दादी-नानी और पिता-दादाजी के बातों का अनुसरण, संयम बरतते हुए समय के घेरे में रहकर जरा सा सावधानी बरतें तो कभी आपके घर में डॉ. नहीं आएगा. यहाँ पर दिए गए सभी नुस्खे और घरेलु उपचार कारगर और सिद्ध हैं... इसे अपनाकर अपने परिवार को निरोगी और सुखी बनायें.. रसोई घर के सब्जियों और फलों से उपचार एवं निखार पा सकते हैं. उसी की यहाँ जानकारी दी गई है. इस साइट में दिए गए कोई भी आलेख व्यावसायिक उद्देश्य से नहीं है. किसी भी दवा और नुस्खे को आजमाने से पहले एक बार नजदीकी डॉक्टर से परामर्श जरूर ले लें.
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नोट : यहाँ पर प्रस्तुत आलेखों में स्वास्थ्य सम्बन्धी जानकारी को संकलित करके पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करने का छोटा सा प्रयास किया गया है। पाठकों से अनुरोध है कि इनमें बताई गयी दवाओं/तरीकों का प्रयोग करने से पूर्व किसी योग्य चिकित्सक से सलाह लेना उचित होगा।-राजेश मिश्रा

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शनिवार, जनवरी 31, 2015

Home remedies for hair fall


गिरते बालों के लिए घरेलू उपचार

इस पोस्ट (आलेख) में आप के लिए सबसे ज्वलंत और आम मुसीबत असमय बालों के गिरने जैसे मुद्दे को लेकर राजेश मिश्रा हाजिर हुए है....
खूबसूरती में चार चांद लगाने के लिए सुंदर और घने बालों का होना जरूरी है। लेकिन बालों में उचित पोषण न मिलने के कारण वे समय से पहले ही गिरने लगते हैं।
बालों की देखभाल सही तरह से न की जाये तो बाल गिरने शुरू हो जाते हैं। हालांकि सामान्‍यत: लोगों के बाल झड़ते हैं लेकिन सामान्‍य से ज्‍यादा बाल झड़ रहे हैं तो समझिए कि आप बालों की समस्‍या से गुजर रहे हैं। बाल झड़ने के पीछे कई कारण हो सकते है, जैसे – तनाव, इन्फेक्शन, हार्मोन्स का असंतुलन, अपर्याप्त पोषण, विटामिन और पोषक पदार्थों की कमी, दवाओं के साइड इफेक्ट्स, लापरवाही बरतना या बालों की सही देखभाल न करना। घटिया साबुन और शैंपू का प्रयोग भी बालों के गिरने का कारण बनता है। आइए हम आपको गिरते बालों को रोकने के लिए घरेलू नुस्‍खे बताते हैं।

गिरते बालों के लिए घरेलू नुस्‍खे –

  • बालों का गिरना रोकने और बालों की वृद्धि के लिए सप्ताह में एक बार अपने बालों की रोज़मेरी ऑयल से मसाज कीजिए, इससे बाल मजबूत होते हैं।
  • जवाकुसुम की पत्तियों को थोड़े से पानी में मिलाकर पेस्ट बना लीजिए, इस पेस्‍ट को सिर की त्वचा और बालों पर लगाइए, इससे बाल बढ़ते हैं और घने भी होते हैं।
  • बालों को मजबूत बनाने और टूटने से बचाने के लिए बालों को भरपूर पोषण दीजिए। मेंहदी में भरपूर पोषण होता है जो बालों के लिए फायदेमंद है, इसलिए बालों में मेहंदी लगानी चाहिए।
  • मेंहदी को अंडे के साथ मिलाकर लगाने से ज्‍यादा फायदा होता है। इससे बाल मजबूत होते हैं और बालों का गिरना बंद हो जाता है।
  • गिरते बालों को रोकने के लिए दही बहुत कारगर घरेलू नुस्‍खा है। दही से बालों को पोषण मिलता है। इसके लिए बालों को धोने से कम से कम 30 मिनट पहले बालों में दही लगाना चाहिए। जब बाल पूरी तरह सूख जाएं तो पानी से धो लीजिए।
  • दही में नींबू का रस मिलाकर भी प्रयोग किया जा सकता है। नींबू के रस को दही में मिलाकर पेस्‍ट बना लीजिए। नहाने से पहले इस पेस्‍ट को बालों में लगाइए, 30 मिनट बाद बालों को धुल लीजिए। बालों का गिरना कम हो जाएगा।
  • बालों को धोने से एक घंटा पहले बालों में अंडे लगाइए, इससे बाल मजबूत होते हैं।
  • शहद कई बीमारियों को दूर करने में सक्षम है। शहद के प्रयोग से बालों का झडऩा भी रोका जा सकता है। शहद को बालों में लगाने से बालों का गिरना बंद हो जाता है।
  • दालचीनी भी बालों की समस्या को दूर करने का कारगर उपाय है। दालचीनी और शहद के को मिलाकर बालों में लगाइए। इससे बालों का झड़ना बंद होगा।
  • गरम जैतून के तेल में एक चम्मच शहद और एक चम्मच दालचीनी पाउडर मिलाकर उनका पेस्ट बनाइए। नहाने से पहले इस पेस्ट को सिर पर लगाइए और कुछ समय बाद सिर को धो लीजिए। इससे बालों का गिरना कम होगा।

Healthy Living Tips

स्वस्थ रहने के टिप्स

कई माध्यमों से जुगाड़ करके सभी पाठकों  के लिए राजेश मिश्रा लाए हैं स्वास्थ्य के लिए अनमोल खजना . आइये हम सभी इसका लाभ  उठायें  और दूसरों को भी प्रेरित करें. 

अच्छे स्वास्थ्य और लंबी जिंदगी के लिए योगाभ्यास तो जरूरी है ही पर इसके अतिरिक्त कुछ सामान्य नियमों और सावधानियों का पालन भी आवश्यक है। इन नियमों-सावधानियों व जानकारियों के पालन से दिनचर्या व्यवस्थित होने लगती है और हम लंबे समय तक युवा बने रह सकते हैं। 

स्वस्थ रहने के टिप्स

प्रातः काल सूर्योदय से पूर्व उठने का नियम बनाएं। इसके लिए रात में जल्दी सोने की आदत डालें। सुबह उठने के बाद शौचादि से निवृत्त होकर ऊषापान करें। ऊषापान के लिए रात में पानी तांबे के बर्तन में भर कर रख दें और सुबह उसमें से लगभग दो गिलास पानी खाली पेट पीएं। सर्दी के मौसम में पानी थोड़ा गुनगुना कर लें।
सूर्योदय से पहले ही नित्यकर्म से निवृत्त होकर खुले वातावरण में जाकर योगाभ्यास करें।

