।
इसे छिलने-कटने, सांस लेने की परेशानी से राहत देने, साइनस दूर करने, एलर्जी आदि में आराम प्रदान करने के लिए दिया जाता है। यह कफ भी दूर करता है और इसलिए इसे सर्दी में आराम देने के लिए भी प्रयोग किया जाता है।
आप थोड़ी रुई लेकर इसे नीलगिरी के तेल में भीगा सकती हैं। इसे बच्चे के शयनकक्ष में रखना बहुत प्रभावकारी होता है। यदि संभव हो तो आप इसकी कुछ बूंदें अपने डिफ्यूजर में भी डाल सकती हैं।
आप यहाँ नीलगिरी का तेल खरीद सकती हैं।

#२१. भाप

आप वेपराइज़र का प्रयोग करके कमरे को स्टीम कर सकती हैं। यह रोग से राहत प्रदान करने में लाभदायक होता है, क्योंकि भाप बलगम गिराने में और नाक साफ़ रखने में सहायता करता है। इससे आपके बच्चे को सांस लेने में आसानी होती है।
ध्यान दें: स्टीम बच्चे के पास ना रखें क्योंकि इससे उसके जलने का खतरा होता है।

#२२. लहसुन अजवाइन की पोटली रगड़ना

चरण ३ में दिए गए लहसुन और अजवाइन की पोटली को बच्चे की छाती पर रगड़ने के लिए प्रयोग किया जा सकता है।
इसे पहले गर्म करना पड़ता है। आप इसे तवे के प्रयोग से गर्म कर सकती हैं, पोटली को गर्म तवे पर रखें, लेकिन इसके बहुत ज्यादा गर्म होने का इंतज़ार ना करें। यह औषधीय पोटली छाती साफ़ करने में सहायता करती है। इसलिए, इसका इस्तेमाल करके कफ के जमाव और बलगम को अलविदा कहिये!
ध्यान दें: पोटली को सीधे तवे से उतार कर सीने पर ना रखें! इसे प्रयोग करने से पहले हमेशा तापमान जांच लें। आप इसे अपनी हथेली या कलाई के नीचे रख सकती हैं, इसका तापमान देखें और हल्की गर्म पोटली को सीने पर रगड़ें।
यदि यह बहुत ज्यादा गर्म लगता है तो इसके ठंडा होने का इंतज़ार करें। यदि आपको कोई गर्मी महसूस नहीं होती तो आपको इसे दोबारा गर्म करने की जरुरत होती है।
बच्चों की त्वचा बेहद संवेदनशील होती है और इसलिए आपको ज्यादा सतर्क रहना पड़ता है। हमारी हथेली और कलाई के नीचे की त्वचा हमारे पूरे शरीर की तुलना में ज्यादा कोमल होती है। इसलिए आपके द्वारा महसूस किया जाने वाला तापमान बच्चे को महसूस होने वाले तापमान के लगभग बराबर होता है। इस प्रकार, आप सुनिश्चित कर सकती हैं कि इससे आपका बच्चा नहीं जलेगा या इससे उसे किसी प्रकार की तकलीफ नहीं होगी।

#२३. रसम

टमाटर और लहसुन के सूप को रसम भी कहा जाता है और इसे ७ महीने और इससे ज्यादा आयु के बच्चों को दिया जा सकता है। दक्षिण भारत में सर्दी-खांसी के उपचार के रूप में यह बहुत लोकप्रिय है। इसमें डाली जाने वाली सामग्रियां रोग प्रतिरोधक क्षमता को सुधारने और आपके बच्चे को स्वस्थ करने में सहायता करती हैं।
और इसका एक अन्य लाभ यह है कि ये बहुत स्वादिष्ट होता है! बीमारी के दौरान दिया जाने वाला यह स्वादिष्ट मिश्रण बच्चों के लिए एक अच्छा परिवर्तन होता है। कृपया इसमें लाल मिर्च पाउडर ना डालें। आप बच्चों के लिए आसान और बेहद स्वादिष्ट रसम की रेसिपी यहाँ पढ़ सकती हैं।

#२४. गुड़ के साथ अजवाइन का पानी

१ कप पानी को चुटकी भर अजवाइन और १ चम्मच गुड़ के साथ उबालें। छानकर ठंडा करें और इसे अपने बच्चे को दें।
इसकी खुराक है दिन में एक बार १ चम्मच।

#२५. वेपो रब

सोने से पहले बच्चों के पाँव के नीचे वेपो रब लगाएं और उन्हें सूती मोज़े पहनायें।
यह कैसे मदद करता है? सच कहूँ तो मुझे भी नहीं पता। यह इसमें मौजूद मेंथॉल या कपूर की वजह से हो सकता है। लेकिन कई माएं और दादियाँ इस उपचार पर पूरा भरोसा करती हैं।
यह एक अद्भुत उपचार की तरह होता है। यह बच्चे को आराम पहुंचाने में मदद करता है और उसे चैन की नींद प्रदान करता है। यह खांसी के लिए भी उपयोगी है। जब आप इसे बड़े बच्चों के पैरों में लगाती हैं तो हमेशा थोड़ा सतर्क रहें क्योंकि इससे उसके फिसलने का खतरा होता है। यदि उन्हें बाथरूम जाने के लिए उठना पड़ता है तो यह सुनिश्चित करें कि वे सावधानी से और धीरे-धीरे चलें। (This is simple baby cough remedy)

#२६. सौंफ और अजवाइन मिश्रित पानी
१ कप पानी को १ छोटे चम्मच सौंफ और चुटकी भर अजवाइन के साथ उबालें। ठंडा करें, छानें और अपने बच्चे को पिलाएं।
इसकी खुराक है दिन और रात में २ छोटे चम्मच।

९ महीने से बड़े बच्चे

नंबर २५ तक उपरोक्त सभी विधियों को ९ महीने और इससे ज्यादा उम्र के बच्चों के लिए प्रयोग किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त निम्नलिखित भी उपयोगी हो सकते हैं।

#२७. भिंडी का सूप

जी हाँ! कोमल भिंडी बच्चे की सर्दी-खांसी दूर करने में मदद कर सकती है।
सामग्रियां:
भिंडी – १ कटी हुई
पानी – १ कप
अच्छी तरह से कटी हुई भिंडी को पानी के साथ १० मिनट के लिए उबालें। छानकर, ठंडा करें और इसे सूप के रूप में दें।

#२८. गर्म पानी में गुड़, जीरा और काली मिर्च

बच्चे को सर्दी, खांसी और गले में खराश होने पर यह मिश्रण प्रभावकारी होता है। इसे दिन में एक बार १-२ चम्मच से ज्यादा ना दें क्योंकि गुड़ की तासीर गर्म होती है।
गुड़ पाउडर – १ से २ छोटा चम्मच
जीरा – चुटकी भर
काली मिर्च – १ या २
पानी – १ कप
सभी सामग्रियों को १० मिनट के लिए पानी में उबालें। छाने, ठंडा करें और अपने बच्चे को दें।
#२९. नारियल तेल की मालिश 

१/२ कप नारियल तेल को १ छोटे प्याज, २ से ३ तुलसी के पत्तों और १ पान के तने के साथ गर्म करें। आंच बंद करने के बाद इसमें चुटकी भर कपूर डालें। इस तेल को बच्चे की छाती, गर्दन, पीठ और कांख में लगायें।
ध्यान दें: कपूर की मात्रा ज्यादा ना करें क्योंकि यह प्राकृतिक रूप से तेज और तीखा होता है।
#३०. कपूर मिश्रित नारियल तेल की मालिश

नारियल तेल गर्म करें। तेल को स्टोव से उतारने के बाद इसमें चुटकी भर कपूर डालें। इसे अपने बच्चे की मालिश करने के लिए प्रयोग करें।
आप दुकान में मिलने वाले कर्पूरादी थैलम का प्रयोग भी कर सकती हैं।

१ वर्ष से अधिक उम्र के बच्चे

एक वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों के लिए आप ऊपर दिए गए उपचारों का प्रयोग कर सकती हैं। इसके अलावा आप निम्नलिखित उपचारों का भी प्रयोग कर सकती हैं।

#३१. शहद

क्या आपका बच्चा लगातार होने वाली खांसी की वजह से रात में बार-बार उठता है और चैन की नींद नहीं ले पाता है। उसे १ छोटा चम्मच सादा शहद चटायें। यह उसके गले को आराम देने में मदद करता है।

#३२. सफेद प्याज़ का रस

अप्रैल-मई के महीने के दौरान उत्तर भारत में उगने वाले सफेद प्याज़ को ‘सफेद कांदा’ भी कहते हैं। इसे अपने औषधीय फायदों के लिए जाना जाता है।
सफेद प्याज़ का रस निकालें और अपने बच्चे को १ चम्मच पिलाएं। यह सर्दी, खांसी और बंद नाक से राहत देने में सहायता करता है।

#३३. अदरक और शहद

अदरक रेतें और इसमें शहद मिलाएं। इसका एक छोटा चम्मच नियमित अंतरालों पर दिया जा सकता है। यह गले, श्वसन नली को आराम पहुंचाता है और खांसी में राहत देता है।

#३४. नींबू का रस और शहद

नींबू का रस और शहद मिलाएं। इसमें थोड़ा गर्म पानी मिलाएं और इसे अपने बच्चे को पीने के लिए दें।
यह एक अन्य पसंदीदा उपचार है क्योंकि बच्चे दवा खाने में मुंह बना सकते हैं, लेकिन जब स्वादिष्ट पेय पदार्थों की बात आती है तो वे मना नहीं कर सकते हैं। इसलिए यह एक ऐसा उपचार है जिसके लिए किसी विरोध का सामना नहीं करना पड़ता है, क्योंकि यह बिल्कुल भी दवा जैसा नहीं लगता है।
माएं भी शिकायत नहीं करती हैं क्योंकि यह सर्दी-खांसी दूर करने में उनकी सहायता करता है, उन्हें हाइड्रेट रखता है और साथ ही ऊर्जा भी प्रदान करता है।

