मधुमेह : कुछ देसी नुस्खे और योग
आजकल मधुमेह की बीमारी आम बीमारी है। डायबिटीज अब उम्र, देश व परिस्थिति की सीमाओं को लाँघ चुका है। इसके मरीजों का तेजी से बढ़ता आँकड़ा दुनियाभर में चिंता का विषय बन चुका है। मधुमेह रोगियों के लिए कुछ देसी नुस्खे पेश किए जा रहे हैं। इनमें से किसी को भी आजमाने से पूर्व अपने चिकित्सक से राय अवश्य ले लें। डायबिटीज भारत मे 5 करोड़ 70 लाख लोगोंकों है और 3 करोड़ लोगों को हो जाएगी अगले कुछ सालों मे सरकार ये कह रही है । हर दो मिनट मे एक मौत हो रही है डायबिटीज से जुड़े लोगों की। आप गौर फरमाएं राजेश मिश्रा की बातों पर… इससे परेशान लोग बहुत तकलीफों का सामना कर रहे हैं ... किसी की किडनी ख़राब हो रही है, किसीका लीवर ख़राब हो रहा है किसीको ब्रेन हेमारेज हो रहा है, किसीको पैरालाईसीस हो रहा है, किसी को ब्रेन स्ट्रोक आ रहा है, किसी को कार्डियक अरेस्ट हो रहा है, किसी को हार्ट अटैक आ रहा है। Complications बहुत ही खतरनाक है ।
नपुंशक बना देता है मधुमेह : राज
मधुमेह या डायबिटीज का एक प्रभाव ऐसा भी है जिस पर अमूमन खुलकर चर्चा कम ही होती है। मधुमेह पर होने वाली कई गोष्ठियों में भी विशेषग्य अक्सर इस विषय (सेक्स प्रभाव ) को छोड़ देते हैं। सच यह है कि असुविधाजनक चर्चा मानकर छोड़ दिए जाने से इस गंभीर नुक्सान के प्रति जागरूकता लाने का एक महत्वपूर्ण पहलू छूट जाता है। विशेषग्यों का मानना है कि मधुमेहग्रस्त स्त्रियों और पुरुषों में सेक्स संबंधी ऐसी शिथिलता आ जाती है जिसके कारण इच्छा होते हुए भी ऐसे मरीज सेक्स के प्रति अक्षम हो जाते हैं। अंग शिथिल पड़ जाते हैं । महिलाओं में योनि की तंत्रिकाओं व उसकी कोशिकाओं को इतना नुकसान पहुंचता है जिससे संसर्ग के वक्त होने वाला द्रव्य प्रवाह रुक जाता है। योनि मार्ग सूख जाता है जिससे संसर्ग काफी तकलीफदेह हो जाता है। नतीजे में मधुमेह के मरीजों में कामेच्छा ही मर जाती है। एक अध्ययन के मुताबिक लगभग ४० प्रतिशत मधुमेह पीड़ित महिलाओं में या कामेच्छा ही मर जाती है या सेक्स के प्रति उनकी रुचि ही खत्म हो जाती है। कोई कामोत्तेजना न होने या सेक्स की अक्षमता के कारण यौनांगों में कोई कामोत्मुक प्रतिक्रिया नहीं होती। कहने का अर्थ यह है कि ऐसा महिला मरीजों का पूरा सेक्स जीवन ही नष्ट हो जाता है।
इसी तरह पुरुषों में भी मधुमेह के कारण तंत्रिकाएं और रक्तवाहिनियां प्रभावित होती हैं। इस कारण वह नपुंशकता का शिकार हो जाता है। मधुमेह पुरुषों के शिश्न समेत पूरे शरीर के तंत्रिका तंत्र को नष्ट कर देता है। एक बार जब तंत्रिकाएं नष्ट हो जाती हैं तो वह बिल्कुल क्रियाशील नहीं रह जाती हैं। संपर्क या संसर्ग के वक्त इसी कारण पुरुषों को कोई उत्तेजना नहीं होती। सामान्य अर्थों में इसे यह कहा जा सकता है कि मन में उठी कामोत्तेजना शिश्न (लिंग) तक नहीं पहुंच पाती। मन उत्तेजित हो जाता है मगर यौनांग बेजान पड़े रहते हैं क्यों कि उन तक कामोत्तेजना को पहुंचाने वाली तंत्रिकाओं की क्रियाशीलता मधुमेह के कारण नष्ट हो चुकी रहती है। नपुंशकता की इस अवस्था में लगभग असहाय हो जाता है