अपनी दिनचर्या में शारीरिक श्रम को महत्व दें। कई रोग इसीलिए पैदा होते हैं, क्योंकि हम दिमाग से अधिक और शरीर से कम काम लेते हैं। आलस्य त्यागकर पैदल चलने, खेलने, सीढ़ी चढ़ने, व्यायाम करने, घर के कामों में हाथ बंटाने आदि शारीरिक श्रम वाली गतिविधियों में लगें।
भूख लगने पर ही भोजन करें। जितनी भूख हो, उससे थोड़ा कम खाएं। अच्छी तरह चबा कर खाएं। दिन भर कुछ न कुछ खाते रहने का स्वभाव छोड़ दें। दूध, छाछ, सूप, जूस, पानी आदि तरल पदार्थों का अधिकाधिक सेवन करें।
प्रकृति के नियमों के अनुरूप चलें, क्योंकि 'कुदरत से कुश्ती' करके कोई निरोगी नहीं हो सकता।
प्रतिदिन योगाभ्यास का नियम बनाएं।
भोजन पौष्टिक हो और सभी आवश्यक तत्वों से भरपूर हो।
मिष्ठान, पकवान, चिकनाई व अधिक मसालों के इस्तेमाल से परहेज करें।
सोने, जागने व भोजन का समय निश्चित करें और साफ-सफाई का हर हाल में ध्यान रखें।
बढ़ती उम्र के साथ यदि यह भाव मन में घर कर गया कि मैं बूढ़ा हो रहा हूं, तो व्यक्ति अपने इसी मंतव्य के कारण जल्दी बूढ़ा होने लग जाता है।
शरीर का वजन न बढ़ने दें।
क्रोध, चिंता, तनाव, भय, घबराहट, चिड़चिड़ापन, ईर्ष्या आदि भाव बुढ़ापे को न्यौता देने वाले कारक हैं। हमेशा प्रसन्नचित्त रहने का प्रयास करें। उत्साह, संयम, संतुलन, समता, संतुष्टि व प्रेम का मानसिक भाव हर पल बना रहे।
मन में रोग का भाव बीमारियों में बढ़ोत्तरी ही करता है। स्वास्थ्य का भाव सेहत में वृद्धि करता है इसलिए दिन भर इस भाव में रहें कि मैं स्वस्थ हूं। मन में यह शंका न लाएं कि भविष्य में मुझे कोई रोग होगा।

जीभ पर नियंत्रण रखें, क्योंकि जीभ के दो ही कार्य होते हैं-बोलना और स्वाद लेना। अतः अधिक बोलने से बचें।

आधि- मन का रोग, व्याधि- तन का रोग और उपाधि- मद, ये तीनों यौवन के भयंकर शत्रु हैं। इनसे दूर रहें।

प्रायः देखा जाता है कि बढ़ती उम्र के साथ व्यक्ति पढ़ना-लिखना छोड़ देता है। इससे उसके मस्तिष्क के तंतु निष्क्रिय होने लगते हैं और नाड़ी तंत्र भी मंद पड़ने लगता है। इसका असर शरीर की समस्त क्रियाओं पर पड़ता है। व्यक्ति जल्दी बूढ़ा होने लगता है। अतः बढ़ती आयु के साथ स्वाध्याय और आध्यात्मिक ज्ञान में वृद्धि होती रहनी चाहिए।

बीड़ी-सिगरेट जैसे नशीले व हानिकारक पदार्थों से बचें, क्योंकि ये सभी बुढ़ापे की ओर ले जाते हैं।

कुछ स्वास्थ्य उपयोगी जानकारियां

आंखों में जलन रहती हो, तो दिन में तीन से चार बार मुंह में ठंडा पानी भर कर 15-20 बार आंखों को ठंडे पानी से धोएं और सुबह के समय नंगे पैर हरी घास पर चलें।

चुस्त (टाइट) पैंट के पीछे दिन भर मोटा पर्स या मोबाइल रखने से कमर दर्द व साइटिका का दर्द होने की संभावना बढ़ जाती है।

नहाने से पहले सरसों का तेल दोनों नासारन्ध्रों में लगाकर नहाने के बाद नाक को अच्छी तरह साफ कर लें। ऐसा करने से नजला-जुकाम नहीं होता।

यदि ठंडे मौसम में प्रातः काल छींक आती हो, नजला-जुकाम व कफ आदि की शिकायत रहती हो तो बिस्तर से उठने से पहले कानों को ढक लें व बिस्तर से उतरते ही पैरों में चप्पल पहन लें।

शरीर में जहां भी अधिक चर्बी हो, नहाते समय वहां रगड़ कर मालिश करने से चर्बी दूर होने लगती है।

नहाने से पहले प्रतिदिन पांच-दस मिनट के लिए सरसों के तेल की मालिश करने से शरीर स्वस्थ और त्वचा मुलायम बनी रहती है।

रात को सोने से पहले हाथ-पैर-मुंह अच्छी तरह धोकर सरसों का तेल तलवों और घुटनों पर मलने से नींद गहरी आती है।

रात को सोने से पहले भ्रामरी प्राणायाम करने पर अनिद्रा रोग दूर होने लगता है।

स्मरण शक्ति बढ़ाने के लिए रात को सोने से पहले आंखें बंद करके बैठ जाएं और दिनचर्या पर मनन करें।

रात को भिगोए पांच बादामों को प्रातः काल छील कर खाने से स्मरण शक्ति बढ़ने लगती है।

भोजन करने के बाद दस मिनट तक वज्रासन में बैठने से भोजन जल्दी पचने लगता है और कब्ज, गैस, अफारा आदि से छुटकारा मिलता है। यदि घुटनों में दर्द रहता हो, तो वज्रासन नहीं करना चाहिए।

अधिक खा लेने के बाद यदि बेचैनी का अनुभव हो, तो वज्रासन में बैठें, तत्काल लाभ मिलेगा।

रात में दही का सेवन करने से मोटापा, जोड़ों का दर्द, वायु विकार इत्यादि होने की आशंका बढ़ जाती है।

प्रातः काल दाएं (सीधे) हाथ की मध्यमा अंगुली से दांत व मसूड़ों की धीरे-धीरे मालिश करने से दांत मजबूत हो
जाते हैं।

सुबह के समय दांत साफ करते समय दाएं (सीधे) हाथ का अंगूठा मुंह के अंदर ले जाकर उससे तालू साफ करने से बालों का झड़ना, नजला-जुकाम व कफ दोष दूर होने लगते हैं।