#३५. हल्दी दूध

हल्दी के साथ मिले हुए दूध को ‘हल्दी दूध’ के रूप में भी जाना जाता है, जिससे हममें से ज्यादातर लोग परिचित हैं। यह लोकप्रिय उपचार है और सूखी खांसी के लिए बहुत प्रभावशाली होता है। इसे एक गिलास दूध में चुटकी भर हल्दी डालकर उबाल कर तैयार किया जाता है।
हल्दी को इसके चिकित्सीय गुणों के लिए जाना जाता है और यह बीमारी से लड़ने में और तेजी से आराम पहुंचाने में सहायता करता है। गर्म दूध आपके बच्चे को अच्छी और आरामदायक नींद प्रदान करने में भी सहायता करता है।

#३६. अदरक कॉफ़ी

यह जादू की तरह काम करता है।
मुझे पता है आप क्या सोच रही हैं, छोटे बच्चों के लिए कॉफ़ी? हालाँकि इसे कॉफ़ी कहा जाता है, लेकिन आप इसे बिना कॉफ़ी पाउडर के भी बना सकती हैं।
सामग्री:
अदरक के टुकड़े – २
तुलसी के पत्ते – २
कालीमिर्च – २
इलायची – २
लौंग – २
गुड़ या गुड़ का पाउडर – १ बड़ा चम्मच
पानी – १ कप
विधि:
ऊपर दी गयी सभी सामग्रियों को पानी के साथ उबालें। छान लें और सर्दी-खांसी में तेजी से राहत पाने के लिए यह मिश्रण दें। यह थोड़ा तीक्ष्ण लग सकता है, लेकिन भयानक सर्दी-जुकाम में भी यह बहुत ज्यादा प्रभावकारी होता है।
इस पेय पदार्थ की प्रत्येक सामग्री को सर्दी-खांसी से लड़ने की अपनी क्षमताओं के लिए जाना जाता है।
#३७. सोंठ कॉफ़ी

दक्षिण भारत में सोंठ कॉफ़ी या चुक्कू कॉफ़ी का प्रयोग सर्दी-खांसी के उपचार के लिए व्यापक रूप से किया जाता है।
सामग्री:
सोंठ या चुक्कू – १ इंच टुकड़ा
तुलसी के पत्ते – ६ से ७
काली मिर्च – २
गुड़ – १ भेली
पानी – १ कप
विधि:
सोंठ और कालीमिर्च को दरदरा पीस लें। तुलसी के पत्तों को तोड़कर किनारे रख लें।
गुड़ को पानी से साथ उबालें और इसे घुलने दें। सोंठ और कालीमिर्च डालें और इसके बाद तुलसी के पत्ते डाल दें।
पत्तियां मुरझाने के बाद, गैस बंद कर दें। छान लें और हल्का गर्म करके अपने बच्चे को पिलाएं।

#३८. अदरक और तुलसी मिश्रण

रस निकालने के लिए अदरक और तुलसी दोनों को पीस लें। शहद डालें और इसे अपने बच्चे को दें।

#३९. लौंग शहद मिश्रण

अब यह एक ऐसा उपचार है जो आपको यह सोचने पर मजबूर कर सकता है कि, सर्दी के लिए लौंग? मैं आपको बताती हूँ, यह बहुत उपयोगी होता है! यह कफनाशक है और बलगम से छुटकारा पाने में सहायता करता है। यह खांसी दूर रखने में भी लाभदायक होता है और बच्चे को अच्छी नींद प्रदान करता है।
५ लौंग को सूखा भूनें और ठंडा होने के बाद अच्छी तरह पीस लें। इसमें शहद डालें और सोने से पहले बच्चे को दें।

#४०. तुलसी, अदरक और काली मिर्च

५ तुलसी के पत्तों, १/२ इंच अदरक के टुकड़े और २ काली मिर्चों के साथ १ कप पानी उबालें। छाने, ठंडा करें और अपने बच्चे को पीने के लिए दें।

#४१. लहसुन और शहद का मिश्रण

शहद एक प्रज्वलनरोधी, कीटाणुरोधी और फंगसरोधी सामग्री होती है।
लहसुन की एक छोटी कली लें, इसे पीसें, और थोड़ा शहद मिलाकर पेस्ट बनाएं। दिन में एक या दो बार इसे दें।
लहसुन में पाया जाने वाला एलिसन सूक्ष्मजीवरोधी, विषाणुरोधी और जीवाणुनाशक होता है। यह बलगम निकालने में और छाती में कफ के जमाव को कम करने में सहायता करता है।
बच्चों को लहसुन का स्वाद अच्छा नहीं लगता है, लेकिन शहद इसे मीठा करके सेवन योग्य बनाने में सहायता करता है। आप उनके भोजन में भी लहसुन डाल सकती हैं।

#४२. पान के पत्तों या वेथिलाई कशयम के साथ उबला पानी

तुलसी के पत्तों, पान के पत्तों, काली मिर्च और अजवाइन के साथ पानी उबालें। ठंडा होने के बाद, छान लें और इसमें शहद मिलाएं।

#४३. जीरा पाउडर मिश्रण

जीरा – १ छोटा चम्मच
मिश्री या कलकंदम – १ या २ टुकड़े
जीरे और मिश्री दोनों को महीन पाउडर में पीस लें। जब भी आपके बच्चे को खांसी आती है तो उसे यह मिश्रण दें।

#४४. सोंठ पाउडर मिश्रण

जीरे, सोंठ और मिश्री को महीन पाउडर के रूप में पीस लें। एक हवाबंद बर्तन में रखें। इसे अपने बच्चे की लगातार होने वाली सर्दी-खांसी के लिए प्रयोग करें।
#४५. शहद और अदरक के साथ उबला पानी

कुछ अदरक के टुकड़ों के साथ पानी गर्म करें। जब यह हल्का गर्म हो जाता है तो इसमें शहद मिलाएं। अपने बच्चे को यह पानी पीने के लिए दें। (This is home made baby cough syrup)

#४६. दालचीनी और शहद

एक छोटा चम्मच शहद लें और इसमें चुटकी भर दालचीनी पाउडर मिलाएं। अपने बच्चे को सर्दी-खांसी होने पर यह मिश्रण प्रदान करें।

#४७. अदथोडा कशयम या काढ़ा

अदथोडा या अदुलज़ा एक औषधीय पौधा होता है जिसे सिद्धा चिकित्सा में व्यापक रूप से प्रयोग किया जाता है। गुड़ या शहद के साथ अदुलज़ा के पत्तों का काढ़ा बनाएं।
#४८. काली मिर्च के साथ घी

एक चम्मच घी लें और इसमें चुटकीभर ताज़ा कूटा हुआ काली मिर्च का पाउडर डालें। यह स्वादिष्ट होता है, और सर्दी-खांसी में निश्चित रूप से आराम पहुंचाता है।

#४९. कचिया ऐना

सर्दी-खांसी के दौरान प्रयोग किया जाने वाला कचिया ऐना या गर्म केश तेल, प्राकृतिक रूप से बच्चे को आराम पहुंचाने में सहायता करता है। इसकी सामग्रियां हैं तुलसी के पत्ते, सैजन के पत्ते, नारियल तेल आदि।

#५०. केसर दूध

बच्चों में सर्दी और खांसी के दौरान केसर दूध बहुत अच्छा होता है।
१ कप उबले हुए दूध में केसर के कुछ धागे मिलाएं। इसे ठंडा होने दें, छानकर केसर के धागों को निकाल दें और सोने से पहले इसे अपने बच्चे को पीने के लिए दें।

#५१. नींबू, दालचीनी और शहद मिश्रण

नींबू के रस, दालचीनी पाउडर और शहद का मिश्रण तैयार करें। यह सर्दी और खांसी के वायरस से लड़ने के लिए बहुत अच्छा होता है।

ध्यान रखने योग्य चीजें:

आपको कब चिंतित होना चाहिए?

