दादी-नानी और पिता-दादाजी के बातों का अनुसरण, संयम बरतते हुए समय के घेरे में रहकर जरा सा सावधानी बरतें तो कभी आपके घर में डॉ. नहीं आएगा. यहाँ पर दिए गए सभी नुस्खे और घरेलु उपचार कारगर और सिद्ध हैं... इसे अपनाकर अपने परिवार को निरोगी और सुखी बनायें.. रसोई घर के सब्जियों और फलों से उपचार एवं निखार पा सकते हैं. उसी की यहाँ जानकारी दी गई है. इस साइट में दिए गए कोई भी आलेख व्यावसायिक उद्देश्य से नहीं है. किसी भी दवा और नुस्खे को आजमाने से पहले एक बार नजदीकी डॉक्टर से परामर्श जरूर ले लें.
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नोट : यहाँ पर प्रस्तुत आलेखों में स्वास्थ्य सम्बन्धी जानकारी को संकलित करके पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करने का छोटा सा प्रयास किया गया है। पाठकों से अनुरोध है कि इनमें बताई गयी दवाओं/तरीकों का प्रयोग करने से पूर्व किसी योग्य चिकित्सक से सलाह लेना उचित होगा।-राजेश मिश्रा

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सोमवार, अप्रैल 20, 2015

घर के छतों पर लगाएं निरोगी की खेती

मिलेगी सब्जी और निखरेगा परिवार, जब होगा घर पर ऐसा पैदावार

सौंफ, मेथी, धनिया, तुलसी, पुदीना आदि की भारतीय रसोई में खास जगह रही है। कैसा हो अगर आप राजेश मिश्रा के कहे अनुसार अपनी छत, बरामदे व गमलों में भी इन्हें जगह देकर अपना खुद का गार्डन तैयार करें और ताजी हरी सब्जियों व औषधीय पौधों को अपने और परिवार की सेहत के लिए इस्तेमाल में लाएं। मैं भी जब गाँव में रहता था तो अपने बड़े भाईजी तारकेश्वर मिश्रजी के साथ अपने पैतृक निवास भेल्दी (जिला-छपरा, बिहार) में उगाया करता था... कच्चे सब्जियों को खेतों से तोड़कर खाने का मजा ही कुछ और होता है... यह करना बहुत मुश्किल भी नहीं है, आइये जानें..

मैंने कोलकाता और कई अन्य राज्यों में गया जहाँ मैंने लोगों को अपने छतों और आसपास के जगहों में तुलसी व धनिए जैसे औषधीय गुणों से युक्त पौधे लगाते देखा। चाहें तो आप भी इस तरह के पौधों को अपनी जरूरत के अनुरूप लगा सकते हैं। इस तरह ये चीजें व्यावसायिक फसलों में इस्तेमाल होने वाले रसायनों से भी मुक्त रहेंगी। ‘औषधियों को जितना ताजा इस्तेमाल में लाया जाए, उतना बेहतर। फसल के रूप में कटाई होने और सेवन में देरी होने पर उनके पोषक तत्वों में कमी आती रहती है। इन पौधों में विटामिन, मिनरल, एंटीऑक्सीडेंट व फाइटोन्यूट्रिएंट्स भरपूर मात्रा में होते हैं। शोध कहते हैं कि इन औषधियों का नियमित उपभोग संक्रमण, सूजन, जलन, मोटापे व जोड़ों के दर्द में राहत पहुंचाता है।
‘सबसे अच्छी बात है कि ऐसे पौधों को अधिक रख-रखाव की जरूरत नहीं होती। कम समय में भी इनकी देखभाल की जा सकती है। इन्हें जरूरत है तो बस थोड़ी सी धूप, पानी, रोशनी, हल्की मिट्टी और पत्तियों की खाद की। इनमें से कुछ पौधों को आप कांच की बोतल या छोटे गमलों में भी लगा सकते हैं।’ दो सप्ताह की अवधि के युवा पौधे यानी माइक्रोग्रीन, खासतौर पर फ्लेवर और पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। माइक्रोग्रीन पौधों की उस अवस्था को कहते हैं, जब पौधों में शुरुआती पत्तियां आती हैं। माइक्रोग्रीन को आप साल भर उगा सकते हैं और ये 7 से 10 दिन में तैयार भी हो जाते हैं। इन्हें कम पानी की जरूरत होती है।
कैसे कर सकते हैं इन्हें तैयार, आइये जानें..

