दादी-नानी और पिता-दादाजी के बातों का अनुसरण, संयम बरतते हुए समय के घेरे में रहकर जरा सा सावधानी बरतें तो कभी आपके घर में डॉ. नहीं आएगा. यहाँ पर दिए गए सभी नुस्खे और घरेलु उपचार कारगर और सिद्ध हैं... इसे अपनाकर अपने परिवार को निरोगी और सुखी बनायें.. रसोई घर के सब्जियों और फलों से उपचार एवं निखार पा सकते हैं. उसी की यहाँ जानकारी दी गई है. इस साइट में दिए गए कोई भी आलेख व्यावसायिक उद्देश्य से नहीं है. किसी भी दवा और नुस्खे को आजमाने से पहले एक बार नजदीकी डॉक्टर से परामर्श जरूर ले लें.
पुरे वर्ष सन् 2018 के पर्व त्यौहार निचे मौजूद है...

लेबल

आप यहाँ आये हमें अच्छा लगा... आपका स्वागत है

नोट : यहाँ पर प्रस्तुत आलेखों में स्वास्थ्य सम्बन्धी जानकारी को संकलित करके पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करने का छोटा सा प्रयास किया गया है। पाठकों से अनुरोध है कि इनमें बताई गयी दवाओं/तरीकों का प्रयोग करने से पूर्व किसी योग्य चिकित्सक से सलाह लेना उचित होगा।-राजेश मिश्रा

स्वास्थ लाभ के साथी, इस वेबसाइट से जुड़ें : राज

गुरुवार, फ़रवरी 25, 2016

मोटे अनाज के अनगिनत फायदे

इन मोटे अनाजों को सजग होकर शामिल करें "राज "

Whole Grains Benefits

हमें अक्सर यह भ्रम रहता है कि मोटे अनाज हमारी खुराक का एक बड़ा हिस्सा होते हैं। इसीलिए अकसर हम मोटे अनाजों के खानों को लेकर चिंतित नहीं रहते। लेकिन क्या कभी हम सोचते हैं कि हम मोटे अनाज के रूप में ये जो चीजें खाते हैं, मसलन, रोटी, पास्ता, नूडल, बिस्किट, इडली, डोसा, इन सब में कितनी तरह के मोटे अनाज होते हैं? सिर्फ दो। गेहूं और चावल। हमारे रोजमर्रा के भोजन में ज्यादातर यही दोनों मोटे अनाज विभिन्न रूपों में मौजूद होते हैं। जबकि हमें तमाम मोटे अनाज खाने चाहिए जो इससे इतर भी हों। मसलन, जई, बाजरा, ज्वार, रागी, जौ आदि। लेकिन शहरी भारत के ज्यादातर लोगों को इन तमाम मोटे अनाजों के बारे में या तो पता नहीं है या इनका इस्तेमाल उनकी आदत का हिस्सा नहीं हैं।
यही वजह है कि मोटे अनाज के तौर पर हम सिर्फ और सिर्फ गेहूं और चावल के तमाम उत्पाद खाते रहते हैं और सोचते हैं कि मोटे अनाज खाने की हमारी जरूरत पूरी हो गई। जबकि खुराक विशेषज्ञ कहते हैं कि अगर आपका अपने हेल्थ की वेल्थ का अंदाजा है तो अपने खाने में इन मोटे अनाजों को सजग होकर शामिल करें।
Advantages of Food Grains 1ओट्स
  • ओट्स या जई आसानी से पच जाने वाले फाइबर का जबरदस्त स्रोत है। साथ ही यह कॉम्पलेक्स कार्बोहाइडेट्स का भी अच्छा स्रोत है।
  • ओट्स हृदय संबंधी बीमारियों के खतरे को कम करता है। बशर्ते इसे लो सैच्यूरेटिड फैट के साथ लिया जाए।
  • ओट्स एलडीएल की क्लियरेंस बढ़ाता है।
  • ओट्स में फोलिक एसिड होता है जो बढ़ती उम्र वाले बच्चों के लिए बहुत उपयोगी होता है। यह एंटीकैंसर भी होता है।
  • ओट में कैल्शियम, जिंक, मैग्नीज, लोहा और विटामिन-बी व ई भरपूर मात्रा में होते हैं।
  • जो लोग डिसलिपिडेमिया और डायबिटीज से पीड़ित हैं उन्हें ओट्स फायदेमंद होता है। गर्भवती महिलाओं और बढ़ते बच्चों को भी ओट खाना चाहिए।
जौ
  • जौ वह अनाज है जिसमें सबसे ज्यादा अल्कोहल पाया जाता है।
  • यह पच जाने वाले फाइबर का भी अच्छा स्रोत है।
  • यह ब्लड कोलेस्ट्रोल को कम करता है।
  • यह ब्लड ग्लूकोज को बढ़ाता है।
  • जौ मैग्नीशियम का भी अच्छा स्रोत और एंटीऑक्सीडेंट है।
  • अल्कोहल से भरे होने के कारण यह डायूरेटिक है इस कारण हाइपर टेंशन से पीड़ित लोगों के लिए फायदेमंद है।
  • Advantages of Food Grains 2
रागी
  • रागी कैल्शियम का जबरदस्त स्रोत है। इसलिए जो लोग ऑस्टेपेनिया के शिकार हैं और ऑस्टेपोरेसिस के भी, ऐसे दोनों लोगों के लिए यह फायदेमंद है।
  • यह मोनोपोज के बाद महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए भी उपयोगी है।
  • जो लोग लेक्टोज की समस्या से पीड़ित होते हैं उनके लिए रागी कैल्शियम का जबरदस्त स्रोत है। इसीलिए रागी का इस्तेमाल छोटे बच्चों के भोजन में भी होता है।
बाजरा
  • बाजरा एक गर्म अनाज है। इसलिए आमतौर पर इसका स्वागत जाड़ों के दिनों में ही किया जाता है। बाजरा प्रोटीन का भंडार है। बाजरे में मैथाइन, ट्राइप्टोफान और इनलिसाइन बड़ी मात्रा में पाया जाता है।
  • यह थायमीन अथवा विटामिन-बी का अच्छा स्रोत है और आयरन तथा कैल्शियम का भी भंडार है।
  • यह उन लोगों के लिए तो बहुत ही फायदेमंद है जो गेहूं नहीं खा सकते। लेकिन बाजरे को किसी और अनाज के साथ मिलाकर खाना चाहिए।
ज्वार
  • ज्वार भी एक तरह से जाड़ों में पसंद किया जाने वाला अनाज है। इसमें बहुत कम वसा होती है और ये कार्बोहाइडेट का जबरदस्त भंडार है।
  • इसमें भी आयरन, कैल्शियम का उपयोगी भंडार होता है। यह उनके लिए सही रहता है जो पोलिसिस्टिक ओवेरी सिंड्रोम से पीड़ित हैं।
  • यह मूत्र प्रक्रिया को सुचारू रूप से बनाए रखने में सहायक है। जिससे हाइपर टेंशन रोगी परेशान रहते हैं।
इस तरह यह तमाम तरह के मोटे अनाज स्वास्थ्य के लिए बहुत उपयोगी होते हैं। अगर हम मोटे अनाजों के नाम पर सिर्फ गेहूं और चावल न खाकर अपने रोजमर्रा के भोजन में इन मोटे अनाजों को भी शामिल करें तो इनसे होने वाले फायदे कई गुना होंगे।

सोमवार, फ़रवरी 22, 2016

60 के बाद भी चुस्त और तंदुरुस्त रहने का फंडा

बुढ़ापे में लुत्फ़ उठायें "राज" के साथ 

सेवानिवृत्ति के बाद खासकर कामकाजी महिलाओं के जीवन में कई समस्याएं आती हैं। वे घर में कैद होने के एहसास से भी परेशानियां महसूस करने लगती हैं। इन बदलावों को समझ लिया जाए तो काफी परेशानियां दूर हो जाती हैं। बता रहे हैं राजेश मिश्रा.... 