यदि आपके बच्चे की सर्दी-खांसी २ सप्ताह या इससे अधिक समय तक बनी रहती है तो कृपया तुरंत अपने बालरोग विशेषज्ञ से परामर्श लें। संभवतः, यह केवल साधारण सर्दी-खांसी ना हो। यह गंभीर संक्रमण हो सकता है जिसके लिए डॉक्टर के हस्तक्षेप की जरुरत होती है।

कृपया किसी भी ऐसे घरेलु उपचार का प्रयोग ना करें जिसमें ६ महीने से छोटे बच्चों के लिए किसी प्रकार के तेल/औषधि/दवाओं का सेवन शामिल होता है। ये उसे लाभ पहुंचाने से ज्यादा नुकसान पहुंचा सकते हैं।

सोमवार, फ़रवरी 20, 2017

Home Remedies for Cough and Cold in Babies

बच्चों और शिशुओं में सर्दी और खांसी


छोटी-मोटी बीमारियों का सामना करने के लिए माएं घरेलु उपचारों का प्रयोग क्यों करती हैं? मुख्य कारण है कि – यह नुकसानदायक रसायनों से नहीं बना होता है! राजेश मिश्रा ने बच्चों के आयु वर्ग के आधार पर उपचारों को विभाजित कर दिया है, ताकि यह आपके लिए आसान हो जाए।
जैसा कि आप जानती हैं, सभी उपचार सभी आयु वर्ग के बच्चों के लिए उपयुक्त नहीं होते हैं।

६ महीने तक के बच्चे:

क्या "राज" आपको अपने बच्चे की पहली सर्दी याद है? मुझे याद है, अंशिका केवल ३ सप्ताह की थी जब वो पहली बार सर्दी और खांसी से बीमार पड़ी थी। मुझे याद है कि उसकी तकलीफ को देखकर मैं बहुत बेसहारा महसूस कर रही थी। उस उम्र में बच्चे पहले ही बहुत कोमल होते हैं और कोई भी बीमारी इस स्थिति को और भी अधिक बुरी बना सकती है।
मुझे पूरा भरोसा है कि सर्दी और खांसी के दौरान कई माएं जागती हुई रातों और बच्चों में चिड़चिड़ेपन के इस कठिन दौर से गुजरी होंगी। तो चलिए कुछ घरेलु उपचारों पर एक नज़र डालते हैं जो उनकी तकलीफ कम कर सकते हैं और उन्हें तेजी से स्वस्थ कर सकते हैं।

#१. माँ का दूध

माँ का दूध एक अद्भुत पेय होता है। इसलिए ६ महीने से छोटी उम्र के बच्चों को सर्दी और खांसी के दौरान विषाणुओं और जीवाणुओं का सामना करने के लिए माँ के दूध के अलावा किसी भी अन्य दवा की जरुरत नहीं होती है।
जैसा कि आपको पता है कि माँ का दूध प्रतिरक्षियों से भरपूर होता है। माँ के दूध में मौजूद ये प्रतिरक्षी सभी प्रकार के कीटाणुओं, विषाणुओं और जीवाणुओं के विरुद्ध बच्चे के शरीर में प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाने में सहायता करते हैं। यह आपके छोटे बच्चे को उचित प्रकार से हाइड्रेट रखने में भी सहायता करता है।
आप स्तनपान कराने के फायदों के बारे में भी पढ़ सकती हैं।

#२. नाक में नमक के पानी की बूंदें डालना

मेरे मामले में यह प्रभावकारी साबित हुआ है और मैंने इसका नाम मेरा रक्षक भी रख दिया था। इससे नाक साफ़ रखने में और इसे जमने से बचाने में सहायता मिली। इससे नाक साफ़ करना बहुत आसान हो जाता है और यह अपेक्षाकृत रूप से आंसू-मुक्त भी होता है।
मुझे विश्वास है कि आपके बालरोग विशेषज्ञ ने आपके छोटे शिशु के लिए सेलाइन ड्रॉप का निर्देश दिया होगा। अपने डॉक्टर की बातों या उनके निर्देश का अनुसरण करना ना भूलें। इसके प्रयोग का सामान्य नियम यह है कि पहले नाक को हल्के हाथ से साफ़ करें और इसके बाद ड्रॉप डालें। बच्चे का सिर मोड़ कर रखें ताकि दवा बाहर ना निकले। आप घर पर भी सेलाइन ड्रॉप बना सकती हैं।
एक स्टील की कटोरी, चम्मच लें और इसे अच्छी प्रकार से कीटाणुमुक्त करें। १/२ छोटा चम्मच नमक लें और इसे ८ छोटे चम्मच गर्म फ़िल्टर के पानी में घोलें। ठंडा होने के बाद, आप इसे अपने बच्चे के लिए प्रयोग कर सकती हैं। लेकिन इसे केवल आपातकालीन स्थितियों में ही प्रयोग करें और मैं आपको घर पर बने सेलाइन ड्रॉप के बजाय बाज़ार में उपलब्ध सेलाइन ड्रॉप का प्रयोग करने की सलाह दूंगी, क्योंकि इसमें बैक्टीरिया पनपने का खतरा होता है।

#३. लहसुन और अजवाइन की पोटली

लहसुन और अजवाइन को इनके कीटाणु-रोधक और विषाणु-रोधक गुणों के लिए जाना जाता है। इसलिए ये दोनों एक साथ मिलकर काफी प्रभावशाली साबित हो सकते हैं और यह सर्दी और बंद नाक के विरुद्ध एक ताकतवर हथियार है। लेकिन इसके नाम से मत डरिये, वास्तव में इसे बनाना बहुत आसान है।
आपको यह पोटली या पाउच बनाने के लिए ३ चीजों की जरुरत होती है – लहसुन, अजवाइन और साफ़ मलमल का कपड़ा।
लहसुन की २ बड़ी कलियों और १ बड़ा चम्मच अजवाइन को तवे पर सूखा भूनें। इसके ठंडा होने का इंतज़ार करें और ठंडा होने के बाद इसे एक पोटली में बांधें। आप यह एक साफ़ मलमल के कपड़े की सहायता से भी कर सकती हैं।
इस पोटली को बच्चे के पालने या झूले में रखें जहाँ बच्चा सोता है। पोटली से निकलने वाला लहसुन-युक्त अजवाइन का धुआं बच्चे की मदद करेगा, क्योंकि यह बंद नाक खोलने में और कफ के जमाव से राहत पहुंचाने में सहायता करता है।

चेतावनी: बच्चे के द्वारा इस पोटली को मुंह में भरने और दम घुटने की संभावना से बचने के लिए कृपया पोटली/पाउच को बच्चे के पास ना रखें। इसे बहुत नजदीक रखने पर यह श्वसन के लिए नुकसानदेह भी बन सकता है।
यदि आप सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं तो आप इस पोटली को बच्चे के पैर के नीचे रगड़ भी सकती हैं। यह तरीका भी प्रभावी होता है।

#४. पनिकूरका

यह एक गूदेदार सदाबहार पौधा होता है, जिसे दक्षिण भारत में व्यापक रूप से पनिकूरका कहते हैं और इसे बच्चों में खांसी, बुखार, गले की खराश और बंद नाक का इलाज करने के लिए प्रयोग किया जाता है।
इसे भारतीय बोरेज, पत्ता अजवाइन, पत्थर चूर, कर्पूरवल्ली या नवरयिला के रूप में भी जाना जाता है, और यह एक प्राकृतिक ज्वरनाशक और कफ गिराने वाली औषधि है। गूदेदार सुगंधित पत्तियों को स्टोव पर भुना जाता है, और ठंडा करने के बाद बच्चे के माथे पर रखा जाता है। पत्तों का सूखना पानी का अवशोषण दर्शाता है और इस प्रकार बच्चे को खांसी/कफ जमने से राहत मिलती है।

#५. तेल मालिश

लगभग ¼ कप सरसों का तेल लें और इसे गर्म करें। एक या दो लहसुन की कलियाँ लें। उन्हें हल्का कूटें और इसके बाद काट दें। इसे सरसों के तेल में डाल दें। इसके भूरा होने का इंतज़ार करें, इसके बाद आंच से हटा दें।
याद रखें, इसे केवल भूरा करना होता है, इसे जलने ना दें। आप इस तेल का प्रयोग कर सकती हैं और बच्चे के सीने और पाँव की मालिश कर सकती हैं। इसे बाद उसे मोज़े पहनाएं।

बेहतर परिणामों के लिए चुटकी भर अजवाइन भी डाला जा सकता है। इसे तेल गर्म करते समय डालें। लहसुन की तरह इसे भी काला ना होने दें। सरसों के तेल, लहसुन और अजवाइन में कीटाणु-रोधक और विषाणु-रोधक गुण होते हैं। इसके अलावा सरसों के तेल की तासीर गर्म होती है जो बच्चे में कफ के जमाव में भी सहायता करता है। यह आपके बच्चे को काफी मात्रा में आराम प्रदान करने में सहायता करता है।
आप बच्चे की मालिश करने का क्रमशः तरीका भी पढ़ सकती हैं।

चेतावनी: इस बात का ध्यान रखें कि बच्चा कभी भी तेल ना पीये क्योंकि इसकी वजह से दस्त और अन्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। बच्चों के लिए तेलों या हर्बल दवाओं के सेवन का सुझाव नहीं दिया जाता है।

#६. केसर तिलक

केसर के कुछ धागे लें। इसका पेस्ट बनाने के लिए इसे पत्थर पर रगड़ें। रात में बच्चे के पाँव और माथे पर तिलक या टीका लगाएं।
केसर का तिलक बच्चे के माथे में जमा पानी को अवशोषित करने में सहायता करेगा।

#७. सैजन के पत्तों का केश तेल

यह मेरी माँ द्वारा प्रयोग किया जाने वाला एक पुराना उपचार है।
मोरिंगा या सैजन की कोमल हरी पत्तियों को तोड़ें। एक मोटी पेनी वाली कढ़ाई में १/२ कप नारियल तेल गर्म करें और उसमें मुट्ठीभर सैजन की पत्तियां डालें।
पत्ते सूख जाने के बाद, आप कढ़ाई को आंच से हटा सकती हैं।
सर्दी, खांसी और कफ जमा होने पर इस तेल को अपने बच्चे के बालों के तेल के रूप में प्रयोग करें।