रात में सोने से पहले नाभि में सरसों का तेल लगाने से होंठ नहीं फटते।

दूध के साथ मांस-मछली, नमकीन, खट्टा खाने से चर्म रोगों की संभावना बढ़ जाती है।

जो बच्चे देर से बोलना शुरू करते हैं या कम बोलते हैं, उन्हें पानी का सेवन अधिक मात्रा में कराएं।

एक साथ अधिक पानी पीने से कफ बढ़ता है, अतः पानी मुंह में रोक-रोक कर पीएं।

भोजन के बाद, नहाने से पहले, सोने से पहले पेशाब करने अवश्य जाएं।

टहलते समय गहरी श्वास-प्रश्वास करें। इससे शरीर में स्फूर्ति का संचार होता है।

गर्म चीज खाने के तुरंत बाद ठंडा पानी, आइसक्रीम, कोल्ड ड्रिंक लेने से दांत तो कमजोर होते ही हैं, इसका पाचन तंत्र पर भी बुरा असर पड़ता है।

कमर दर्द रहता हो तो सीधे लेट कर कमर के नीचे मध्यम आकार का तौलिया रोल करके दर्द वाले स्थान पर लगाएं और शवासन में पांच-दस मिनट के लिए लेट जाएं।

शरीर में खाज रहती हो, तो नारियल के तेल में डली वाला कपूर डाल कर धूप में रख दें। इसकी मालिश करने से आराम मिलने लगता है। नीम के आठ-दस पत्ते थोड़े से पानी में उबाल कर नहाने के पानी में मिला लें। राहत मिलेगी। यह तेल सिर में लगाने से डैंड्रफ (रूसी) से छुटकारा मिलने लगता है।

अधिक खटाई खाने से गला खराब हो सकता है। ज्यादा चीनी खाने से रक्त विकार हो सकता है। भोजन में मैदा के अधिक प्रयोग से पेट के रोग व ज्यादा नमक खाने से गुर्दों के खराब होने की आशंका बढ़ जाती है।

हमेशा कमर व गर्दन सीधी करके बैठें। इससे शरीर में उत्साह, ऊर्जा व फुर्ती बढ़ती है और शरीर स्वस्थ बना रहता है।

दिन भर चेहरे पर प्रसन्नता बनाए रखें। जब भी मौका मिले, खिलखिलाकर हंसें।

सिर दर्द रहता हो तो कानों को खींचें। कानों के पास मालिश करने से भी आराम मिलता है।

भरपूर पानी पीने से शरीर में मलों का जमाव नहीं हो पाता। इससे शरीर में हल्कापन व तरोताजगी बनी रहती है।

लेटते व बैठते समय दाईं करवट का सहारा लें। इससे कमर व हृदय पर दबाव नहीं पड़ेगा।

वात रोग होने पर रात को भिगोई हुई लहसुन की दो कलियां प्रातः काल उन्हें तोड़कर ताजे पानी से निगलने से लाभ मिलता है।

एसिडिटी की शिकायत होने पर भोजन के पश्चात एक लौंग या गुड़ की एक डली चूसने से आराम मिलता है।

पांच पत्ते तुलसी, पांच काली मिर्च, पांच नीम के पत्ते व पांच बेल पत्र को पीस कर उसकी गोली बनाकर सुबह खाली पेट पानी से लेने से शुगर (डायबिटीज) में लाभ मिलता है।

पैरों में दर्द रहता हो, तो नहाते समय पिंडलियों से नीचे टखनों के पास पैरों की कसकर मालिश कर लें। दिन भर पैरों में आराम रहेगा।

तीन-चार बूंद गाय का घी रात को सोने से पहले दोनों नासारन्ध्रों में डालने से माइग्रेन में आराम मिलता है।

यदि गैस की शिकायत रहती हो, तो सुबह खाली पेट सेब आदि फल और दूध का सेवन सुबह न करके दिन में किसी अन्य समय कर सकते हैं। सेब व दूध को खाली पेट लेने पर गैस में वृद्धि हो सकती है।

आंव की शिकायत हो, तो मट्ठा में सेंधा नमक व सोंठ पाउडर डालकर प्रतिदिन सेवन करने से लाभ मिलने लगता है।

दिन में तीन-चार बार पानी में नींबू निचोड़ कर पीने से उच्च रक्तचाप में कमी आने लगती है।

नजला-जुकाम में काली मिर्च, पीपली, सोंठ व मुलहठी- इन चारों का समान मात्रा में पाउडर लेकर मिला लें। यह मिश्रण चौथाई चम्मच शहद के साथ चाटने से लाभ मिलने लगता है।

रात को सोते समय सिर उत्तर दिशा में नहीं होना चाहिए। इससे मानसिक रोग की संभावना बढ़ जाती है।

सुबह-शाम, दो बार शौच जाने से कब्ज की शिकायत कम हो जाती है। अतः यह नियम अपनी दिनचर्या में शामिल करें।

कुर्सी पर पैरों को आगे-पीछे करके बैठने से कमर में खिंचाव नहीं होता।

सोने के लिए पलंग पर अधिक मुलायम गद्दों व मोटे तकियों का प्रयोग करने से रीढ़ की हड्डी में दर्द पैदा होने की आशंका बढ़ जाती है।

शरीर में दर्द हो, तो श्वासन में लेटकर लंबे-गहरे सांस धीरे-धीरे भरें व मन से प्राण वायु को दर्द के स्थान पर ले जाएं और यह भाव रखें कि प्राण शक्ति इस रोग को दूर कर रही है।

उपवास के दिन अधिक से अधिक तरल पदार्थों का सेवन करें। उपवास पूरा करने (तोड़ने) के लिए पूरी, परांठे, कचौड़ी आदि गरिष्ठ भोजन की बजाय हल्का भोजन करें।

शौच या पेशाब के समय दांतों के जबड़ों को आपस में दबाकर रखने से दांत मजबूत बने रहते हैं।

लू से बचने के लिए कानों को कपड़े से ढकें व घर से निकलने से पहले अधिकाधिक पानी पी लें।

यदि ठंडी हवा लगने पर नाक से पानी आता हो, तो रात में दोनों कानों में रुई लगाकर सिर को मफलर से ढक कर सोएं।

यदि लगातार बैठे रहने से कोई पैर सुन्न हो जाए, तो उसके विपरीत वाला कान पकड़ कर खींचें।

प्राकृतिक वेगों को न रोकें

कई बार व्यक्ति शरीर के प्राकृतिक वेगों को बार-बार रोकता रहता है, जिसकी वजह से शरीर में अनेक व्याधियां पैदा हो जाती हैं। अतः शरीर के किसी भी प्राकृतिक वेग को नहीं रोकना चाहिए।

मलवेग को रोकने से पेट के निचले हिस्से में दर्द, कब्ज, गैस, अफारा पैदा होता है और रक्त दूषित होने लगता है।