पुदीना

कैसे उगाएं: पुदीने के एक छोटे से गुच्छे को नीचे से लगभग दो इंच की लंबाई में काट लें। अब निचले हिस्से की पत्तियों को हटा लें और गांठ यानी पत्ती वाली जगह के नीचे से काट लें। अब तने को पानी के गिलास में रख लें। इसे तब तक हवा व रोशनी में रखें, जब तक इनमें जड़ें आने लगें। ऐसा होने में लगभग दो सप्ताह का समय लगता है। जैसे ही जड़ें निकलने लगती हैं, उन्हें लगभग 10 इंच गहरे गमले में रेतीली मिट्टी में बो दें। मिट्टी में नमी बनाए रखें। बहुत अधिक पानी न डालें। इस पौधे को हर रोज 5 से 6 घंटे की सूरज की रोशनी में रखना जरूरी है।

उपयोग करें: पुदीने की सुगंध और फ्लेवर चटनी, शीतल पेय व सलाद में खासे पसंद किए जाते हैं। पुदीने का रस अपाचन और मरोड़ में लाभ पहुंचाता है। 2012 में बायोशिमी जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार पुदीने में मौजूद एक तत्व प्रोस्टेट कैंसर को बढ़ाने वाली कोशिकाओं को बढ़ने से रोकता है। नई दिल्ली स्थित मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में क्लीनिकल न्यूट्रिशनिस्ट व डायटिक्स सौम्या श्रीवास्तव के अनुसार, ‘पुदीना त्वचा के लिए फायदेमंद है। त्वचा के संक्रमण में भी इससे राहत मिलती है। इसीलिए इसे क्लिंजर व टोनर के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।’

तुलसी

कैसे उगाएं: तुलसी के बीजों को छोटी सी मटकी में मिट्टी में एक चौथाई इंच गहरे दबा दें। इस मिट्टी में रेत, सामान्य मिट्टी व खाद मिली होनी चाहिए। जब तक बीज फूटने न लगे, तब तक मिट्टी में नमी का बने रहना जरूरी है। इसमें पांच दिन से तीन सप्ताह का समय लग सकता है। अब जैसे-जैसे दो से तीन पत्तियों के जोड़े बनते रहें, इन्हें 6 से 8 इंच के कंटेनर में बोएं। मिट्टी में नमी बनाए रखें। हर दिन पौधे को एक से दो घंटे की धूप दें।

उपयोग में लाएं: आयुर्वेदिक दवाओं में तुलसी का काफी इस्तेमाल किया जाता है। तुलसी में एंटीऑक्सीडेंट्स की प्रचुरता होती है। साथ ही इससे रक्त में ग्लूकोज व शर्करा के स्तर को बनाए रखने में मदद मिलती है। उबलते हुए पानी में तुलसी की तीन से चार पत्तियां डाल कर इसकी भाप भी ले सकते हैं, जिससे श्वसन संबंधी संक्रमण को दूर करने में मदद मिलती है। तुलसी के रस का घर में छिड़काव करने से मक्खी व मच्छर दूर रहते हैं। ब्रिटेन में वर्ष 2009 में ब्रिटिश फार्मास्युटिकल कॉन्फ्रेंस में पेश किए गए एक अध्ययन के अनुसार तुलसी से सूजन व जलन को 73% तक कम किया जा सकता है।

लेमनग्रास

कैसे उगाएं: लेमनग्रास के डंठल को जार में एक इंच पानी डाल कर रखें। दो-तीन दिनों के भीतर जड़ों में स्प्राउट्स निकलेंगे। इन्हें हल्की मिट्टी में दबा दें। इनमें खूब पानी दें, पर मिट्टी पूरी तरह पानी में डूबी नहीं होनी चाहिए।
उपयोग में लाएं: थाई और वियतनामी व्यंजनों में इस फ्लेवर का काफी इस्तेमाल किया जाता है। अनीता अग्रवाल के अनुसार, ‘ऐसे लोग जिन्हें कब्ज रहता है, वे चाय में इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।’ लेमनग्रास की चाय पाचक ग्रंथि की सफाई करती है, जिससे मधुमेह होने की स्थिति में रक्त शर्करा को नियंत्रित रखने में मदद मिलती है। वर्ष 2011 में प्रकाशित जर्नल ऑफ एथनोफार्मेकोलॉजी के अनुसार लेमनग्रास से तनाव को कम करने में भी मदद मिलती है।