#८. मौसम के अनुसार कपड़े

बच्चे के कपड़े उसके सीने को सर्दी से बचाने वाले होने चाहिए।
सर्दियों के मौसम में, उसे गर्म रखने के लिए एक के ऊपर एक कपड़े पहनाएं।
यदि गर्मी है तो सुनिश्चित करें कि उसके कपड़े आरामदायक हों और उसे घुटन महसूस ना हो।
हालाँकि, रात में कंबल का प्रयोग करना सामान्य लगता है, लेकिन शायद यह उतना अच्छा विचार नहीं है। आपका बच्चा अपने सिर के ऊपर चादर या कंबल खींच सकता है। इससे घुटन हो सकती है और उसे SIDS या आकस्मिक शिशु मृत्यु सिंड्रोम का भी खतरा होता है।
आप अपने बच्चे को एक पीस की पोशाक और उसके ऊपर कोई टी-शर्ट पहना सकती हैं। यदि बाहर ठंड नहीं है तो यह प्रभावी हो सकता है। याद रखें, उसका आराम सबसे ज्यादा अहमियत रखता है, इसलिए यदि उसे परेशानी महसूस होती है तो उसकी पोशाक को उस हिसाब से निःसंकोच बदलें। हालाँकि, सीने को ढंकना ना भूलें।

#९. अपना और अपने बच्चे का हाथ साफ़ रखना

कीटाणुरोधी बेबी वाइप या साबुन से नियमित अंतरालों पर अपना और अपने बच्चे का हाथ अच्छी प्रकार से साफ़ करती रहें। यदि आपको लगता है कि यह कैसे उपयोगी है या परिवार में कोई ऐसा व्यक्ति है जो कहता है कि उसे इसमें विश्वास नहीं है तो मैं आपको बताती हूँ कि यह महत्वपूर्ण क्यों है।
यह कीटाणुओं को फैलने से रोकने में मदद करता है। अब आप इस स्थिति को और अधिक खराब नहीं बनाना चाहती। हैं ना?
दिनभर में आप कई लोगों से मुलाकात और बातचीत करेंगी और इसका मतलब है कि आप बहुत सारे जीवाणुओं और कीटाणुओं का आदान-प्रदान भी करेंगी।बीमारी के दौरान, शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता उतनी ज्यादा मजबूत नहीं होती है – जिसका मतलब है कि वह अन्य बीमारियों के प्रति भी संवेदनशील होता है। इसलिए, कम से कम जब तक उसके स्वास्थ्य में सुधार नहीं होता है इस गतिविधि का पालन करना ना भूलें।

#१०. बच्चे का सिर ऊपर रखें

जब आपका बच्चा सोता है तो उसका सिर ऊपर रखने का प्रयास करें। इससे उसे सही प्रकार से साँस लेने में सहायता मिलती है। साथ ही, उसके बिस्तर, पालने या झूले में से ऐसी किसी भी चीज को हटा दें जिससे उसे सांस लेने में तकलीफ हो सकती है।
६ महीने से बड़े बच्चे
आप ६ महीने से बड़े बच्चों के लिए भी माँ के दूध, सेलाइन नेज़ल ड्रॉप, अजवाइन लहसुन पोटली का प्रयोग कर सकती हैं। साथ ही, ४, ५, और ६ बिदुओं में दी गयी चीजों का भी इस्तेमाल करें।
सर्दी, खांसी और बंद नाक का सामना करने के लिए उन उपचारों के अतिरिक्त आप इन सरल उपचारों को भी शामिल कर सकती है।

#११. पनिकूरका जूस

पनिकूरका के पत्तों को भाप से पकाकर इसका रस निकालें। ७ महीने और इससे अधिक उम्र के बच्चों को इसका १/२ चम्मच दें। बच्चों में सर्दी-खांसी के लिए यह बहुत प्रभावशाली होता है।
#१२. सूखी भुनी हुई हल्दी रगड़ना
केरल में इस उपचार को उनक्का मंजल चुट्टठु के नाम से भी जाना जाता है।
हल्दी की एक सूखी गाँठ को आंच पर रखें जब तक कि यह थोड़ा जला हुआ नहीं दिखने लगता है। हल्दी का पेस्ट बनाने के लिए इसे पत्थर पर रगड़ें।
सर्दी से राहत पाने के लिए बच्चे की नाक के ऊपर यह पेस्ट लगाएं।
चेतावनी: कृपया इस पेस्ट को बच्चे के नाक के अंदर ना लगाएं या ऐसे किसी भी रूप में प्रयोग ना करें जिससे उसे घुटन हो।

#१३. हल्दी का पेस्ट

पेस्ट बनाने के लिए हल्दी पाउडर को थोड़े पानी के साथ मिलाएं। इसे एक कलछुल में लें और गर्म करें। गर्म होने के बाद इसे आंच से उतार दें।
हल्के गर्म पेस्ट को बच्चे के सीने, माथे और पैरों पर लगायें। हल्दी की गर्मी बलगम को अवशोषित कर सकती है, इस प्रकार बच्चे को सर्दी-खांसी से राहत मिलती है।

#१४. गाजर का रस

ताज़े गाजर से निकाले गए रस को उबाल कर कमरे के तापमान पर ठंडा करके रखे गए पानी में घोला जा सकता है और ६ महीने और इससे अधिक उम्र के बच्चों को दिया जा सकता है। यह सर्दी-खांसी के लिए प्रभावकारी होता है।
चेतावनी: कृपया इस बात का ध्यान रखें कि यह रस देने से पहले आपने पहले बच्चे को गाजर दिया हो और इससे बच्चे को किसी भी प्रकार की एलर्जी ना हो।

#१५. गर्म सरसों तेल की मालिश
सरसों के तेल को थोड़े कलौंजी और २ लहसुन की कलियों के साथ गर्म करें। इसे बच्चे के सीने, नाक के नीचे, पैरों के पीछे और हथेलियों पर लगाएं। हल्के हाथ से मालिश करें।
मालिश के बाद आप अतिरिक्त तेल पोंछ सकती हैं।

#१६. अजवाइन या जीरे के साथ गर्म पानी देना
बच्चे को अच्छी तरह से हाइड्रेट रखने के लिए नियमित अंतरालों पर गर्म पानी दें।
किसी भी बीमारी के दौरान हाइड्रेशन बहुत महत्वपूर्ण होता है। आपका बच्चा चिड़चिड़ा हो सकता है और शायद कुछ ना लेना चाहे, लेकिन आप उसे थोड़ा गर्म पानी जरूर पिलाएं। आप उबले हुए अजवाइन या जीरे के पानी का प्रयोग भी कर सकती हैं।
एक गिलास पानी लें और उसमें चुटकी भर अजवाइन या जीरा डालें। पानी उबलने का इंतज़ार करें। पानी ठंडा करें और इसका प्रयोग करें।
यदि आप बच्चे के पर्याप्त मात्रा में पानी लेने के बारे में चिंतित हैं तो बच्चों के पानी के सेवन पर दिया गया गया लेख पढ़ें।

#१७. सेंधा नमक के साथ मिले हुए गर्म सरसों के तेल की मालिश
सरसों का तेल गर्म करें। इसमें एक छोटा चम्मच सेंधा नमक डालें। इसे बच्चे की पीठ और छाती पर लगायें।

#१८. अजवाइन का काढ़ा
बच्चों के सर्दी-खांसी में अजवाइन का काढ़ा बहुत उपयोगी होता है।
सामग्री:
अजवाइन या ओमान – १ चम्मच
तुलसी के पत्ते – ८
सोंठ पाउडर या चुक्कू – १/२ चम्मच (वैकल्पिक)
लौंग – १
काली मिर्च – ५
हल्दी – १/२ चम्मच
गुड़ – १/३ कप
पानी – १/२ कप
विधि:
मोटी तली वाले एक बर्तन में सभी सामग्रियां लें और १० मिनट के लिए उबालें या इसकी मात्रा को ३/४ तक कम करें। छान लें, ठंडा करें और इसे अपने बच्चे को पिलायें।
इसकी खुराक है खाने के बाद दिन में दो बार १ चम्मच। यदि आप एलोपैथिक कफ सिरप दे रही हैं तो अजवाइन का काढ़ा ना दें।

#१९. सूप देना

उसके खाने में कुछ सूप का प्रयोग करें।
सर्दी-खांसी के दौरान सूप बहुत अच्छा आरामदायक भोजन होता है। आप सब्जियों या टमाटर का गर्म सूप दे सकती हैं। यदि आपका बच्चा ८ महीने और इससे ज्यादा उम्र का है तो आप उसे चिकन सूप दे सकती हैं।
ये सूप बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं। यह इस बात को सुनिश्चित करने में सहायता करेगा कि उनके ऊर्जा स्तर में ज्यादा कमी ना आये और उन्हें बीमारी से लड़ने में मदद करेगा।
आप बच्चों में सर्दी-खांसी का सामना करने के लिए ७ पौष्टिक सूप और २५ भोजन पर दिया गया लेख देख सकती हैं।

#२०. नीलगिरी का तेल
नहीं, नीलगिरी का तेल लेने के लिए आपको नीलगिरी की यात्रा करने की जरुरत नहीं है। इसे युकलिप्टस तेल के नाम से भी जाना जाता है।
इसे युकलिप्टस के पेड़ से निकाला जाता है और इसके बहुत सारे प्रयोग हैं।
इसे छिलने-कटने, सांस लेने की परेशानी से राहत देने, साइनस दूर करने, एलर्जी आदि में आराम प्रदान करने के लिए दिया जाता है। यह कफ भी दूर करता है और इसलिए इसे सर्दी में आराम देने के लिए भी प्रयोग किया जाता है।
आप थोड़ी रुई लेकर इसे नीलगिरी के तेल में भीगा सकती हैं। इसे बच्चे के शयनकक्ष में रखना बहुत प्रभावकारी होता है। यदि संभव हो तो आप इसकी कुछ बूंदें अपने डिफ्यूजर में भी डाल सकती हैं।
आप यहाँ नीलगिरी का तेल खरीद सकती हैं।

