ज्यादा वजन , डायबिटीज़, पैरों और घुटने का दर्द, किडनी की समस्या और थायरॉयड से ऐसे मिलेगी मुक्ति
Powerlifter Julia Vins (Russia)
इस आलेख में राजेश मिश्रा आप सभी के लिए लाये हैं 5 गंभीर बिमारियों से निजात पाने का सरल और कारगर उपाय| जिसमें डाइट, एक्सर्साइज़ और लाइफस्टाइल के तहत सजग रहने की सुन्दर पहेली बताई जा रही है| इसे अपनाकर आप और अपने परिवार के साथ-साथ रिश्तेदारों को कई रोगों से बचा सकते हैं...ये रोग हैं- 1.वजन काम करना, 2 . डायबिटीज़, 3.पैरों और घुटने का दर्द, 4.किडनी की समस्या और 5. थायरॉयड|
कामकाजी हो या गृहिणी, घर-बार के अलावा उन्हें खुद को संभालने का वक्त बहुत कम मिल पाता है। उसी तरह से जिस तरह से अधिकांशतः पुरुष पैसे कमाने, व्यापार बढ़ाने, परिवार की जिम्मेदारियों को निर्वाह करने में भूल जाते हैं की उनका शरीर कई रोगों का कारखाना (उद्योग) बन गया है| कम वक्त और सही जानकारी के अभाव में, सैकड़ों बार कोशिश करने के बावजूद हमारा शरीर कई रोगों के आगोश में जकड जाता है| अब होगा सही इलाज़ परहेज़ और एक्सरसाइज़ से|
वजन कम करना
वजन कम करना और चर्बी को गला देना दोनों ही अलग अलग बातें हैं। आज कल हम तरह तरह के जंक फूड खाते रहते हैं , जिनमें खाघ पदार्थ और पोषण के नाम पर कुछ भी नहीं होता, लेकिन हां, इससे फैट खूब मिल जाता है। यही फैट आपके शरीर में जम जाता है जो कई दिनों तक रहने से विष का रूप ले लेता है।डाइट
- मक्खन, घी, मलाई आदि न लें, क्योंकि इनसे दिल की नलियां संकरी होती हैं और वजन भी बढ़ता है।
- मैदा, सूजी, सफेद चावल, चीनी, आलू यानी सफेद चीजों की मात्रा डाइट में काफी कम कर दें। दूध भी डबल टोंड लें।
- पैक्ड चीजें मसलन पैक्ड जूस, बेकरी आइटम्स, सॉस आदि से बचें। रोजाना करीब आधे चम्मच से ज्यादा नमक न लें।
- बहुत मीठी चीजों (मिठाई, चॉकलेट आदि) से बचें। ये वजन बढ़ाती हैं।
- जितना हो सके हाई फाइबर और लो फैट वाली डाइट लें। गेहूं, ज्वार, ओट्स, बाजरा आदि को आटे या दलिया की तरह लें। इनका मिक्स दलिया अच्छे कॉलेस्ट्रॉल और ओमेगा-3 को बढ़ाता है।
- रोजाना आधा चम्मच फ्लैक्स-सीड्स (अलसी के बीज) गुनगुने पानी के साथ खाएं। चाहें तो आटे में भी मिला सकते हैं। 5 किलो आटे के लिए 100-150 ग्राम फ्लैक्स-सीड्स काफी हैं।
- रोजाना सुबह खाली पेट लहसुन की एक कली नॉर्मल पानी के साथ लें। इससे कॉलेस्ट्रॉल की प्रॉब्लम में आराम मिलता है।
- रोजाना 5-6 बादाम और 1-2 अखरोट खाएं। बादाम-अखरोट रात भर भिगोकर लें। इससे पाचन अच्छा होता है और विटामिन ई की मात्रा बढ़ती है।
- लो-ग्लाइसिमिक इंडेक्स (धीमें-धीमें ग्लूकोज में तब्दील होने वाले)वाले फल जैसे कि जामुन, पपीता, सेब, आड़ू आदि खाएं।
- हरी सब्जियां, साग, शलजम, बीन्स, मटर, ओट्स, सनफ्लावर सीड्स, अलसी आदि खाएं। इनमें फॉलिक एसिड होता है, जो कॉलेस्ट्रॉल को काबू में रखता है।
