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मंगलवार, दिसंबर 29, 2015

राज की माने तो गेहूं की ज्वारे ही है अमरत्व

गेहूं के ज्वारे की अनगिनत फायदे बता रहे हैं राजेश 
Wheatgrass Juice Benefits Raj

प्रकृति ने हमें अनेक अनमोल नियामतें दी हैं। गेहूं के ज्वारे उनमें से ही प्रकृति की एक अनमोल देन है। अनेक आहार शास्त्रियों ने इसे संजीवनी बूटी भी कहा है, क्योंकि ऐसा कोई रोग नहीं, जिसमें इसका सेवन लाभ नहीं देता हो। यदि किसी रोग से रोगी निराश है तो वह इसका सेवन कर श्रेष्ठ स्वास्थ्य पा सकता है।
गेहूं के जवारों में अनेक अनमोल पोषक तत्व व रोग निवारक गुण पाए जाते हैं, जिससे इसे आहार नहीं वरन्‌ अमृत का दर्जा भी दिया जा सकता है। जवारों में सबसे प्रमुख तत्व क्लोरोफिल पाया जाता है। प्रसिद्ध आहार शास्त्री डॉ. बशर के अनुसार क्लोरोफिल (गेहूंके जवारों में पाया जाने वाला प्रमुख तत्व) को केंद्रित सूर्य शक्ति कहा है। राज की माने तो गेहूं के जवारे रक्त व रक्त संचार संबंधी रोगों, रक्त की कमी, उच्च रक्तचाप, सर्दी, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, स्थायी सर्दी, साइनस, पाचन संबंधी रोग, पेट में छाले, कैंसर, आंतों की सूजन, दांत संबंधी समस्याओं, दांत का हिलना, मसूड़ों से खून आना, चर्म रोग, एक्जिमा, किडनी संबंधी रोग, सेक्स संबंधी रोग, शीघ्रपतन, कान के रोग, थायराइड ग्रंथि के रोग व अनेक ऐसे रोग जिनसे रोगी निराश हो गया, उनके लिए गेहूं के जवारे अनमोल औषधि हैं। इसलिए कोई भी रोग हो तो वर्तमान में चल रही चिकित्सा पद्धति के साथ-साथ इसका प्रयोग कर आशातीत लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
राज की माने तो हिमोग्लोबिन रक्त में पाया जाने वाला एक प्रमुख घटक है। हिमोग्लोबिन में हेमिन नामक तत्व पाया जाता है। रासायनिक रूप से हिमोग्लोबिन व हेमिन में काफी समानता है। हिमोग्लोबिन व हेमिन में कार्बन, ऑक्सीजन, हाइड्रोजन व नाइट्रोजन के अणुओं की संख्या व उनकी आपस में संरचना भी करीब-करीब एक जैसी होती है। हिमोग्लोबिन व हेमिन की संरचना में केवल एक ही अंतर होता है कि क्लोरोफिल के परमाणु केंद्र में मैग्नेशियम, जबकि हेमिन के परमाणु केंद्र में लोहा स्थित होता है। इस प्रकार हम देखते हैं कि हिमोग्लोबिन व क्लोरोफिल में काफी समानता है और इसीलिए गेहूं के जवारों को हरा रक्त कहना भी कोई अतिशयोक्ति नहीं है।
राज की माने तो गेहूं के जवारों में रोग निरोधक व रोग निवारक शक्ति पाई जाती है। कई आहार शास्त्री इसे रक्त बनाने वाला प्राकृतिक परमाणु कहते हैं। गेहूं के जवारों की प्रकृति क्षारीय होती है, इसीलिए ये पाचन संस्थान व रक्त द्वारा आसानी से अधिशोषित हो जाते हैं। यदि कोई रोगी व्यक्ति वर्तमान में चल रही चिकित्सा के साथ-साथ गेहूं के जवारों का प्रयोग करता है तो उसे रोग से मुक्ति में मदद मिलती है और वह बरसों पुराने रोग से मुक्ति पा जाता है।
यहां एक रोग से ही मुक्ति नहीं मिलती है वरन अनेक रोगों से भी मुक्ति मिलती है, साथ ही यदि कोई स्वस्थ व्यक्ति इसका सेवन करता है तो उसकी जीवनशक्ति में अपार वृद्धि होती है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि गेहूं के जवारे से रोगी तो स्वस्थ होता ही है किंतु सामान्य स्वास्थ्य वाला व्यक्ति भी अपार शक्ति पाता है। इसका नियमित सेवन करने से शरीर में थकान तो आती ही नहीं है।
यदि किसी असाध्य रोग से पीड़ित व्यक्ति को गेहूं के जवारों का प्रयोग कराना है तो उसकी वर्तमान में चल रही चिकित्सा को बिना बंद किए भी गेहूं के जवारों का सेवन कराया जा सकता है। इस प्रकार हम देखते हैं कि कोई चिकित्सा पद्धति गेहूं के जवारों के प्रयोग में आड़े नहीं आती है, क्योंकि गेहूं के जवारे औषधि ही नहीं वरन श्रेष्ठ आहार भी है।