सेवानिवृत्ति इंसान के जीवन का एक ऐसा पड़ाव है जहां से पूरी जिंदगी ही बदल जाती है। सेवानिवृत्ति के बाद नियमित रूप से घर से निकलना संभव नहीं होता। इसलिए जरूरी है कि सेवानिवृत्ति के बाद स्थितियों को देखते हुए और अपनी क्षमता के अनुसार जीवनशैली का चुनाव करें और खानपान का ख्याल रखें।
मानव व्यवहार एवं संबद्ध विज्ञान संस्थान, दिल्ली के मनोचिकित्सक, डॉ. तेजबहादुर बताते हैं कि सेवानिवृत्ति के बाद लोग जिस चीज को लेकर सबसे ज्यादा घबराते हैं वह है अपनी भागीदारी न होना, सहकर्मियों से दूर होना और आय में कमी। सेवानिवृत्ति के बाद सबसे बड़ी समस्या अहमियत की होती है। नौकर-चाकर नहीं होते, गाड़ी-बंगला भी वापस हो जाता है। ये स्थितियां बर्दाश्त नहीं होती हैं। इससे बचने के लिए सेवानिवृत्ति से पहले ही दिमागी तौर पर तैयार हो जाना चाहिए। और जहां तक आर्थिक स्थिति की बात है, उसकी तैयारी भी पहले से कर लेनी चाहिए। इसके अलावा समाज में अपनी स्थिति बनाए रखने के लिए अपनी क्षमताओं के अनुसार जीवनशैनी का चुनाव करें।
इस उम्र में आप अपने अनुभव को योजनाबद्ध तरीके से उपयोग करें। इस उम्र में ढेरों काम ऐसे हैं जिनसे आपको अतिरिक्त आय होने के साथ-साथ खालीपन दूर हो सकता है। अपने अनुभव से लोगों का मार्गदर्शन कर सकते हैं। यदि आपको पढ़ने-लिखने का शौक है तो आपके लिए ढेरों पत्र-पत्रिकाओें के दरवाजे खुले हैं। अगर आप समाज सेवा करना चाहते हैं तो जरूरतमंद बच्चों को शिक्षा बांटने से अच्छा और कोई काम नहीं हो सकता। इसके अलावा अपने मित्रों या संबंधियों के साथ कोई नया व्यवसाय शुरू सकते हैं। इस उम्र में आपको घरेलू जीवन में भावनात्मक ठेस का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन यह ध्यान में रखना चाहिए कि आपको अपने लिए नहीं, नयी पीढ़ी के लिए भी जीना है।
रिटायरमेंट इंसान के जीवन का ऐसा पड़ाव है, जहां से सब कुछ बदल जाता है। पुरुष तो साठ के बाद किसी न किसी तरीके से घर से बाहर निकलने के रास्ते तलाश लेते हैं, लेकिन बड़ी समस्या महिलाओं के सामने आती है। वे रिटायरमेंट के बाद घर में कैद होकर रह जाती हैं, इसलिए जरूरी है कि नए नजरिए से सोचा जाए।

समय रहते कर लें तैयारी 

सुनीता को ही ले लीजिए, उनकी सेवानिवृत्ति को कुछ ही समय बचा है, इसलिए वो आजकल उदास-सी रहती हैं। कहती हैं, समझ में नहीं आता है कि साठ के बाद अपने आपको कहां और कैसे एंगेज रखूंगी। ये बात सही है कि लम्बे समय तक परिवार और ऑफिस में सक्रिय रहीं महिलाओं की उपयोगिता धीरे-धीरे कम होती जाती है, जो उनके लिए पीड़ादायक साबित होती है।
मानव व्यवहार एवं संबद्ध विज्ञान संस्थान के मनोचिकित्सक डॉ. तेजबहादुर कहते हैं, सेवानिवृत्ति के बाद लोग जिस चीज से सबसे अधिक डरे रहते हैं, वह है कार्यों में उनकी भागीदारी न होना, सहकर्मियों से विछोह और साधन व आय में कमी। समय रहते ही इन स्थितियों से निपटने की तैयारी कर ली जाए तो सेवानिवृत्ति के बाद आने वाले बदलाव से सहजता से निपटा जा सकता है।
मनोचिकित्सक बताते हैं कि आर्थिक स्थिति को बेहतर रखने की तैयारी पहले से कर लेनी चाहिए। नौकरी के दौरान नियमित रूप बचत करना जारी रखा जाए तो अच्छा खासा बैंक बैलेंस हो जाता है। और जब बैंक बैलेंस ठीक-ठाक होगा तो घर परिवार में आपकी पूछ बराकर रहेगी। इससे आप साठ के बाद भी आत्मविश्वास से भरे रहेंगे।
इसके अलावा समाज में अपनी स्थित बनाए रखने के लिए जरूरी है कि साठ के बाद अपनी क्षमताओं के अनुसार जीवनशैनी का चुनाव करें। उम्र का महत्व इसलिए भी है, क्योंकि सेवानिवृत्ति से पहले सभी फैसले उम्र को ध्यान में रखते हुए लिए जाते हैं, लेकिन सेवानिवृत्ति के बाद नजरिया बदलना होगा। अपनी पसंद के अनुसार काम का चयन किया जा सकता है। अपने मनोरंजन के लिए शौक को जिंदा किया जा सकता है।