मूत्रवेग को रोकने से मूत्राशय व मूत्र नलिका में दर्द व शरीर में बेचैनी होने लगती है।

वीर्यवेग को रोकने से पेड़ू, अण्डकोष, किडनी व मूत्राशय में दर्द व सूजन हो सकती है।

डकार को रोकने से छाती में भारीपन, पेट में गुड़गुड़ाहट व गले में फांस-सी लग सकती है।

छींक रोकने से गर्दन में पीड़ा, सिर दर्द, माइग्रेन, मस्तिष्क विकार व इंद्रियां निर्बल होने की आशंका रहती है।

उल्टी को रोकने से रक्त दोष, सूजन, लिवर विकार, खाज, जलन, छाती में भारीपन, खाने के प्रति अरुचि हो सकती है।

अपान वायु (गैस) को रोकने से अफारा, थकान, पेट में दर्द, मल-मूत्र रुकावट व शरीर में वायु प्रकोप हो सकता है।

शुक्रवार, जनवरी 30, 2015

How to sleep well.

अच्छी नींद के लिए....

रात भर बेड पर करवटें बदलते हैं, तो आपको स्लीपिंग डिस्ऑर्डर हो सकता है। आखिर क्या वजह है अच्छी नींद ना आने की और कैसे इस प्रॉब्लम को दूर किया जा सकता है, जानते हैं : 

कभी एक रात जागकर तो देखें, उसके अगले दिन आपको नींद की अहमियत समझ में आ जाएगी। वैसे, ऐसे कई लोग हैं, जो चाहकर भी अच्छी नींद नहीं ले पाते। ऐसे लोग सुबह उठकर भी फ्रेश फील नहीं करते, पूरा दिन थके-थके से रहते हैं और छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा करते रहते हैं। यही नहीं, वे तनाव में भी जल्दी आते हैं। वैसे, अगर आपके साथ भी ऐसा है, तो जान लें कि आप स्लीप डिस्ऑर्डर की गिरफ्त में हैं। 

क्या है स्लीप डिस्ऑर्डर 

नींद ना आने की कई वजहें हैं। स्लीप स्पेशलिस्ट डॉ. मनचंदा बताते हैं, 'स्लीप डिस्ऑर्डर 80 तरह के हैं, जो अलग-अलग वजह से हर किसी में होते हैं। केवल इंडिया में ही 7 से 8 करोड़ लोग इस बीमारी की चपेट में हैं। हालांकि खासतौर पर लोगों में चार तरह के स्लीप डिस्ऑर्डर देखने में आते हैं।' 
खर्राटे लेना: खर्राटे लेने को अगर आप गहरी नींद की निशानी समझते हैं, तो यह बिल्कुल गलत है। दरअसल, यह नींद के दौरान ठीक से सांस न ले पाने की वजह से होता है। खर्राटे लेने वाले व्यक्ति की नींद अक्सर पूरी नहीं होती। वह दिनभर नींद से भरा व चिड़चिड़ा रहता है। उसकी याद्दाशत कम होती जाती है और उसे पर्सनैलिटी डिस्ऑर्डर का भी खतरा रहा है। 
नींद न आना: रुटीन सही न रहना, चाय व कॉफी अधिक पीना, ज्यादा ऐल्कॉहॉल लेना, इंटरनेट, लेट नाइट पार्टी, सोने का समय फिक्स न रखना वगैरह से भी स्लीप डिस्ऑर्डर होता है। 
सपने देखना: ज्यादा सपने आने से रात को बार-बार नींद टूटती है। दरअसल, नींद दो तरह की होती है। गहरी नींद यानी नॉन-पिड आई मूवमेंट स्लीप और कच्ची नींद, जिसे सपनों वाली नींद भी कहते हैं। अगर नॉन-पिड आई मूवमेंट स्लीप 6 घंटे की भी आ जाए, तो बॉडी रिलैक्स हो जाती है, लेकिन 9-10 घंटे की कच्ची नींद के बावजूद बॉडी थकी ही रहती है। 
क्यों होता है यह 
स्लीप डिस्ऑर्डर बेसिकली तनाव, चिंता और डिप्रेशन की वजह से होता है। इसके अलावा, शरीर में होने वाला दर्द भी नींद न आने की वजह होता है। एक हॉस्पिटल के क्रिटिकल केयर डिपार्टमेंट के हेड डॉ. अभिनव बताते हैं, 'यह प्रॉब्लम महानगरों में बड़ी बीमारी का रूप ले रही है। दरअसल, अवेयरनेस ना होने की वजह से लोग खर्राटे लेना और अच्छी नींद ना आना जैसी प्रॉब्लम्स को मामूली चीज समझ लेते हैं और डॉक्टर को नहीं दिखाते।' डॉ. अभिनव की मानें, तो इसी वजह से छोटी प्रॉब्लम भी कुछ टाइम बाद बड़ी हो जाती है। 

हो सकती हैं प्रॉब्लम्स 

डॉ. मनचंदा बताते हैं कि स्लीपिंग डिस्ऑर्डर से पीड़ित लोगों को हाइपरटेंशन, कोरोनरी हार्ट डिजीज, स्ट्रोक, शुगर, हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक का खतरा कई गुना ज्यादा रहता है। दरअसल, नींद थकी हुई मसल्स को रिलैक्स करती है और आपको दूसरे दिन की भागदौड़ के लिए रेडी करती है। यही नहीं, प्रॉपर नींद राइट व क्विक डिसीजन लेने में भी आपकी मदद करती है। 
यानी अगर अच्छी नींद नहीं आएगी, तो उसका असर आपकी फिजिकल व साइकॉलजिकल, दोनों हेल्थ पर पड़ेगा। पिछले दिनों आई एक सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, इंडिया में 93 फीसदी लोग सही नींद ना आने की प्रॉब्लम से जूझते हैं और 58 फीसदी लोग के रुटीन पर नींद पूरी ना होने का इफेक्ट बेहद नेगेटिव पड़ता है। 

किस पर ज्यादा अटैक 

वैसे तो, यह बीमारी किसी पर भी अटैक कर सकती है, लेकिन हॉस्पिटल, एयरलाइंस, न्यूज पेपर, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और कॉल सेंटर में काम करने वाले लोगों पर इसका ज्यादा असर नजर आता है। यानी ऐसे प्रफेशन्स जहां फिजिकल थकान थोड़ी कम होकर मानसिक थकान ज्यादा रहती है। ऐसे में पूरा आराम ना मिलने पर नींद ना आना, चिड़चिड़ापन, सिर भारी होना, जैसी परेशानियां हो जाती हैं। 

