दादी-नानी और पिता-दादाजी के बातों का अनुसरण, संयम बरतते हुए समय के घेरे में रहकर जरा सा सावधानी बरतें तो कभी आपके घर में डॉ. नहीं आएगा. यहाँ पर दिए गए सभी नुस्खे और घरेलु उपचार कारगर और सिद्ध हैं... इसे अपनाकर अपने परिवार को निरोगी और सुखी बनायें.. रसोई घर के सब्जियों और फलों से उपचार एवं निखार पा सकते हैं. उसी की यहाँ जानकारी दी गई है. इस साइट में दिए गए कोई भी आलेख व्यावसायिक उद्देश्य से नहीं है. किसी भी दवा और नुस्खे को आजमाने से पहले एक बार नजदीकी डॉक्टर से परामर्श जरूर ले लें.
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नोट : यहाँ पर प्रस्तुत आलेखों में स्वास्थ्य सम्बन्धी जानकारी को संकलित करके पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करने का छोटा सा प्रयास किया गया है। पाठकों से अनुरोध है कि इनमें बताई गयी दवाओं/तरीकों का प्रयोग करने से पूर्व किसी योग्य चिकित्सक से सलाह लेना उचित होगा।-राजेश मिश्रा

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गुरुवार, जून 11, 2015

धूल, जहरीली गैस- सिगरेट के धुंआ से होनेवाले एलर्जी से बचाव

गंभीर रूप लेती जा रही एलर्जी : कारण, लक्षण एवं उपचार : राज 

To protect against Dust-Air-Animal Allergies such


एलर्जी या अति संवेदनशीलता आज की लाइफ में बहुत तेजी से बढ़ती हुई सेहत की बड़ी परेशानी है। कभी कभी एलर्जी गंभीर परेशानी का भी सबब बन जाती है। जब हमारा शरीर किसी पदार्थ के प्रति अति संवेदनशीलता दर्शाता है तो इसे एलर्जी कहा जाता है और जिस पदार्थ के प्रति प्रतिकिर्या दर्शाई जाती है उसे एलर्जन कहा जाता है। एलर्जी किसी भी उम्र में हो सकती है, आपके परिवार में अगर किसी को एलर्जी है, तो यह आपको भी हो सकती है. यह भी हो सकता है कि आपके माता-पिता दोनों को ही एलर्जी हो, लेकिन आपको यह नहीं हो. हमारे बाहर के वातावरण का भी इस पर प्रभाव होता है. लाल रंग के चकत्ते, काले धब्बे, फुंसियां और दाग, ये सब एलर्जी का ही लक्षण हैं. अगर सही समय पर एलर्जी पर ध्यान न दिया जाए तो यह कभी कभी जीवन के लिए भी घातक हो जाती है. एलर्जी होने के कई कारण हो सकते हैं.

एलर्जी के कारण –

एलर्जी किसी भी पदार्थ से ,मौसम के बदलाव से या आनुवंशिकता जन्य हो सकती है। एलर्जी के कारणों में धूल, धुआं, मिटटी पराग कण, पालतू या अन्य जानवरों के संपर्क में आने से, सौंदर्य प्रशाधनों से, कीड़े-बर्रे आदि के काटने से, खाद्य पदार्थों से एवं कुछ अंग्रेजी दवाओ के उपयोग से एलर्जी हो सकती है। सामान्तया एलर्जी नाक, आँख, श्वसन प्रणाली, त्वचा व खान पान से सम्बंधित होती है किन्तु कभी कभी पूरे शरीर में एक साथ भी हो सकती है जो की गंभीर हो सकती है।