न बदलें रुटीन

श्रीमती करुणा के लिए सेवानिवृत्ति ही अभिशाप बन गयी। दो साल पहले तक वह बिल्कुल फिट थीं। काम के मामले में अपनी बहुओं तक को मात देती थीं, लेकिन आज वे चलने-फिरने के लिए लाचार हो गयी हैं। लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल के वरिष्ठ हड्डी रोग विशेष डॉ. हरीश मनसुखानी बताते हैं कि सेवानिवृत्ति के बाद अचानक परेशानी आ सकती है, क्योंकि पहले एक नियमित दिनचर्या होती है, लेकिन सेवानिवृत्ति के बाद पूरी दिनचर्या बदल जाती है, जो परेशानी का कारण बन जाती है। दूसरी समस्या आती है खानपान के कारण, क्योंकि रिटायरमेंट के बाद खानपान पर पहले की तरह ध्यान नहीं दे पाते। इससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं सामने आती हैं। प्रौढ़ावस्था में होने वाली हड्डियों की प्रमुख बीमारियों में घुटनों, कमर और गर्दन का दर्द आम है। जिस तरह उम्र बढ़ने के साथ शरीर के अन्य अंगों में परिवर्तन आता है, उसी प्रकार हड्डियां बढ़ने से उनकी बनावट में बदलाव आता है। यदि महिलाएं समय रहते चेत जाएं और रुटीन न बदलें तो आने वाली परेशानियों को कम किया जा सकता है। सेवानिवृत्ति के बाद महिलाओं को सुबह-शाम खाने से पहले 10-10 मिनट एक्सरसाइज करनी चाहिए, साथ ही संतुलित भोजन करना चाहिए।
सुनीता को ही ले लीजिए, उनकी सेवानिवृत्ति को कुछ ही समय बचा है, इसलिए वो आजकल उदास-सी रहती हैं। कहती हैं, समझ में नहीं आता है कि साठ के बाद अपने आपको कहां और कैसे एंगेज रखूंगी। ये बात सही है कि लम्बे समय तक परिवार और ऑफिस में सक्रिय रहीं महिलाओं की उपयोगिता धीरे-धीरे कम होती जाती है, जो उनके लिए पीड़ादायक साबित होती है।
मानव व्यवहार एवं संबद्ध विज्ञान संस्थान के मनोचिकित्सक डॉ. तेजबहादुर कहते हैं, सेवानिवृत्ति के बाद लोग जिस चीज से सबसे अधिक डरे रहते हैं, वह है कार्यों में उनकी भागीदारी न होना, सहकर्मियों से विछोह और साधन व आय में कमी। समय रहते ही इन स्थितियों से निपटने की तैयारी कर ली जाए तो सेवानिवृत्ति के बाद आने वाले बदलाव से सहजता से निपटा जा सकता है।
मनोचिकित्सक बताते हैं कि आर्थिक स्थिति को बेहतर रखने की तैयारी पहले से कर लेनी चाहिए। नौकरी के दौरान नियमित रूप बचत करना जारी रखा जाए तो अच्छा खासा बैंक बैलेंस हो जाता है। और जब बैंक बैलेंस ठीक-ठाक होगा तो घर परिवार में आपकी पूछ बराकर रहेगी। इससे आप साठ के बाद भी आत्मविश्वास से भरे रहेंगे।
इसके अलावा समाज में अपनी स्थित बनाए रखने के लिए जरूरी है कि साठ के बाद अपनी क्षमताओं के अनुसार जीवनशैनी का चुनाव करें। उम्र का महत्व इसलिए भी है, क्योंकि सेवानिवृत्ति से पहले सभी फैसले उम्र को ध्यान में रखते हुए लिए जाते हैं, लेकिन सेवानिवृत्ति के बाद नजरिया बदलना होगा। अपनी पसंद के अनुसार काम का चयन किया जा सकता है। अपने मनोरंजन के लिए शौक को जिंदा किया जा सकता है।

दिनचर्या बदलने पर अाता है बदलाव

सेवानिवृत्ति के बाद अचानक शारीरिक परेशानी आ सकती है। क्योंकि पहले एक नियमित दिनचर्या थी, पूरा दिन भागादौड़ी में गुजरता था, लेकिन बदली दिनचर्या और बंद हुई भागदौड़ परेशानी का कारण बन जाती है। प्रौढ़ावस्था में होने वाली हड्डियों की प्रमुख बीमारियों में घुटनों, कमर और गर्दन का दर्द शामिल है। जिस तरह उम्र बढ़ने के साथ शरीर के अन्य अंगों में परिवर्तन आता है, उसी प्रकार हड्डियां बढ़ने से उनकी बनावट में बदलाव आता है। यह परिवर्तन 40-45 साल के बाद शुरू हो जाता है। रिटायरमेंट के बाद खानपान का खास ख्याल रखना बहुत जरूरी है। उम्र बढ़ने के साथ खानपान में परिवर्तन की जरूरत होती है, जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता दुरुस्त रहे।
  • सुबह-शाम कम से कम 10-10 मिनट एक्सरसाइज करें। टहलें जरूर।
  • पर्याप्त कैल्शियम वाला भोजन करें। हरी सब्जियों की मात्रा अधिक रखें।
  • ब्लडप्रेशर, शुगर की जांच नियमित करायें। कोई समस्या हो तो समय पर उपचार कराएं।
  • अचानक गर्म से ठंड में या ठंड से गर्म में जाने से बचें। ऐसा करने से जोड़ों का दर्द हो सकता है।
  • घुटनों में दर्द होने पर नमक मिले गर्म पानी में तौलिया भिगोकर सिकाई कर सकते हैं।
  • डॉक्टर व फिजियोथेरेपिस्ट की सलाह पर एक्सरसाइज कर सकते हैं। दर्द निवारक दवा अधिक नहीं लेनी चाहिए।
  • 60 के बाद जल्दी-जल्दी लेकिन कम-कम मात्र में खाना खाते रहना चाहिए। दिन में छह बार खाने के नियम पर अमल करें। तीन बार भारी और तीन बार हल्का खाना चाहिए।
  • बढ़ती उम्र में कब्ज नुकसानदेय है। इससे बचने के लिए फाइबर युक्त खाना खाना चाहिए, जिससे पाचन तंत्र दुरुस्त रहे।
  • खाने में सलाद की मात्र बढ़ानी चाहिए और सेब जैसे फलों को छिलके सहित खाना चाहिए। अगर गाजर या सेब को चबाने में परेशानी होती है तो बारीक काटकर खाया जा सकता है।
  • चोकर वाला आटा, गेंहू, जौ का दलिया आदि खाने में शामिल करना चाहिए।
  • हरे पत्ते वाली सब्जियां, स्प्राउट, कमल ककड़ी और दालें पर्याप्त मात्र में खानी चाहिए। विटामिन सी वाले फल जैसे आंवला, नींबू, टमाटर, केला, अंगूर, चीकू और खट्टे फल नियमित रूप से खाने चाहिए।
  • उम्र के साथ हड्डियां कमजोर होने लगती हैं, इसलिए कैल्शियल वाली चीजें, जैसे योगर्ट, मछली, सोया मिल्क, दूध और दूध से बने उत्पाद आदि का सेवन करना चाहिए।

क्या न खाएं

  1. पॉलिश वाले अनाज, मैदा, नूडल्स, आलू, साबुत दालें आदि खाने से बचना चाहिए और रात में इन चीजों से बिल्कुल परहेज करना चाहिए।
  2. तली चीजें न खाएं, जैसे समोसा, ब्रेड पकौड़ आदि। इससे शरीर में कोलेस्ट्रॉल का लेबल बढ़ जाता है।
  3. इस उम्र में शुगर वाली चीजें खाने से परहेज करें। इससे ग्लूकोज का लेबल बढ़ता है

