दादी-नानी और पिता-दादाजी के बातों का अनुसरण, संयम बरतते हुए समय के घेरे में रहकर जरा सा सावधानी बरतें तो कभी आपके घर में डॉ. नहीं आएगा. यहाँ पर दिए गए सभी नुस्खे और घरेलु उपचार कारगर और सिद्ध हैं... इसे अपनाकर अपने परिवार को निरोगी और सुखी बनायें.. रसोई घर के सब्जियों और फलों से उपचार एवं निखार पा सकते हैं. उसी की यहाँ जानकारी दी गई है. इस साइट में दिए गए कोई भी आलेख व्यावसायिक उद्देश्य से नहीं है. किसी भी दवा और नुस्खे को आजमाने से पहले एक बार नजदीकी डॉक्टर से परामर्श जरूर ले लें.
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गुरुवार, जुलाई 16, 2015

मुल्तानी मिटटी से दें चेहरे को रौनक

साबुन से ज्यादा कारगर है मुल्तानी मिटटी
आइये जानते हैं कुछ इसी तरह का राज का घरेलु उपचार


मुल्तानी मिटटी और पानी को आपस में मिलाकर एक मिश्रण तैयार करें। इस मिश्रण को तैलीय त्वचा पर लगाएं। पूरी तरह सूखने के बाद इसे धो लें। यह सच है कि आप चाहकर भी अपनी लाइफस्टाइल नहीं बदल सकते और न ही ऎसी चीजों को छोड़ सकते हैं जो आपकी जीवनशैली का हिस्सा बन चुकी हैं। लेकिन आप सचेत रह सकते हैं और खतरों को कम कर सकते हैं। आखिर कब हम पूर्ण स्वास्थ्य को प्राप्त कर पाएंगे? इसका जवाब खोजने के लिए हमें "बैक टू बेसिक्स" के सिद्धांत पर काम करना होगा। हमें फिर से कुदरत के करीब जाना होगा-

मुलतानी मिट्टी के अनोखे उपयोग जो त्वचा को कोमल और दमकता बनाएं-

  • यदि आपकी त्वचा आॅयली है तो आप मुल्तानी मिट्टी में पुदीना की पत्तियों का पेस्ट और दही को मिलाकर अच्छे से मिला लें और इस पेस्ट को चेहरे से गर्दन तक लगाएं। और आधे घंटे तक तब तक रहने दें जब तक पेस्ट पूरी तरह से न सूख जाए। इसके बाद गुनगुने पानी से चेहरे को धो लें। यह चेहरे की चिकनाई को खत्म करता है।
  • यदि मुंहासों से परेशान हो तो मुल्तानी मिट्टी को पानी में भिगोकर पेस्ट बना लें और चेहरे पर इस पेस्ट को लगाने से मुंहासों से निजात मिलता है।
  • यदि आप अपने बालों को मुलायम और चमकदार बनाना चाहते हैं तो मुल्तानी मिट्टी के पेस्ट को आप बालों पर भी लगा सकते हैं, मुल्तानी मिट्टी को एक कटोरे में भिगो लें और 2 घंटे के बाद जब मुल्तानी मिट्टी पूरी तरह से घुल जाए, इस पेस्ट को सूखे बालों पर लगा लें, आधे घंटे के बाद बालों को गुनगुने पानी से धो लें।
  • आपकी त्वचा रूखी है तो आप दूध में काजू को भिगोकर रातभर एक कटोरे में रहने दें और सुबह इन्हें पीसकर मुल्तानी मिट्टी में मिला लें और उसमें थोड़ी शहद की बूंदे डालकर पेस्ट तैयार करें और इसे स्क्रब के रूप पर चेहरे पर लगालें।
  • इस तरह प्राकृतिक के रूप में मिले मुल्तानी मिट्टी के प्रयोग से आप अपनी सुंदरता को लंबे समय तक बनाये रख सकते हैं। प्राचीन समय से इसका प्रयोग होता आया है लेकिन आधुनिक काॅस्मेटिक्स के प्रयोग से लोग जल्द ही अपनी सुंदरता को खो रहे हैं। कोशिश जरूर करें मुल्तानी मिट्टी के प्रयोग का।

मुल्तानी मिट्टी लगाएं

आज के जमाने में कई लोग खुशबू के फेर में तरह-तरह के साबुन इस्तेमाल करते हैं। इन साबुनों में कई तरह के कैमिकल होते हैं जो कई बीमारियों का कारण बन सकते हैं। आप साबुन के बजाय मुल्तानी मिट्टी को नहाने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। अगर नहाते वक्त सफाई का पूरा खयाल रखा जाए तो वैसे भी साबुन की जरूरत नहीं रहती।

सच्चे स्वास्थ्य का इंतजार

आपको अपने खानपान, रहन-सहन और दिनचर्या में बदलाव करना होगा। आपको कृत्रिम चीजों के बजाय कुदरती चीजों का इस्तेमाल करना होगा। अगर आप बनावटी संसार में फंसे रहेंगे तो सच्ची सेहत कभी प्राप्त नहीं कर पाएंगे। यह सच है कि आप एकदम से अपनी लाइफस्टाइल नहीं बदल सकते और न ही खतरनाक चीजों को फौरन अपने जीवन से बाहर निकाल सकते हैं। लेकिन जानकारी होने पर सचेत रहकर खतरों को कम कर सकते हैं। सच्चा स्वास्थ्य आपका इंतजार कर रहा है। ... तो फिर देर किस बात की, जानते हैं उन तरीकों के बारे में जो सेहत में सकारात्मक बदलाव लेकर आएंगे। लेकिन इन बदलावों के लिए आपको सबसे पहले अच्छी सेहत के लिए दृढ़ निश्चय करना होगा।

दातुन चबाएं

कई शोध टूथपेस्ट को कैंसर का कारक बता रहे हैं। ऎसे में नीम की दातुन का इस्तेमाल कर सकते हैं। दांतों के लिए नीम की दातुन काफी फायदेमंद रहती है। अगर नियमित तौर पर दातुन न मिले तो भी खाली ब्रश करके या सप्ताह में केवल दो बार पेस्ट लगाकर भी हम खतरे को कम कर सकते हैं।

पानी को उबालकर पिएं

आज ज्यादातर घरों में पानी साफ करने के लिए आरओ मशीन लगी हुई है। लेकिन कई बार ज्यादा मशीनी पानी भी नुकसान दे सकता है। आरओ की जगह पर पानी को अच्छी तरह से उबालकर तांबे के बर्तन में रखकर इस्तेमाल किया जा सकता है। जैन धर्म में धोवन पानी की परंपरा है। पानी में राख मिलाकर धोवन पानी तैयार किया जाता है।

सूती कपड़े और नीम


आजकल फॉइल पेपर में रोटियां लपेटकर रखी जाती हैं। इसके स्थान पर सूती कपड़े में भी रोटियां रखी जा सकती हैं। रेफ्रिजरेटर के इस्तेमाल को भी सीमित करने की जरूरत है। वहीं नीम की पत्तियां कीटाणुओं का नाश कर सकती हैं। इन्हें पानी में उबालकर इस्तेमाल में लिया जा सकता है। यह एंटीसेप्टिक लिक्विड का विकल्प हो सकती हैं।

दवाओं का ज्यादा सेवन

बात-बात में पेनकिलर लेना कैंसर के कारक हो सकते हैं। हमें अपनी सहनशीलता बढ़ानी चाहिए। थोड़ी-सी परेशानी होने पर दवाइयों के पीछे नहीं भागना चाहिए। इसके बजाय घरेलू नुस्खों का इस्तेमाल कर सकते हैं।

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