#२१. भाप

आप वेपराइज़र का प्रयोग करके कमरे को स्टीम कर सकती हैं। यह रोग से राहत प्रदान करने में लाभदायक होता है, क्योंकि भाप बलगम गिराने में और नाक साफ़ रखने में सहायता करता है। इससे आपके बच्चे को सांस लेने में आसानी होती है।
ध्यान दें: स्टीम बच्चे के पास ना रखें क्योंकि इससे उसके जलने का खतरा होता है।

#२२. लहसुन अजवाइन की पोटली रगड़ना
चरण ३ में दिए गए लहसुन और अजवाइन की पोटली को बच्चे की छाती पर रगड़ने के लिए प्रयोग किया जा सकता है।
इसे पहले गर्म करना पड़ता है। आप इसे तवे के प्रयोग से गर्म कर सकती हैं, पोटली को गर्म तवे पर रखें, लेकिन इसके बहुत ज्यादा गर्म होने का इंतज़ार ना करें। यह औषधीय पोटली छाती साफ़ करने में सहायता करती है। इसलिए, इसका इस्तेमाल करके कफ के जमाव और बलगम को अलविदा कहिये!
ध्यान दें: पोटली को सीधे तवे से उतार कर सीने पर ना रखें! इसे प्रयोग करने से पहले हमेशा तापमान जांच लें। आप इसे अपनी हथेली या कलाई के नीचे रख सकती हैं, इसका तापमान देखें और हल्की गर्म पोटली को सीने पर रगड़ें।
यदि यह बहुत ज्यादा गर्म लगता है तो इसके ठंडा होने का इंतज़ार करें। यदि आपको कोई गर्मी महसूस नहीं होती तो आपको इसे दोबारा गर्म करने की जरुरत होती है।

बच्चों की त्वचा बेहद संवेदनशील होती है और इसलिए आपको ज्यादा सतर्क रहना पड़ता है। हमारी हथेली और कलाई के नीचे की त्वचा हमारे पूरे शरीर की तुलना में ज्यादा कोमल होती है। इसलिए आपके द्वारा महसूस किया जाने वाला तापमान बच्चे को महसूस होने वाले तापमान के लगभग बराबर होता है। इस प्रकार, आप सुनिश्चित कर सकती हैं कि इससे आपका बच्चा नहीं जलेगा या इससे उसे किसी प्रकार की तकलीफ नहीं होगी।

#२३. रसम
टमाटर और लहसुन के सूप को रसम भी कहा जाता है और इसे ७ महीने और इससे ज्यादा आयु के बच्चों को दिया जा सकता है। दक्षिण भारत में सर्दी-खांसी के उपचार के रूप में यह बहुत लोकप्रिय है। इसमें डाली जाने वाली सामग्रियां रोग प्रतिरोधक क्षमता को सुधारने और आपके बच्चे को स्वस्थ करने में सहायता करती हैं।
और इसका एक अन्य लाभ यह है कि ये बहुत स्वादिष्ट होता है! बीमारी के दौरान दिया जाने वाला यह स्वादिष्ट मिश्रण बच्चों के लिए एक अच्छा परिवर्तन होता है। कृपया इसमें लाल मिर्च पाउडर ना डालें। आप बच्चों के लिए आसान और बेहद स्वादिष्ट रसम की रेसिपी यहाँ पढ़ सकती हैं।

#२४. गुड़ के साथ अजवाइन का पानी
१ कप पानी को चुटकी भर अजवाइन और १ चम्मच गुड़ के साथ उबालें। छानकर ठंडा करें और इसे अपने बच्चे को दें।
इसकी खुराक है दिन में एक बार १ चम्मच।

#२५. वेपो रब
सोने से पहले बच्चों के पाँव के नीचे वेपो रब लगाएं और उन्हें सूती मोज़े पहनायें।
यह कैसे मदद करता है? सच कहूँ तो मुझे भी नहीं पता। यह इसमें मौजूद मेंथॉल या कपूर की वजह से हो सकता है। लेकिन कई माएं और दादियाँ इस उपचार पर पूरा भरोसा करती हैं।
यह एक अद्भुत उपचार की तरह होता है। यह बच्चे को आराम पहुंचाने में मदद करता है और उसे चैन की नींद प्रदान करता है। यह खांसी के लिए भी उपयोगी है। जब आप इसे बड़े बच्चों के पैरों में लगाती हैं तो हमेशा थोड़ा सतर्क रहें क्योंकि इससे उसके फिसलने का खतरा होता है। यदि उन्हें बाथरूम जाने के लिए उठना पड़ता है तो यह सुनिश्चित करें कि वे सावधानी से और धीरे-धीरे चलें।
#२६. सौंफ और अजवाइन मिश्रित पानी
१ कप पानी को १ छोटे चम्मच सौंफ और चुटकी भर अजवाइन के साथ उबालें। ठंडा करें, छानें और अपने बच्चे को पिलाएं।
इसकी खुराक है दिन और रात में २ छोटे चम्मच।
९ महीने से बड़े बच्चे
नंबर २५ तक उपरोक्त सभी विधियों को ९ महीने और इससे ज्यादा उम्र के बच्चों के लिए प्रयोग किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त निम्नलिखित भी उपयोगी हो सकते हैं।

#२७. भिंडी का सूप
जी हाँ! कोमल भिंडी बच्चे की सर्दी-खांसी दूर करने में मदद कर सकती है।
सामग्रियां:
भिंडी – १ कटी हुई
पानी – १ कप
अच्छी तरह से कटी हुई भिंडी को पानी के साथ १० मिनट के लिए उबालें। छानकर, ठंडा करें और इसे सूप के रूप में दें।

#२८. गर्म पानी में गुड़, जीरा और काली मिर्च
बच्चे को सर्दी, खांसी और गले में खराश होने पर यह मिश्रण प्रभावकारी होता है। इसे दिन में एक बार १-२ चम्मच से ज्यादा ना दें क्योंकि गुड़ की तासीर गर्म होती है।
गुड़ पाउडर – १ से २ छोटा चम्मच
जीरा – चुटकी भर
काली मिर्च – १ या २
पानी – १ कप
सभी सामग्रियों को १० मिनट के लिए पानी में उबालें। छाने, ठंडा करें और अपने बच्चे को दें।

#२९. नारियल तेल की मालिश
१/२ कप नारियल तेल को १ छोटे प्याज, २ से ३ तुलसी के पत्तों और १ पान के तने के साथ गर्म करें। आंच बंद करने के बाद इसमें चुटकी भर कपूर डालें। इस तेल को बच्चे की छाती, गर्दन, पीठ और कांख में लगायें।
ध्यान दें: कपूर की मात्रा ज्यादा ना करें क्योंकि यह प्राकृतिक रूप से तेज और तीखा होता है।

#३०. कपूर मिश्रित नारियल तेल की मालिश
नारियल तेल गर्म करें। तेल को स्टोव से उतारने के बाद इसमें चुटकी भर कपूर डालें। इसे अपने बच्चे की मालिश करने के लिए प्रयोग करें।
आप दुकान में मिलने वाले कर्पूरादी थैलम का प्रयोग भी कर सकती हैं।
१ वर्ष से अधिक उम्र के बच्चे
एक वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों के लिए आप ऊपर दिए गए उपचारों का प्रयोग कर सकती हैं। इसके अलावा आप निम्नलिखित उपचारों का भी प्रयोग कर सकती हैं।

#३१. शहद
क्या आपका बच्चा लगातार होने वाली खांसी की वजह से रात में बार-बार उठता है और चैन की नींद नहीं ले पाता है। उसे १ छोटा चम्मच सादा शहद चटायें। यह उसके गले को आराम देने में मदद करता है।

#३२. सफेद प्याज़ का रस
अप्रैल-मई के महीने के दौरान उत्तर भारत में उगने वाले सफेद प्याज़ को ‘सफेद कांदा’ भी कहते हैं। इसे अपने औषधीय फायदों के लिए जाना जाता है।
सफेद प्याज़ का रस निकालें और अपने बच्चे को १ चम्मच पिलाएं। यह सर्दी, खांसी और बंद नाक से राहत देने में सहायता करता है।

#३३. अदरक और शहद
अदरक रेतें और इसमें शहद मिलाएं। इसका एक छोटा चम्मच नियमित अंतरालों पर दिया जा सकता है। यह गले, श्वसन नली को आराम पहुंचाता है और खांसी में राहत देता है।

#३४. नींबू का रस और शहद
नींबू का रस और शहद मिलाएं। इसमें थोड़ा गर्म पानी मिलाएं और इसे अपने बच्चे को पीने के लिए दें।
यह एक अन्य पसंदीदा उपचार है क्योंकि बच्चे दवा खाने में मुंह बना सकते हैं, लेकिन जब स्वादिष्ट पेय पदार्थों की बात आती है तो वे मना नहीं कर सकते हैं। इसलिए यह एक ऐसा उपचार है जिसके लिए किसी विरोध का सामना नहीं करना पड़ता है, क्योंकि यह बिल्कुल भी दवा जैसा नहीं लगता है।
माएं भी शिकायत नहीं करती हैं क्योंकि यह सर्दी-खांसी दूर करने में उनकी सहायता करता है, उन्हें हाइड्रेट रखता है और साथ ही ऊर्जा भी प्रदान करता है।

#३५. हल्दी दूध
हल्दी के साथ मिले हुए दूध को ‘हल्दी दूध’ के रूप में भी जाना जाता है, जिससे हममें से ज्यादातर लोग परिचित हैं। यह लोकप्रिय उपचार है और सूखी खांसी के लिए बहुत प्रभावशाली होता है। इसे एक गिलास दूध में चुटकी भर हल्दी डालकर उबाल कर तैयार किया जाता है।
हल्दी को इसके चिकित्सीय गुणों के लिए जाना जाता है और यह बीमारी से लड़ने में और तेजी से आराम पहुंचाने में सहायता करता है। गर्म दूध आपके बच्चे को अच्छी और आरामदायक नींद प्रदान करने में भी सहायता करता है।