मंगलवार, फ़रवरी 16, 2016

पिम्पल के लिए प्राकृतिक और आसान तरीके

मुहांसे ठीक करने और चेहरे से दाग-
धब्बे हटाने के 10 हर्बल उपाय : राज
Common Ingredients Can Remove
Acne Scars If You Use Them In Right Way

किशोरों में अपने लुक्स को लेकर आजकल कुछ ज्यादा ही जागरूकता आ गई है। उन्हें अपनी त्वचा और चेहरे की सुंदरता को लेकर बड़ी चिंता बनी रहती है। किशोरावस्था के दौरान तेजी से होने वाले हॉर्मोनल परिवर्तन के कारण चेहरे तथा त्वचा संबंधित समस्याएं पैदा होती हैं। इस दौरान होने वाली प्रमुख समस्याओं में से एक मुहांसे भी हैं। मुहांसों से निपटने के लिए किशोर बाजार में उपलब्ध तमाम क्रीम और दवाओं का इस्तमाल करते हैं और जब परिणाम संतोषजनक नहीं मिलते तो मानसिक तनाव के शिकार हो जाते हैं। मुहांसों की वजह से चेहरा बदसूरत लगता है। इससे उनमें आत्मविश्वास की कमी हो जाती है। इस वजह से वे खुद को अपनी मित्र मंडली से दूर तक कर लेते हैं। जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और तनावपूर्ण जीवनशैली भी त्वचा से संबंधित समस्याओं के कारण हैं।

आदिवासी आज भी त्वचा के रोगों के इलाज के लिए अपने पारंपरिक हर्बल ज्ञान का उपयोग करते हैं। मुहांसे जैसी समस्याओं के लिए अनेक देसी जड़ी-बूटियों पर आधारित फ़ॉर्मूलों का प्रयोग कर वे समस्या का निवारण भी कर लेते हैं। आइए, जानते हैं कुछ चुनिंदा हर्बल नुस्खों के बारे में। उम्मीद है, दैनिक भास्कर के पाठक इन हर्बल नुस्खों को अपनाकर अपनी समस्याओं से निजात पा सकेंगे। मुहांसे ठीक करने और चेहरे से दाग-धब्बे हटाने के 10 हर्बल उपाय। पिम्पल से लड़ने के लिए बेशक हम तमाम तरीके के प्रोडक्ट लगाते हैं। डॉक्टर के पास जाते हैं। लेकिन फिर भी पिम्पल की समस्या अक्सर ज्यों की त्यों रहती है। जबकि हकीकत यह है कि पिम्पल दूर भगाने के लिए प्राकृतिक और आसान तरीके मौजूद हैं। आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि प्राकृतिक तरीकों से एक रात में ही पिम्पल का सफाया किया जा सकता है। आइये इन तरीकों से रूबरू होते हैं।

1- बर्फ थैरेपी

अगर आपके घर में बर्फ का एक टुकड़ा मौजूद है तो पिम्पल होने पर दवाई लगाना और उसके हटने का इंतजार करना बेवकूफी है। जी, हां! बर्फ असल में पिम्पल की लालिमा को कम करता है, सूजन कम होती और जलन में भी कमी आती है। वास्तव में बर्फ लगाने से रक्तसंचार में वृद्धि होती है और रोमछिद्रों को भी प्रभावित करती है। बर्फ के जरिये पिम्पल के इर्द-गिर्द मौजूद गंदगी और तेल पूरी तरह निकल जाता है। आपको सिर्फ इतना करना है कि एक कपड़े में बर्फ के टुकड़े को लपेटना है और पिम्पल पर उसे कुछ सेकेंडों के लिए फेरना है। यही प्रक्रिया कुछ कुछ मिनटों में दोहरानी है।

2 - सफेद टूथपेस्ट

सफेद टूथपेस्ट काफी हद तक बर्फ ट्रीटमेंट की तरह काम करता है। सफेद टूथपेस्ट को तकरीबन एक घंटे के लिए पिम्पल पर लगाकर छोड़ दें। लेकिन यह ध्यान रखें कि आपका टूथपेस्ट जेलयुक्त न हो। पिम्पल हटाने के लिए सफेद टूथपेस्ट का ही इस्तेमाल करें। यह पिम्पल की सूजन कम करने में सहायक है।

3 - स्टीम उपचार

चेहरे की दमक के लिए स्टीम उपचार बेहद जरूरी है। यह न सिर्फ गंदगी हटाता है बल्कि चेहरे की त्वचा को मुलायम भी रखता है। दरअसल स्टीम उपचार के जरिये रोम छिद्र खुल जाते हैं। नतीजतन त्वचा को सांस लेने में आसानी होती है। स्टीम उपचार लेने से चेहरे में गंदगी नहीं जमती जिससे पिम्पल होने की आशंका में कमी आती है।

4 - लहसुन का चमत्कार

लहसुन पिम्पल को हटाने के लिए किसी चमत्कारिक उपचार से कम नहीं है। दरअसल लहसुन एंटीवायरल, एंटीफंगल, एंटीसेप्टिक और एंटीऑक्सीडेंट है जो तेजी से घाव आदि को भरता है। यही नहीं पिम्पल को भी आसानी से ठीक करता है। इसमें सल्फर भी पाया जाता है। यह भी त्वचा के लिए लाभदायक तत्व है। आपको सिर्फ इतना करना है कि लहसुन छीलकर उसे अपने पिम्पल पर लगाना है। 5 से 7 मिनट तक लहसुन लगाने के बाद चेहरे को हल्के गुनगुने पानी से धोना है। आप इसी प्रक्रिया को एक घंटे बाद दोहरा सकते हैं।

5 - सेब युक्त सिरका

हालांकि यह हर घर में आसानी से पाया जाने वाला तत्व नहीं है। लेकिन जब बात पिम्पल की आती है तो यह पिम्पल हटाने के लिए पावरहाउस का काम करता है। सेब युक्त सिरका बैक्टीरिया को खत्म करता है और त्वचा के पीएच को संतुलित रखता है। चेहरे को अच्छी तरह धोने के बाद सेब युक्त सिरका में पानी मिलाकर एक किस्म का फेसवॉश बनाया जा सकता है। इसका इस्तेमाल चेहरे पर रूई के जरिये करें। इस पैक को दस मिनट तक चेहरे पर लगाए रखें। धोने के बाद अपने चेहरे का फर्क देखें।

6 - अण्डे का सफेद भाग

अण्डे का सफेद भाग प्रोटीन से भरा हुआ है जो कि कील-मुंहासों से लड़ने में सहायक है। अण्डे का सफेद भाग आसानी से चेहरे के सभी दाग धब्बों को निकाल सकता है। इसके लिए आपको चाहिए कि तीन अण्डे के सफेद भागों को एकत्रित करें। इसके बाद इन्हें अच्छी तरह मिक्स करें और कुछ क्षणों के लिए इन्हें अच्छे से मिक्स होने के लिए रख दें। अपने अंगुली से इस पेस्ट को पिम्पल पर लगाएं। जैसे ही पिम्पल पर लगा पेस्ट सूख जाता है, उसे धो दें। ऐसा नियमित चार बार करें। आखिर में पेस्ट को 20 मिनट के लिए चेहरे पर लगाए रखें। इसके बाद फर्क महसूस करें।