स्थानानुसार एलर्जी के लक्षण –

नाक की एलर्जी -नाक में खुजली होना ,छीकें आना ,नाक बहना ,नाक बंद होना या बार बार जुकाम होना आदि|
आँख की एलर्जी -आखों में लालिमा ,पानी आना ,जलन होना ,खुजली आदि।
श्वसन संस्थान की एलर्जी -इसमें खांसी ,साँस लेने में तकलीफ एवं अस्थमा जैसी गंभीर समस्या हो सकती है।
त्वचा की एलर्जी -त्वचा की एलर्जी काफी कॉमन है और बारिश का मौसम त्वचा की एलर्जी के लिए बहुत ज्यादा मुफीद है त्वचा की एलर्जी में त्वचा पर खुजली होना ,दाने निकलना ,एक्जिमा ,पित्ती उछलना आदि होता है।
खान पान से एलर्जी -बहुत से लोगों को खाने पीने की चीजों जैसे दूध ,अंडे ,मछली ,चॉकलेट आदि से एलर्जी होती है।
सम्पूर्ण शरीर की एलर्जी -कभी कभी कुछ लोगों में एलर्जी से गंभीर स्तिथि उत्पन्न हो जाती है और सारे शरीर में एक साथ गंभीर लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं ऐसी स्तिथि में तुरंत हॉस्पिटल लेकर जाना चाहिए।
अंग्रेजी दवाओं से एलर्जी-कई अंग्रेजी दवाएं भी एलर्जी का सबब बन जाती हैं। जैसे पेनिसिलिन का इंजेक्शन जिसका रिएक्शन बहुत खतरनाक होता है और मौके पर ही मोत हो जाती है। इसके अलावा दर्द की गोलियां, सल्फा ड्रग्स एवं कुछ एंटीबायोटिक दवाएं भी सामान्य से गंभीर एलर्जी के लक्षण उत्पन्न कर सकती हैं।
मधु मक्खी ततैया आदि का काटना –इनसे भी कुछ लोगों में सिर्फ त्वचा की सूजन और दर्द की परेशानी होती है जबकि कुछ लोगों को इमर्जेन्सी में जाना पड़ जाता है।
1.आंखों में खुजली, लाली, सूजन, जलन या पानी जैसा द्रव बहना.
2.सांस की नाली बंद हो जाना.
3.गले में खुजली, खांसी.
4.त्वचा पर खुजली और लाल चकत्ते पड़ना.
5.ब्लड प्रेशर कम हो जाना.
6.नाक में खुजली, नाक बंद होना और बहना.
7.छीकना और इसके बाद कभी-कभी दमे का दौरा पड़ना.
8.मुंह के आसपास सूजन या निगलने कठिनाई.
9.घरघराहट, सीने में जकड़न, जोर से साँस लेना या साँस लेने में कठिनाई.
10.गम्भीर एलर्जी की अवस्था में रोगी को बेहोशी भी होने लगती है.