#३६. अदरक कॉफ़ी
यह जादू की तरह काम करता है।
मुझे पता है आप क्या सोच रही हैं, छोटे बच्चों के लिए कॉफ़ी? हालाँकि इसे कॉफ़ी कहा जाता है, लेकिन आप इसे बिना कॉफ़ी पाउडर के भी बना सकती हैं।
सामग्री:
अदरक के टुकड़े – २
तुलसी के पत्ते – २
कालीमिर्च – २
इलायची – २
लौंग – २
गुड़ या गुड़ का पाउडर – १ बड़ा चम्मच
पानी – १ कप
विधि:
ऊपर दी गयी सभी सामग्रियों को पानी के साथ उबालें। छान लें और सर्दी-खांसी में तेजी से राहत पाने के लिए यह मिश्रण दें। यह थोड़ा तीक्ष्ण लग सकता है, लेकिन भयानक सर्दी-जुकाम में भी यह बहुत ज्यादा प्रभावकारी होता है।
इस पेय पदार्थ की प्रत्येक सामग्री को सर्दी-खांसी से लड़ने की अपनी क्षमताओं के लिए जाना जाता है।

#३७. सोंठ कॉफ़ी
दक्षिण भारत में सोंठ कॉफ़ी या चुक्कू कॉफ़ी का प्रयोग सर्दी-खांसी के उपचार के लिए व्यापक रूप से किया जाता है।
सामग्री:
सोंठ या चुक्कू – १ इंच टुकड़ा
तुलसी के पत्ते – ६ से ७
काली मिर्च – २
गुड़ – १ भेली
पानी – १ कप
विधि:
सोंठ और कालीमिर्च को दरदरा पीस लें। तुलसी के पत्तों को तोड़कर किनारे रख लें।
गुड़ को पानी से साथ उबालें और इसे घुलने दें। सोंठ और कालीमिर्च डालें और इसके बाद तुलसी के पत्ते डाल दें।
पत्तियां मुरझाने के बाद, गैस बंद कर दें। छान लें और हल्का गर्म करके अपने बच्चे को पिलाएं।

#३८. अदरक और तुलसी मिश्रण
रस निकालने के लिए अदरक और तुलसी दोनों को पीस लें। शहद डालें और इसे अपने बच्चे को दें।

#३९. लौंग शहद मिश्रण
अब यह एक ऐसा उपचार है जो आपको यह सोचने पर मजबूर कर सकता है कि, सर्दी के लिए लौंग? मैं आपको बताती हूँ, यह बहुत उपयोगी होता है! यह कफनाशक है और बलगम से छुटकारा पाने में सहायता करता है। यह खांसी दूर रखने में भी लाभदायक होता है और बच्चे को अच्छी नींद प्रदान करता है।
५ लौंग को सूखा भूनें और ठंडा होने के बाद अच्छी तरह पीस लें। इसमें शहद डालें और सोने से पहले बच्चे को दें।

#४०. तुलसी, अदरक और काली मिर्च
५ तुलसी के पत्तों, १/२ इंच अदरक के टुकड़े और २ काली मिर्चों के साथ १ कप पानी उबालें। छाने, ठंडा करें और अपने बच्चे को पीने के लिए दें।

#४१. लहसुन और शहद का मिश्रण
शहद एक प्रज्वलनरोधी, कीटाणुरोधी और फंगसरोधी सामग्री होती है।
लहसुन की एक छोटी कली लें, इसे पीसें, और थोड़ा शहद मिलाकर पेस्ट बनाएं। दिन में एक या दो बार इसे दें।
लहसुन में पाया जाने वाला एलिसन सूक्ष्मजीवरोधी, विषाणुरोधी और जीवाणुनाशक होता है। यह बलगम निकालने में और छाती में कफ के जमाव को कम करने में सहायता करता है।
बच्चों को लहसुन का स्वाद अच्छा नहीं लगता है, लेकिन शहद इसे मीठा करके सेवन योग्य बनाने में सहायता करता है। आप उनके भोजन में भी लहसुन डाल सकती हैं।

#४२. पान के पत्तों या वेथिलाई कशयम के साथ उबला पानी
तुलसी के पत्तों, पान के पत्तों, काली मिर्च और अजवाइन के साथ पानी उबालें। ठंडा होने के बाद, छान लें और इसमें शहद मिलाएं।

#४३. जीरा पाउडर मिश्रण
जीरा – १ छोटा चम्मच
मिश्री या कलकंदम – १ या २ टुकड़े
जीरे और मिश्री दोनों को महीन पाउडर में पीस लें। जब भी आपके बच्चे को खांसी आती है तो उसे यह मिश्रण दें।

#४४. सोंठ पाउडर मिश्रण
जीरे, सोंठ और मिश्री को महीन पाउडर के रूप में पीस लें। एक हवाबंद बर्तन में रखें। इसे अपने बच्चे की लगातार होने वाली सर्दी-खांसी के लिए प्रयोग करें।

#४५. शहद और अदरक के साथ उबला पानी
कुछ अदरक के टुकड़ों के साथ पानी गर्म करें। जब यह हल्का गर्म हो जाता है तो इसमें शहद मिलाएं। अपने बच्चे को यह पानी पीने के लिए दें। (This is home made baby cough syrup)

#४६. दालचीनी और शहद
एक छोटा चम्मच शहद लें और इसमें चुटकी भर दालचीनी पाउडर मिलाएं। अपने बच्चे को सर्दी-खांसी होने पर यह मिश्रण प्रदान करें।

#४७. अदथोडा कशयम या काढ़ा
अदथोडा या अदुलज़ा एक औषधीय पौधा होता है जिसे सिद्धा चिकित्सा में व्यापक रूप से प्रयोग किया जाता है। गुड़ या शहद के साथ अदुलज़ा के पत्तों का काढ़ा बनाएं।

#४८. काली मिर्च के साथ घी
एक चम्मच घी लें और इसमें चुटकीभर ताज़ा कूटा हुआ काली मिर्च का पाउडर डालें। यह स्वादिष्ट होता है, और सर्दी-खांसी में निश्चित रूप से आराम पहुंचाता है।

#४९. कचिया ऐना
सर्दी-खांसी के दौरान प्रयोग किया जाने वाला कचिया ऐना या गर्म केश तेल, प्राकृतिक रूप से बच्चे को आराम पहुंचाने में सहायता करता है। इसकी सामग्रियां हैं तुलसी के पत्ते, सैजन के पत्ते, नारियल तेल आदि।

#५०. केसर दूध
बच्चों में सर्दी और खांसी के दौरान केसर दूध बहुत अच्छा होता है।
१ कप उबले हुए दूध में केसर के कुछ धागे मिलाएं। इसे ठंडा होने दें, छानकर केसर के धागों को निकाल दें और सोने से पहले इसे अपने बच्चे को पीने के लिए दें।

#५१. नींबू, दालचीनी और शहद मिश्रण
नींबू के रस, दालचीनी पाउडर और शहद का मिश्रण तैयार करें। यह सर्दी और खांसी के वायरस से लड़ने के लिए बहुत अच्छा होता है।

#५२. चुक्कू-थिप्पिलि मिश्रण
सोंठ और लंबी काली मिर्च को अलग-अलग सूखा भूनें। इसे महीन पाउडर में पीसें। इस मिश्रण में गुड़ या शहद मिलाएं और इसे रेडीमेड कफ सिरप के रूप में प्रयोग करें।
२ वर्ष से अधिक उम्र के बच्चे
ऊपर दिए गए सभी घरेलु उपचारों को यहाँ प्रयोग किया जा सकता है।

#५३. गुड़ और काली मिर्च का मिश्रण
गुड़ और कालीमिर्च का मिश्रण एक सिद्ध प्रभावकारी कफनाशक होता है। बलगम बाहर आने के साथ ही सीने में जमाव कम हो जायेगा और इसलिए खांसी में भी कमी आएगी।
सामग्री:
गुड़ या गुड़ का पाउडर – १ १/२ बड़ा चम्मच
काली मिर्च – ३ या ४
गुड़ और काली मिर्च को पीस कर महीन पाउडर के रूप में तैयार करें और इसे एक हवाबंद बर्तन में रखें। जब भी आपके बच्चे को खांसी आती है तो उसे यह एक या दो चुटकी खाने के लिए दें।
जलन की चिंता ना करें, गुड़ उसे कम करने में मदद करेगा।

#५४. अदरक और नमक का मिश्रण
अदरक कसें या इसे पतले-पतले टुकड़ों में काट लें। इसमें नमक मिलाएं। गले की खराश, सर्दी-खांसी से छुटकारा पाने के लिए अपने बच्चे को यह प्रदान करें।

#५५. घर की बनी हुई गुड़ की भेलियां
छोटी भेलियां बनाने के लिए हल्दी पाउडर, घी और गुड़ के पाउडर को एक साथ मिलाएं। अपने बच्चे के सर्दी, खांसी या गले की खराश के चपेट में आने पर उसे यह खाने के लिए दें।
४ वर्ष से अधिक उम्र के बच्चे
४ वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों के लिए, सर्दी और खांसी में आराम प्रदान करने के लिए आप ऊपर दिए गए उपचारों का प्रयोग कर सकती हैं।