7 - टमाटर

टमाटर तैलीय त्वचा के लिए सबसे सहायक पदार्थ है। इसमें लाइसोपीन नामक एंटीआक्सीडेंट होता है जो त्वचा की सुरक्षा करता है। यही नहीं टमाटर डैमेज त्वचा के लिए भी कारगर है। टमाटर में एंटीबैक्टीरियल तत्व भी मौजूद है जिससे ब्लैकहेड्स और चेहरे के कालेपन को खत्म किया जा सकता है। ताजे टमाटर से बने जूस को अपने चेहरे पर मास्क की तरह इस्तेमाल करें। उसके बाद एक घंटे बाद चेहरे को धो दें।

8 - संतरे के छिलके

सबसे पहले अपने चेहरे को गर्म पानी से धोएं ताकि चेहरे के छिद्र खुल सके। इसके बाद संतरे के छिलके को पिम्पल पर लगाएं। ऐसा एक घंटे तक करते रहें। संतरे के छिलके में मौजूद विटामिन सी आपके पिम्पल को निकालने में मदद करेगा।

9 - पपीता

गर्म पानी से चेहरे को धोने के बाद चेहरे पर पपीता का मिक्सचर लगाएं। 15-20 मिनट बाद चेहरे को धोएं। इससे चेहरा मोएस्चराइज होता है साथ ही पिम्पल आने की आशंका भी कम होती है।

10 - केले के छिलके

केला खाना जितना फायदेमंद है, उतना ही फायदेमंद केले का छिलका भी है। पिम्पल होने पर केले के छिलके को फेंके नहीं वरन चेहरे पर मास्क की तरह इस्तेमाल करें।

शुक्रवार, फ़रवरी 12, 2016

कब्ज का रामबाण इलाज

कब्ज 72 नई बीमारियों को जन्म देती है "राज"
Constipation: Causes, Prevention and
Treatment as per Ayurveda

कब्ज यूं तो छोटी समस्या लगती है और इस कारण लोग इसे काफी नजरअंदाज भी करते हैं, लेकिन इसे छोटी समस्या समझना सेहत के साथ खिलवाड़ करना है। आप पेट से जुड़ी इस समस्या को ज्यादा समय तक नजरअंदाज करते हैं तो यह सेहत के लिए घातक साबित हो सकती है, बता रहे हैं राजेश मिश्रा... 
आपकी मुलाकात शूजित सरकार की फिल्म 'पीकू' में भास्कर बैनर्जी से तो हुई होगी। जी हां, अमिताभ बच्चन की ही बात हो रही है, जो पीकू फिल्म में दीपिका पादुकोण के पिता बने हैं। पूरी फिल्म में भास्कर बैनर्जी कब्ज से परेशान रहते हैं (जिसकी कोलकाता (ठणठनिया) में शूटिंग के दौरान ट्रैफिक अव्यवस्था के कारन मैं भी कई दिन परेशान था...) लेकिन यह परेशानी सिर्फ भास्कर बाबू की नहीं है। देश के लगभग 20 फीसदी लोग कब्ज से त्रस्त हैं। इनमें से 14 प्रतिशत वो लोग हैं, जो शहरों में रहते हैं। शहर का रहन-सहन, कुछ भी खा लेने की आदत और मजबूरी, घटते शारीरिक श्रम आदि ने कब्ज को इनके जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बना दिया है।

खाने में इन्हें जरूर शामिल करें

कीवी, शकरकंद, पॉपकॉर्न, पिस्ता, अखरोट, बादाम, मूंगफली, नाशपाती, स्ट्रॉबेरी, जामुन, अलसी के बीज, ब्रॉकली, दूध और दही।

बीमारियों की आशंका

यदि आपको लगातार तीन महीने से कब्ज है तो कई दूसरी बीमारियां भी हो सकती हैं।
आइये कब्ज को थोड़ा करीब से समझते और जानते हैं, क्योंकि जब पेट ठीक रहेगा, तभी जीवन की गाड़ी भी ठीक चलेगी।

कारण पर डालें नजर

कब्ज कई तरह का हो सकता है। जैसे कभी-कभार होने वाला कब्ज, क्रॉनिक कॉन्स्टिपेशन (कब्ज बहुत ज्यादा बढ़ जाने पर), यात्रा या उम्र से संबंधित कब्ज। कब्ज में हमारी आंतें मल को छोड़ नहीं पातीं। ऐसा कई वजहों से हो सकता है, मसलन, खानपान में अचानक आया बदलाव, यात्रा, उम्र, गर्भावस्था आदि।

खानपान

खानपान में किसी भी तरह का बदलाव कब्ज का कारण बन सकता है, जैसे अचानक बहुत ज्यादा तैलीय खाना खाने या वजन घटाने के लिए खाने पर नियंत्रण करने की वजह से भी कब्ज हो जाता है। इसके अतिरिक्त यदि आप बहुत ज्यादा वसायुक्त चीजें पसंद करते हैं या शराब और कॉफी पीते हैं तो भी कब्ज के शिकार हो सकते हैं।

पानी से दूरी

कुछ लोग बहुत कम पानी पीते हैं। ऐसे लोग मानते हैं कि दिन में दो गिलास पानी पी लें तो भी उनका काम चल जाएगा, लेकिन इससे हमारे पाचन तंत्र और शरीर की जरूरतें पूरी नहीं होतीं।

व्यायाम

क्या आप रोजाना कसरत करते हैं? रोजाना न सही, सप्ताह में चार दिन तो करते होंगे। नहीं? पाचन तंत्र के बिगड़ने या कब्ज होने की यह सबसे बड़ी वजह है। शारीरिक व्यायाम के अभाव में हमारा मेटाबॉलिज्म खराब हो जाता है। मेटाबॉलिज्म के कमजोर पड़ते ही हमारी पाचन क्रिया गड़बड़ हो जाती है।

दवाएं

कुछ दवाओं के सेवन से भी कब्जियत हो जाती है। ज्यादातर मामले पेन किलर्स की वजह से देखने को मिले हैं। कुछ विटामिन और आयरन की खुराक से भी यह समस्या हो जाती है। ऐसे में डॉक्टर से राय लेकर आप इन दवाओं के साथ स्टूल सॉफ्टनर दवाएं ले सकते हैं।

खतरनाक हो सकते हैं परिणाम

साधारण सी दिखने वाली परेशानी कई बार जी का जंजाल बन जाती है। कब्ज की बीमारी कुछ ऐसी ही है। मैक्स हॉस्पिटल की फिजिशियन डॉ. मोनिका महाजन के अनुसार, कब्ज पर लगाम न कसा जाए तो अपने विकराल रूप में आने के बाद यह कई दूसरी बीमारियों को भी न्योता देता है।

क्या हैं उपचार

नीबू पानी

नीबू हमारे शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। अगर कभी कब्ज हो जाए तो एक गिलास गर्म पानी में एक नीबू का रस और शहद मिलाएं और पी लें।