मधुमेह का मरीज। क्यों कि लिंग में वह तनाव या कड़ापन नही आ पाता जो सेक्स क्रिया को पूरा करने के लिए जरूरी होता है। यानी दो मुख्य घटनाएं होती हैं। पहला यह कि संवेदनाओं या कामेच्छा की सूचना यौनांगों तक नहीं पहुंच पाती और दूसरा यह कि रक्त कोशिकाओं में दोष के कारण लिंग में तनाव नहीं आता। स्त्रियों और पुरुषों में सेक्स की यह अधोगति तब आती है जब वे मधुमेह को नियंत्रित नहीं रख पाते। अगर मधुमेह पर कारगर नियंत्रण हो तो सेक्स संबंधी इन विकारों से बचा जा सकता है।
जब किसी व्यक्ति को मधुमेह की बीमारी होती है। इसका मतलब है वह व्यक्ति दिन भर में जितनी भी मीठी चीजें खाता है (चीनी, मिठाई, शक्कर, गुड़ आदि) वह ठीक प्रकार से नहीं पचती अर्थात उस व्यक्ति का अग्नाशय उचित मात्रा में उन चीजों से इन्सुलिन नहीं बना पाता इसलिये वह चीनी तत्व मूत्र के साथ सीधा निकलता है। इसे पेशाब में शुगर आना भी कहते हैं। जिन लोगों को अधिक चिंता, मोह, लालच, तनाव रहते हैं, उन लोगों को मधुमेह की बीमारी अधिक होती है। मधुमेह रोग में शुरू में तो भूख बहुत लगती है। लेकिन धीरे-धीरे भूख कम हो जाती है। शरीर सुखने लगता है, कब्ज की शिकायत रहने लगती है। अधिक पेशाब आना और पेशाब में चीनी आना शुरू हो जाती है और रेागी का वजन कम होता जाता है। शरीर में कहीं भी जख्म/घाव होने पर वह जल्दी नहीं भरता।
तो ऐसी स्थिति मे हम क्या करें ?
एक छोटी सी सलाह है के आप इन्सुलिन पर जादा निर्भर न करे क्योंकि यह इन्सुलिन डाईबेटिस से भी जादा खतरनाक है, साइड इफेक्ट्स बहुत है ।
सामग्री:: 100 ग्राम मेथी दाना, 100 ग्राम तेज पत्र, 150 ग्राम जामुन की गुठली और 250 ग्राम बेल पत्र।
बनाने की विधि :: इन सब को अलग अलग धूप में सुखाकर इन्हे पत्थर पर पीस ले और बाद में सबको मिलाले इसका एक चम्म्च सुबह नाश्ता करने से पहले 1 गिलास गर्म पानी से ले ले और एक चम्म्च रात को खाना खाने से एक घण्टे पहले, इस दवा को 3 महिने लगातार लेने से मधुमेह (डायबिटीज) खत्म हो जाती है, इसके साथ रोजाना योग-प्राणायाम जरूर करें ।
परहेज और सावधानियां : राज
ज्यादा फ़ाईबर और कम फ़ैट वाली चीजे खाए जैसे सब्जीया खाए, दाल छिलके वाली ही खाएं। चीनी न खाए, देसी गुड खा सकते है (बिना कैमीकल वाला) फ़ल आदि जिसमें प्राक्रतिक शक्कर होती है वो सभी खा सकते हैं।
नींबू से प्यास बुझाइए : राज
मधुमेह के मरीज को प्यास अधिक लगती है। अतः बार-बार प्यास लगने की अवस्था में नीबू निचोड़कर पीने से प्यास की अधिकता शांत होती है।
खीरा खाकर भूख मिटाइए : राज
मरीजों को भूख से थोड़ा कम तथा हल्का भोजन लेने की सलाह दी जाती है। ऐसे में बार-बार भूख महसूस होती है। इस स्थिति में खीरा खाकर भूख मिटाना चाहिए।
गाजर-पालक को औषधि बनाइए
इन रोगियों को गाजर-पालक का रस मिलाकर पीना चाहिए। इससे आँखों की कमजोरी दूर होती है।
रामबाण औषधि है शलजम : राज
मधुमेह के रोगी को तरोई, लौकी, परवल, पालक, पपीता आदि का प्रयोग ज्यादा करना चाहिए। शलजम के प्रयोग से भी रक्त में स्थित शर्करा की मात्रा कम होने लगती है। अतः शलजम की सब्जी, पराठे, सलाद आदि चीजें स्वाद बदल-बदलकर ले सकते हैं।