- ऑलिव ऑयल, तिल का तेल और सरसों का तेल इस्तेमाल कर सकते हैं। ये हार्ट के लिए अच्छे हैं।
- हफ्ते में 2-3 बार मछली या चिकन खा सकते हैं। हालांकि मछली बेहतर है। चिकन खाना चाहते हैं, तो एक बार में 100 ग्राम तक काफी है। ध्यान रहे कि यह तले-भुने और ज्यादा मसालेदार न हों।
नोट : ग्लाइसिमिक इंडेक्स उस लेवल को कहा जाता है, जिस पर खाने से मिलने वाले एनर्जी ग्लूकोज में बदलती है। हाई-ग्लाइसिमिक, यानी जिन चीजों का ग्लाइसिमिक इंडेक्स ज्यादा होता है, वे तेजी से ग्लूकोज में बदलती हैं। इससे भूख जल्दी लगती है और हमें दोबारा खाना पड़ता है। नतीजा शरीर में फैट बढ़ जाता है, लो-ग्लाइसिमिक इंडेक्स वाली चीजें धीरे-धीरे ग्लूकोज में बदलती हैं और काफी देर तक पेट भरा होने का अहसास कराती हैं। ये वजन घटाने के लिहाज से काफी फायदेमंद हैं।
एक्सरसाइज
- अगर हार्ट पेशंट को दो मंजिल चढ़ने या 2 किमी पैदल चलने के बाद सांस फूलने जैसी कोई दिक्कत नहीं होती, तो वह सामान्य लोगों की तरह एक्सरसाइज कर सकता है, वरना डॉक्टर से पूछकर एक्सरसाइज करें।
- किसी भी एक्सरसाइज के दौरान अगर दिक्कत (बेचैनी, दर्द, उलटी, घबराहट आदि) हो, तो वहीं रुक जाएं। डॉक्टर को दिखाने के बाद ही फिर से एक्सरसाइज का प्लान करें।
- हल्की फिजिकल एक्सरसाइज के तौर पर रोजाना 45-50 मिनट वॉक करें। एक बार में नहीं कर सकते तो 15-15 मिनट के लिए तीन बार में करें।
- जॉगिंग या एयरोबिक्स से पहले डॉक्टर से सलाह ले लें, क्योंकि बीपी का लोवर लेवल बढ़ता है।
- हैवी एक्सरसाइज जैसे कि वेट लिफ्टिंग आदि न करें। अगर हार्ट प्रॉब्लम शुरुआती स्टेज में है, तो लाइट वेट लिफ्टिंग कर सकते हैं।
- योग और प्राणायाम करें। लेकिन ध्यान रखें कि ये कार्डियो एक्सरसाइज के विकल्प नहीं हैं। उसके बाद ब्रिस्क वॉक, साइकलिंग आदि करें।
- अनुलोम-विलोम करें। शीतली प्राणायाम खासतौर पर मन को शांत रखता है और बीपी को मेंटेन करता है। कपालभाति, भ्रस्त्रिका और कुंबज बिना डॉक्टर से पूछे न करें।
- खाने के बाद न चलें, क्योंकि खाने के बाद हार्ट रेट बढ़ जाता है। चलने लगेंगे, तो हार्ट रेट और बढ़ कर डबल हो जाएगा। इससे घुटन हो सकती है। खाने के कम-से-कम 40-45 मिनट बाद चलें।
- ऐसे आसन डॉक्टर की सलाह के बिना न करें, जिनमें सारा वजन सिर पर या हाथों पर आता है, जैसे कि मयूरासन, शीर्षासन आदि।
लाइफस्टाइल
- टाइम पर खाएं
- रेग्युलर फिजिकल एक्सरसाइज करें।
- स्ट्रेस से बचें
डायबीटीज (शुगर)
डायबीटीज के मरीज वजन कंट्रोल में रखें, तो इंसुलिन छूट सकता है और दवाएं भी 40 फीसदी तक कम हो सकती हैं। बेहतर फिटनेस के लिए यह जरूरी है।
डाइट
- चीनी, शक्कर, गुड़, गन्ना, शहद, चॉकलेट, पेस्ट्री, केक, आइसक्रीम आदि मीठी चीजों से बचें।
- हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाली चीजों से बचें, क्योंकि ये जल्दी ग्लूकोज में बदल जाती हैं। इससे शरीर में शुगर एकदम से बढ़ जाता है। इनमें प्रमुख हैं मैदा, सूजी, सफेद चावल, वाइट ब्रेड, नूडल्स, पित्जा, बिस्किट, तरबूज, अंगूर, सिंघाड़ा, चीकू, केला, आम, लीची आदि।
- सब्जियों में आलू, अरबी, कटहल, जिमिकंद, शकरकंद, चुकंदर न खाएं। इनमें स्टार्च और कार्बोहाइड्रेट काफी ज्यादा होता है, जो शुगर बढ़ा सकते हैं। हां, इन्हें कभी-कभार उबाल कर खा सकते हैं।
- फलों में आम, चीकू, अंगूर, केला, शरीफा आदि से परहेज करें क्योंकि इनमें शुगर काफी ज्यादा होती है।
- मैदा और मक्के का आटा न खाएं। इनका ग्लाइसिमिक इंडेक्स ज्यादा होता है।
- शुगर के मरीजों को प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट का अच्छा कॉम्बिनेशन लेना चाहिए। मसलन, नाश्ते में टोंड या डबल टोंड के दूध में बना दलिया लें या फिर ब्राउन ब्रेड के साथ अंडा लें। इसी तरह खाने में सब्जी के साथ दाल भी लें। इससे शुगर का लेवल सही रहता है। वजन कम करना है, तो कार्ब कम करके प्रोटीन बढ़ाएं। कार्बोहाइड्रेट से शुगर जल्दी बनती है, जबकि प्रोटीन से धीरे-धीरे शुगर रिलीज होती है, जिससे ज्यादा देर तक पेट भरा हुआ लगता है।
- लो-ग्लाइसिमिक इंडेक्स वाली चीजें (हरी सब्जियां, सोया, मूंग दाल, काला चना, राजमा, ब्राउन राइस, अंडे का सफेद हिस्सा आदि) खाएं।
- खाने में करीब 20 फीसदी फाइबर जरूर हो। चोकर के साथ रोटी बनाएं। जौ (बारले), काला चना, लोबिया, राजमा, स्प्राउट्स आदि खाएं क्योंकि इनसे प्रोटीन और फाइबर दोनों मिलते हैं। स्प्राउट्स में एंटी-ऑक्सिडेंट भी काफी होते हैं।
- दिन भर में 4-5 बार फल और सब्जियां खाएं, लेकिन एक ही बार में सब कुछ खाने के बजाय थोड़ा-थोड़ा करके खाएं। फलों में चेरी, स्ट्रॉबेरी, सेब, संतरा, अनार, पपीता, मौसमी आदि और सब्जियों में करेला, घीया, तोरी, सीताफल, खीरा, टमाटर आदि खाएं।
- रोजाना 5-7 बादाम और 1-2 अखरोट खाएं। दालचीनी का एक टुकड़ा और एक चम्मच मेथीदाना रोजाना खाएं। दालचीनी को पीसकर और मेथीदाना को भिगोकर या आटे में मिलाकर खा सकते हैं।
- घीया, करेला, खीरा, टमाटर, एलोवेरा और आंवले का जूस खासतौर पर फायदेमंद है।
- लो फैट दही और स्किम्ड/डबल टोंड दूध लेना चाहिए। ग्रीन टी पीना अच्छा है। चाय के साथ हाई फाइबर बिस्कट या फीके बिस्कट ले सकते हैं।
- छाछ और नारियल पानी पिएं। नीम-करेला पाउडर ले सकते हैं। फौरी तौर पर न सही, लेकिन लंबे वक्त में यह जरूर फायदा पहुंचाता है।
एक्सरसाइज
- रोजाना 50 मिनट वॉक करें। वॉक करते वक्त कम से कम 8-10 मिनट में 1 किमी चल लें। रोजाना 10,000 कदम चलने की कोशिश करें। नंगे पैर न चलें।
- अगर लगातार टाइम नहीं मिल रहा या ज्यादा थकान होती है, तो 15-15 मिनट 3 बार वॉक कर लें।