दूध और दही

कब्ज की समस्या को दूर करने के लिए पेट में अच्छे बैक्टीरिया का भी होना जरूरी है। सादे दही से आपको प्रोबायोटिक मिलेगा, इसलिए आप दिन में एक से दो कप दही जरूर खायें। इसके अलावा यदि बहुत परेशान हैं तो एक गिलास दूध में एक से दो चम्मच घी मिला कर रात को सोते समय पिएं, लाभ होगा।

आयुर्वेद की मदद

सोने से पहले दो या तीन त्रिफला टैबलेट गर्म पानी के साथ लें। त्रिफला हरड़, बहेड़ा और आंवले से बना होता है। ये तीनों पेट के लिए लाभकारी हैं। त्रिफला रात में अपना काम शुरू कर देता है।

खाने में फाइबर


एक दिन में एक महिला को औसतन 25 ग्राम फाइबर की जरूरत होती है, वहीं एक पुरुष को 30 से 35 ग्राम फाइबर की आवश्यकता होती है। अपने पाचन तंत्र को दोबारा ट्रैक पर लाने के लिए आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि आप हर दिन अपनी जरूरत के अनुसार फाइबर की खुराक ले रहे हैं।

आंकड़ों में कब्ज

सुनने में भले ही छोटी बीमारी लगती हो, पर कब्ज एक ऐसा रोग है, जिससे हर 10वां व्यक्ित परेशान है। खासकर शहरों में तो कब्ज की समस्या बेहद आम है।
14% भारतीय शहरी आबादी को रहती है कब्ज की समस्या।
10% लोग वैश्विक स्तर पर हमेशा रहते हैं इस कब्ज से परेशान।
20% 45 से 65 साल की उम्र के लोग इससे होते हैं सबसे ज्यादा त्रस्त।
80% लोग परेशानी बहुत ज्यादा बढ़ने के बाद ढूंढ़ते हैं उपचार।

इन शहरों में ज्यादा है कब्ज की समस्या

21% कोयंबतूर
19% मुंबई
13% दिल्ली
13% कोलकाता

कब्ज के उपचार के घरेलू उपाय –

  • सुबह उठने के बाद नींबू के रस को काला नमक मिलाकर पानी के साथ सेवन कीजिए। इससे पेट साफ होगा।
  • 20 ग्राम त्रिफला रात को एक लिटर पानी में भिगोकर रख दीजिए। सुबह उठने के बाद त्रिफला को छानकर उस पानी को पी लीजिए। इससे कुछ ही दिनों में कब्ज की शिकायत दूर हो जाएगी।
  • कब्ज के लिए शहद बहुत फायदेमंद है। रात को सोने से पहले एक चम्‍मच शहद को एक गिलास पानी के साथ मिलाकर नियमित रूप से पीने से कब्‍ज दूर हो जाता है।
  • हर रोज रात में हर्र को पीसकर बारीक चूर्ण बना लीजिए, इस चूर्ण को कुनकुने पानी के साथ पीजिए। कब्ज दूर होगा और पेट में गैस बनना बंद हो जाएगा।
  • रात को सोते वक्त अरंडी के तेल को हल्के गरम दूध में मिलाकर पीजिए। इससे पेट साफ होगा।
  • इसबगोल की भूसी कब्ज के लिए रामबाण दवा है। दूध या पानी के साथ रात में सोते वक्त इसबगोल की भूसी लेने से कब्ज समाप्त होता है।
  • पका हुआ अमरूद और पपीता कब्‍ज के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। अमरूद और पपीता को किसी भी समय खाया जा सकता है।
  • किशमिश को पानी में कुछ देर तक डालकर गलाइए, इसके बाद किशमिश को पानी से निकालकर खा लीजिए। इससे कब्ज की शिकायत दूर होती है।
  • पालक का रस पीने से कब्‍ज की शिकायत दूर होती है, खाने में भी पालक की सब्‍जी का प्रयोग करना चाहिए।
  • अंजीर के फल को रात भर पानी में डालकर गलाइए, इसके बाद सुबह उठकर इस फल को खाने से कब्‍ज की शिकायत समाप्त होती है।
  • मुनक्का में कब्ज नष्ट करने के तत्‍व मौजूद होते हैं। 6-7 मुनक्‍का रोज रात को सोने से पहले खाने से कब्ज समाप्त होती है। 
कब्ज की समस्‍या से बचने के लिए नियमित रूप से व्यायाम और योगा करना चाहिए। गरिष्ठ भोजन करने से बचें।
इन नुस्खों को प्रयोग करने से पहले अपने चिकित्सक की सलाह अवश्य लें। अपनाने के बाद भी अगर पेट की बीमारी ठीक नही होती तो चिकित्सक से संपर्क अवश्य कीजिए।

मंगलवार, फ़रवरी 09, 2016

Cough Home Treatment, Cough Remedies : Raj

खाँसी के घरेलू उपचार : राज


सर्दी, खांसी, सिरदर्द, जुकाम जैसी कुछ बीमारियां होती हैं जो किसी को भी किसी भी समय हो सकती है। खांसी की समस्या होने पर आप सुकून से कोई काम नहीं कर सकते हैं। खांसी बदलता मौसम, ठंडा-गर्म खाना पीना या फिर धूल या किसी अन्य चीज से एलर्जी के कारण सकती है । खांसी होने पर तकलीफ भी ज्यादा होती है। आइए आपको खांसी से बचने के कुछ आसान से उपायों के बारे में राजेश मिश्रा बताते हैं। http://dharmikraj.blogspot.in/2011/11/mahavir-hanuman-mandir-patna.html