एलर्जी से बचाव –

  • सोंठ, काली मिर्च, छोटी पीकर और मिश्री सभी द्रव्यों का चूर्ण 10-10 ग्राम, बीज निकाला हुआ मुनक्का 50 ग्राम, गोदंती हरताल भस्म 10 ग्राम तथा तुलसी के दस पत्ते सभी को मिलाकर खूब घोंटकर पीस लें और 3-3 रत्ती की गोलियाँ बनाकर छाया में सुखा लें। 2 गोली सुबह व 2 गोली शाम को गर्म पानी के साथ तीन माह तक सेवन करें। ठंडे पदार्थ, बर्फ, दही, ठंडे पेय से परहेज करें। नाक की एलर्जी दूर हो जाएगी।
  • आंखों में पानी, बहती नाक, लगातार छींक और कमजोरी जैसे लक्षणों से तो आप वाकिफ होंगे ही, खासकर इन दिनों जब मौसम बदल रहा है और दिन बीतने के साथ ही हवा में नमी भी बढ़ती जा रही है। ऐसे में एेलर्जी की समस्या को नज़रअंदाज करना आपको इन्हीं परेशानियों की गिरफ्त में डाल देगा। लेकिन आपकी जरा सी सावधानी आपको एेलर्जी अटैक से आसानी से बचा सकती है।
  • एलर्जी से बचाव ही एलर्जी का सर्वोत्तम इलाज है। इसलिए एलर्जी से बचने के लिए इन उपायों का पालन करना चाहिए।.य़दि आपको एलर्जी है तो सर्वप्रथम ये पता करें की आपको किन किन चीजों से एलर्जी है इसके लिए आप ध्यान से अपने खान पान और रहन सहन को वाच करें।
  • घर के आस पास गंदगी ना होने दें।
  • घर में अधिक से अधिक खुली और ताजा हवा आने का मार्ग प्रशस्त करें।
  • जिन खाद्य पदार्थों से एलर्जी है उन्हें न खाएं।
  • एकदम गरम से ठन्डे और ठन्डे से गरम वातावरण में ना जाएं।
  • बाइक चलाते समय मुंह और नाक पर रुमाल बांधे,आँखों पर धूप का अच्छी क़्वालिटी का चश्मा लगायें।
  • गद्दे, रजाई,तकिये के कवर एवं चद्दर आदि समय समय पर गरम पानी से धोते रहे।
  • रजाई ,गद्दे ,कम्बल आदि को समय समय पर धूप दिखाते रहे।
  • पालतू जानवरों से एलर्जी है तो उन्हें घर में ना रखें।
  • ज़िन पौधों के पराग कणों से एलर्जी है उनसे दूर रहे।
  • घर में मकड़ी वगैरह के जाले ना लगने दें समय समय पर साफ सफाई करते रहे।
  • धूल मिटटी से बचें ,यदि धूल मिटटी भरे वातावरण में काम करना ही पड़ जाये तो फेस मास्क पहन कर काम करें।
  • नाक की एलर्जी -जिन लोगों को नाक की एलर्जी बार बार होती है उन्हें सुबह भूखे पेट। चम्मच गिलोय और 2 चम्मच आंवले के रस में 1 चम्मच शहद मिला कर कुछ समय तक लगातार लेना चाहिए। इससे नाक की एलर्जी में आराम आता है ,सर्दी में घर पर बनाया हुआ या किसी अच्छी कंपनी का च्यवनप्राश खाना भी नासिका एवं साँस की एलर्जी से बचने में सहायता करता है। आयुर्वेद की दवा सितोपलादि पाउडर एवं गिलोय पाउडर को 1-1 ग्राम की मात्रा में सुबह शाम भूखे पेट शहद के साथ कुछ समय तक लगातार लेना भी नाक एवं श्वसन संस्थान की एलर्जी में बहुत आराम देता है।
  • जिन्हे बार बार त्वचा की एलर्जी होती है उन्हें मार्च-अप्रेल के महीने में जब नीम के पेड़ पर कच्ची कोंपलें आ रही हों उस समय 5-7 कोंपलें 2-3 कालीमिर्च के साथ अच्छी तरह चबा चबा कर 15-20 रोज तक खाना त्वचा के रोगों से बचाता है, हल्दी से बनी आयुर्वेद की दवा हरिद्रा खंड भी त्वचा के एलर्जी जन्य रोगों में बहुत गुणकारी है। इसे किसी आयुर्वेद चिकित्सक की राय से सेवन कर सकते हैं।


    ऑलिव ऑयल

    रैशेज पर ऑलिव ऑयल लगाने से आपको तुरंत आराम मिलेगा। खासतौर पर एलर्जी से होने वाली जलन और खुजली शांत करने में ऑलिव ऑयल कारगर है।

    कॉड लिवर ऑयल व विटामिन ई
    विटामिन ई ऑयल में कॉड लिवर ऑयल मिलाकर रैशेज पर लगाएं और रात भर छोड़ दें। सुबह तक रैशेज दब जाएंगे।

    तुलसी पत्ते का पैक
    तुलसी पत्ते को पीस लें। इसमें एक चम्मच ऑलिव ऑयल, दो लहसुन के जवे, एक चुटकी नमक और एक चुटकी काली मिर्च मिलाएं। इसे रैशेज पर लगाएं और थोड़ी देर बाद साफ कर लें।