ऐसे आएगी अच्छी नींद 

रुटीन करें फिक्स 

सोने का समय फिक्स रखें। सही टाइमिंग्स ना होने की वजह से भी अच्छी नींद नहीं आती। कभी-कभी टाइमिंग्स का बिगड़ना तो चल जाता है, लेकिन ऐसी हैबिट होने पर नुकसान ही पहुंचता है। इसके अलावा, दिन में बहुत घंटे सोना भी रात को अच्छी नींद ना आने की एक वजह है। 

डेली एक्सरसाइज 

अगर आप रोजाना आधा घंटे की एक्सरसाइज कर लें, तो आपको अच्छी नींद आना तय है। एक्सरसाइज से आपके मसल्स व जॉइंट्स का वर्कआउट हो जाता है, जो अच्छी नींद लाने में मदद करता है। घर, जिम या ब्रिस्क वॉक, जो भी कम्फर्टेबल हो, वह कर लें। इसे रुटीन का हिस्सा बनाएं। 

हॉट बाथ 

सोने से पहले गर्म पानी से नहाएं। हॉट बाथ टेंशन वाली मसल्स को रिलैक्स कर देता है। खाना सोने से कम से कम दो घंटे पहले खा लें। डिनर में खाने की क्वॉन्टिटी कम रखें और स्पाइसी फूड अवाइड करें। 

चाय व कॉफी से तौबा 

आमतौर पर लोग खाने के बाद एक कप कॉफी या चाय पीना पसंद करते हैं। इसे हैबिट से बचें। दरअसल, इस तरह नींद समय पर आएगी ही नहीं और अगर आएगी, तो वह गहरी नहीं होगी। दरअसल, इनमें मौजूद कैफीन नींद को भगा देता है।

बुक रीडिंग 

सोने से पहले बुक रीडिंग की आदत डालें। 15 से 20 मिनट किताब पढ़ लेने से आपको अच्छी नींद आएगी। सोते समय टीवी देखना अवॉइड करें, क्योंकि इससे मांइड स्टेबल नहीं हो पाता। 

विंडो खुली रखें 

सोने से पहले कमरे की सभी खिड़कियां ओपन कर दें। इससे रूम में फ्रेश एयर आती रहेगी, जिससे आप अच्छी नींद ले पाएंगे। हां, ध्यान रखें कि जहां सो रहे हों, वह जगह शांत हो। 

अगर आती है दिन में नींद

नेक्रोलेप्सी एक न्यूरोलॉजिकल स्लीप डिस्ऑर्डर है, जिसमें पेशंट को दिन में बहुत गहरी नींद आती है। जिन्हें यह बीमारी होती है, वे दिन में किसी भी समय गहरी नींद का अनुभव करते हैं। इस प्रॉब्लम में नींद इतनी तेजी से आती है कि आप कोशिश करके भी जाग नहीं पाते। 
यह टाइम कुछ सेंकड्स से लेकर कुछ मिनटों तक के लिए हो सकता है। ऐसे लोग बात करते हुए और खाना खाते हुए ही नहीं, बल्कि ड्राइविंग करते हुए ही नींद के आगोश में चले जाते हैं

.....Are skin bloom-bloom

.....ताकि त्वचा रहे खिली-खिली

 त्वचा की एलर्जी कई तरह से आपको परेशान कर सकती है। लाल रंग के चकत्ते, रैशेज, काले धब्बे, फुंसियां और दाग, ये सब एलर्जी का ही रूप हैं। अगर सही समय पर एलर्जी पर ध्यान न दिया जाए तो यह विकराल रूप धारण कर लेती है और आपके लिए मुसीबत का सबब बन सकती है। जानिए,एलर्जी के कारण और इससे बचने के उपायः राजेश मिश्रा 

स्किन एलर्जी होने के कई कारण हो सकते हैं। सही खानपान न होने से लेकर प्रदूषण और जीवन-शैली तक आपको एलर्जिक बना सकती है। एलर्जी को पहचानने का सबसे आसान तरीका यह है कि अगर आपकी त्वचा का रंग लाल हो रहा है या फिर उसमें खुजली या रैशेज हो रहे हैं तो समझ लीजिए कि आप एलर्जी के शिकार होने की कगार पर पहुंच गए हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि शुरुआत में तो एलर्जी कभी-कभी परेशान करती है, लेकिन अगर इस पर ध्यान न दिया जाए तो यह सप्ताह में दो-तीन बार और फिर रोज ही होने लगती है। 

कैसी-कैसी एलर्जी 

कई लोगों को गाय के दूध, मछली या फिर अंडे से एलर्जी हो सकती है। कई बार ऐसा भी होता है कि जिस खाद्य पदार्थ से आपको एलर्जी हो, उससे जुड़े खाद्य पदार्थ समूह से एलर्जी हो गई हो। ऐसे में उनका सेवन करते ही परेशानी शुरू हो जाती है। पानी में मिले कैमिकल्स आपके चेहरे की झुर्रियों का कारण बन सकते हैं। चूंकि ये शरीर द्वारा सीधे सोख लिए जाते हैं, इसलिए इनसे एलर्जी होने का खतरा भी अधिक होता है। पानी में जब क्लोरीन मिला होता है, तब वह अधिक नुकसानदेह हो जाता है। इसलिए कहा जाता है कि जब भी आप स्विमिंग करें तो उसके बाद साफ पानी से जरूर नहा लें। 

प्रदूषण से बचें 

हवा से भी एलर्जी हो सकती है। पानी के साथ ही प्रदूषण युक्त हवा भी त्वचा को बैक्टीरिया के संपर्क में ले आती है, जिससे एलर्जी होने का खतरा रहता है। टैटू का त्वचा पर बुरा प्रभाव देखा गया है। इस तरह की शिकायतें आजकल आम हैं। युवाओं द्वारा बनवाए जाने वाले अस्थायी टैटू में इस्तेमाल होने वाली खराब स्याही से त्वचा में जलन हो जाती है। 

कपड़ों से भी हो सकती है एलर्जी 

डर्मेटोलॉजिस्ट डॉं. शेहला अग्रवाल के अनुसार, ‘कपड़ों से भी एलर्जी हो सकती है। कभी-कभी कपड़ों पर इस्तेमाल होने वाला रंग यानी डाई त्वचा में एलर्जी पैदा कर देती है। वाशिंग मशीन में धुले कपड़ों से अगर साबुन ठीक से न निकला हो तो भी इससे त्वचा में खिंचाव आदि की समस्याएं होती हैं। मौसम में बदलाव भी स्किन एलर्जी का कारण हो सकता है। मौसम बदलने से हवा में पोलिन्स की संख्या बढ़ जाती है, जो त्वचा में एलर्जी का मुख्य कारण होती है।’ 