  • सौंठ को पीस कर पानी में खूब देर तक उबालें। जब एक चौथाई रह जाए तो इसका सेवन गुनगुना होने पर दिन में तीन चार बार करें। तुरंत फायदा होगा। 
  • गुनगुने पानी से गरारे करने से गले को भी आराम मिलता है और खांसी भी कम होती है।
  • तुलसी पत्ते, 5 काली मिर्च, 5 नग काला मनुक्का, 6 ग्राम गेहूँ के आटे का चोकर , 6 ग्राम मुलहठी, 3 ग्राम बनफशा के फूल लेकर 200 ग्राम पानी में उबालें। 1 /2 रहने पर ठंडा कर छान लें। फिर गर्म करके बताशे डालकर रात सोते समय गरम-गरम पी जाएँ और चादर ओढ़कर सो जाएँ तथा हवा से बचें। कैसी भी खुश्क खाँसी हो, ठीक हो जाएगी।http://dharmikraj.blogspot.in/2011/11/mahavir-hanuman-mandir-patna.html
  • काली मिर्च, हरड़े का चूर्ण, तथा पिप्पली का काढ़ा बना कर दिन में दो बार लेने से खाँसी जल्दी दूर होती है। 
  • 1 चम्मच शहद में पिसी हुई कालीमिर्च मिलाकर पीने से भी खांसी जल्दी ही दूर हो जाती है|
  • 1 चम्मच अदरक का रस में एक चोथाई शहद एवं चुटकी भर हल्दी मिलाकर लेने से खांसी जल्दी ही दूर हो जाती है। 
  • मूली का रस और दूध को बराबर मिलाकर 1 -1 चम्मच दिन में छह बार लेने से भी शीघ्र लाभ मिलता है।
  • हींग, काली मिर्च और नागरमोथा को पीसकर गुड़ के साथ मिलाकर गोलियाँ बना लें। प्रतिदिन भोजन के बाद दो गोलियों का सेवन करने से खाँसी और कफ में लाभ मिलता है । http://dharmikraj.blogspot.in/2011/11/mahavir-hanuman-mandir-patna.html
  • 1 चम्मच अजवाइन एवं हल्दी मिलाकर गरम कर ले,फिर उसे ठंडा होने के बाद शहद मिलाकर पीने से खांसी जल्दी ही दूर हो जाती है।*खांसी होने पर सेंधा नमक की डली को आग पर अच्छे से गरम कर लीजिए। जब नमक की डली गर्म होकर लाल हो जाए तो तुरंत आधा कप पानी में डालकर निकाल लीजिए। उसके बाद इस नमकीन पानी को पी लीजिए। ऐसा पानी 2-3 दिन सोते वक्त पीने पर खांसी समाप्त हो जाती है। http://dharmikraj.blogspot.in/2011/11/mahavir-hanuman-mandir-patna.html
  • शहद, किशमिश और मुनक्के को मिलाकर लेने से खांसी जल्दी ही ठीक हो जाती है।
  • हींग, त्रिफला, मुलेठी और मिश्री को नींबू के रस में मिलाकर चाटने से भी खांसी में फायदा मिलता है।
  • भुने हुए चने को कालीमिर्च के साथ खाने से खांसी बहुत जल्दी गायब हो जाती है। 
  • त्रिफला में बराबर मात्रा में शहद मिलाकर पीने से हर तरह की खांसी में फायदा होता है।
  • तुलसी, कालीमिर्च और अदरक की चाय पीने से भी खांसी शीघ्र ही समाप्त होती है।
  • पानी में नमक, हल्द‍ी, लौंग और तुलसी पत्ते उबालें। इस पानी को छानकर रात को सोते समय गुनगुना पिएँ। इसके लगातार सेवन से 7 दिनों के अंदर खाँसी पूरी तरह से समाप्त हो जाती है । http://dharmikraj.blogspot.in/2011/11/mahavir-hanuman-mandir-patna.html
  • खांसी होने पर खांसी को रोकने के लिए मूंगफली,चटपटी व खट्टी चीजें, ठंडा पानी, दही, अचार, खट्टे फल, केला, कोल्ड ड्रिंक, इमली, तली-भुनी चीजों को खाने से बचना चाहिए । http://dharmikraj.blogspot.in/2011/11/mahavir-hanuman-mandir-patna.html
  • सूखी खांसी में काली मिर्च को पीसकर घी में भूनकर लेना भी बहुत उत्तम रहता है।
  • पान का पत्ता और थोड़ी-सी अजवायन , चुटकी भर काला नमक व शहद मिलाकर लेना भी खांसी में लाभ देता है।
  • बताशे में काली मिर्च डालकर चबाने से भी खांसी में बहुत शीघ्र कमी आती है।

शनिवार, फ़रवरी 06, 2016

Skin Care In Winter : RAJ

सर्दी में "राज" त्वचा की देखभाल ऐसे करें

त्वचा को सुंदर और हेल्दी बनाने के लिए 


सेहतमंद त्वचा खूबसूरती का सबसे अनमोल तोहफा है, लेकिन इस सर्दी का क्या करें, जो त्वचा की खूबसूरती को छीन लेती है। पर इसका मतलब यह बिल्कुल भी नहीं कि आप अपनी त्वचा के प्रति लापरवाह हो जाएं। जानें, ठंड में दमकती त्वचा के ल‌िए क्या उपाय जरूरी हैं। सर्दी में त्वचा का बेजान और रुखा होना आम बात है, लेकिन कभी-कभी रूखेपन के अलावा सर्द मौसम के चलते अन्य त्वचा की समस्याएं भी पैदा होने लगे तो यह गंभीर रोग भी हो सकता है। तो दोस्तों इस मौसम में इन समस्याओं से लड़ने के लिए उनसे बचने के उपाय के बारे में जानना बहुत जरुरी है। 

सर्दी के मौसम होने वाले त्वचा सम्बन्धी रोग व समस्याएं (Skin Problems & Diseases In Winter)


त्वचा का सूखापन – सर्दी की वजह से शरीर की त्वचा सूखने लगती है पर वैसे तो ये समस्या बीमार और उम्रदराज लोगों में ज्यादा होती है पर फिर भी इससे बचने के लिए हमें तेल और Mostoriser का इस्तेमाल करना चाहिए।

चिलब्लेंस (Chilblains) – इस रोग में हाथ पैर की अँगुलियों में सूजन आ जाती है और लाल होने के साथ साथ खुजली भी होने लगती है, इस रोग से बचने के लिए हमें हाथों में दस्ताने और पैरों में मोजे पहनने चाहिए।

सोराइसिस (Psoriasis) – ये रोग आम तौर पर सर्दी के समय बढ़ जाता है, इस रोग में तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना फायदेमंद रहता है।

ऐटोपिक एग्जिमा (Atopic Eczema) – ये रोग आम तौर पर बच्चों में होता है, इससे बचाने के लिए कोल्ड क्रीम लगाएं और शरीर पूरी तरह से ढककर रखें।

नाखुनो और बालों का बेजान होना – सर्दी में ये समस्या ज्यादातर लोगों में देखी जाती है इसके साथ-साथ बालों में Dandruff भी बढ़ जाता है, इसके लिए Vitamin B और Biotin का ज्यादा से ज्यादा सेवन करें।

इन त्वचा सम्बन्धी समस्याओं से बचने के लिए कुछ नुस्खे

  • सर्दी के मौसम में त्वचा सम्बन्धी रोगों से बचाव का पहला ध्यान रखने योग्य नुस्खा है नियमित और प्रतिदिन स्नान। नहाने के लिए आप ठंडा गर्म या गुनगुना जैसा चाहें वैसा पानी इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • सर्दी के मौसम में ज्यादा साबुन का प्रयोग ना करें, नहाने से पहले पूरे शरीर पर तेल लगाएं और नहाने के बाद भी तेल या Mostoriser का इस्तेमाल करें।
  • सर्दियों में धूप का नियमित सेवन भी अत्यधिक लाभप्रद है इससे Chilblains जैसे गंभीर त्वचा रोगों से बचा जा सकता है, लेकिन इस बात का ध्यान अवश्य रखें की अगर धूप से त्वचा में जलन या रेडनेस होने लगे तो धुप का इस्तेमाल न करें ।
  • हाथ पैरों की उँगलियों के सुन्न होने, खून का दौरा कम होने या त्वचा के फटने से बचने का सबसे अच्छा उपाय है संतुलित आहार, भोजन में दूध, दही और हरी सब्जियां खूब लें। भोजन में Vitamin A की अधिकता रखें, और त्वचा के लिए गाजर का सेवन भी लाभप्रद है।
  • त्वचा में खुजली व रूखेपन से बचने के लिए Cold Cream का इस्तेमाल कर सकते हैं लेकिन जहाँ तक संभव हो नारियल तेल का प्रयोग करें।

