दादी-नानी और पिता-दादाजी के बातों का अनुसरण, संयम बरतते हुए समय के घेरे में रहकर जरा सा सावधानी बरतें तो कभी आपके घर में डॉ. नहीं आएगा. यहाँ पर दिए गए सभी नुस्खे और घरेलु उपचार कारगर और सिद्ध हैं... इसे अपनाकर अपने परिवार को निरोगी और सुखी बनायें.. रसोई घर के सब्जियों और फलों से उपचार एवं निखार पा सकते हैं. उसी की यहाँ जानकारी दी गई है. इस साइट में दिए गए कोई भी आलेख व्यावसायिक उद्देश्य से नहीं है. किसी भी दवा और नुस्खे को आजमाने से पहले एक बार नजदीकी डॉक्टर से परामर्श जरूर ले लें.
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नोट : यहाँ पर प्रस्तुत आलेखों में स्वास्थ्य सम्बन्धी जानकारी को संकलित करके पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करने का छोटा सा प्रयास किया गया है। पाठकों से अनुरोध है कि इनमें बताई गयी दवाओं/तरीकों का प्रयोग करने से पूर्व किसी योग्य चिकित्सक से सलाह लेना उचित होगा।-राजेश मिश्रा

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शनिवार, मार्च 21, 2015

सूखी खांसी दूर करने के कुछ घरेलू नुस्खे

घरेलु नुस्खे जो दिलाएंगे खांसी से राहत

बदलते मौसम, ठंडा गर्म खाना पीना या एलर्जी आदि के कारण हमें कभी भी खांसी हो सकती है। खाँसीसे बचाव, इसका उपचार अब हम बहुत ही आसानी से घर पर ही कर सकते है|
कहावत रही है कि आती सर्दी गला पकड़ती हैं और जाती सर्दी टांग मारती हैं अर्थात् इस ऋतु के प्रारम्भ और अंत में कई बीमारियां जन्म लेती है इस ऋतु में अधिकतर सर्दी, जुकाम, खांसी, ज्वर, मलेरिया जैसी घातक बीमारियां हो जाता हैं। मौसम बदलने के साथ खांसी जुकाम प्रायः हो जाते हैं। खांसी यदि लम्बे समय तक रहे तो नुकसानदायक हैं। अतः खांसी शुरू होते ही उसे दूर करने के उपाय किये जाने चाहिए। आयुर्वेद के ग्रंथ ‘सुश्रुत संहिता में लिखा है- मुख, कान और गले में धुएं एवं उड़ने वाली धूल के पहुंचने, अधिक व्यायाम करके रूखा आहार ग्रहण करने, आधारणी वेग जैसे छींक के वेग को रोकने और भोजन का जरा सा अंश भी श्वसन नलिका यानी विपरीत मार्ग में चले जाने से खांसी की उत्पति होती है। सामान्य तौर पर खांसी फेफड़ों से अधिक सर्दी या गर्मी का असर होते नजला जुकाम हो जाने, निमोनिया, प्लूरिसी, ब्रोंकाइटिस, तपेदिक फ्लू, टौंसिल्स बढ़ जाने, उस पर सूजन आ जाने, गले ं खराश हो जाने, श्वास नली में धूल, धुआं, आहार या दूध, जल जैसे पेय पदार्थ चले जाने, खट्टी वस्तुओं के अधिक सेवन से, फेफड़ों से किसी प्रकार काजख्म होने से और कफ होने से हुआ करती हैं। ठण्डा और कोहरे वाला मौसम भी खांसी को उत्पन्न करने में सहायक होता है। गंदी जगह रहने वाले, अस्वास्थ्यकर वातावरण, भीड़भाड़ वाले इलाके, झोपड़पट्टी तथा औद्योगिक क्षेत्र या अन्य प्रदूषण वाले क्षेत्रों में रहने वाले लोगों व बच्चों को यह समस्या अधिक रहती हैं। अतः ऐसे क्षेत्र में रहने वालों को विशेष सावधानी रखना चाहिए। मौसम के उतार-चढ़ाव व सर्दी के मौसम में शुरू से ही बचाव की कोशिश करनी चाहिए। सर्दी के मौसम में गर्म कपड़े पहनने चाहिए तथा किसी प्रकार का संक्रमण होने पर तत्काल ही चिकित्सा करवानी चाहिए। सर्दी का प्रभाव बच्चों व बूढ़ों पर अधिक होता है। अतः उनकी विशेष देखभाल करना चाहिए। खांसी होने पर कुछ घरेलू नुस्खे अपनाये जा सकते हैं।
‘सेंधा नमक मिलाये के, काढ़ा लेय बनाये।
जब चौथाई जल रहें, गर्म गर्म पी जाये,
यही विधि कुछ दिन पीये, सुखी खांसी जाये॥
काली मिर्च महीन पिसावे, आक पुष्प और शहद मिलावे।
चटनी भोजन पूर्व ही खाये, सूखी खांसी, झट मिट पाये॥
* खांसी होने पर अनार के छिलके का टुकड़ा मुंह में रखकर चूसे। इसके अलावा अनार के छिलकों को सूखाकर चूर्ण बनाकर सेवन करें।
* भोजन के बाद दोनों समय आधा चम्मच सौंठ चबाने से सुखी खांसी में आराम मिलता है।