एलर्जी का असर 

एलर्जी से आपको दर्द, खुजली, घाव हो जाना आदि समस्याएं हो सकती हैं। अगर सही समय पर इस पर ध्यान न दिया जाए तो आप त्वचा रोग के भी शिकार बन सकते हैं। इसके अलावा कई बार प्लास्टिक की चीजों जैसे नकली आभूषण, बिंदी, परफ्यूम, चश्मे के फ्रेम, साबुन आदि से भी एलर्जी हो जाती है। इस तरह की एलर्जी को कॉन्टेक्ट डर्मेटाइटिस कहा जाता है। 

ऐसे दूर करें असर 

  • फिटकरी के पानी से प्रभावित स्थान को धोकर साफ करें। जिस स्थान पर एलर्जी हो, वहां कपूर और सरसों का तेल लगाएं। आंवले की गुठली जला कर राख कर लें। उसमें एक चुटकी फिटकरी और नारियल का तेल मिला कर पेस्ट बना लें। इसे लगाते रहें। 
  • खट्टी चीजों, मिर्च-मसालों से परहेज रखें। रोज सुबह नींबू का पानी पिएं। 
  • चंदन, नींबू का रस बराबर मात्रा में मिला कर पेस्ट बना कर लगाएं।

गुरुवार, जनवरी 29, 2015

सांस क्यों फूलती है


अक्‍सर ऐसा होता है कि बिना किसी बीमारी के भी काम करते हुए सांस फूलने लगती है या सीढ़ियां चढ़ने से सांस फूल जाती है। कई लोग सोचते हैं कि मोटे लोगों की सांस जल्दी फूलती है, लेकिन ऐसा नहीं है। कई बार पतले लोगों की सांस भी थोड़ा चलने पर ही फूलने लगती है। दिल्ली जैसे शहर में जहां हर तरह का प्रदूषण है, सांस फूलने की समस्या गंभीर रूप ले चुकी है।

कई कारण हैं

सांस फूलना या सांस ठीक से न लेने का अहसास होना एलर्जी, संक्रमण, सूजन, चोट या मेटाबोलिक स्थितियों की वजह से हो सकता है। सांस तब फूलती है जब मस्तिष्क से मिलने वाला संकेत फेफड़ों को सांस की रफ्तार बढ़ाने का निर्देश देता है। फेफड़ों से संबंधित पूरी प्रणाली को प्रभावित करने वाली स्थितियों की वजह से भी सांसों की समस्या आती है। फेफड़ों और ब्रोंकाइल ट्यूब्स में सूजन होना सांस फूलने के आम कारण हैं। इसी तरह सिगरेट पीने या अन्य टाक्सिंस की वजह से श्वसन क्षेत्र (रेस्पिरेट्री ट्रैक) में लगी चोट के कारण भी सांस लेने में दिक्कत आती है। दिल की बीमारियों और खून में ऑक्सीजन का स्तर कम होने से भी सांस फूलती है।

बदलता मौसम भी है कारण

एलर्जी से होने वाले अस्थमा (दमा) की वजह से भी सांस फूल जाती है। यह स्थिति जीवन के लिए खतरा भी बन सकती है। बदलता मौसम इसे और बढ़ाता है। फरीदाबाद के सर्वोदय अस्पताल और रिसर्च सेंटर के रेस्पिरेट्री के विभागाध्यक्ष डॉ. दानिश जमाल के अनुसार, ‘वसंत की गुनगुनी धूप की जगह गर्म हवाएं चलने लगी हैं। अधिकांश मरीज मौसमी दमे के शिकार हो जाते हैं। जो इसके मरीज हैं उन्हें इसके अटैक पड़ने लगते हैं। दिल्ली जैसे महानगर में तनाव भी इसकी बड़ी वजह है।’

नजरअंदाज न करें

छाती में दर्द हो, लगातार कफ रहता हो, छाती में घरघराहट की आवाज सुनाई दे, तो फौरन डॉक्टर से संपर्क करें। कई बार इनहेलर और दवाइयां दी जाती हैं।

गुलाबी गालो को पाने के लिए कुछ सुझाव व विचार

गुलाबी गाल पाने के लिए राज की ओर से अनमोल और बेहतरीन प्राकृतिक तरीके

गुलाबी गाल पाना लडकियों के लिए एक सपने की तरह है.गुलाबी गाल सुन्दरता का प्रतिक माने जाते है तथा ग्लैमरस रूप प्रदान करते है. मेकअप के द्वारा गुलाबी गालो को पाया जा सकता है लेकिन वह एक अस्थाई तरीका है. यहाँ पर कुछ घरेलु उपाय बताये गए है जिनके द्वारा प्राक्रतिक रूप से गालो को गुलाबी किया जा सकता है गुलाब की तरह.
पुरुष हमेशा से ही गुलाबी गाल वाली महिलाओ की तरफ आकर्षित होते है. जब भी आप पार्टियों के लिए बहार जाने की योजना बनाती है गालो पर गुलाबी मेकअप करना एक जरुरी मुद्दा बन जाता है. लेकिन,यदि आपके पास गुलाबी गाल है बिना किसी मेकअप के तब क्या होगा? महिलाये भीड़ से अलग दिखने के लिए आमतौर पर गालो पर गुलाबी या लाल रंग के मेकअप करती है. अब कुछ प्राक्रतिक सामग्री के द्वारा प्राकृतिक तरीके से गुलाबी गालो का पाना संभव है.


भोजन- स्वस्थ त्वचा को पाने का एक मात्र तरीका है सही व बराबर भोजन.कम खाना या न खाना स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है. रोज़ अपने भोजन को चार भागो में ले-नाश्ता,दोपहर का भोजन,शाम की चाय व रात का भोजन. आपके स्वस्थ भोजन में हमेशा मछली,मुर्गी,दूध से बने पदार्थ जेसे दही और दूध, दाले,ताज़े फल और सब्जी को शामिल करे.
व्यायाम और हाइड्रेशन- नियमित रूप से व्यायाम करे. अधिक मात्रा में पानी व फलो के रस के सेवन के द्वारा आप चमकती हुई व सुन्दर त्वचा पा सकते है.
रगड़- नियमित रूप से हल्के हाथो से स्क्रब के द्वारा मालिश करने से आप मुलायम व गुलाबी गाल आसानी से पा सकते है, स्क्रब करने से मृत कोशिकाओ से छुटकारा मिलता है व त्वचा का रंग भी खिलता है.
हल्की ब्लीचिंग- सोडा और नींबू के रस को मिलाकर लगाने से त्वचा गुलाबी और मुलायम होती है.
कमियों को भरे- विटामिन E व C बहुत ही आवश्यक होता है प्राक्रतिक सुन्दरता के लिए. शुष्क त्वचा व गाल और फटे हुए होठ विटामिन E व C की कमी के कारण हो सकते है. इसके सेवन के लिए चिकित्सक की सलाह ले. इसके आलावा संतरे के छिलके की क्रीम व विटामिन E के कैप्सूल को मिलाये व अपनी त्वचा पर 20 मिनट के लिए लगा ले और गर्म पानी से धो ले.
गुस्सा व थकान- गुस्से व थकान से दूर रहे . योगा व ध्यान के द्वारा गुस्से को नियंत्रित करने की कोशिश करे. थकान का मुख्य कारण होता है नींद की कमी. अपनी नींद पूरी करे आप ताज़ा महसूस करेगी और आप प्राक्रतिक रूप से त्वचा पर चमक पायेंगी.
सही मालिश- अभी दिशाओ में सही मालिश करे इससे त्वचा में रक्त का संचरण सही होगा और त्वचा गुलाब की तरह खिल जाएगी.बार बार पानी से त्वचा को धोना भी फायदेमंद होता है क्यों की इससे त्वचा खिली हुई लगती है.