गेहूँ के ज्वारे उगाने की विधि::

मिट्टी के नये खप्पर, कुंडे या सकोरे लें। उनमें खाद मिली मिट्टी लें। रासायनिक खाद का उपयोग बिलकुल न करें। पहले दिन कुंडे की सारी मिट्टी ढँक जाये इतने गेहूँ बोयें। पानी डालकर कुंडों को छाया में रखें। सूर्य की धूप कुंडों को अधिक या सीधी न लग पाये इसका ध्यान रखें।
इसी प्रकार दूसरे दिन दूसरा कुंडा या मिट्टी का खप्पर बोयें और प्रतिदिन एक बढ़ाते हुए नौवें दिन नौवां कुंडा बोयें। सभी कुंडों को प्रतिदिन पानी दें। नौवें दिन पहले कुंडे में उगे गेहूँ काटकर उपयोग में लें। खाली हो चुके कुंडे में फिर से गेहूँ उगा दें। इसी प्रकार दूसरे दिन दूसरा, तीसरे दिन तीसरा करते चक्र चलाते जायें। इस प्रक्रिया में भूलकर भी प्लास्टिक के बर्तनों का उपयोग कदापि न करें।
प्रत्येक कुटुम्ब अपने लिए सदैव के उपयोगार्थ 10, 20, 30 अथवा इससे भी अधिक कुंडे रख सकता है। प्रतिदिन व्यक्ति के उपयोग अनुसार एक, दो या अधिक कुंडे में गेहूँ बोते रहें। मध्याह्न के सूर्य की सख्त धूप न लगे परन्तु प्रातः अथवा सायंकाल का मंद ताप लगे ऐसे स्थान में कुंडों को रखें।
सामान्यतया आठ-दस दिन नें गेहूँ के ज्वारे पाँच से सात इंच तक ऊँचे हो जायेंगे। ऐसे ज्वारों में अधिक से अधिक गुण होते हैं। ज्यो-ज्यों ज्वारे सात इंच से अधिक बड़े होते जायेंगे त्यों-त्यों उनके गुण कम होते जायेंगे। अतः उनका पूरा-पूरा लाभ लेने के लिए सात इंच तक बड़े होते ही उनका उपयोग कर लेना चाहिए।
ज्वारों की मिट्टी के धरातल से कैंची द्वारा काट लें अथवा उन्हें समूल खींचकर उपयोग में ले सकते हैं। खाली हो चुके कुंडे में फिर से गेहूँ बो दीजिये। इस प्रकार प्रत्येक दिन गेहूँ बोना चालू रखें।

बनाने की विधि::

जब समय अनुकूल हो तभी ज्वारे काटें। काटते ही तुरन्त धो डालें। धोते ही उन्हें कूटें। कूटते ही उन्हें कपड़े से छान लें।
इसी प्रकार उसी ज्वारे को तीन बार कूट-कूट कर रस निकालने से अधिकाधिक रस प्राप्त होगा। चटनी बनाने अथवा रस निकालने की मशीनों आदि से भी रस निकाला जा सकता है। रस को निकालने के बाद विलम्ब किये बिना तुरन्त ही उसे धीरे-धीरें पियें। किसी सशक्त अनिवार्य कारण के अतिररिक्त एक क्षण भी उसको पड़ा न रहने दें, कारण कि उसका गुण प्रतिक्षण घटने लगता है और तीन घंटे में तो उसमें से पोषक तत्व ही नष्ट हो जाता है। प्रातःकाल खाली पेट यह रस पीने से अधिक लाभ होता है।
दिन में किसी भी समय ज्वारों का रस पिया जा सकता है। परन्तु रस लेने के आधा घंटा पहले और लेने के आधे घंटे बाद तक कुछ भी खाना-पीना न चाहिए। आरंभ में कइयों को यह रस पीने के बाद उबकाई आती है, उलटी हो जाती है अथवा सर्दी हो जाती है। परंतु इससे घबराना न चाहिए। शरीर में कितने ही विष एकत्रित हो चुके हैं यह प्रतिक्रिया इसकी निशानी है। सर्दी, दस्त अथवा उलटी होने से शरीर में एकत्रित हुए वे विष निकल जायेंगे।
ज्वारों का रस निकालते समय मधु, अदरक, नागरबेल के पान (खाने के पान) भी डाले जा सकते हैं। इससे स्वाद और गुण का वर्धन होगा और उबकाई नहीं आयेगी। विशेषतया यह बात ध्यान में रख लें कि ज्वारों के रस में नमक अथवा नींबू का रस तो कदापि न डालें।
रस निकालने की सुविधा न हो तो ज्वारे चबाकर भी खाये जा सकते हैं। इससे दाँत मसूढ़े मजबूत होंगे। मुख से यदि दुर्गन्ध आती हो तो दिन में तीन बार थोड़े-थोड़े ज्वारे चबाने से दूर हो जाती है। दिन में दो या तीन बार ज्वारों का रस लीजिये।