जामुन खूब खाइए : राज
मधुमेह के उपचार में जामुन एक पारंपरिक औषधि है। जामुन को मधुमेह के रोगी का ही फल कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी, क्योंकि इसकी गुठली, छाल, रस और गूदा सभी मधुमेह में बेहद फायदेमंद हैं। मौसम के अनुरूप जामुन का सेवन औषधि के रूप में खूब करना चाहिए। जामुन की गुठली संभालकर एकत्रित कर लें। इसके बीजों जाम्बोलिन नामक तत्व पाया जाता है, जो स्टार्च को शर्करा में बदलने से रोकता है। गुठली का बारीक चूर्ण बनाकर रख लेना चाहिए। दिन में दो-तीन बार, तीन ग्राम की मात्रा में पानी के साथ सेवन करने से मूत्र में शुगर की मात्रा कम होती है।
करेले का इस्तेमाल करें : राज
प्राचीन काल से करेले को मधुमेह की औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है। इसका कड़वा रस शुगर की मात्रा कम करता है। मधुमेह के रोगी को इसका रस रोज पीना चाहिए। इससे आश्चर्यजनक लाभ मिलता है। अभी-अभी नए शोधों के अनुसार उबले करेले का पानी, मधुमेह को शीघ्र स्थाई रूप से समाप्त करने की क्षमता रखता है।
मैथी का प्रयोग कीजिए : राज
मधुमेह के उपचार के लिए मैथी दाने के प्रयोग का भी बहुत चर्चा है। दवा कंपनियाँ मैथी के पावडर को बाजार तक ले आई हैं। इससे पुराना मधुमेह भी ठीक हो जाता है। मैथीदानों का चूर्ण बनाकर रख लीजिए। नित्य प्रातः खाली पेट दो टी-स्पून चूर्ण पानी के साथ निगल लीजिए। कुछ दिनों में आप इसकी अद्भुत क्षमता देखकर चकित रह जाएँगे।
चमत्कार दिखाते हैं गेहूँ के जवारे
गेहूँ के पौधों में रोगनाशक गुण विद्यमान हैं। गेहूँ के छोटे-छोटे पौधों का रस असाध्य बीमारियों को भी जड़ से मिटा डालता है। इसका रस मनुष्य के रक्त से चालीस फीसदी मेल खाता है। इसे ग्रीन ब्लड के नाम से पुकारा जाता है। जवारे का ताजा रस निकालकर आधा कप रोगी को तत्काल पिला दीजिए। रोज सुबह-शाम इसका सेवन आधा कप की मात्रा में करें।
अन्य उपचार : राज
नियमित रूप से दो चम्मच नीम का रस, केले के पत्ते का रस चार चम्मच सुबह-शाम लेना चाहिए। आँवले का रस चार चम्मच, गुडमार की पत्ती का काढ़ा सुबह-शाम लेना भी मधुमेह नियंत्रण के लिए रामबाण है।
मोटा खाएं मस्त रहें : राज
मोटे अनाज न सिर्फ स्वास्थ्य के लिए बेहतर हैं बल्कि इनके इस्तेमाल से दिल की बीमारी कैल्शियम की कमी और कई तरह की बीमारियां आप के पास भी नहीं फटक पातीं। देहाती भोजन समझ कर जिन मोटे अनाजों को रसोई से कभी का बाहर किया जा चुका है, अब वैज्ञानिक शोध से बार-बार उनकी पौष्टिकता सिद्घ हो रही है। भारतीय खाद्य एवं चारा विभाग की फसल विज्ञानी डा. उमा रघुनाथन के मुताबिक धान और गेहूं की अपेक्षा छोटे खाद्यान्न जैसे मड़ुआ, कोदो, सावां तथा कुटकी आदि की पौष्टिकता अधिक है।
परंपरागत तौर से रसोई घर से बाहर की कर दिए गए मोटे अनाज दिल की बीमारी, मधुमेह तथा डियोडिनम अल्सर से लड़ने में सहायक है। यही नहीं, सामान्य गेंहूं में जहां साल 2 साल में घुन लग जाता है वहीं मड़ुआ का दाना 2 दशक तक ज्यों का त्यों बना रहता है।
शुगर फ्री से घुल न जाए कडुवाहट : राज