* भुनी हुई फिटकरी और चीनी (एक रत्ती) दोनों को मिलाकर दिन में दो बार सेवन करें। 4/5 दिन में काली खांसी ठीक हो जायेगी।
* दही दो चम्मच, चीनी एक चम्मच, काली मिर्च का चूर्ण 6 ग्राम मिलाकर चाटने से बच्चों की काली खांसी और बूढ़ों की सूखी खांसी ठीक हो जाती है।
* आधा चम्मच अदरक का रस और आधा चम्मच शहद चाटने से खांसी में आराम मिलता है।
* काली मिर्च पीसकर उसमें चार गुना गुड़ मिलाकर आधा ग्राम की गोलियां बना ले इससे खांसी जुकाम व सर्दी के रोगों में लाभ होता है।
* खांसी होने पर लौंग बराबर चूसते रहे। सिके हुए लौंग अधिक लाभदायक रहते हैं। इसके अलावा काली मिर्च मुंह में रखकर चूसे।
* सूखे आंवले का चूर्ण मिश्री के साथ लें। हल्दी भूनकर घी या शहद के साथ मिलाकर लें।
* मूलेठी का एक छोटा टुकड़ा, 2 कालीमिर्च व मिश्री का एक छोटा टुकड़ा लेकर इन तीनों को मुंह में लेकर धीरे-धीरे 2-3 बार खाली पेट या खाने के बाद चूसे। इससे पुरानी खांसी, गले की खराश, गला बैठना, स्वर भंग में तत्काल एवं स्थायी लाभ होता है। मूलेठी के टुकड़े मुंह में डालकर चूसते रहे। छोटे बच्चों को मुलेठी का सत दे। रात में सोते समय पान में मुलेठी का चूर्ण डालकर खाये। खांसी से छुटकारा मिल जायेगा।
* तुलसी के पत्ते, कालीमिर्च, अदरक युक्त चाय पीने से खांसी में शीघ्र आराम मिल जाता है।
* यदि बच्चा सूखी खांसी से पीड़ित है तो पान के रस में शहद का मिश्रण करके चटाइये शीघ्र लाभ होगा।
* सूखी खांसी तथा कूकर खांसी से परेशान होने पर पान के उष्ण रस से लाभ होता है ऐसा दिन में 3/4 बार करें।
* एक गिलास दूध में एक चम्मच पिसी हल्दी डालकर आग पर रखकर खूब उबाले जब दूध आधा शेष रह जाये तो उतार कर ठण्डा कर ले इसे रात को सोते समय पीने से खांसी, सर्दी व गले की खराश मिट जाती है।
* लौंग या बहेड़ा अथवा दोनों को धीमे तल कर रखले इनका 1-1 टुकड़ा मुंह में रखकर चूसने से खांसी में आराम मिलता है।
* अडूसा के पत्ती का रस एक चम्मच आधा चम्मच शुध्द घी व आधा चम्मच पिसी मिश्री मिला तीनों को मिलाकर दिन में 4/5 बार चाटने से खांसी में आराम मिलता है।
* सेव फलों का रस निकालकर थोड़ी मिश्री मिलाकर पीने से सूखी खांसी ठीक हो जाती है।
* अंजीर के साथ पुदीना खाने से कफयुक्त खांसी में लाभ होता है।
* पुरानी खांसी में ताजा मुनक्के के दानों को रात के समय साफ पानी में भिगो दे प्रातःकाल 10 दाने कुछ दिनों तक लगातार नियमित खायें। मुनक्का के बीज निकालकर उसमें 3/4 काली मिर्च रखकर चबाये। 4/5 दिन में आराम हो जायेगा।
* बलगम खांसी में दो चम्मच शरद, आधा चम्मच ग्लिसरीन में गर्म करके नींबू का रस मिलाकर सेवन करें।
* अधिक तथा बार-2 खांसी चलने पर हल्दी की गांठ चूसने से आराम मिलता है।
* सुखी खांसी होने पर एक ग्राम अजवाइन एक सादे पान के पत्ते पर रखकर चबाये अदरक के छोटे-छोटे मुंह में रखकर चूसे।

सावधानियां

जाड़े के दिनों में विशेष सावधानी रखना चाहिए। ठण्डी हवा न लगे इसके लिए सिर व कान ढक कर रखें। यात्रा के दौरान ओढ़ने बिछाने का पूरा सामान रखें। प्रातः एवं सायंकाल दुपहिया वाहन की यात्रा टाले तथा यात्रा के दौरान मफलर व अन्य व्यवस्था रखें। खान-पान में तेल, घी व चिकनाई युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन सीमित यात्रा में करें। मौसमी फलो अमरूद, बेर, सेवफल, अनार आदि खाने का बाद पानी न पीयें। प्रतिदिन रात्रि को दूध में पिण्ड खजूर दूध में उबालकर पीये। यदा-कदा दूध में केसर डालकर पीये। सर्दी खांसी का प्रकोप अधिक होने पर विक्स का मालिश करें, गले व छाती पर विक्स की मालिश करें। यदा-कदा प्लास्टिक की बोतल में गर्म पानी डालकर सिकाई करें। पीने का पानी कुनकुना कर पीये। नमक युक्त पानी से गरारे करें। फ्रिज में रखे पदार्थों का सेवन नहीं करें। खांसी होने पर दही, छाछ, रायता, लस्सी व ठंडे पेय पदार्थों का सेवन नहीं करें। सास, चटनी, अचार तीखे मसालों का उपयोग कम करें।