- साइकलिंग, स्वीमिंग और डांसिंग भी कर सकते हैं।
- 40-45 तक की उम्रवाले लोग हल्की वेट लिफ्टिंग भी कर सकते हैं। इससे मसल्स टोंड होती हैं।
- योग करें। पश्चिमोत्तान आसन, अर्धमत्स्येंद्र आसन खास फायदेमंद हैं।
- प्राणायाम खासकर कपालभांति और डीप ब्रीदिंग करें। मन शांत रहेगा।
लाइफस्टाइल
- खाने में गैप न रखें। गैप रखने से शुगर लेवल में उतार-चढ़ाव होता है। हर दो घंटे में कुछ खाएं।
- खाने की मात्रा करीब-करीब बराबर ही रखें।
- अपने छोटे-मोटे काम खुद करें। जितना चलेंगे और जितना कड़वा खाएंगे, उतना फायदा होगा।
पैरों और घुटने का दर्द
पैरों और घुटने के दर्द में एक साइकल बन जाती है दर्द और मोटापे की। दर्द है इसलिए चल नहीं पाते और चल नहीं पाते, इसलिए वजन बढ़ता जाता है। ऐसे में डाइट वजन घटाने का सबसे बड़ा जरिया है।
डाइट
- मोटे तौर पर डाइट हार्ट या डायबीटीज के मरीजों वाली ही रहेगी। यानी भरपूर फाइबर, कम तेल-मसाला और चिकनाई वाली चीजें खाएं। मीठा भी कम करें। इससे वजन कंट्रोल करने में मदद मिलेगी।
- प्रोटीन और कैल्शियम से भरपूर डाइट लें। प्रोटीन के लिए फिश, सोयाबीन, स्प्राउट्स, दालें, मक्का और बीन्स आदि को खाने में शामिल करें, जबकि कैल्शियम के लिए दूध और दूध से बनी चीजें जैसे कि पनीर, दही आदि खाएं।
- सामान्य तौर पर फल और सब्जियों (खासकर हरी पत्तेदार) को खाने में शामिल करें।
- डॉक्टर की सलाह पर कैल्शियम और विटामिन डी की टैब्लेट और सैशे भी ले सकते हैं।
एक्सरसाइज
- जिन मरीजों को बैठने के बाद दर्द होता घुटने में दर्द होता है, वे ज्यादा से ज्यादा चलें। इससे दर्द कम होगा। दर्द ज्यादा है और चल नहीं सकते, तो लेटकर और खड़े होकर करनेवाली एक्सरसाइज करें, जैसे कि साइकलिंग, योग आदि।
- धीरे-धीरे ही सही, चलें। लंबा नहीं चल सकते, तो जब भी वक्त मिले, 10-10 मिनट के लिए चलें।
- फिक्स साइकलिंग और स्वीमिंग करें। सारी एक्सरसाइज मिलाकर रोजाना 50 मिनट जरूर करें।
- बैठे-बैठे 15-20 मिनट में पैरों को गोल-गोल घुमाते रहें। सीधा तानें।
- ताड़ासन, एकपादउत्तानासन, कटिचक्रासन, सेतुबंध, पवनमुक्तासन (बिना सिर उठाए), भुजंगासन, अर्धनौकासन और हाथों व पैरों की सूक्ष्म क्रियाएं करें।
- अनुलोम-विलोम, भस्त्रिका, कपालभाति प्राणायाम करें।
नोट
- स्क्वैटिंग (उठक-बैठक) न करें। घुटनों को मोड़कर और चौकड़ी मारकर न बैठें।
- लगातार एक ही पोजिशन में बैठे या खड़े न रहें। एक पैर पर वजन न डालें।
- वज्रासन जैसे घुटने मोड़ने वाले आसन न करें।
- ट्रेडमिल से बेहतर खुले में एक्सरसाइज करना है, क्योंकि ट्रेडमिल के वाइब्रेशन घुटने और एड़ी को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
लाइफस्टाइल
- ऐसा कोई काम न करें, जिससे घुटनों पर अतिरिक्त प्रेशर पड़े। फास्ट डांस, एयरोबिक्स और जॉगिंग न करें।