चॉकलेट, मिठाई, आईसक्रीम व सॉफ्ट ड्रिंक जैसी चीजों पर 'शुगर फ्री' लिखा देखकर गुमराह न हों, क्योंकि इनका लगातार इस्तेमाल न सिर्फ मधुमेह के स्तर व मोटापे की समस्या को बढ़ा सकता है, बल्कि सिरदर्द, पेट दर्द, अनिद्रा व चिड़चिड़ापन जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि शुगर फ्री के नाम पर धड़ल्ले से परोसी जा रही इन चीजों में सिर्फ चीनी के इस्तेमाल से परहेज किया जाता है, दूध, खोया, घी जैसे फैट व कैलोरी के अन्य कंटेंट वही होते हैं, जो आम उत्पादों में इस्तेमाल किए जाते हैं। ऐसे में 'शुगर फ्री है, तो नुकसान नहीं करेगा' इस भ्रम में मधुमेह ग्रस्त लोग इन चीजों का मुक्त रूप से इस्तेमाल करना शुरू कर देते हैं, जो कि काफी घातक साबित होता है। उल्लेखनीय है कि चॉकलेट, आईसक्रीम, मिठाई, कोल्ड ड्रिंक जैसी जिन चीजों से मधुमेह रोगियों को परहेज करने के लिए कहा जाता है, कंपनियां उनके शुगर फ्री उत्पाद बाजार में लेकर आ जाते हैं, जिनका दावा होता है कि इनके इस्तेमाल से मधुमेह रोगियों को कोई समस्या नहीं होगी। आजकल शादी-विवाह व जन्मदिन आदि की पार्टियों में भी शुगर फ्री उत्पादों को परोसना फैशन ट्रेंड बन गया है और मधुमेह पीड़ित लोग भी बेफिक्र होकर इनका इस्तेमाल करते हैं। दिल्ली डायबिटिक रिसर्च सेंटर की ओर से किए गए अध्ययन में पाया गया कि शुगर फ्री उत्पादों का इस्तेमाल करने वाले लोगों के मुंह का स्वाद खराब रहने, माइग्रेन, पेट संबंधी दिक्कतें, चिड़चिड़ापन व इनसोमनिया जैसी समस्याएं आम होती हैं।
कपाल भाति से दूर होते हैं संपूर्ण रोग : राज
यदि प्रत्येक व्यक्ति कपाल भाति प्राणायाम करता रहे तो वह संपूर्ण रोगों से मुक्ति पा सकता है। कपाल भाति प्राणायाम के निरंतर अभ्यास करने से मस्तिष्क व मुख मंडल पर तेज, आभा व सौंदर्य बढ़ता है साथ ही हृदय, फेफड़ों एवं मस्तिष्क के सभी रोग दूर होते है। मोटापा, मधुमेह, गैस, कब्ज, अम्लियत आदि के विकार दूर होते है यदि मनुष्य कपाल भाति प्राणायाम करता रहे तो शरीर निरोग रहता है। भ्रामरी प्राणायाम अनेक रोगों को दूर करता है। यह प्राणायाम आंख, कान, बालों के लिए काफी लाभदायक है इसके अलावा इससे मिरगी के चक्कर आना, हाथ, पैरों के सुनापन आदि बीमारियों में यह योग महत्वपूर्ण है। यह प्राणायाम बुद्धि वर्धक भी है। रोजाना इसे 3-4 मिनट तक करने से बुद्धि का विकास होगा व स्मरण शक्ति भी बढ़ेगी।
प्राणायाम और आसन
योग गुरु स्वामी रामदेव साधकों को प्राणायाम और आसन कराने के साथ ही इनकी खासियत भी बताते है। जीवन के रूपांतरण की सप्त प्रणायाम की क्रियाओं के सम्पूर्ण आरोग्य देने का जिक्र करते हुए स्वामी रामदेव ने भस्त्रिका प्राणायाम के बारे में बताया है कि लम्बा गहरा श्वास फेफड़ों में ढाई सेकेंड में भरो और ढाई सेकेंड में ही छोड़ो। सामान्य तरह से अधिकतम पांच मिनट और कैंसर या किसी अन्य समस्या से ग्रस्त व्यक्ति को इसे 10 मिनट तक करना चाहिए। यानी सामान्यत: 50 से 60 बार और जटिलता में सौ बार यह प्रक्रिया दोहरानी है। कपाल भांति एक सेकेंड में एक बार करना चहिये। औसतन इससे एक झटके में एक ग्राम वजन कम होता है। कैंसर ल्यूकोडर्मा में