मेथी

कैसे उगाएं: छोटे पौधे के रूप में इसे उगाने के लिए केवल पांच से छह दिन का समय लगता है। इसके बीजों को रुई और ऊन के गोले में फैला कर इन्हें रोशनी में रखें, पर सीधे सूरज की धूप इन पर नहीं पड़नी चाहिए। पानी सूखने के बाद ही इन पर पानी का छिड़काव करें।

उपयोग में लाएं: मेथी से ग्लिसमिक इंडेक्स काबू में रहता है और यह सूजन व जलन को भी कम करता है। ग्लिसमिक इंडेक्स भोजन में मौजूद विभिन्न तरह के काबरेहाइड्रेट के रक्त शर्करा पर होने वाले असर का मापक है। सरसों और मेथी को पीस कर पट्टी पर इसका लेप करके आर्थराइटिस में दर्द वाले जोड़ पर लगाने से आराम मिलता है। श्रीवास्तव कहते हैं, ‘प्रसव के बाद महिलाओं के लिए मेथी का सेवन जरूरी बताया जाता है। इसमें मौजूद डायोज्गेनिन माताओं में अधिक दूध बनाता है। जर्नल ऑफ पीडियाट्रिक साइंसेज में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार मेथी की हर्बल चाय पीने से मांओं में अधिक दूध बनता है। कढ़ी, दाल, परांठा आदि भारतीय व्यंजनों में इसका इस्तेमाल किया ही जाता है।’

सरसों

कैसे उगाएं: मेथी की तरह ही समान प्रकिया सरसों के लिए अपनाएं।
उपयोग में लाएं: आशुतोष गुलेरी के अनुसार, ‘सरसों की पत्तियों में फाइटोन्यूट्रिएंट्स, विटामिन, मिनरल व फाइबर प्रचुरता में होते हैं, जो कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखते हैं। सरसों के स्प्राउट्स का सेवन ऑस्टिओपरोसिस और एनीमिया में राहत पहुंचाता है। इसके अलावा हृदय रोगों, अस्थमा, आंत व प्रोस्टेट कैंसर में भी राहत मिलती है।’ श्रीवास्तव के अनुसार, ‘एंटीऑक्सीडेंट्स की प्रचुरता के साथ सरसों बुढ़ापे की प्रक्रिया को भी धीमा करती है। जर्नल ऑफ बायोलॉजिकल केमिस्ट्री में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार इससे एल्जाइमर्स रोग होने की आशंका भी कम हो जाती है।
गुलेरी यह भी कहते हैं, ‘हाइपरटेंशन के मरीजों को इसका इस्तेमाल ध्यानपूर्वक करना चाहिए। सरसों का अधिक और बार-बार इस्तेमाल रक्त के दबाव को बढ़ा देता है।’

सौंफ

कैसे उगाएं: बीजों को दस इंच गहरे गमले में मिट्टी में दबाएं। इस गमले को पॉलीथीन से ढंक दें। जैसे ही अंकुरण होने लगे, गमले को रोशनी में रख दें। पानी का छिड़काव मिट्टी सूखने पर ही करें।
उपयोग में लाएं: सौंफ में मौजूद आयरन, फॉस्फोरस, कैल्शियम, मैग्नीशियम, जिंक और विटामिन हड्डियों को मजबूत बनाते हैं। आशुतोष कहते हैं, ‘सौंफ हाजमे को दुरुस्त रखती है, जिससे अतिरिक्त वायु और तरल बाहर निकलते हैं। पाचन दुरुस्त रखने वाले इन्जाइम्स बाहर निकलते हैं। इससे पीरियड सिस्टम ठीक होता है।

धनिया

कैसे उगाएं: सौंफ की तरह ही यही प्रक्रिया धनिये के साथ अपनाएं।
उपयोग में लाएं: धनिये को शीतल गुणों के कारण जाना जाता है। यह मधुमेह में भी लाभकारी है और कोलेस्ट्रॉल को कम करता है। डॉ. श्रीवास्तव के अनुसार, ‘धनिये के एंटीसेप्टिक गुण मुंह के छाले व अल्सर में फायदा पहुंचाते हैं। इसके एंटीऑक्सीडेंट्स आंखों के लिए लाभकारी हैं।’ इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार रूमेटॉयड आर्थराइटिस के लिए उपयोगी सूजन को भी कम रखने में यह असरकारी है। ताजगी से भरपूर यह औषधि चीजों के फ्लेवर को भी बढ़ा देती है। आप इसे किसी भी सब्जी, सूप, दही, चावल में इस्तेमाल कर सकते हैं।

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