    वेनेगर और शहद
    एक चम्मच एप्पल साइडर वेनेगर में शहद मिलाएं और एक ग्लास पानी में मिलाएं। इसे दिन में तीन बार रैशेज पर लगाएं, आराम मिलेगा।

सभी एलर्जी जन्य रोगों में खान पान और रहन सहन का बहुत महत्व है इसलिए अपना खान पान और रहन सहन ठीक रखते हुए यदि ये उपाय अपनाएंगे तो अवश्य एलर्जी से लड़ने में सक्षम होंगे और एलर्जी जन्य रोगों से बचे रहेंगे। एलर्जी जन्य रोगों में अंग्रेजी दवाएं रोकथाम तो करती हैं लेकिन बीमारी को जड़ से ख़त्म नहीं करती है जबकि आयुर्वेद की दवाएं यदि नियम पूर्वक ली जाती है तो रोगों को जड़ से ख़त्म करने की ताकत रखती हैं।

इन बातों पर भी ध्यान दें- 

अल-सुबह बाहर निकलने से बचें 

अक्सर ये देखने में आया है कि तेज़ और शुष्क हवा के संपर्क में आने से लोग जल्दी एेलर्जी का शिकार हो जाते हैं। इस दौरान परागकण हवा के साथ-साथ तेजी से फैलते हैं। लिहाजा सुबह 5-10 बजे के बीच खुली हवा में निकलने से बचें। हालांकि एेलर्जी की दवा लेने के बाद सुबह की ताजा हवा का लुत्फ लिया जा सकता है।

स्नान करें

धूल और पराग के महीन कणों को नंगी आंखों से देख पाना बेहद मुश्किल होता है। ये आपके शरीर और कपड़ों से चिपक जाते हैं जो कि आपकी एेलर्जी का कारण बनते हैं। ऐसे में बाहर से आने के बाद शॉवर लेना बेहतर उपाय है।

ड्राइविंग के दौरान कार का शीशा बंद रखें

ड्राइविंग के दौरान गाड़ी का शीशा बंद रखने से आप बाहर की हवा के सीधे संपर्क में नहीं आ पाते हैं। नतीजतन आप कम से कम धूल और परागकणों को इनहेल करते हैं।

हाथों को धोना

एेलर्जी का एक और सबसे बड़ा कारण गंदे हाथों से अपने चेहरे को बार-बार छूना भी होता है। ऐसे में अपने हाथों को थोड़े-थोड़े अंतराल पर धोकर साफ करते रहना चाहिए, और बार-बार चेहरा छूने से बचना चाहिए।

ऐल्कॉहॉल से दूर रहें

एेलर्जी के दौरान ऐल्कॉहॉल लेने से बचें क्योंकि ये आपके नाक में म्यूकस का प्रॉडक्शन बढ़ा देता है। शुष्क हो जाने के कारण आपकी नाक के आस-पास की त्वचा दर्द के साथ उखड़ने भी लगती है। ये समस्या बार-बार नाक छूने से और बढ़ जाती है।

मास्क पहनें

धूलकणों के सीधे संपर्क में आने का एक और बेहतरीन उपाय मास्क पहनना है। खुली हवा में मास्क पहन कर निकलने से आप आसानी से एेलर्जी वाले धूल कणों से बच सकते हैं, क्योंकि वो मास्क के जरिए फिल्टर कर लिए जाते हैं। जापान में तो बड़े पैमाने पर रेस्पिरेटरी मास्क का प्रयोग किया जाता है। आप नाक और मुंह ढकने के लिए मास्क की जगह साधारण रुमाल का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

एेलर्जी हो भी जाए तो क्या

और अगर तमाम उपायों के बाद भी आप एेलर्जी की चपेट में आ भी जाएं तो घबराने की जरूरत नहीं है। साधारण अटैक में आप ऐंटीहिस्टामाइन की एक डोज़ ले सकते हैं जबकि अगर समस्या ज्यादा गंभीर है, तो डॉक्टर को दिखाना ही सही उपाय है।

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