कपालभांति 15 की जगह 30 मिनट तक बढ़ाया जा सकता है। भस्त्रिका अगर अर्जन है तो कपालभांति विसर्जन। यह क्रिया 15 मिनट में नौ सौ होनी चाहिए। असाध्य रोगों में 18 सौ से दो हजार बार दोहराई जानी चाहिए। गत दिनों मैं जगकल्याण स्नेह मिलन कार्यक्रम के दौरान उनके हरिद्वार स्थित विशालकाय सभी सुखों से समृद्ध आश्रम में भी गया था जहाँ उन्होंने गहरा श्वास लेकर बाहर छोड़कर वाह्य प्राणायाम की क्रिया को तीन से पांच बार करने की सलाह देते हुए अनुलोम-विलोम प्राणायाम के बारे में बताया कि इसे एक चक्र में अधिकतम पांच मिनट करें और सामान्य रूप में कुल समय 15 मिनट और असाध्य रोगों की स्थिति में 30 मिनट दें। होंठ बंदकर ओंकार का गुंजन करने वाले भ्रामरी के साथ ही उन्होंने उद्गीत और प्रणाम प्राणायाम का जिक्र किया। साथ ही सहायक प्राणायाम उज्जायी के बारे में बताया कि यह गले और थायरायड की समस्याओं में लाभप्रद है। उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी शक्ति संकल्प की, विचार की और विश्वास की है। प्राणायाम यह सोचकर करो कि मैं बीमार नहीं हूं। उन्होंने कहा कि अतिपोषण और कुपोषण दोनों बीमारी का कारण हैं। अब तक अन्नमय कोष को खूब पोषित किया है, अब कमजोर पड़ते मनोमय, ज्ञानमय और आनन्दमय कोष को प्राणायाम से पोषित करो। प्रज्ञा का विस्तार होगा। प्राणायाम, सूक्ष्म व सम्पूर्ण व्यायाम के साथ उंन्होंने योग आसन के विषय में कहा कि जितनी भी संसार में आकृतियां हैं, पशु पक्षी हैं, उतने ही आसन हैं। लिहाजा सब आसन हमें नहीं करने, हमें सिर्फ वही योग करना है जो हमें निरोग बनाता हो। उन्होंने भुजंग, मर्कट, वज्र और सिंह आसन भी कराये।
कम खाएँ ज्यादा जिएँ : राज
यदि आप कम खाते हैं, तो आप ज्यादा समय तक जिंदा रहेंगे। एक नए अध्ययन में ये बात सामने आई है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि बहुत कम खाना शुरू कर दिया जाए, जो जीवन ही समाप्त कर दे। 1930 में यह पाया गया कि प्रयोगशाला में रहने वाले जीव कम कैलोरी वाले पदार्थ खाते हैं और लंबे समय तक जीवित रहते हैं। इन लोगों को कैंसर, मधुमेह और हृदयाघात जैसी शिकायतें कम ही होती है। परंतु फिर भी अभी तक इसके प्रमाण कम ही थे कि कम खाने वाले ज्यादा समय तक जिंदा रहते हैं। अब एन्ड्रयू डिलिन ने केलिफोर्निया के ला जोला स्थित साल्क इंस्टीट्यूट फॉर बायलॉजिकल स्टडीज में अध्ययन में एक जीन का पता किया है। इसका सीधा संबंध मनुष्य के जीवन से होता है। यह भी बात स्पष्ट रूप से सामने आई कि यदि कैलोरी सीमित कर दी जाए तो इससे जीवन अवधि ब़ढ़ सकती है। शोध दल ने पाया कि शरीर पीएच-4 नाम की जीन होती है, जो मनुष्य में विकास के लिए जिम्मेदार होती है। परंतु वयस्कों में ये कैलोरी के साथ कार्य करती है। मनुष्य में पीएचए-4 के समान तीन जीन और भी होती हैं। ये जीन ग्लूकागॉन से संबंधित रहती है। इसका संबंध पेनक्रियाज के हार्मोन से बना रहता है। यही शरीर में रक्त शर्करा को ब़ढ़ाता है और शरीर का संतुलन बनाए रखता है, विशेष रूप से उपवास आदि के दौरान।
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