#५६. औषधीय भाप
उबलते हुए पानी के बर्तन में युकलिप्टस या नीलगिरी तेल की २ बूंदें डालें। आप पानी में कुछ तुलसी की पत्तियां भी डाल सकती हैं। आप भाप लेने के लिए इलेक्ट्रिक मशीन का भी प्रयोग कर सकती हैं।
अपने बच्चे को झुककर कंबल से अपना सिर ढंकने के लिए कहें जिससे सांस लेने में और औषधीय भाप लेने में आसानी होती है। यह श्वसन नली खोलने में मदद करता है और कफ का जमाव कम करता है। यह बच्चे को आसानी से सांस लेने में सहायता करता है और बलगम निकालने में भी मदद करता है। जिसे बाद में बच्चा बाहर थूक सकता है।
इस उपचार को छोटे बच्चों के साथ ना इस्तेमाल करें क्योंकि वे अपने आपको जला सकते हैं। साथ ही, भाप के ज्यादा पास आने पर भी जलने का खतरा होता है।
यह सुनिश्चित करें कि आपके द्वारा प्रयोग किया जाने वाला बर्तन ना गिरे। दुर्घटनाओं से बचने के लिए इसे अच्छी तरह से रखें। साथ ही, अपने बच्चों को गर्म चीजों को स्पर्श करने और भाप के पास जाने के खतरों के बारे में सावधान करें।

#५७. शहद, नींबू और गर्म पानी से गरारा करना
शहद, नींबू और गर्म पानी का गरारा गला और नाक साफ़ करने में मदद करता है। छोटे बच्चे यह नहीं कर सकते हैं। लेकिन ४ वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों के लिए यह किया जा सकता है और बहुत उपयोगी होता है।
गला और नाक साफ़ करने के अलावा यदि आपके बच्चे को बहुत ज्यादा खांसी आ रही है तो यह विशेष रूप से राहत प्रदान करने में भी मदद करता है।
आप यहाँ से शुद्ध शहद खरीद सकती हैं।

#५८. घर का बना मसाला चाय

यदि आपका बच्चा घर पर बने हुए प्रत्येक सिरप को लेने से मना कर देता है तो इसे आजमाएं।
अदरक, इलायची, काली मिर्च, मुलेठी आदि जैसे उपचारात्मक मसालों से घर पर देशी मसाला चाय तैयार करें। इसे अपने बच्चे को पीने के लिए दें।
इसमें शामिल मसालों के जीवाणुरोधी और सूक्ष्मजीवरोधी गुणों की वजह से यह चाय सर्दी और खांसी के वायरस से लड़ने में सहायता करती है।

#५९. सादे पानी का गरारा

अपने बच्चे से नमकीन गर्म पानी से गरारा करवाएं। इससे गले के संक्रमण और खांसी में राहत मिलती है।

#६०. हल्दी के साथ नमक के पानी का गरारा
सादे नमक-पानी के गरारे में हम प्राकृतिक रोगाणुरोधक मिला देते हैं। इसमें चुटकी भर हल्दी पाउडर डालें और इसके बाद अपने बच्चे को इससे गरारा करने के लिए कहें।

#६१. घर का बना हुआ खांसी मिश्रण
घर पर बनाए गए इस खांसी मिश्रण पाउडर की सबसे अच्छी बात यह है कि आप इसे तैयार करके एक हवाबंद बर्तन में रख सकती हैं। अपने बच्चे के साथ यात्रा करने के दौरान आपातकालीन स्थितियों में यह पाउडर बहुत उपयोगी साबित हो सकता है।
सामग्री:
मिश्री – माध्यम आकार के क्यूब
काली मिर्च – १ या २
सूखा अदरक, सोंठ या चुक्कू – एक छोटा टुकड़ा
जीरा पाउडर – १/४ छोटा चम्मच
बनाने की विधि:
इन सभी चीजों को एक साथ पाउडर बनाएं।
यदि आपके बच्चे को बहुत ज्यादा खांसी आने लगती है तो उसे तुरंत आराम पाने के लिए चुटकी भर पाउडर लेने के लिए कहें। ताज़गी बनाए रखने के लिए इसे हमेशा ताज़ा तैयार करें।

ध्यान रखने योग्य चीजें:
आपको कब चिंतित होना चाहिए?

Rajesh Mishra, Kolkata

यदि आपके बच्चे की सर्दी-खांसी २ सप्ताह या इससे अधिक समय तक बनी रहती है तो कृपया तुरंत अपने बालरोग विशेषज्ञ से परामर्श लें। संभवतः, यह केवल साधारण सर्दी-खांसी ना हो। यह गंभीर संक्रमण हो सकता है जिसके लिए डॉक्टर के हस्तक्षेप की जरुरत होती है।
कृपया किसी भी ऐसे घरेलु उपचार का प्रयोग ना करें जिसमें ६ महीने से छोटे बच्चों के लिए किसी प्रकार के तेल/औषधि/दवाओं का सेवन शामिल होता है। ये उसे लाभ पहुंचाने से ज्यादा नुकसान पहुंचा सकते हैं।

इन घरेलु उपचारों का प्रयोग करते समय इस पोस्ट में दी गयी सभी सावधानियों का पालन करें।
एक वर्ष से छोटे बच्चों के लिए शहद का प्रयोग ना करें। क्योंकि यह इंफेंट बोटुलिज़्म नामक एक दुर्लभ और खतरनाक विकार उत्पन्न कर सकता है। यह बच्चे के शरीर में क्लोस्ट्रीडियम बोटुलिनम के बीजाणु प्रवेश करने पर होता है, जिससे विषैला पदार्थ उत्पन्न होता है। शहद ऐसा खाद्य पदार्थ है जिसमें यह बीजाणु मिल सकता है। इसलिए, एक वर्ष से कम उम्र के बच्चों को शहद नहीं दिया जाता है। १ वर्ष से अधिक उम्र के बच्चे शहद का सेवन कर सकते हैं क्योंकि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत और ज्यादा बेहतर तरीके से विकसित होती है।
यदि आप किसी भी सामग्री का प्रयोग पहली बार कर रही हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि आपके बच्चे को इससे कोई भी एलर्जी ना हो।
ऊपर दिए गए ६ घरेलु उपचारों के अतिरिक्त, हम आपको अपने बच्चे को नेजोबडी नेज़ल एस्पिरेटर देने की सलाह देते हैं जो बच्चे को बंद नाक से आराम दिलाने में उपयोगी होता है।

नेजोबडी नेज़ल एस्पिरेटर के बारे में आप मेरी समीक्षा पढ़ सकती हैं और इसे नीचे दिए गए बैनर पर क्लिक करके खरीद सकती हैं।
मुझे उम्मीद है कि इससे आपको मदद मिलेगी। मुझे पूरा विश्वास है कि बच्चों और शिशुओं में सर्दी-खांसी के लिए ऐसे कई घरेलु उपचार मौजूद होंगे। कृपया टिप्पणियों के माध्यम से उन्हें मेरे साथ साझा करें।

गुरुवार, दिसंबर 15, 2016

यौन शक्ति बढ़ाने के आयुवेर्दिक घरेलू उपाय

सेक्स पावर बढ़ाने के घरेलू उपचार

गलती कुबूल करने और गुनाह छोड़ने में कभी देरी नहीं करनी चाहिए ।
क्योंकि सफर जितना लंबा हो वापसी उतनी ही कठिन होगी।।.

how-to-increase-sex-power

पुरूष यौन ताकत को बढ़ाने के लिए क्या क्या उपाय नहीं करते हैं। अक्सर शादि के बाद पुरूषों में "राज" यौन ताकत में कमी होने लगती है। जिसके कई कारण है। यौन दुर्बलता के मुख्य कारण जैसे थकान, टेंशन, खाने पर ध्यान न देना, धूम्रपान व शराब आदि का अधिक सेवन करना आदि।
ये समस्या धातुदोष, शीध्रपतन, नपुंसकता और स्वप्न दोष के रूप में सामने आती हैं। जिस वजह से नौजवान युवकों का वैवाहिक जीवन में परेशानी आने लगती है। "राज" आपको कुछ आयुवेर्दिक उपायों को बता रहै है जिनके सेवन से आप इस समस्या से आसानी से बच सकते हो।

यौन क्षमता बढ़ाने वाले आयुवेर्दिक नुस्खे पुरूषों के लिए

 सेब का सेवन
पुरूषों की सेहत और पौरूष शक्ति को बढ़ाने के लिए सेब बहुत ही फायदेमंद औषधि की तरह कार्य करती है।
सेब के अंदर के गुण "राज" यौन दुर्बलता को दूर करते है।

त्रिफला का सेवन

त्रिफला काम शक्ति को बढ़ाता है। इसलिए रोज रात को सोने से पहले पांच मुनक्कों के साथ त्रिफला का सेवन करना चाहिए। और बाद में ठंडा पानी पी लें। इस उपाय से शीध्रपतन का रूकनाए काम शक्ति में ताकत और जोश बढ़ता है।

हल्दी का सेवन

यदि आपका वीर्य बहुत पतला है और यौन दुर्बलता है तो आप रोज सुबह के समय में एक चम्मच हल्दी के चूर्ण में एक चम्मच शहद को मिला लें और इसका सेवन करें। आपकी गुप्त समस्याएं भी ठीक हो जाएगीं।

वीर्य बढ़ाने के लिए बरगद

बरगद के पेड़ के पत्ते को शाम को सूर्य ढ़लने से पहले तोड़ लें और उससे निकलने वाले दूध को बताशे के उपर टपका कर सेवन करें। इस अचूक उपाय से यौन दुर्बलता दूर होती है। वीर्य गाढ़ा होता है और काम क्रिया का समय बढ़ता है।