रामबाण इलाज

अमेरिका में जीवन और मरण के बीच जूझते रोगियों को प्रतिदिन चार बड़े गिलास भरकर ज्वारों का रस दिया जाता है। जीवन की आशा ही जिन रोगियों ने छोड़ दी उन रोगियों को भी तीन दिन या उससे भी कम समय में चमत्कारिक लाभ होता देखा गया है। ज्वारे के रस से रोगी को जब इतना लाभ होता है, तब नीरोग व्यक्ति ले तो कितना अधिक लाभ होगा?

सस्ता और सर्वोत्तमः

ज्वारों का रस दूध, दही और मांस से अनेक गुना अधिक गुणकारी है। दूध और मांस में भी जो नहीं है उससे अधिक इस ज्वारे के रस में है। इसके बावजूद दूध, दही और मांस से बहुत सस्ता है। घर में उगाने पर सदैव सुलभ है। गरीब से गरीब व्यक्ति भी इस रस का उपयोग करके अपना खोया स्वास्थ्य फिर से प्राप्त कर सकता है। गरीबों के लिए यह ईश्वरीय आशीर्वाद है। नवजात शिशु से लेकर घर के छोटे-बड़े, अबालवृद्ध सभी ज्वारे के रस का सेवन कर सकते हैं। नवजात शिशु को प्रतिदिन पाँच बूँद दी जा सकती है।
ज्वारे के रस में लगभग समस्त क्षार और विटामिन उपलब्ध हैं। इसी कारण से शरीर मे जो कुछ भी अभाव हो उसकी पूर्ति ज्वारे के रस द्वारा आश्चर्यजनक रूप से हो जाती है। इसके द्वारा प्रत्येक ऋतु में नियमित रूप से प्राणवायु, खनिज, विटामिन, क्षार और शरीरविज्ञान में बताये गये कोषों को जीवित रखने से लिए आवश्यक सभी तत्त्व प्राप्त किये जा सकते हैं।
डॉक्टर की सहायता के बिना गेहूँ के ज्वारों का प्रयोग आरंभ करो और खोखले हो चुके शरीर को मात्र तीन सप्ताह में ही ताजा, स्फूर्तिशील एवं तरावटदार बना दो।
आश्रम में ज्वारों के रस के सेवन के प्रयोग किये गये हैं। कैंसर जैसे असाध्य रोग मिटे हैं। शरीर ताम्रवर्णी और पुष्ट होते पाये गये हैं।
आरोग्यता के लिए भाँति-भाँति की दवाइयों में पानी की तरह पैसे बहाना करें। इस सस्ते, सुलभ तथापि अति मूल्यवान प्राकृतिक अमृत का सेवन करें और अपने तथा कुटुंब के स्वास्थ्य को बनाये रखकर सुखी रहें।

सावधानी ::

गेहूँ के जवारों का रस निकालने के पश्चात अधिक समय तक नहीं रखना चाहिए अन्यथा उसके पोषक तत्व समय बीतने के साथ-साथ नष्ट हो जाते हैं, क्योंकि गेहूँ के जवारों में पोषक तत्व सुरक्षित रहने का समय मात्र ३ घंटे है। गेहूँ के जवारों को जितना ताजा प्रयोग किया जाता है , उतना ही अधिक उसका स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है। इसका सेवन प्रारंभ करते समय कुछ लोगों को दस्त, उल्टी, जी घबराना व अन्य लक्षण प्रकट हो सकते हैं, किंतु उन लक्षणों से घबराने की आवश्यकता नहीं है, आवश्यकता है केवल इसकी मात्रा को कम या कुछ समय के लिए इसका सेवन बंद कर सकते हैं।