गुलाबी गाल पाने के लिए घरेलु फेस पेक्स

  • दो केले को मसल कर पेस्ट बना ले और त्वचा पर २० मिनट के लिए लगा रहने दे जब यह सुख जाये तब इसे पानी से धो ले. गुलाबी निखार के लिए यह फेस पैक बहुत ही फायदेमंद होता है.
  • चेहरे पर उबले और मसले हुए फल की जड़ो को लगाये व २० मिनट के बाद ठन्डे पानी से धो ले.यह आपके गुलाबी गाल करने में मदद करेगा.
  • सलाद को ३० मिनट कच्चे दूध में मिला कर रखे फिर इसका पेस्ट बना ले. २० मिनट के लिए इसे चेहरे पर फेलाए और पानी से धो ले.यह एक अच्छा उपाय है जिससे आप गुलाबी निखार पा सकती है.
  • अनाज, ब्रेड डी दूध के पेस्ट को भी आप चेहरे पर २० मिनट के लिए लगा सकती है. खीरे को पिस कर चेहरे पर फेलाने से भी गुलाबी रंगत पायी जा सकती है .

निष्कर्ष

  • गुलाबी रंगत प्राकृतिक उपाए व सही दिनचर्या द्वारा आसानी से व सुरक्षित तरीके से पाया जा सकता है. एवं कृत्रिम पदार्थो का इस्तेमाल करना त्वचा के लिए बहुत ही हानिकारक होता है. प्राकृतिक तरीके सस्ते और लम्बे समय के लिए होते है.

बुधवार, जनवरी 28, 2015

Weight Loss in Hindi tips : RAJ

वजन पर रखना है काबू तो अपनाएं ये आसान उपाय

वजन घटाने का इरादा आप बनाते तो कई बार हैं लेकिन डाइटिंग, एक्सरसाइज आदि पर लंबे समय तक टिके रहना आसान नहीं है। ऐसे में अगर आप अपने रुटीन में इन सात छोटी-छोटी बातों का ध्यान दें तो वजन कम करने में आपको यकीनन मदद मिल सकती है।http://rajayurved.blogspot.in/2015/02/blog-post_10.html

आइए जानें, वजन घटाने में मददगार सात आसान उपायों के बारे में जिनके लिए आपको खास मशक्कत करने की भी जरूरत नहीं है और ये आसानी से आपकी दिनचर्या का हिस्सा हो सकते हैं।

खाने से आधे घंटे पहले लें हल्की डाइट : राजेश मिश्रा 

डाइट‌िशियन्स मानती हैं कि भोजने से आधे घंटे पहले हल्की डाइट लेना बहुत फायदेमंद है। आप सलाद, पानी या फल भोजन के आधे घंटे पहले लें जिससे आपकी डाइट नियंत्रित भी होगी और एक साथ हेवी डाइट लेने से भी बचेंगे। http://rajayurved.blogspot.in/2015/02/blog-post_10.html

पर्स में रखें कुछ हेल्दी : राजेश मिश्रा 

दिन भर बाहर रहने के दौरान भूख न लगे ऐसा तो हो नहीं सकता है और भूख लगती है तो बाहर मिलने वाले स्नैक्स का ख्याल सबसे पहले आता है। ऐसे में अच्छा तरीका यह है कि पर्स में हमेशा फल या हेल्डी स्नैक्स रखें जिससे बिना टाइम की भूख पर फास्टफूड खाने की जरूरत ही न पड़े।

फल खाएं पर समझदारी से : राजेश मिश्रा 

वजन घटाने के लिए फलों का डाइट में बहुत महत्व है पर हर फल कैलोरी कम करे ऐसा जरूरी नहीं है। ऐसे में बजाय केला जैसे हाइ कैलोरी फल के आप पपीता, तरबूज, संतरे, स्ट्राबेरी आदि का सेवन अधिक करें।

फ्रिज की सफाई हो जाए : राजेश मिश्रा 

फ्रिज में अगर चॉकलेट्स या फैटी चीजें रखी हैं तो थोड़ा मन करें और हटाएं। घर में ऐसी चीजों को स्टोर ही न करें जिन्हें खाने से आपकी कैलोरी बढ़ सकती है।

खाने की प्लेट का बदलें रंग : राजेश मिश्रा 

कई शोधों में यह प्रमाणित हो चुका है कि प्लेट का रंग अगर नीला या हरा हो, तो पेट जल्दी भर जाता है। तो अगर आप हल्के रंग की प्लेट्स में खाते हैं तॊ अब रंग बदलने का सही समय है।

खाते वक्त टीवी नहीं : राजेश मिश्रा 

खाना खाते वक्त देर तक टीवी देखना या मोबाइल फोन पर बात करना आपको ओवरडाइट करा सकता है। कई शोधों में यह तथ्य अब प्रमाणित हो चुका है। तो खाते वक्त अब रिमोट का मोह छोड़ ही दें।

इस्तेमाल करें छोटे बर्तन : राजेश मिश्रा 

खाने की प्लेट में छोटी कटोरियां भी वजन कम करने में आपकी मदद कर सकती हैं। इनसे भूख जल्दी शांत हो जाती है। इसके अलावा, खाना चम्मच या कांटे से खाने से भी पेट भरने का एहसास जल्दी होता है।