सौंठ का प्रयोग

सौंठ में कुछ अन्य आयुवेर्दिक तत्वों को मिलाकर चूर्ण बनता है। जिसका सेवन आपकी क्षमता को बढ़ाता है। कैसे बनाएं ये चूर्ण आइये बताते हैं-
दो ग्राम अकरकरा
तीस ग्राम काले तिल
चार ग्राम सौंठ
30 ग्राम पिप्पली और चार ग्राम गोंद
(ये सारी चीजें "राज" आपको पनसारी की दुकान पर मिल जाती हैं)

इन सभी को आपस में मिलाकर अच्छी तरह से कूट पीस लें। और इससे बने चूर्ण का सेवन रात को सोने से पहले आधा चम्मच गर्म दूध के साथ सेवन करें। इस अचूक औषधि का फायदा आपको कुछ ही दिनों में दिखने लगेगा।

छुहारे खाना

छुहारे खाने से यौन इच्छा और काम शक्ति बढ़ती है। इसके लिए आप रोज दूध में दो बादामए तीन काजू और पाच छुहारे को डालकर उबाल लें। और फिर इसमें मिश्री डाल दें। इस दूध को रोज रात को सोने से पहले सेवन करें। इस उपाय से आपको फायदा होगा।

इमली का सेवन

इमली भी काम शक्ति को बढ़ाती है। कैसे करें इमली का प्रयोग जानें। इमली के आधा किलों बीजों को लें और इनको बीच में से दो भाग में काट दें। अब इसे पानी में तीन दिनों तक भिगने के लिए छोड़ दें। उसके बाद आप इसके छिलके उतार लें और सफेद भाग को पीस लें। और इसमें आधा किलों पिसी हुई मिश्री का मिला लें। अब इसे किसी कांच की बोतल में भर दें।
सेवन की विधि
इस प्रकार से तैयार इमली से बनी औषधि का सेवन सुबह और शाम दूध के साथ आधा चम्मच सेवन करें। इस उपाय से शीध्रपतन नहीं होता है और काम में जोश आता है।

आंवला

पुरूषों की गुप्त रोगों की समस्या में आंवला एक कारगर औषधि का काम करता है। इसके लिए आपको रोज रात के समय में आंवले के चूर्ण में पानी भरकर रख दें। और सुबह उठते ही इस पानी में थोड़ी हल्दी मिला लें अब इसे छानकर इसका सेवन करें।
दूसरा उपाय
मिश्री को पीसकर आंवले के चूर्ण में मिला लें। और रात को सोने से पहले एक चम्मच इसका सेवन पानी के साथ करें।

आंवला का मुरब्बा

इसके अलावा आंवला का मुरब्बा खाने से भी "राज" पुरूषों की यौन दुर्बलता दूर होती है।
एक चम्मच शहद में एक छोटी चम्म्च आंवले के चूर्ण मिला लें और इसका सेवन रोज दिन में दो बार करें। आपको इसका काफी फायदा मिलेगा।

बुधवार, नवंबर 02, 2016

Benefits Of Salt Water

सुबह नमक वाला पानी पीने के चमत्कारी फायदे

स्वस्थ जीवन और निरोगी काया कौन नहीं चाहता है। यदि स्वस्थ जीवन चाहते हैं तो रोज सुबह उठकर काला नमक या सेंधा नमक को पानी में मिलाकर पीएं। इस पानी को अंग्रेजी में सोल वाटर कहते हैं। नमक वाले पानी को पीने से ब्लड शुगर, मोटापा और ब्लड प्रेशर आदि बीमारियों से मुक्ति मिलेगी ही साथ यह आपको अन्य घातक बीमारियों से भी बचाता है। आपको पानी में केवल काला नमक व सेंधा नमक ही मिलाना है। किचन में मैजूद साधा नमक न मिलाएं। 80 से ज्यादा खनिज काले नमक में होते हें जो शरीर के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं। आइये जानते हैं नमक वाला पानी कैसे आपको कई तरह की बीमारियों से छुटकारा दिलवाता है।

कैसे बनाएं नमक वाला पानी?

1 गिलास गुनगुने पानी में एक छोटी चम्मच काला नमक को मिलाएं। और इसे अच्छे से मिलाएं। अब यह पानी पीने लायक बन गया है।

नमक वाले पानी पीने के फायदे

त्वचा की समस्या में

नमक वाला पानी पीने से त्वचा से संबंधित सभी परेशानियां जैसे एक्ने, एक्जिमा और रैश की परेशानी दूर होती है। नमक के पानी में क्रामिया होता है जो त्वचा की हर समस्या से लड़ता है।

पाचन तंत्र को ठीक रखना

नमक वाला पानी मुंह में लार वाली ग्रंथियों को सक्रिय करने में मदद करता है। लार पेट के अंदर प्राकृतिक नमक, हाइड्रोक्लोरिक एसिड और प्रोटीन को पचाने वाले एंजाइम को उत्तेजित करने में सहायता करती है। इससे खाया गया भोजन टूट कर आराम से पच जाता है। इसके अलावा इंटेस्टाइनिल ट्रैक्ट और लिवर में भी एंजाइम को उत्तेजित होने में मदद मिलती है, जिससे खाना पचने में आसानी होती है।

नींद समस्या में

नींद की समस्या आजकल कई लोगों में देखी जा रही है। एैसे में रोज सुबह नमक वाला पानी पीना चाहिए। नींद लाने में नमक हमारी तंत्रिका को आराम देता है और दो खतरनाक हार्मोन्स एड्रनलाईन और कोर्टिसोल को नमक कम कर देता है जिस वजह से रात को शांत व अच्छी नींद आती है।

वजन घटाएं

यह पाचन को दुरुस्त करके शरीर की कोशिकाओं तक पोषण पहुंचाता है, जिससे मोटापा कंट्रोल करने में मदद मिलती है।
काले नमक का पानी पीना न सिर्फ सेहत के लिए अच्छा होता अपितु यह चेहरे से जुड़ी हर दिक्कत को भी दूर करता है। सुबह उठकर अपनी आदत में थोड़ा बदलाव लाएं और नमक के पानी को पीने की आदल डालें।
काले नमक का पानी पीना न सिर्फ सेहत के लिए अच्छा होता अपितु यह चेहरे से जुड़ी हर दिक्कत को भी दूर करता है। सुबह उठकर अपनी आदत में थोड़ा बदलाव लाएं और नमक के पानी को पीने की आदल डालें।

बनाए हड्डी मजबूत

शायद ही आपको पता होगा कि हमारा शरीर भी हड्डियों से खनिज और कैल्शियम को खींचता है। इससे धीरे-धीरे हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। लेकिन नमक वाले पानी में जो तत्व पाए जाते हैं वे कैल्शियम की कमी को पूरा करते हैं और हड्डियों को भी मजबूत बनाते हैं।
अगर आप स्‍वस्‍थ जीवन जीना चाहते हैं तो नियमित रूप से सुबह पानी में काला नमक मिलाकर पीना शुरू कर दें।

जी हां, इस लिक्विड को सोल वॉटर कहते हैं, और इसे पीने से ब्‍लड शुगर, ब्‍लड प्रेशर, एनर्जी में सुधार, मोटापा और अन्‍य तरह की बीमारियां तुरंत ठीक हो जाती है। लेकिन नमक पानी लेते समय इस बात का ध्‍यान रखें कि इसमें आपको सादे नमक का प्रयोग नहीं करना है, अथवा यह फायदे की जगह आपको नुकसान पहुचायेगा। काले नमक में 80 मिनरल और जीवन के लिए जरूरी सभी आवश्यक प्राकृतिक तत्व पाए जाते हैं।

दो औषधियों के जरिये आप पा सकते है सफेद दांत


बेहद व्यस्त दिनचर्या के चलते हम अपने शरीर के महत्वपूर्ण अंगों की सही से देखभाल नहीं कर पाते जिनमें दांत एक है | हम सब पीले दांतों से परेशान है और सफेद दांतों के बारे में भूलते जा रहे है | आज के दिनों में सफेद दांत होना अति आवश्क है |अगर आपके पास सफेद दांत है तो आप खुल के हस पायेगे, किसी के नजदीक जा पायेगे | अगर आपके दांत पीले और गंदे हैं तो आप अपनी इज्जत की खातिर हसना भूल जायेगे,, शर्म के मारे किसी के नजदीक नहीं जा पायेगें |

आज हम आयुर्वेद के खजाने से आपके लिए एक आसान और बेहद असरदार नुख्सा लेकर आये है | 
यह सिर्फ एक नुख्सा ही नहीं है—- यह है आपकी मुस्कान वापिस लाने वाला रास्ता | यह नुख्सा जितना आसान है उतना ही असरदार | आइये देखते है के कैसे आप पा सकते हो सफेद – सुंदर दांत सिर्फ एक मिनिट में |
teath के लिए चित्र परिणाम
एक बर्तन में थोडा सा बेकिंग सोडा डाल कर उस में ताजा निकला हुआ नीम्बू का रस मिला कर अच्छे से मिक्स कर लें | इन दोनों औषधियों को तब तक उंगली से मिलाते रहें जब तक आपको एक गाढ़ा पेस्ट नहीं मिल जाता है | जब पेस्ट बन कर तयार हो जाए उसके बाद इस पेस्ट को अपने दांतों पर लगाये | वह पेस्ट दांतों के लिए बलीच का काम करेगा | पेस्ट को दांतों पर लगाने के एक मिनिट बाद दांतों को ब्रश कर के साफ़ कर लें |परिणाम देखकर आप दंग रह जाएँगे|