समान्यतय कहा जाता हे की आप यह खाएँ यह न खाएँ, इस प्रकार से रहें या न रहें तो इसमें विचारणीय बात यह हे की इन उपरोक्त बताई गई बातों में लगभग हर रोग और उसके ठीक करने का राज छुपा हुआ हे, उन्हें समझना होगा।
सुखी खांसी को मिटाने सोंठ+ मुन्नक्का +मिश्री + कालानमक +शहद- को गाय के घी या अच्छे मलाई वाले गाय के दूध के साथ देने से कफ निकलेगा और आराम होगा।
उपरोक्त चीजें पीपल+ कालीमिर्च और मिलकर केवल शहद के साथ चटाने से कफ वाली खांसी (जिसमें अधिक बलगम आती हो)ठीक होती हे ।
सूखी खांसी में खट्टी चीजें,अधिक भोजन और हींग हानिकारक होती हे।
सूखी खांसी होने पर अदरक का प्रयोग नहीं करें ।
हल्दी का प्रयोग हमारे घरों में खांसी के लिए अक्सर किया जाता हे पर यह जान लें की हल्दी कफ को सुखाती हे , इसलिए सूखी खांसी में देने पर तकलीफ और बढ जाएगी।
खांसी के विषय में एक बात समझने की और भी हे की यह आती क्यों हे?
खांसी आने में श्वास सस्थान अर्थात साँस लेने में प्रयुक्त होने वाले शरीर के अवयव आते हें। इनमें गला,फेफड़े प्रमुख हें। जब भी प्रकार की विजातीय वस्तु इन स्थानों पर आ जाती हे जेसे खाई गई कोई बस्तु,श्वास से अन्दर आई कोई वस्तु,जीवाणु,विषाणु,आदि आदि,तब हमारे शरीर की प्रणाली उसे बाहर फेक देना चाहती हे तब ही खांसी,छींक, अदि आती हे। यह प्रयत्न तब तक चलता हे जब तक वह विजातीय पदार्थ बाहर नहीं कर दिया जाता ,यदि गले में चिकनाहट हे तब उसके साथ थोडा थोडा लगातार फेका जाता रहता हे परचिकनाहट नहीं हे तो इस प्रयत्न में सूखी खाँसी आती रहती हे। यदि ऐसी चीज जो और अधिक खुश्की करे तो खांसी का दोरा शांत नहीं हो पता। इस हेतु सहायक के रूप में चिकनाहट ओषधि के साथ देने पर लाभ होता हे। यही इसको ठीक करने का सिधांत हे।
आयुर्वेद में घरेलु उपायों के अतिरिक्त कई ओषधियाँ उपलब्ध हें इनका समुचित अनुपान( ओषधि के साथ ली जाने वाली सहायक द्रव्य जेसे शहद,पानी,दूध,घी, छाछ, दही, आदि-आदि) के साथ सेवन रोग मिटाता हे। इसी कारण आयुर्वेदिक चिकित्सा में अनुपान को भी बहुत महत्वपूर्ण माना जाता हे। विना उपयुक्त अनुपान के ली गई ओषधि व्यर्थ या हानि करने वाली भी सिद्ध हो जाती हे। कुछ सामान्य सी ओषधियाँ बना कर प्रयोग की जा सकती हें

कंटकारी- Solanum Xanthocarpum
कंटकारी भस्म- बरसात के बाद अपने आप भारत के अधिकांश भागो में उत्पन्न होने वाली यह वनस्पति जिसमें जामुनी रंग के फुल लगते हे सारे पोधे पर कांटे और कांटे युक्त्त पत्तियां होती हे( देखे चित्र ) इसको जड़ सहित उखाड़कर धोकर मिटटी साफ करलें सुखाकर लोहे के तवे पर ढक कर जला लें यह कंटकारी भस्म होगी सुखी खांसी में शहद और गोघृत के साथ कफ युक्त खांसी में शहद और छोटी पीपल एक साथ, कहते से रोग मुक्त हो जाता हे यह बड़ी निरापद ओषधि हे जो शिशुओं से लेकर वृधो तक चमत्कारी असर दिखाती हे। किसी भी स्थिति में कोई भी हानी नहीं करती। कंटकार्यवलेह (या कंटकारी अवलेह ) के नाम से कई अन्य ओषधियो के साथ बनी का उपयोग विना भय के किया जा सकता हे। इसे पानी मिलाकर सिरप की तरह पिया जा सकता हे।

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