राज द्वारा बताये गए इन उपायों को भी आजमाएं  : राजेश मिश्रा 



  • सब्जियों और फलों में कैलोरी कम होती है, इसलिए इनका सेवन अधिक मात्रा में करें। केला और चीकू न खाएं। इनसे मोटापा बढ़ता है। पुदीने की चाय बनाकर पीने से मोटापा कम होता है।
  • खाने के साथ टमाटर और प्याज का सलाद काली मिर्च व नमक डालकर खाएं। इनसे शरीर को विटामिन सी, विटामिन ए, विटामिन के, आयरन, पोटैशियम, लाइकोपीन और ल्यूटिन मिलेेगा। इन्हें खाने के बाद खाने से पेट जल्दी भर जाएगा और वजन नियंत्रित हो जाएगा।
  • दही का सेवन करने से शरीर की फालतू चर्बी घट जाती है। छाछ का भी सेवन दिन में दो-तीन बार करें।
  • छोटी पीपल का बारीक चूर्ण पीसकर उसे कपड़े से छान लें। यह चूर्ण तीन ग्राम रोजाना सुबह के समय छाछ के साथ लेने से बाहर निकला हुआ पेट अंदर हो जाता है। 
  • आंवले व हल्दी को बराबर मात्रा में पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को छाछ के साथ लेंं। कमर एकदम पतली हो जाएगी। http://rajayurved.blogspot.in/2015/02/blog-post_10.html
  • मोटापा कम नहीं हो रहा हो तो खाने में कटी हुई हरी मिर्च या काली मिर्च को शामिल करके बढ़ते वजन पर काबू पाया जा सकता है। एक रिसर्च में पाया गया कि वजन कम करने का सबसे बेहतरीन तरीका मिर्च खाना है। मिर्च में पाए जाने वाले तत्व कैप्साइसिन से भूख कम होती है। इससे ऊर्जा की खपत भी बढ़ जाती है, जिससे वजन कंट्रोल में रहता है।
  • खाने में फाइबर युक्‍त भोजन लें। यह आपके शरीर को कोलेस्‍ट्रोल से बचाता है और उसे आपके शरीर से बाहर करता है। फाइबरयुक्‍त भोजन आपके शरीर की एक्‍स्‍ट्रा कैलोरी को भी बर्न करता है।
  • तली हुई चीजे जैसे- आलू चिप्‍स, कुकीज का कम से कम उपयोग करें। फास्‍ट फूड जैसे- बर्गर, पिज्‍जा की जगह सलाद, फ्रूट जैसी स्‍वस्‍थ चीजों का चुनाव करें। 
  • सब्जियों और फलों में कैलोरी कम होती है, इसलिए इन्हें अधिक मात्रा में लें। केला और चीकून खाएं। इनसे मोटापा बढ़ता है।  http://rajayurved.blogspot.in/2015/02/blog-post_10.html



  • खाने के साथ टमाटर और प्याज का सलाद काली मिर्च व नमक डालकर खाएं। इनसे शरीर कोविटामिन सी, विटामिन ए, विटामिन के, आयरन, पोटैशियम, लाइकोपीन और ल्यूटिन मिलेेगा।इन्हें खाने के बाद खाने से पेट जल्दी भर जाएगा और वजन नियंत्रिण में रहेगा।


  • पुदीने की ताजी हरी पत्तियों की चटनी बनाकर चपाती के साथ खाएं। पुदीने वाली चाय पीने सेभी वजन नियंत्रण में रहता है। http://rajayurved.blogspot.in/2015/02/blog-post_10.html
  • रोज खाने से पहले गाजर खाएं। खाने से पहले गाजर खाने से भूख कम हो जाएगी। आधुनिकविज्ञान भी गाजर को मोटापा कम करने में कारगर मानता है।
  • आधा चम्मच सौंफ को एक कप खौलते पानी में डाल दें। 10 मिनट तक इसे ढक कर रखें। ठंडाहोने पर इस पानी को पिएं। ऐसा तीन माह तक लगातार करने से वजन कम होने लगता है।
  • गुग्गुल गोंद को दिन मे दो बार पानी में घोलकर या हल्का गुनगुना कर पीने से वजन कमकरने में मदद मिलती है। http://rajayurved.blogspot.in/2015/02/blog-post_10.html
  • हरड़ और बहेड़ा का चूर्ण बना लें। एक चम्मच चूर्ण 50 ग्राम परवल के जूस (1 गिलास) केसाथ मिलाकर रोज लें। वजन तेजी से कम होने लगेगा।

  • करेले की सब्जी खाने से भी वजन कम करने में मदद मिलती है। सहजन के नियमित सेवन सेभी वजन नियंत्रित रहता है। http://rajayurved.blogspot.in/2015/02/blog-post_10.html
  • सौंठ, दालचीनी की छाल और काली मिर्च (3-3 ग्राम) पीसकर चूर्ण बना लें। सुबह खाली पेटऔर रात सोने से पहले पानी से इस चूर्ण को लें। मोटापा कम होने लगेगा।
हर दो घंटे पर आप पांच मिनट की सैर करें। ध्यान रहे आप ब्रिस्क वॉक या तेज कदमों से चलें। सैर को बनाए रखने के लिए आप लिफ्ट या एस्कलेटर की जगह सीढियों का इस्तेमाल करें। अपनी कार या स्कूटर को पार्किंग में थोड़ा दूर लगाएं ताकि आप अधिक से अधिक कदम चल सकें। हर रोज आधे घंटे की सैर की जगह 45 मिनट की सैर करें। रोज आधे घंटे की सैर से जहां बढ़ते वजन पर नियंत्रण लगेगा, वहीं 45 मिनट की वॉक से आप रोज 300 कैलोरी तक अधिक खर्च कर पाएंगी। तो जाहिर है, कम कैलोरी यानी शरीर में कम वसा। प्रसंस्कृत या ऐसे प्रोसेस्ड फूड का सेवन न करें, जिसमें शुगर, फ्रूक्टोस या कॉर्न सिरप का इस्तेमाल हो। सूखे मेवे खाएं, जिनसे आपको कैलोरीज के साथ-साथ प्राकृतिक तेल और फाइबर भी मिले। शाम को पांच बजे से पहले कैफीनयुक्त उत्पादों का सेवन कर लें ताकि रात को नींद में कोई बाधा न आए। फेसबुक और ट्विटर पर रिश्तेदारों से मिलने की बजाए सप्ताह में एक बार दोस्त-रिश्तेदारों से मिलें। इसके लिए आप किसी पार्क में मिलने का कार्यक्रम रखें, जहां आप फास्ट फूड या तले और मसालेदार भोजन से भी दूर रहेंगी। बाहर के खाने की जगह घर पर बने और पोषक तत्वों से भरपूर खाने को तरजीह दें। दोपहर तक अधिक कैलोरी वाला भोजन खाएं, उसके बाद कम से कम कैलोरीज लें, ताकि आप रात तक अपनी कैलोरीज का इस्तेमाल भी कर पाएं और वह शरीर में वसा का रूप न ले पाए।