अन्य उपाय

हल्दी, लाल चंदन, नीम की छाल, चिरायता, बहेडा, आंवला, हरेडा और अडूसे के पत्ते को एक समान मात्रा में लीजिए। इन सभी सामानों को पानी में पूरी तरह से फूलने के लिए भिगो दीजिए। जब ये सारे सामान पूरी तरह से फूल जाएं तो पीसकर ढ़ीला पेस्ट बना लीजिए। अब इस पेस्ट से चार गुना अधिक मात्रा में तिल का तेल लीजिए। तिल के तेल से चार गुनी मात्रा में पानी लेकर सारे सामानों को एक बर्तन में मिला लीजिए। उसके बाद मिश्रण को मंद आंच पर तब तक गर्म करते रहिए जब तक सारा पानी भाप बनकर उड़ ना जाए। इस पेस्ट को पूरे शरीर में जहां-जहां खुजली हो रही हो वहां पर या फिर पूरे शरीर में लगाइए। इसके लगाते रहने से आपके त्वचा से चर्म रोग ठीक हो जाएगा।

एग्जिमा, सोरियासिस, मस्सा, ल्यूकोर्डमा, स्केबीज या खुजली चर्म रोग के प्रकार हैं।किसी भी प्रकार का चर्म रोग जब तक ठीक नही हो जाता है, बहुत कष्टदायक होता है। जिसके कारण से आदमी मानसिक रूप से बीमार हो जाता है। चर्म रोग की समस्या होने पर आप चिकित्सक से सलाह ले सकते हैं।

ताकि त्वचा रहे सेहतमंद

त्वचा को सुंदर और हेल्दी बनाने के लिए चेहरे की क्लीनिंग, मॉइश्चराइजिंग और स्क्रबिंग जरूरी है। दिन भर की धूल और प्रदूषण के असर को खत्म करने के लिए त्वचा की सही तरह से सफाई करना जरूरी है।

इसके लिए दिन में दो बार किसी अच्छे मेडिकेटेड फेस वॉश से चेहरा साफ करें। मृत त्वचा को हटाने के लिए माइल्ड स्क्रब का इस्तेमाल करें, लेकिन हफ्ते में तीन बार से ज्यादा न करें।

इन दिनों शुष्क हवा सबसे पहले त्वचा की नमी को नष्ट करती है। इससे त्वचा में खिंचाव और रूखापन पैदा हो जाता है। इसका असर आपके चेहरे पर ही नहीं शरीर के अन्य हिस्सों पर भी होता है। ऐसे में अपने चेहरे पर ही नहीं, बल्कि पूरे शरीर पर ही किसी अच्छे बॉडी लोशन या मॉइस्चराइजर का प्रयोग करें। यह त्वचा के लिए सुरक्षा कवच की तरह काम करता है। 

मुंहासों के लिए कुछ अलग

अगर आपके चेहरे पर मुंहासे हैं, तो अपने चेहरे पर बार-बार हाथ न लगाएं। स्किन को ज्यादा रगड़ें भी नहीं। खासतौर से दानों और मुंहासे से तो बिल्कुल भी छेड़छाड़ न करें। 

यदि आप चाहते हैं कि आपकी त्वचा कोमल रहे, तो ज्यादा गरम पानी के बजाय गुनगुने पानी का प्रयोग करें। ज्यादा गर्म पानी से आपकी त्वचा रूखी हो सकती है।

होंठ रहें मुलायम 

बदलते मौसम में होंठ फटने की शिकायत आम हो जाती है। ऐसे में आपको होंठों की देखभाल पर ध्यान देना भी जरूरी है। होंठों पर पेट्रोलियम जेली और ग्लिसरीन यूज करें। लिप बाम लगाना भी ठीक रहेगा। 

इसके अलावा सोने से पहले होंठों पर मलाई या ऑलिव ऑयल लगाएं। होंठों के लिए यह काफी फायदेमंद होता है।

पैरों की अनदेखी क्यों

सर्दियों में एड़ियां ज्यादा ड्राई हो जाती हैं। अगर प्रॉपर साफ-सफाई न की जाए, तो पैरों की खूबसूरती छिन जाती है। पैरों की सफाई डिटॉल मिले गुनगुने पानी से करें। मॉइस्चराइजर के प्रयोग के बाद भी यदि आपके हाथ-पैर की त्वचा खुश्क रहती है, तो आप मेनीक्योर और पेडीक्योर का सहारा ले सकती हैं। 

इससे पैरों की सही प्रकार से सफाई हो जाती है। हमेशा कॉटन के मोजों का प्रयाग करें। गीले पैरों को सही प्रकार से साफ करने के बाद उनके सूखने के बाद ही जूते पहनें। नंगे पांव बिल्कुल न चलें। सप्ताह में एक दिन जूतों को कुछ देर धूप में रखें, जिससे उसमें मौजूद बैक्टीरिया नष्ट हो जाएं।

अगर आप डायबिटीज या अस्थमा से ग्रस्त हैं, तो पैरों की देखभाल में कोताही न बरतें। 

राइट डाइट 

इस मौसम में फ्राइड और मीठी चीजें खाना अच्छा लगता है, लेकिन अगर आप फिट रहना चाहते हैं तो रोस्टेड चीजे ज्यादा खाएं। फिश, डॉट सूप और ड्राई फ्रूट्स लें। 

मौसमी सब्जियां, टमाटर, पालक, लहसुन, फलों में संतरा और पपीता सेहत के साथ त्वचा के लिए भी लाभकारी होता है। 

टमाटर में केरोटीन तत्व होता है, जो ब्लड को क्लीन करता है, वहीं पालक कैल्शियम देने के साथ हीमोग्लोबीन की मात्रा को बढ़ाती है। ग्रीन टी, लेमन जूस और हनी अच्छा विकल्प है।

घर का बना मॉइश्चराइजर

ग्लिसरीन और गुलाब जल मिलाकर चेहरे, नाक और होठों की मसाज करने से फायदा होता है। इससे ड्राई स्किन नम हो जाती है। यही नहीं, नाक के आस-पास की त्वचा नर्म होकर शाइन करने लगती है। स्किन की हाइजीन मेंटेन करने के लिए हॉट शावर लें। नहाने के तुरंत बाद मॉइश्चराइजर का प्रयोग करें।

दिन के समय जिंग आक्साइड मॉइस्चराइजर लगाएं, जिसमें एसपीएफ 30 प्रोटेकन हो। रात के लिए विटामिन ए और दिन के लिए विटामिन सी और ई युक्त क्रीम फायदेमंद होती है। वॉटर बेस क्रीम और मॉइश्चराइजर लगाएं।