- घुटनों में दर्द है तो इंडियन टायलेट यूज न करें। पिंडलियों में दर्द होता है तो कैल्शियम चेक कराएं।
- अस्थमा
- जितना वजन कम होगा, उतना ही हमारे लंग्स की कैपेसिटी बढ़ेगी। जिन मरीजों को एक्सरसाइज करने पर बेहतर महसूस होता है, वे कोई भी एक्सरसाइज कर सकते हैं, लेकिन जिन्हें दिक्कत होती है, वे डॉक्टर से पूछ कर ही करें।
डाइट
- ई फाइबर और प्रोटीन से भरपूर डाइट लेनी चाहिए। इस दौरान मसल्स ज्यादा काम करती हैं, इसलिए प्रोटीन से भरपूर दालें, सोयाबीन, अंडा आदि खाएं।
- काली मिर्च, सौंठ, लौंग को बराबर मात्रा में मिलाकर पीस लें। इस चूर्ण को आधा छोटा चम्मच खाने से पहले खा लें। हल्की गर्म तासीर होने से यह मेटाबॉलिज्म बढ़ाती हैं।
- एक्सरसाइज
- नॉर्मल दिनों में 45-50 मिनट घूमें, लेकिन जब अस्थमा अटैक हो तो न घूमें। बाहर जाएं, तो नेबुलाइजर लेकर जाएं।
- योग का रोल ज्यादा है। सर्वांगासन अस्थमा के मरीजों के लिए खास तौर पर फायदेमंद है।
- डीप ब्रिदिंग करें। मन शांत रहेगा, तो बेचैनी और घबराहट अटैक की वजह नहीं बनेगी। लाइफस्टाइल आमतौर पर लाइफस्टाइल सामान्य ही रहता है। छोटे-मोटे काम खुद करें। खुद को बहुत ज्यादा न थकाएं।
किडनी की समस्या
जिन लोगों को किडनी की समस्या है, उन्हें वजन कंट्रोल करने में खानपान पर खास ध्यान देना होता है। फिर भी यह तय है कि खाना ऐसा हो, जिससे किडनी पर फालतू जोर न पड़े। किडनी की प्रॉबल्म में प्रोटीन कम लेना चाहिए, क्योंकि किडनी जब सही से काम नहीं करती, तब अधिक प्रोटीन लेने से शरीर में प्रोटीन वेस्ट ज्यादा हो जाते हैं। इससे प्रोटीन टॉक्सिसिटी हो जाती है और किडनी फेल भी हो सकती है। प्रोटीन दालें, दूध, दही, पनीर, मीट, अंडा, मछली आदि में पाया जाता है।
डाइट
- टमाटर, पालक, मशरूम अवॉयड करें, क्योंकि ये यूरिक एसिड बढ़ाते हैं, जोकि किडनी के लिए नुकसानदेह है। हैवी दालों राजमा, आदि को अवॉयड करें।
- टिंडा, तोरी, सेब, अमरूद और पपीता खाएं। संतरा, मौसमी टमाटर, आंवला आदि कम खाएं क्योंकि इनमें पोटैशियम ज्यादा होता है। इसी तरह लौकी और करेले का जूस न पीएं। इनमें विटामिन सी होता है। ये किडनी के लिए अच्छे नहीं हैं।
- ऐपल, ब्लैकबेरी, मटर जैसे अल्केलाइन (जिनका पीएच लो रहता है) फल ज्यादा खाएं, ताकि एसिडिक हो गए सिस्टम को बैलेंस किया जा सके। एक्सरसाइज साइकलिंग, स्वीमिंग और ब्रिस्क वॉक को मिलाकर रोजाना 40-50 मिनट एक्सरसाइज करें। लेकिन खुद को बहुत ज्यादा थकाएं नहीं।
लाइफस्टाइल
- दवा टाइम पर लें। खाना टाइम पर खाएं और डाइट को प्लान पूरी तरह फॉलो करें।
- किडनी फंक्शन टेस्ट (केएफटी) टाइम पर करवाएं।
थायरॉयड
हाइपोथायरॉइडिज्म वजन बढ़ने की एक बड़ी वजह है। थायरॉइड की गड़बड से हॉर्मोंस का बैलेंस बिगड़ सकता है, जिससे मोटापा बढ़ता है। इसके मरीज का तीखा, चटपटा, मीठा आदि खाने का दिल ज्यादा करता है, सो वजन बढ़ता जाता है।