हमारी सेहत के लिए प्रकृति की अनेक चीजें अनमोल हैं। उन्हीं में से एक है ह्वीट जूस यानी गेहूं के ज्वारे का रस। विशेषज्ञों के अनुसार इसमें मौजूद क्लोरोफिल, एमिनो एसिड, मिनरल और विटामिन हमें कई घातक बीमारियों से बचाते हैं। वहीं यह कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी से लड़ने में भी मददगार है। हाल ही में हुए एक शोध में यह बात सिद्ध हो गई है कि ट्यूमर के इलाज में भी यह घास कारगर है। इस घास को उगाना भी बेहद आसान है। आप इसे अपने घर के किसी भी गमले में बो दीजिए और हफ्ते भर में इसके जूस का सेवन करना शुरू कर दीजिए। इसके जूस को कच्चा या दूसरे जूस के साथ मिला कर पिया जा सकता है।

लाल रक्त कणिकाओं को बढ़ाए

यह न सिर्फ लाल रक्त कोशिकाओं को बढ़ाता है, बल्कि रक्तचाप को भी नियंत्रित करता है। साथ ही यह शरीर के मेटाबॉलिज्म को सही रखता है। खून साफ रखने और गैस की समस्या दूर करने के साथ शरीर के दूसरे अंगों को भी साफ करता है। यह थाइरॉएड, ग्लैंड, मोटापे और अपच जैसी समस्याओं से भी छुटकारा दिलाता है। गेहूं के ज्वार का जूस खून में एसिड की मात्रा को भी नियंत्रित रखता है। साथ ही अंदरूनी समस्याओं जैसे पेप्टिक अल्सर, कब्ज, डायरिया और आंत संबंधी समस्याओं से भी यह निजात दिलाता है।

रक्त को करता है शुद्ध

यह एक बेहतर डिटॉक्सिफायर है, जो रक्त को शुद्ध रखता है। इसमें मौजूद एंजाइम और एमीनो-एसिड कैंसर जैसी बीमारी से हमें सुरक्षा प्रदान करते हैं, जो दूसरे खाद्य पदार्थ व दवाएं नहीं कर पाते। हाल ही में एक शोध में यह बात सामने आई है कि यह जूस ट्यूमर से लड़ने में मदद करता है, वह भी बिना किसी दुष्प्रभाव के। इसमें मौजूद कई एंजाइम्स हमारे शरीर को हील-अप करने में मदद करते हैं।

कैसे करें इसका इस्तेमाल

इसका प्रयोग कच्चे जूस के रूप में करना चाहिए। इसे पकाने के बाद इसके लगभग सौ फीसदी एंजाइम खत्म हो जाते हैं। इसमें मौजूद क्लोरोफिल हमारे शरीर में खून की मात्रा बढ़ा कर शरीर की कोशिकाओं को बेहतर ऑक्सीजन सप्लाई करता है। त्वचा पर लगाने से खुजली जैसी समस्या से छुटकारा मिलता है।

खूबसूरती निखारने में भी सहायक

अगर आप सनबर्न से परेशान हैं तो इसका नियमित सेवन करें। कुछ ही दिनों में फर्क महसूस करने लगेंगे। बालों के झड़ने व सिर की त्वचा में खुजली जैसी समस्याओं से भी दूर रखने में यह मदद करता है। यह बालों को प्राकृतिक रंग प्रदान करता है। यह एजिंग प्रक्रिया को कम कर सुंदर दिखने में मदद करता है। गेहूं के ज्वारे का जूस त्वचा को कसा हुआ और चमकदार बनाता है।

पाएं अनिद्रा की परेशानी से निजात

अनिद्रा से परेशान हैं तो इस जूस को एक ट्रे में अपने सिरहाने रख कर सो जाएं। यह हवा को शुद्ध करता है, जिससे आपको अच्छी नींद आती है। हर रोज इसका सेवन शरीर के ऊर्जा स्तर को भी बढमता है। इससे तनाव भी दूर होता है।

नहीं बनने देती कैंसर की कोशिकाएं

शरीर में मौजूद ऑक्सीजन का 25 फीसदी हिस्सा मस्तिष्क इस्तेमाल करता है, इसलिए ऑक्सीजन को शरीर का मुख्य अंग माना जाता है। ऑक्सीजन की सही मात्रा के कारण शरीर में कैंसर की कोशिकाएं भी नहीं बनतीं। इस जूस में ऑक्सीजन की भरपूर मात्रा होती है, इसलिए यह शरीर और दिमाग दोनों के लिए फायदेमंद है।

नेचुरल एनर्जी बूस्टर

Rajesh Mishra (Rajasthan Tour)

यह हार्ट अटैक, रेडिएशन इफेक्ट से भी सुरक्षा देता है। यह जूस आपको हेल्दी रखने के साथ कई रोगों से छुटकारा दिलाता है। कह सकते हैं कि यह जूस भागदौड़ की इस जिंदगी में नेचुरल एनर्जी बूस्टर है।

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