डाइट
- ब्रोकली, गोभी, मशरूम, सोयाबीन आदि न खाएं, क्योंकि इनमें आयोडीन ज्यादा होता है। ये हाइपोथायरॉडिज्म में नुकसान पहुंचाती हैं।
- थायरॉयड से कोलेस्ट्रोल बढ़ सकता है। ऐसे में दिल की बीमारी में बताई गई डाइट को फॉलो करना बेहतर है।
- नमक कम करें। एक्सरसाइज 40-45 साल वाले वेट एक्सरसाइज और एयरोबिक्स करें। पहली कैटिगरी की एक्सरसाइज से स्ट्रैंथिंग होती है और दूसरी कार्डियो कैटिगरी में है।
लाइफस्टाइल
- थोड़ी राहत मिलने पर दवाएं छोड़े नहीं, वरना समस्या के साथ मोटापा लौट आएगा।
- लें नियमों की असरदार गोली
- अगर आपको कोई बीमारी है और आपका वजन ज्यादा है, तो सिर्फ 10 फीसदी वजन कम करने से आपको बीमारी में 45 फीसदी तक फायदा हो सकता है।
- एकदम वजन घटाने की न सोचें। तेजी से वजन घटाना चाहेंगे, तो न सिर्फ सेहत को नुकसान होगा, बल्कि मनचाहा रिजल्ट न मिलने से आपका विश्वास भी कम होगा और आप वजन घटाने की कोशिश छोड़ देंगे। महीने में 2 किलो वजन घटाना सही है।
- पहचानें कि आपका मोटापा कार्ब्स की वजह से है या फैट की वजह से। आम पहचान यह है कि फैट आधारित मोटापा पूरे शरीर में होगा, जबकि कार्ब आधारित मोटापा तोंद पर ज्यादा होगा। आमतौर पर डायबीटीज, बीपी आदि में कार्ब वाला मोटापा ज्यादा होता है, क्योंकि लोग डाइट से फैट तो कम कर देते हैं, कार्ब नहीं। मोटापा पहचानने के बाद डाइट में बदलाव करें।
- जितना वजन आपका 20 साल की उम्र में था, उसमें 5 किलो बढ़ा दें। आपका वजन उतना ही होना चाहिए, बाकी ओवरवेट हैं।
- रोजाना 500 और हफ्ते में 3500 कैलरी कम करने से हफ्ते भर में करीब आधा किलो वजन कम हो जाएगा।
- आयुर्वेद के मुताबिक मीठी, नमकीन और खट्टी चीजें वजन बढ़ाती हैं, जबकि तीखी, कड़वी और कसैली चीजें मोटापा को कंट्रोल करती हैं, इसलिए हर मीठी चीज के साथ तीखा या कसैला खाएं।
- 20 से 40 साल की उम्र वाले हफ्ते में दो दिन एनएरोबिक्स यानी वे एक्सरसाइज जो रेजिस्टेंस के अगेंस्ट (स्क्वैश, रनिंग, जॉगिंग, बाधा दौड़, पंजा लड़ाना आदि) होती हैं, कर सकते हैं। अगर लगातार करते हैं और फिर छोड़ देते हैं, तो दिक्कत हो सकती है। 40 साल के बाद डॉक्टर की सलाह से करें।
- हैवी एक्सरसाइज एक मिनट में 4-5 कैलरी से ज्यादा बर्न नहीं कर सकती। यानी एक घंटे मैराथन करने के बाद आप करीब 250-300 कैलरी बर्न कर सकते हैं, लेकिन उसके बाद अगर एक बालूशाही खा ली तो करीब 400 कैलरी आप शरीर में जमा कर लेते हैं। ऐसे में डाइट पर कंट्रोल बहुत जरूरी है।
- पहली मंजिल के बाद लिफ्ट न लें।
- घर में मोबाइल फोन और रिमोट यूज न करें।
- मोबाइल पर बात करते हुए चहलकदमी करें।
- कार ऑफिस से दूर पार्क करके ऑफिस तक वॉक करें।
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